0 ka avishkar kisne kiya tha जीरो का अविष्कार कब हुआ जीरो क्या हैं जीरो का इतिहास यह सारी जानकारी इस लेख में हम लोग प्राप्त करने वाले हैं. जीरो का अविष्कार हमारे भारत देश में एक बहुत ही महान अविष्कार है यह एक गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोज हैं। जिसका उपयोग किसी भी तरह की गणना के किया जाता हैं।
जीरो के खोज से पहले किसी भी तरह के अंकगणित का गणना करने में परेशानी होती थी। क्योंकि जीरो एक ऐसा संख्या हैं जोकि किसी भी संख्या का मान बदल देता हैं किसी भी संख्या के आगे लगा देने से उसका मान कई गुना बढ़ जाएगा।
किसी भी संख्या के पीछे लगा देने से उसका कई गुना कम हो जाएगा। इसलिए गणितीय संख्या में जीरो का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं तो इस लेख में जीरो का अविष्कार ,जीरो के अविष्कार के बारे में आइए नीचे हम विस्तार से जानते हैं.
0 ka avishkar kisne kiya tha
जीरो का अविष्कार वैसे तो बहुत वैज्ञानिकों ने करने के बारे में सोचा. कई वर्ष पहले से वैज्ञानिक खोज करने में लगे थे लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिला था. जब 0 का अविष्कार नही हुआ था उससे पहले गणितीय संख्या कितनी मुश्किल रही होगी वैसे तो आज भी गणित सबसे मुश्किल विषय हैं लेकिन जीरो का जब अविष्कार नहीं हुआ होगा
तब भी इससे भी ज्यादा मुश्किल रहा होगा सबसे पहले जीरो का खोज आर्यभट्ट ने किया था लेकिन उन्होंने जीरो का खोज तो किया था पर जीरो का सिद्धांतों के साथ खोज नहीं किया था. इसलिए आर्यभट्ट को 0 का अविष्कारक नहीं माना जाता हैं।

बहुत लोग आर्यभट्ट को जीरो का जनक कहते हैं लेकिन उन्होंने जीरो का अविष्कार बिना सिद्धांतों के ही किया था सबसे पहले भारत के एक बहुत बड़े विद्वान ब्रह्म गुप्त ने 0 का खोज सिद्धांतों सहित किया था उन्होंने ही जब जीरो का अविष्कार किया और उसके साथ जीरो का सिद्धांत का भी अविष्कार किया.
इसीलिए ब्रह्मगुप्त को ही जीरो के अविष्कारक के रूप में जाना जाता हैं. वैसे तो भारत में कई महान खोज हुए हैं लेकिन हर अविष्कार का श्रेय भारत के लोगों को कम ही मिला हैं
लेकिन 0 का अविष्कार के लिए भारत के महान विद्वान ब्रह्म गुप्त को ही श्रेया जाता हैं वैसे तो जीरो का अविष्कार होने से पहले भी गणना किया जाता होगा लेकिन जीरो के बिना गणना करने में बहुत ही परेशानी होती होगी.
जीरो का अविष्कार कब हुआ
0 का अविष्कार बहुत लोगों ने करना चाहा लेकिन जीरो का खोज करने का श्रेय भारत देश को ही मिला हैं जीरो का अविष्कार 628 ईसवी में किया गया था पहले तो इसका अविष्कार भारत में हुआ
लेकिन बाद में धीरे-धीरे पूरे विश्व में भी जीरो का इस्तेमाल होने लगा. पहले तो 0 का अविष्कार सिर्फ एक संख्या के रूप में जो कि एक स्थान धारक के रूप में किया गया था लेकिन बाद में जीरो का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान गणितीय संख्या में हो गया.
जीरो का इतिहास
0 का इस्तेमाल तो बहुत पहले से ही दुनिया में होता था लेकिन यह एक सिर्फ संख्या के रूप में जाना जाता था जो कि अपने जगह पर एक स्थिर रहने वाला संख्या था . इसका कोई जरूरत उपयोग नहीं था
लेकिन जब भारत में इसका खोज किया गया उसके बाद 0 का महत्व और उपयोग धीरे-धीरे पूरे विश्व में होने लगा इसलिए जीरो का अविष्कार और महत्व भारत देश ने हीं पूरे विश्व को दिया हैं 0 को पहले सिर्फ एक स्थान धारक के रूप में जाना जाता था.
जीरो क्या हैं
0 शब्द एक संस्कृत शब्द हैं जिसका खोज भारत के महान विद्वान ब्रह्मगुप्त ने किया था और उसके बाद पूरे विश्व में शून्य का महत्व लोगों ने जानना शुरू किया जीरो एक गणितीय अंक हैं
जोकि गणित में बहुत ही विशेष महत्व रखता हैं जब जीरो को किसी भी अंग के आगे लगा दिया जाता हैं तब उस अंक का महत्व कई गुना बढ़ जाता हैं जैसे कि 1 के आगे 0 लगा देने से उसका महत्व 10 गुना बढ़ जाता हैं
वही उसे 1 के पीछे लगा देने से उसका कोई महत्व नहीं रहेगा 1 का मतलब 1 ही रहेगा. जीरो से किसी भी अंक का गुणा भाग जोड़ करने से उस अंक का मान जीरो ही रहेगा इसलिए जीरो का महत्व गणित में बहुत ही अधिक हैं.
सारांश
जीरो का अविष्कार किसने किया जीरो का अविष्कार कब हुआ जीरो का इतिहास क्या हैं. यह सारी जानकारी हमने इस लेख में विस्तृत रूप से देने की कोशिश की हैं आप लोग इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें और अगर इस लेख से जुड़े कोई सवाल आपके मन में आता हैं
तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं. इस लेख में हमने 0 ka avishkar kisne kiya जीरो का अविष्कार किसने किया के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं आप लोगों को यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।