एनी बेसेंट कौन थी Dr Annie besant in hindi कहां के रहने वाली थी एनी बेसेंट कब भारत आई उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान कैसे और किस तरह दिया एनी बेसेंट ने महिलाओं के शिक्षा के लिए मजदूरों के हक के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत सारे आंदोलन किए
सामाजिक कार्य किए यह सारी जानकारी हम लोग इस लेख में जानेंगे आप लोग एनी बेसेंट के बारे में पूरी जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारत को आजाद कराने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानी ने अपना योगदान दिया था।
लेकिन भारत से बाहर के भी देशों के कई ऐसे समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया जिनमें सबसे पहले नाम एनी बेसेंट का आता है
एनी बेसेंट भारत के स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख नेता समाज सुधारक थी जिन्होंने भारत में कई समाज सुधार कार्य किए भारत में महिलाओं के मजदूरों के गरीबों के विकास के लिए कई समाज सुधार कार्य का नेतृत्व उन्होंने किया।
आइए इस लेख में डॉक्टर एनी बेसेंट के जीवन के बारे में उनका जन्म कब और कहां हुआ एनी बेसेंट ने विवाह किससे किया था उन्होंने भारत में भारत वासियों के विकास के लिए कौन-कौन से सामाज सुधार कार्य किए है.
Dr Annie besant in hindi
एनी बेसेंट एक बहुत ही प्रसिद्ध समाज सुधारक राजनीतिक महिला कार्यकर्ता थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला कार्यकर्ता थी एनी बेसेंट एक लेखक भी थे उन्होंने कई लेख भी लिखे हैं एनी बेसेंट भले ही भारत मूल की नहीं थी
लेकिन वह जब से भारत आई तब से भारत को पूर्ण स्वराज्य दिलाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के मदद की. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया Annie Besant जब भारत आई उसके बाद यहां उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में भी सहयोग दिया

शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत प्रचार प्रसार किए कई कालेजों के स्थापना भी की.महिलाओं की शिक्षा बेरोजगारों के लिए और जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए इन सारी चीजों के लिए कोशिश करती थी और यही सब चीजों के लिए उपाय करके समाज में विकास करना चाहती थी.
वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थी Annie Besant ने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी उन्होंने मजदूरों के हक के लिए लड़ाई लड़ी थी एनी बेसेंट जाति भेदभाव रंगभेद की नीति के खिलाफ थी
उन्होंने इसके खिलाफ भी अपनी लड़ाई लड़ी थी एनी बेसेंट ने भारत में होमरूल लीग की स्थापना की थी जिसके जरिए स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने मदद किया.
एनी बेसेंट का जन्म
नाम | डॉ एनी बेसेंट |
जन्म | 1 अक्टूबर 1847 |
जन्म स्थान | लंदन |
पिता का नाम | विलियम वुड |
माता का नाम | एमिली मॉरिस |
पति का नाम | फ्रेक बेसेंट |
शिक्षा | ब्रिक बेक लंदन विश्वविद्यालय |
कार्यक्षेत्र | स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक और 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष |
संस्थापक | होम रूल लीग |
प्रकाशन | न्यू इंडिया समाचार पत्र |
मृत्यु | 20 सितंबर 1933 |
Annie Besant एक आयरिश मूल की एक सामाजिक कार्यकर्ता थी एनी बेसेंट लंदन की रहने वाली थी वह एक साधारण परिवार से थी एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 में हुआ था . एनी बेसेंट के पिता का नाम विलियम वुड था और उनकी माता का नाम एमिली मॉरिस था.
एनी बेसेंट के पिता का मृत्यु उनके बचपन में ही हो गया था जिस वजह से उनके घर में गरीबी आ गई थी उनके पिता के मृत्यु के बाद उनके घर की सारी जिम्मेदारी उनकी माता एमिली मॉरिस पर आ गया था अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए एमिली मॉरिस ने एक स्कूल खोल दिया था और उसी स्कूल में वह पढ़ाने लगी थी.
एनी बेसेंट की शिक्षा
Annie Besant के पिता एक डॉक्टर थे लेकिन एनी बेसेंट को दर्शनशास्त्र और गणित में ज्यादा रुचि रहती थी वह इन्हीं विषयों का अध्ययन मन लगाकर करती थी एनी बेसेंट के पिता का उनके बचपन में ही मृत्यु हो गया जिस वजह से पैसों की कमी से पढ़ाई लिखाई में बाधा आने लगी
यह सब देखते हुए उनकी माता अपने एक दोस्त के पास उन्हें पढ़ने के लिए छोड़ आई थी वहीं पर एनी बेसेंट का शिक्षा पूरा हुआ Annie Besant के माता की दोस्त मिस मैरियट के साथ रहकर ही एनी बेसेंट ने अपनी शिक्षा पूरी की
एनी बेसेंट ने ब्रिक बेक लंदन विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की थी और इसी दौरान उन्होंने कई जगहों का भ्रमण किया और वहां की भाषाएं भी उन्होंने सीखी थी.
एनी बेसेंट का विवाह
Annie Besant ने जब अपनी पढ़ाई पूरी कर ली तो उनकी शादी एक चर्च के पादरी फ्रेक बेसेंट से हुई थी एनी बेसेंट का नाम एनी वुड था लेकिन शादी के बाद उनका नाम Annie Besant हो गया शादी के बाद उनके अपने पति के साथ ज्यादा दिन नहीं बन पाए वह धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाने वाली एक महिला थी
उन्हें किसी भी धार्मिक विचारों पर अंधविश्वास फैलाने वालों से सख्त नफरत था उन्होंने चर्चों में होने वाले धार्मिक अंधविश्वासों पर सवाल उठाया जिस वजह से उनके अपने पति के साथ मतभेद हो गया और वह अपने पति से अलग हो गई.
एनी बेसेंट अपने पति से अलग होने के बाद सामाजिक कार्यों में से जुड़ गई वाह थियोसोफिकल सोसाइटी की सदस्य बन गई थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ना रंगभेद और जाति धर्म के खिलाफ लड़ाई लड़ना और मजदूरों के हक के लिए लड़ाई लड़ना और गर्भनिरोध के खिलाफ लड़ना था
इससे Annie Besant बहुत प्रभावित हुई और वह थियोसोफिकल सोसाइटी की सदस्य बन गई. वह थियोसोफिकल सोसायटी के कार्यों के लिए ही भारत आई थी.
एनी बेसेंट का व्यक्तित्व
भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए मजदूर और गरीब के अधिकार के लिए एनी बेसेंट ने समर्थन किया वह एक बहुत ही अच्छी लेखक और वक्ता थी भारत के महिलाओं से भारत के हिंदू धर्म से Annie Besant को बहुत लगाव था 1917 में एनी बेसेंट को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था
एनी बेसेंट से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा दिखाए गए राह पर भारत के कई समाज सेवक को प्रोत्साहन मिला उन्होंने भारत में कई समाज सुधार कार्य किए Annie Besant लंदन की मूल निवासी थी लेकिन भारत के स्वाधीनता संग्राम की एक प्रमुख नेता के रूप में जानी जाती है
उस समय भारत में कई ऐसे लोग थे जो कि अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्म स्वीकार कर रहे थे तो ऐसे समय में एनी बेसेंट ने भारत के धर्म संस्कृति को भारतीयों के आत्म सम्मान उनके भगवान के प्रति भावना को जगाने का प्रयास किया लोगों को अपने धर्म के महत्व को समझाने का प्रयास किया
1916 में एनी बेसेंट ने होम रूल लीग के स्थापना किया जिसके माध्यम से भारत में कई समाज सुधार कार्य किए.Annie Besant का मुख्य उद्देश्य और उनका मूल मंत्र कर्म था उनका मानना था कि कर्म हमेशा करते रहना चाहिए
Annie Besant भारत को अपना मातृभूमि मानती थी. भारत में जो सदियों से अंधविश्वास और नारी के प्रति भेदभाव हो रहा था उसको दूर करने का कोशिश एनी बेसेंट ने किया उन्होंने देखा कि महिलाओं को सिर्फ भोग का वस्तु समझा जा रहा है इसलिए महिलाओं के विकास के लिए उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए एनी बेसेंट ने आवाज उठाया
Annie Besant पुनर्जन्म में बहुत विश्वास करती थी और वह कहती थी कि मैं पिछले जन्म में जरूर हिंदू थी एनी बेसेंट ने भारत के हर धर्म का अध्ययन किया था उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता का अनुवाद किया.
एनी बेसेंट का भारत आगमन
Annie Besant लंदन में एक सामाजिक संस्था थियोसोफिकल सोसाइटी से जुड़ने के बाद लोगों के लिए लड़ाई लड़ने लगी वह वहां पर मजदूरों के हक के लिए महिलाओं के शिक्षा के लिए जाति रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने लगी और कई सामाजिक कार्यों में भी बखूबी हिस्सा ले रही थी
उनके इस कार्य से प्रभावित होकर थियोसोफिकल सोसायटी के अध्यक्ष ने उन्हें भारत भेजने का निर्णय लिया. 1893 में एनी बेसेंट भारत आई. भारत आने के बाद Annie Besant ने पहले पूरे भारत का घूमकर विस्तार से भारत के बारे में जाना.
Annie Besant जब भारत में घूम कर लोगों के रहन-सहन के स्वभाव के बारे में जान रही थी तब उन्हें मध्यवर्गीय लोगों के रहन सहन उनके जीवन यापन के बारे में जानने का मौका मिला एनी बेसेंट ने देखा कि ब्रिटिश शासन से लोग कितने ग्रसित हैं और उनकी जिंदगी कितनी परेशानी से व्यतीत हो रही थी
उन्होंने देखा कि महिलाओं को अच्छे से शिक्षा प्राप्त नहीं हो रहा हैं .मजदूरों को अपना हक नहीं मिल रहा हैं जनसंख्या पर कोई नियंत्रण नहीं हैं और जाति भेदभाव हो रहा हैं यही सब देखते हुए उन्होंने भारत में रहने का निर्णय ले लिया और वह भारत में ही रह गई
बेसेंट ने भारत को अपना दूसरा घर कहती थी . जब Annie Besant भारत रहने लगी तब उन्हें राजनीति में भी रुचि होने लगा और वह 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी इस तरह वह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष थी.
एनी बेसेंट का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
Annie Besant जब भारत आई तो उन्होंने मध्यवर्गीय समाज में देखा कि महिलाओं की शिक्षा नहीं हो रही हैं मजदूर का हक नहीं दिया जा रहा हैं ब्रिटिश सैनिक आम लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं इन सब बातों का हम पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर 1816 में होम रूल लीग का स्थापना किया.
होम रूल लीग का मुख्य उद्देश्य भारत को पूर्ण स्वराज दिलाना था.Annie Besant ने न्यू इंडिया नाम का एक समाचार पत्र भी प्रकाशित करने लगी थी जिसमें ब्रिटिश शासन के खिलाफ लेख लिखा करती थी उनके इस लेख लिखने की वजह से लोगों में क्रांति फैल रहा था एनी बेसेंट का मुख्य उद्देश्य यही था कि भारत के सोए हुए लोगों को जगाना था
जिस वजह से ब्रिटिश शासन उनसे खफा हो गई और उन्हें भारत में विद्रोह फैलाने के लिए जेल भी जाना पड़ा था Annie Besant ने कई भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग दिया भारत को पूर्ण स्वराज दिलाने के लिए तत्पर रही उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी हम लोग जानते हैं.
एनी बेसेंट का राजनीतिक जीवन
Annie Besant जब भारत आई और लोगों के बारे में जाना. उसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में साथ दिया . उन्हें राजनीति में भी रूचि आने लगा और वह 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गई. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बन गई. ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों को स्वराज दिलाने के लिए पत्रिकाओं में विद्रोही लेख लिखने लगी.
जिस वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था लेकिन जब महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े तब महात्मा गांधी का और एनी बेसेंट का विचार नहीं मिल रहा था. जिस वजह से दोनों में मतभेद हो गया और वह राजनीति से धीरे-धीरे अलग हो गई .
एनी बेसेंट के द्वारा किए गए सामाजिक कार्य
Annie Besant थियोसोफिकल सोसायटी के अध्यक्ष थी. उन्होंने भारत आने के बाद लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ा . मजदूरों के हक के लिए महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने महिलाओं के विकास के लिए स्कूल कालेजों का भी स्थापना किया.
एनी बेसेंट हिंदू धर्म से बहुत प्रभावित हुई थी उन्होंने हिंदू धर्म का प्रचार भी किया. उन्होंने हिंदुओं को बौद्ध धर्म से बचाना चाहा Annie Besant को भारतीय रीति रिवाज परंपरा धार्मिक पूजा सारी चीजें बहुत पसंद था इसीलिए हिंदू धर्म को बचाना चाहती थी एनी बेसेंट द्वारा स्थापित कालेज और संस्था.
- 1889 में केंद्रीय हिंदू कॉलेज की स्थापना की
- 1913 में वसंता कॉलेज की स्थापना की
- 1917 में नेशनल हाई स्कूल की स्थापना की
उनके केंद्रीय हिंदू कॉलेज की स्थापना करने के फलस्वरुप ही आगे चलकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुआ. केंद्रीय हिंदू कालेज की मुख्य उद्देशय हिंदू अपने धर्म से अलग होकर बौद्ध धर्म जैन धर्म या किसी दूसरे धर्म में जाना चाहते थे उन्हें राह पर लाने के लिए किया गया था.
एनी बेसेंट का मृत्यु
Annie Besant जब भारत आई तो वह अपने मृत्यु तक भारत में ही रह गई उन्होंने भारत को अपना दूसरा घर बताया था. 20 सितंबर 1933 में annie besant का मृत्यु हुआ था उनका मृत्यु मद्रास में हुआ था एनी बेसेंट का इच्छा था कि उनके मरने के बाद उनके अस्थियों को गंगा जी में प्रवाहित किया जाए
उनके चाहने के फलस्वरूप ही जब उनका मृत्यु हुआ तो उनकी बेटी ने उनके अस्तियों को गंगा जी में प्रवाहित कर दिया.एनी बेसेंट भले ही दूसरे देश की थी लेकिन वह भारत में आने के बाद भारत की ही होकर रह गई और विकास के लिए कई कार्य किए कई स्वतंत्रता आंदोलनों में साथ दिया
भारत के समाज के विकास के लिए महिलाओं के शिक्षा के लिए उन्होंने कई स्कूल कालेज भी खोलें कई सामाजिक कार्य किए जिससे कि भारत विकसित हो . Annie Besant एक महान महिला स्वतंत्रता सेनानी राजनीतिक कार्यकर्ता और सामाज सुधारक थी.
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सारांश
डॉक्टर एनी बेसेंट मानती थी कि जब तक राष्ट्र का निर्माण विकास नहीं होगा तब तक देश के किसी भी धर्म मान्यता और संस्कृति में एकता स्थापित नहीं हो सकता है उन्हें हिंदू धर्म एवं दर्शन में बहुत रुचि था उनका मानना था कि भारत में इतना क्षमता है कि विश्व को मार्गदर्शन दे सकता है
गरीबी को दूर करने के लिए औद्योगिकरण होना जरूरी है इसलिए एनी बेसेंट औद्योगिकरण पर भी कार्य करती रही वह विधवा विवाह का भी समर्थन करती थी वह कहती थी कि जो महिलाएं किशोरावस्था में या युवावस्था में विधवा हो जाती है
उनको सामाजिक बुराइयों को रोकने के लिए दोबारा विवाह करना जरूरी है इस लेख में एक लेखक समाज सुधारक वक्ता और होम रूल लीग के संस्थापक डॉक्टर एनी बेसेंट की जीवनी के बारे में और उनसे संबंधित सभी जानकारियों को विस्तृत रूप से दिया गया है इस लेख से संबंधित कोई सवाल अगर है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
सामाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी और मजदूरों और महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाली एनी बेसेंट Dr Annie besant in hindi के बारे में हमने इस लेख में पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं और आप लोगों को Dr Annie besant in hindi जानकारी अच्छी लगी हो तो हमें कमेंट जरूर करे और शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।