डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह Anugrah Narayan Sinha biography in hindi का जीवन परिचय अनुग्रह नारायण सिंह कौन थे कहां के रहने वाले थे उन्होंने शिक्षा कहां से प्राप्त की थी और उन्होंने कौन-कौन सी पढ़ाई की थी अनुग्रह नारायण सिंह का राजनीतिक जीवन क्या था स्वतंत्रता आंदोलन में उनका क्या भूमिका था .सारी जानकारी हम लोग इस लेख में जानने वाले हैं
अनुग्रह नारायण सिंह ने महात्मा गांधी के साथ कई स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग किया फिर उन्होंने आजाद भारत में बिहार के राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बिहार का विकास करने के लिए बिहार को आधुनिक बनाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किया इसलिए उन्हें आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है
अनुग्रह नारायण सिंह को उनके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से उन्हें बिहार विभूति के नाम से जाना जाता है तो आइए इस लेख में बिहार के एक ऐसे राजनेता जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में और उसके साथ कई आंदोलनों में कैसे साथ दिया और साथ ही बिहार को विकसित करने के लिए बिहार में उद्योग धंधे कृषि आदि का विकास करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाई.
Anugrah Narayan Sinha biography in hindi
अनुग्रह नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी राजनेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री थे.हमारे देश में हमारे राज्य में कई नेता राजनेता स्वतंत्रता सेनानी आदि हुए हैं
उन्ही महान स्वतंत्रता सेनानी और महान राजनेताओं में से अनुग्रह नारायण सिंह भी थे जिन्होंने भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी अनुग्रह नारायण सिंह को उनके महान कार्यों के वजह से लोग बिहार विभूति के नाम से पुकारते थे.

डॉ अनुग्रह नारायण सिंह ने भारत को आजाद करवाने के लिए महात्मा गांधी डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और उस समय के महान स्वतंत्रता सेनानियों के साथ राष्ट्रीय आंदोलन में अपना योगदान दिया.
अनुग्रह नारायण सिंह ने बिहार में अनेकों कार्य किए जिससे बिहार का और बिहार वासियों का विकास हो उन्होंने अपने शासनकाल में बिहार में बहुत सारे उद्योग धंधे शुरू किए जिससे कि बिहार में रहने वाले लोगों का विकास हो सके.
डॉ अनुग्रह नारायण सिंह का जन्म
नाम | डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह |
जन्म | 18 जून 1887 |
जन्म स्थान | औरंगाबाद जिला के पोईअवा गांव |
पिता का नाम | ठाकुर विश्वेश्वर दयाल सिंह |
उपनाम | बिहार विभूति |
शिक्षा | 1910 में पटना से इंटर, इतिहास से M.A. |
कार्यक्षेत्र | स्वतंत्रता सेनानी राजनेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री |
मृत्यु | 5 जुलाई 1957 |
बिहार विभूति डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का जन्म 18 जून 1887 को हुआ था अनुग्रह नारायण सिंह औरंगाबाद जिला के पोईअवा गांव के रहने वाले थे. अनुग्रह नारायण सिंह के पिता का नाम ठाकुर विश्वेश्वर दयाल सिंह था उनके पिताजी एक बहुत ही बहादुर इंसान थे .
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह को आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में भी हम लोग जानते हैं बहुत सारे नेता हुए जिन्होंने बिहार का नक्शा ही बदल दिया उन्होंने बिहार को आधुनिक बनाने के लिए अपना कार्य बहुत महत्वपूर्णता से निभाया हैं उन्ही नेताओं में से डॉ अनुग्रह नारायण सिंह जी थे जिन्होंने बिहार को आधुनिक बनाने के लिए बहुत कार्य किया.
अनुग्रह नारायण सिंह का शिक्षा
Anugrah Narayan Sinha बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे उनका स्वभाव बहुत ही सरल और सौम्य था उनमें अहंकार थोड़ा भी नहीं था अनुग्रह नारायण सिंह बचपन से ही भारत को आजाद कराने के लिए तत्पर थे उनके मन में भारत माता की सेवा का भावना बहुत उच्च कोटि का था.
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह ने 1910 में पटना से इंटर की परीक्षा दी और उन्होंने यह फर्स्ट डिवीजन से पास किया उसके बाद उन्होंने B.A. पास किया.डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह बी ए करने के बाद इतिहास से M.A. किया और उसके बाद वह वकालत करने लगे
अनुग्रह नारायण सिंह छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता आंदोलन में जाना चाहते थे वह भारत को आजाद कराना चाहते थे जब वह B.A. में पढ़ाई कर रहे थे तभी महात्मा गांधी के जो सहकर्मी थे पोलक साहब वह पटना आए थे
उन्होंने अफ्रीका के प्रवासी भारतीयों के बारे में बताया उन्होंने बताया कि वहां पर भारतीयों को कैसे प्रताड़ित किया जा रहा हैं इन सब बातों का डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा .
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का व्यक्तित्व
अनुग्रह नारायण सिंह बहुत ही सरल और सौम्य स्वभाव के इंसान थे उनमें अहंकार थोड़ा भी नहीं था लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे कहा जाता हैं कि जब वह उपमुख्यमंत्री के पद पर थे तब भी कहीं भी उनको जाना होता था
तो वह किसी भी पुलिस या किसी सुरक्षा के साथ नहीं जाते थे उनको जहां भी जाना होता था वह अपनी गाड़ी खुद चला कर जाते थे वह कई विभाग के मंत्री थे.लेकिन किसी भी सरकारी विभाग के काम से कहीं जाते थे तो अपना खाना वह अपने खुद के सैलरी से मिले हुए पैसे से खाते थे
वह अपना जीवन बहुत ही सादगी से व्यतीत करते थे इन्हीं सब की वजह से लोगों ने उन्हें बहुत आदर और सम्मान देते थे वह कहीं भी किसी समारोह में जाते थे तो बहुत सारे भीड़ इकट्ठा हो जाता था उनकी सादगी के वजह से ही उन्हें बिहार विभूति के नाम से अलंकृत किया गया है.
अनुग्रह नारायण सिंह का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
Anugrah Narayan Sinha अपने छात्र जीवन से ही महात्मा गांधी तक राजेंद्र प्रसाद आदि महान स्वतंत्रता सेनानियों से बहुत प्रभावित थे भारत को आजादी दिलाने के लिए कहीं न कहीं उनके मन में भी एक प्रण था की कैसे गुलामी की जंजीर को तोड़ा जाए
उन्हें अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों पर अत्याचार करते हुए देखकर बहुत दर्द होता था वह गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए एकदम व्याकुल रहते थे.जब वह पढ़ाई कर रहे थे तभी बिहारी छात्र सम्मेलन से जुड़ गए थे सरफुद्दीन के नेतृत्व में बिहारी छात्र सम्मेलन जो बना था
इस बिहारी छात्र सम्मेलन में डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ कई नेता जुड़े हुए थे अनुग्रह नारायण सिंह को भी डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ रह कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए योगदान देने का अवसर मिला डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह ने महात्मा गांधी के द्वारा चलाया गया
चंपारण आंदोलन से अपने स्वतंत्रता सेनानी जीवन शुरू किया. जब बिहार में चंपारण में नील आंदोलन किसानों ने किया था उस समय अनुग्रह नारायण सिंह वकालत कर रहे थे उन्हें वकालत करते हुए 1 साल हुआ था
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
उसी समय किसानों की तबाही सुनकर महात्मा गांधी चंपारण आए थे उस समय उन्हें कुछ वकीलों की जरूरत थी जो कि उनके आंदोलन में अंग्रेजों के विरुद्ध वकालत कर सके और समय आने पर निर्भीक होकर जेल भी जा सके
उस समय डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह को जब इस बात का खबर हुआ तो वह भी डॉ राजेंद्र प्रसाद और ब्रिज किशोर बाबू के साथ महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन में शामिल हो गए.
उन्होंने अपने वकालत की थोड़ा भी चिंता नहीं की उन्होंने महात्मा गांधी के साथ चंपारण के नील आंदोलन में अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभाई और इस आंदोलन को सफल भी बनाया इसके बाद अनुग्रह नारायण सिंह ने महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में भी योगदान दिया
महात्मा गांधी के साथ कई जगहों का दौरा भी किया जब 26 जनवरी 1933 में पटना में भारत आजाद कराने का घोषणा पत्र पढ़ा जा रहा था उसी समय अनुग्रह नारायण सिंह को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और 15 महीना तक उन्हें जेल में बंद करके रखा.
अनुग्रह नारायण सिंह जेल में थे उस समय बिहार में भूकंप आया था और यह भूकंप बहुत विनाशकारी हुआ था इस भूकंप की वजह से बिहार में बहुत तबाही हुआ और अंग्रेज लोगों की कोई मदद भी नहीं कर रहे थे यह सब सुनकर डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह को बहुत तकलीफ हुआ
जब वह जेल से निकले तब उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर एक कमीटी बनाई और लोगों को राहत कार्य पहुंचाने में मदद किया अनुग्रह नारायण सिंह ने महात्मा गांधी के साथ करो या मरो का नारा भी लगाया जिसमें गांधी जी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था.
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का राजनीतिक जीवन
Anugrah Narayan Sinha स्वतंत्रता सेनानी एक राजनेता थे अनुग्रह नारायण सिंह बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री थे वह कांग्रेस पार्टी के विधायक दल के उप नेता थे डॉक्टर Anugrah Narayan Sinha 1937 से 1957 तक कांग्रेस विधायक दल के उप नेता थे
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह और बिहार के प्रथम उपमुख्यमंत्री श्री डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह इन दोनों की जोड़ी बिहार में लोगों के बीच बहुत मशहूर थी .आजादी के बाद अनुग्रह नारायण सिंह बिहार के प्रथम उपमुख्यमंत्री बने उन्हें मंत्रिमंडल में कई विभाग में कार्य मिला
लेकिन उन्होंने श्रम विभाग में अपना कार्य चुना और वह इसमें बहुत अच्छे से अपना कार्य भी किया बिहार केंद्रीय श्रम परामर्श समिति जिसमें उन्होंने श्रम प्रशासन तथा श्रमिक समस्याओं के समाधान के लिए कई नियम और कानून बनाएं
अनुग्रह नारायण सिंह ने खाद मिट्टी मवेशी बीज आदि के सुधार के लिए कई शोध कार्य करवाएं उन्होंने पहली बार जापानी पद्धति से धान उपजाने का प्रसार किया . पूसा कृषि अनुसंधान फार्म जो हैं वह डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह के द्वारा ही किया गया था
बिहार के विकास में डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का योगदान अद्वितीय हैं उन्होंने अपने उप मुख्यमंत्री के कार्यकाल में बिहार में कई तरह के उद्योग धंधे शुरू किए जिससे कि बिहार का विकास हो सके डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह ने 13 वर्षों तक बिहार की सेवा की.
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह को उनके महान कार्यों के वजह से ही लोगों ने बिहार विभूति के नाम से सम्मानित किया आज भी हम लोग अनुग्रह नारायण सिंह को बिहार विभूति के नाम से जानते हैं.
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह का मृत्यु
अनुग्रह नारायण सिंह का मृत्यु 5 जुलाई 1957 को हुआ था उनका मृत्यु एक लंबी बीमारी के कारण हुआ था अनुग्रह नारायण सिंह 1946 से अपने मृत्यु तक उप मुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री के पद पर रहे थे
अनुग्रह नारायण सिंह छात्र जीवन से ही लेकर अपनी मृत्यु तक अपने देश की सेवा में संलग्न रहे जब उनका मृत्यु हुआ तो उनके अंतिम संस्कार में लाखों-करोड़ों भीड़ जमा हो गया या उनके अच्छे कार्यों के वजह से लोग उनके साथ थे.
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सारांश
डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह महात्मा गांधी के एक प्रमुख सहयोगी थे उन्हें प्यार से लोग अनुग्रह बाबू भी कहते थे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में और आधुनिक बिहार के निर्माता अनुग्रह नारायण सिंह के बारे में पूरी जानकारी दी गई है
जिसमें अनुग्रह नारायण सिंह के द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान के बारे में उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी कैसे भूमिका निभाई बिहार के विकास के लिए कौन-कौन से कार्य किए आदि. इस लेख से संबंधित कोई सवाल मन में है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
इस लेख में हमने महान स्वतंत्रता सेनानी नेता और बिहार के प्रथम उपमुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह के जीवन से जुड़ी हर बातों को हमने बताया हैं आप लोगों को यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और जितना हो सके शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।