डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय व रचनाएं | Dr Rajendra Prasad hindi

Doctor Rajendra Prasad ka jeevan parichay in hindi 15 अगस्त 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो भारत को एक गणराज्य देश बनाना आवश्यक था। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं ने अपना योगदान बखूबी निभाया था।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को बनाया गया था। आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एक सच्चे देशभक्त थे।

जिन्होंने अपने देश को आजाद कराने में कई कठिनाइयों का सामना किया। साथ ही देश के प्रति उनका सेवा त्याग सादगी अत्यंत ही लोगों को प्रभावित करता था। डॉ राजेंद्र प्रसाद गांधी वादी नेता थे। वह महात्मा गांधी के बहुत ही बड़े मित्र थे। भारत जब अंग्रेजों के अधीन गुलाम था, उस समय भी उन्होंने एक क्रांतिकारी एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना सहयोग बढ़-चढ़कर दिया था।

लेकिन जब देश आजाद हुआ तब उन्हें भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उसके बाद देश का विकास करने के लिए भारत देश को विश्व में एक अलग पहचान दिलाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कार्य उन्‍होंने किए। Doctor Rajendra Prasad के बारे में आइये नीचे जानते हैं.

Doctor Rajendra Prasad ka jeevan parichay 

भारत जब आजाद हुआ तो आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति बनाने से पहले 1946 और 1947 में कृषि और खाद्य मंत्री भी बनाए गए थे

वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने महात्मा गांधी के साथ भारत को आजाद कराने के लिए कई स्वतंत्रता आंदोलनों में अपनी भूमिका बखूबी निभाई थी महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन नमक सत्‍याग्रह आंदोलन और कई महत्वपूर्ण और प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ योगदान दिया. 

Doctor Rajendra Prasad ka jeevan parichay

कई बार जेल में भी गए थे उन्हें राजेंद्र बाबू के नाम से भी पुकारा जाता था डॉ राजेंद्र प्रसाद एक बहुत बड़े महान स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही साथ ही वह एक साहित्यकार भी थे उन्होंने कई किताबें भी लिखी है भारत माता के सच्चे सपूत सच्चे समाजसेवी और सच्चे देश प्रेमी थे

अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी जान की परवाह किए बिना ही कई आंदोलन में प्रमुख भूमिका में थे राजेंद्र प्रसाद को कई भाषाओं का भी ज्ञान था संस्कृत अंग्रेजी उर्दू फारसी आदि.

उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए भी कई कार्य किए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को शिक्षा के क्षेत्र में विकास करने के लिए वह अपनी राय उन्हें बताते थे डॉ राजेंद्र प्रसाद को राजेंद्र बाबू और देश रत्न नाम से भी पुकारा जाता था.

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्‍म

प्रसाद आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे Doctor Rajendra Prasad का जन्म बिहार के छपरा के पास सिवान जिले के जीरादेई गांव में 3 दिसंबर 1884 में हुआ था राजेंद्र प्रसाद का जन्म एक बहुत बड़े संयुक्त परिवार में हुआ था.

उनके पिता का नाम महादेव सहाय था और उनके माता का नाम कमलेश्वरी देवी था राजेंद्र प्रसाद जी के पिता फारसी और संस्कृत भाषा के बहुत बड़े विद्वान थे उनकी माता एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी .

उनकी माता  रामायण की कहानियां भी सुनाया करती थी प्रसाद जी का बाल विवाह 12 साल की उम्र में ही हो गया था उनकी पत्नी का नाम राजवंशी देवी था राजेंद्र प्रसाद को छोटे से उम्र से ही फारसी हिंदी और गणित सीखने के लिए एक मौलवी को रखा गया था.

नामडॉ राजेन्‍द्र प्रसाद
जन्‍म3 दिसंबर 1884
पिता का नाममहादेव सहाय
माता का नामकमलेश्वरी देवी
पत्नि का नामराजवंशी देवी
पदआजाद भारत के पहले राष्‍ट्रपति
सम्‍मान एवं पुरस्‍कारभारत रत्‍न
पुस्‍तकेंभारतीय शिक्षा और संस्कृति,गांधी जी की देन मेरी आत्मकथा,मेरी यूरोप यात्रा
उप नामराजेंद्र बाबू और देश रत्न
मृत्‍यु28 फरवरी 1963

डॉ राजेंद्र प्रसाद के शिक्षा के बारे में  

उनका प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव जीरादेई में ही  हुई थी डॉ प्रसाद शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे बचपन से ही उनका पढ़ने में बहुत मन लगता था डॉ राजेंद्र प्रसाद को शिक्षा से पढ़ाई करने से बहुत लगाव था बचपन में वह पढ़ने में अपने स्कूल में सबसे तेज विद्यार्थियों में गिने जाते थे

कहा जाता है कि एक बार वह पढ़ाई कर रहे थे और उनके घर के बगल से ही किसी का बरात जा रहा था फिर भी उन्हें बारात के बैंड बाजे का आवाज सुनाई नहीं दिया

अपने पढ़ाई में इतने मग्न थे कि बाहर क्या हो रहा है बाहर क्या बज रहा है इसके बारे में उन्हें ध्यान ही नहीं था.बड़े होने के बाद अपने भाई महेंद्र प्रताप के साथ पटना के टी के घोष अकैडमी में जाने लगे उसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता में प्रवेश के लिए परीक्षा दी इसमें बहुत अच्छे नंबर आए.

उसके बाद प्रसाद जी को हर महीने 30रु स्कॉलरशिप मिलने लगी थी Doctor Rajendra Prasad जी के गांव में पहली बार ऐसा हुआ था कि कोई युवक कोलकाता विश्वविद्यालय में पढ़ने गया था यह बात उनके परिवार वालों के लिए बहुत ही गर्व की बात थी.

1902  में राजेंद्र प्रसाद ने प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया और उन्होंने वहीं से स्नातक किया  यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से इकोनॉमिक्स में M.A. किया

1915 में कानून में मास्टर की डिग्री प्राप्त की जिसके लिए उनको गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया था इसके बाद डॉ प्रसाद जी ने कानून में डॉक्‍टरेट की उपाधि प्राप्‍त की इसके बाद Doctor Rajendra Prasad ने पटना आकर वकालत करने लगे जिसमें उन्होंने बहुत सा धन और नाम कमाया. 

राजेंद्र प्रसाद का विवाह

उनका विवाह 12 वर्ष की उम्र में ही राजवंशी देवी से हुआ था उनकी शादी होने के बाद भी पढ़ाई में किसी भी तरह का रुकावट नहीं आया विवाह होने के बाद पटना चले गए और वहीं पर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की वैसे उनके वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का कोई परेशानी नहीं था बहुत ही सुखमय जीवन था

उनके किसी भी कार्य में चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य किया हो चाहे उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करनी हो या फिर राजनीति में उन्‍होंने बखूबी भूमिका निभाई कहीं पर भी अपनी पत्नी से उन्हें किसी भी तरह का रुकावट महसूस नहीं हुआ.

डॉ राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व 

वह शुरू से ही पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देते थे बाद में वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर जो भी पुराना विचारधारा था रूढ़िवादी था उसे छोड़ कर के महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए उनमें एक नई ऊर्जा जग गई थी सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन आदि में उन्होंने भाग लिया

डॉ राजेंद्र प्रसाद एक सच्चे देश भक्ति देश के प्रति सेवा त्याग सादगी उनके अंदर कूट-कूट कर भरी थी वह बहुत ही गंभीर प्रकृति के और अत्यंत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे

लोगों से बहुत ही सामान्य रूप से बातें करते थे जो भी उनसे बात करता था उनसे प्रभावित हो जाता था पढ़ाई में भी उन्होंने कानून से मास्टर डिग्री पूरी की थी जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल मिला था फिर उन्होंने कानून से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की वकालत करके उन्होंने बहुत पैसे भी कमाए राजेंद्र प्रसाद एक बहुत ही अच्छे साहित्यकार भी थे

उन्होंने कई रचना ही भी की थी जिस तरह स्वतंत्रता आंदोलन में एक महान स्वतंत्रता सेनानी बने सच्चे हृदय से भारत माता को आजाद कराने के लिए आंदोलन किया जिस तरह राजनीति के क्षेत्र में भी राष्ट्रपति बन कर के समाज सेवा की है उसी तरह हिंदी साहित्य में भी उनका स्थान महत्वपूर्ण था.

राजेंद्र प्रसाद का व्यक्तित्व सादगी सेवा त्याग देशभक्ति वाला था Doctor Rajendra Prasad ने स्वतंत्रता  आंदोलन में भी बहुत बड़ा योगदान दिया था डॉ राजेंद्र प्रसाद अत्यंत सरल और गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे

वह किसी भी व्यक्ति से चाहे वह किसी भी वर्ग का हो जाति का हो उस व्यक्ति से सामान्य व्यवहार रखते थे किसी से भी भेदभाव नहीं करते थे 1917 मे डॉ राजेंद्र प्रसाद की भेंट गांधी जी से हुई उसके बाद वह गांधीजी के विचार धारा से बहुत प्रभावित हुए थे.

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग 

1919 में भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन चल रहा था उस समय गांधी जी ने सभी सरकारी स्कूल कार्यालय का बहिष्कार करने का अपील किया था जिसके बाद Doctor Rajendra Prasad ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी चंपारण आंदोलन के समय डॉ प्रसाद जी गांधी जी के साथ रहने लगे और उस आंदोलन में बहुत उनका साथ भी दिया.

और उनके अंदर एक नई ऊर्जा उत्पन्न हुई और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए स्वतंत्रता  आंदोलन में साथ देने के बाद बहुत बार जेल में भी गए थे उसके बाद उन्हें बम्बई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया उसके बाद उन्हें कई बार अध्यक्ष बनाया गया.

1942 ईस्वी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिये जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया और नजर बंद कर दिया गया 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ डॉ राजेंद्र प्रसाद को आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. 

डॉ राजेंद्र प्रसाद का राजनीतिक जीवन 

26 जनवरी 1950 में डॉ राजेंद्र प्रसाद  स्वतन्त्र भारत के पहले राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए स्वतन्त्रता आन्दोलन में Doctor Rajendra Prasad ने प्रमुख भूमिका निभाई थी इसलिए संविधान बना तो डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान समिति का अध्यक्ष बनाया गया

स्वतंत्रता आंदोलन में डॉ भीमराव अम्बेडकर और डॉ राजेंद्र प्रसाद का बहुत बड़ा योगदान रहा 1957 में जब राष्ट्रपति चुनाव हुआ तो डॉ राजेंद्र प्रसाद दोबारा राष्ट्रपति चुने गए ऐसा पहली बार हुआ कि एक ही व्यक्ति लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गए

1962 तक वे इस पद पर बने रहे उसके बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिए और पटना चले गए और वहां पर रह कर  बिहार विद्यापीठ में जन सेवा कर अपना जीवन व्यतीत करने लगे.

रचनाएं

अपने जीवन काल में कई रचनाएं भी की थी उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में अपनी भूमिका बहुत खूब निभाई थी उन्होंने कई किताबें लिखी जैसे

  • भारतीय शिक्षा और संस्कृति
  • गांधी जी की देन
  • मेरी आत्मकथा
  • मेरी यूरोप यात्रा
  • साहित्य
  • बापूजी के कदमों में
  • संस्कृति का अध्ययन
  • खादी का अर्थशास्त्र
  • चंपारण में महात्मा गांधी

उनकी रचनाओं में भाषा बहुत ही शुद्ध और विषय अनुकूल होती थी अपनी रचना में उन्होंने संस्कृत उर्दू अंग्रेजी और फारसी और बिहारी भाषा का प्रयोग किया था

उनकी भाषा शैली प्रकृति के अनुरूप और सरल हुआ करते थे जब भी डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कोई रचना करते थे तो उसमें आडंबर और दिखावा नहीं रहता था जो भी उन्होंने किताबें लिखी उसमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से ही संबंधित था

महात्मा गांधी के कई आंदोलनों से संबंधित था इन सारी किताबों के अलावा भी उन्होंने कई भाषाओं में अपनी किताबें लिखी थी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों और कहावतों का भी उन्होंने अपने किताबों में प्रयोग किया है

जो भी किताबें लिखते थे उसमें जो सही बात होती थी जो सार्थक बातें होती थी वही लिखते थे उसमें किसी भी तरह की बनावटी चीजें नहीं रहती थी.

डॉ राजेंद्र प्रसाद को मिले अवार्ड और सम्मान  

1962 में राजनीतिक और सामाजिक योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न दिया गया Doctor Rajendra Prasad एक बहुत ही विद्वान प्रतिभाशाली दृढ़ निश्चय और उदार व्यक्ति थे. 

Doctor Rajendra Prasad की मृत्यु 

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की मृत्यु के बाद पटना में उनकी याद में राजेंद्र स्मृति संग्रहालय बनवाया गया भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका महत्वपूर्ण स्थान था उन्होंने भारत की जन सेवा में ही अपना जीवन व्यतीत कर दिया था

1962 में राष्ट्रपति का पद का त्‍याग किया उसके बाद से जब तक जीवित रहे बिहार के विद्यापीठ में रहे और वहीं से समाज सेवा में जन-जन की सेवा में हमेशा लगे रहे.

राजेंद्र प्रसाद जी का योगदान राजनीति में सामाजिक स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत ही प्रमुख रहा है 28 फरवरी 1963 को Doctor Rajendra Prasad की मृत्यु हुई थी राजेंद्र प्रसाद बहुत ही दयालु और निर्मल स्वभाव के आदमी थे

उनकी छवि हमारे भारत देश के राजनीतिक जीवन में एक महान व्यक्ति के रूप में हमेशा रहेगी और उन्हें हम लोग हमेशा याद करते रहेंगे बाद में Doctor Rajendra Prasad जी के याद में पटना में राजेंद्र स्मृति संग्रहालय बनाया गया.

सारांश

Doctor Rajendra Prasad ka jeevan parichay in hindi इस लेख में आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति स्वतंत्रता सेनानी एक साहित्यकार एक सच्चे देशभक्त समाजसेवी डॉ राजेंद्र प्रसाद के बारे में पूरी जानकारी दी गई है

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म कहां हुआ उनके माता पिता का नाम क्या था उन्होंने शिक्षा कहां से प्राप्त की थी स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका क्या थी

उनकी मृत्यु कब हुई उन्हें कौन-कौन सा सम्मान मिला कौन-कौन सी उन्होंने पुस्‍तकें लिखी के बारे में पूरी जानकारी दी गई है अगर डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय से संबंधित कोई सवाल आपके मन में है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के बारे में यह लेख आप लोगों  कैसा लगा आप लोग कमेंट करके जरूर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें.

Leave a Comment