डीएवी का फुल फॉर्म, डीएवी क्‍या हैं, स्‍थापना व विशेषता

DAV ka Full Form – Dayanand Anglo Vedic अग्रेजी में तथा दयानंद एंग्लो वैदिक हिन्‍दी में होता हैं. जब भी कोई माता-पिता अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए किसी बेहतर स्कूल के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले DAV स्कूल या कॉलेज का नाम हर किसी की जुबान पर रहता हैं.

किसी भी बच्चे को सही एजुकेशन देने के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए उनके माता-पिता एक बेहतर स्कूल और कॉलेज का चुनाव करते हैं

इसलिए उन सभी के लिए डीएवी स्कूल और कॉलेज जैसा आर्गेनाईजेशन संस्था सबसे बेस्ट माना जाता हैं डीएवी में बच्चों को बेहतर से बेहतर पढ़ाई और उनके भाषा के अनुसार ही दिया जाता हैं.

इस लेख में DAV का स्थापना कब और किसने किया इस संस्था का स्थापना किस से प्रभावित होकर किया गया और क्‍यों किया गया इसका मुख्‍यालय कहां हैं डीएवी की क्‍या विशेषता हैं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं.

DAV Ka Full Form 

DAV ka Full Form – Dayanand Anglo Vedic दयानंद एंग्लो वैदिक होता हैं. हर बच्‍चे के माता-पिता को अपने बच्चे को एक बेस्ट एजुकेशन बेहतर लाइफस्टाइल बेहतर फ्यूचर देने का सपना होता हैं

इसीलिए हर माता-पिता चाहते हैं कि अपने बच्चे को एक बढ़िया और बेहतर स्कूल में एडमिशन करवाए जो कि आगे चलकर बच्चे का भविष्य सुनहरा हो सके इसीलिए DAV किसी के लिए भी एक बेहतर ऑप्शन होता हैं.

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डीएवी भारत के साथ-साथ कई देशों का एक बहुत ही बड़ा और प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान हैं दयानंद सरस्वती ने भारत के लोगों के लिए चिंतित होकर अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए भारतीयों को अपने आप में आत्मनिर्भर होने के लिए शिक्षा का प्रचार प्रसार करने के लिए शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण माना था.

इसीलिए उनसे प्रभावित होकर डिएवी जैसे संस्था का स्थापना उनके अनुयायियों ने किया था. Dav ka full form दयानंद एंग्लो वैदिक होता हैं भारत में जितने भी शिक्षण संस्थान हैं

उसमें सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध organization डीएवी organization को माना जाता हैं DAV एक ऐसा संस्था माना जाता हैं जिसमें की प्राइमरी लेवल से लेकर यूनिवर्सिटी तक का सुविधा छात्रों को प्राप्त होता हैं.

डीएवी क्या हैं

दयानंद एंग्लो वैदिक यानी कि DAV एक बहुत ही बड़ा शिक्षण संस्थान हैं DAV का स्थापना आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती के विचारों से प्रभावित होकर किया गया था क्योंकि दयानंद सरस्वती का लक्ष्य भारतीय समाज को एक बेहतर और उच्च शिक्षा प्रदान करके वैचारिक और बौद्धिक रूप से पुनर्जीवित करना था.

उन्होंने भारत को वेदों की ओर वापस जाने का विचार दिया था तो दो कि ओर वापस जाने का वास्तविक अर्थ दयानंद सरस्वती ने शिक्षा का प्रसार प्रचार करने के बारे में ही कहा था दयानंद सरस्वती को पूरा विश्वास था कि जब भारत देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा तभी देश आगे बढ़ सकता हैं

और देश के कोने कोने में जागृति फैल सकती हैं तो दयानंद सरस्वती के ही विचारों से प्रभावित होकर उनके सपनों को साकार करने के लिए कई महापुरुषों ने मिलकर उनके कई और समर्पित अनुयायी दयानंद एंग्लो वैदिक ट्रस्ट का स्थापना किया था.

डीएवी का स्थापना कब हुआ

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपने देश को आगे की तरफ बढ़ाने के लिए लोगों को शिक्षित होने का विचार दिया था। स्वामी दयानंद सरस्वती के सपनों को साकार करने के लिए उनके अनुयायी शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।

उनके विचारों को जन-जन में फैलाने के लिए 1 जून 1885 में लाहौर में एक DAV स्कूल के रूप में शुरू किया गया। इस स्कूल के पहले प्रधानाचार्य के रूप में लाला हंसराज को चुना गया. लाला हंसराज के साथ और भी कई राष्ट्रवादी थे। जो कि अपने देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहते थे

लोगों को शिक्षित करके उन्हें जागृत करना चाहते थे वह थे लाला लाजपत राय, लाला द्वारकादास, भाई परमानंद, बक्शी टेक चंद, बक्शी राम रतन आदि महापुरुषों ने शिक्षा को आगे बढ़ाने का आंदोलन पूरे देश में फैलाया.

सबसे पहले इसका स्थापना लाहौर में किया गया था लेकिन आज के समय में यह एक बहुत बड़ा शिक्षा के क्षेत्र में organization बन गया हैं. CBSC बोर्ड के साथ CSC बोर्ड का संचालन भी होता हैं.

डीएवी का स्थापना क्यों किया गया

डीएवी का स्थापना 1885 में लाहौर में किया गया था और 1886 में इस संस्था का रजिस्ट्रेशन करके इसको सार्वजनिक रूप से स्थापित किया गया. DAV एक ऐसी श्रृंखला हैं जिसमें की स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी सभी आता हैं.

इसका स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य भारत को शिक्षित करना था आर्य समाज के संस्थापक और उस समय के समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती का लक्ष्य था कि भारत को शिक्षित करके जागृत करना हैं.

ताकि अंग्रेजों की गुलामी से अपने आप को आजाद कर सके उनका यह एक बहुत बड़ा उद्देश्य या कहे कि एक तरह का आंदोलन शिक्षा का प्रसार प्रचार करना क्योंकि उन्हें विश्वास था कि भारत में शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा तो सभी भारतीय अंग्रेजों से आजाद होने में सक्षम हो सकेंगे.

उसके बाद ही दयानंद एंग्लो वैदिक प्रबंधन समिति की स्थापना किया गया था. इसका स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों से आदर्शों से प्रभावित होकर किया गया था

इसीलिए उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया दयानंद एंग्लो वैदिक. महर्षि दयानंद सरस्‍वती एक बहुत बडे समाज सुधारक थे उन्‍होंने समार के सुधार के लिए बहुत बडे बडे कार्य किए थे.

डीएवी का मुख्यालय कहां हैं

दयानंद एंग्लो वैदिक एक गैर सरकारी संगठन हैं जो कि भारत के साथ-साथ विश्व में कई देशों में DAV स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी चलाए जाते हैं

दुनिया भर में DAV के 900 स्कूल और 75 कॉलेज के साथ-साथ यूनिवर्सिटी स्थापित हैं. जैसे कि मॉरीशस नेपाल फिजी सिंगापुर आदि. DAV का हेड क्वार्टर नई दिल्ली में स्थित हैं और DAV के वर्तमान में प्रेसिडेंट पूनम सूरी हैं.

डीएवी की विशेषता क्या हैं

डीएवी स्कूल और कॉलेज इसलिए लोगों में सबसे ज्यादा प्रचलित हैं क्योंकि इसमें बच्चों को बेहतर पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन में रहना भी सिखाया जाता हैं

DAV में हिंदी अंग्रेजी और कई स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई होता हैं पिछले कुछ दिनों से सीबीएसई बोर्ड में कई बच्चे टॉपर आ रहे हैं उसमें सबसे बड़ा योगदान और रिकॉर्ड DAV ऑर्गनाइजेशन के जितने भी स्कूल हैं उन्हें दिया जाता हैं.

इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह हैं कि बड़े-बड़े शहरों में तो DAV स्कूल और कॉलेज स्थित हैं ही इसके साथ ही गांव में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी जो छोटे शहर हैं वहां पर भी डीएवी स्कूल उपस्थित हैं डीएवी स्कूल को भारत में जितने भी स्कूल और कॉलेज हैं उसमें टॉप लिस्ट में माना जाता हैं.

इसके माध्यम से गांव और शहर के हर बच्चे को सही शिक्षा और बेहतर भविष्य बनाए जाने का उद्देश्य हैं तो जिस उद्देश्य से महर्षि दयानंद सरस्वती ने DAV स्कूल और कॉलेज का स्थापना किया था वह वर्तमान में सही साबित हो रहा हैं.

सारांश  

DAV ka Full Form डीएवी का स्थापना किसने किया और कब किया गया डीएवी का स्थापना क्यों किया गया डीएवी का विशेषता क्या हैं इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई हैं

फिर भी अगर डीएवी से संबंधित कोई सवाल आपके मन में हैं तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें और इस जानकारी को अपने दोस्त मित्रों को शेयर जरूर करें।

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