गोपाल कृष्ण गोखले का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में क्या योगदान हैं Gopal Krishna Gokhale in hindi language कौन थे उन्होंने कौन कौन से सामाजिक कार्य किये हैं. उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कौन कौन कार्य किया हैं यह सारी जानकारी हम लोग इस लेख में जानेंगे
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के बहुत ही प्रसिद्ध महत्वपूर्ण नेता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं लेकिन महात्मा गांधी अपने राजनीतिक गुरु के रूप में गोपाल कृष्ण गोखले को मानते थे भारत को आजादी दिलाने में राष्ट्र का निर्माण करने में गोपाल कृष्ण गोखले का एक बहुमूल्य योगदान है
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में स्वाधीनता का एक ऐसा मंत्र फूंक दिया था जिससे कि अंग्रेज भी डरने लगे थे तो ऐसे स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवक और राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन परिचय के बारे में आइए नीचे विस्तृत रूप से जानते हैं.
Gopal Krishna Gokhale in Hindi
Gopal Krishna Gokhale एक महान स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक उन्होंने सर्वेंट ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी जिससे समाज में बेरोजगारी खत्म हो भारत के युवा या हर वर्ग के लोग शिक्षित हो जिससे की भारत में विकास हो.
जब भारत का विकास होगा तभी भारत आजाद होगा. गोपाल कृष्ण गोखले एक ऐसे शख्सियत थे जिन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपना राजनीतिक गुरु माना था Gopal Krishna Gokhale भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी नेता माने जाते थे
Gopal Krishna Gokhale अहिंसा वादी लड़ाई में विश्वास रखते थे इसीलिए महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे अपने किसी भी काम में महात्मा गांधी गोपाल कृष्ण गोखले का राय मशवरा जरूर लेते थे.

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत वासियों के दिलों में एक निराशा फैल गया था क्योंकि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम था वह असफल हो गया था लेकिन कई भारतवासी थे जिनके दिलों में स्वतंत्रता का आग जल रहा था.
स्वतंत्रता दिलाने के लिए वह प्रयासरत रहते थे जिनमें लोगों को उत्साहित करने का कार्य गोपाल कृष्ण गोखले ने किया गोपाल कृष्ण गोखले में बहस करने की इतनी क्षमता थी कि उन्हें भारत का ग्लेडस्टोन भी कहा गया है
भारतीयों के अधिकारों के लिए महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाया गोपाल कृष्ण गोखले एक सच्चे राष्ट्रवादी और उदारवादी नेता थे स्वाधीनता संग्राम के कई स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले से प्रेरणा लेकर स्वाधीनता आंदोलन में सहयोग करने लगे थे
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म
नाम | गोपाल कृष्ण गोखले |
जन्म | 9 मई 1866 |
जन्म स्थान | महाराष्ट्र के रत्नागिरी |
पिता का नाम | कृष्ण राव श्रीधर गोखले |
माता का नाम | वालू बाई गोखले |
पत्नि का नाम | सावित्रीबाई |
शिक्षा | एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की डिग्री |
कार्यक्षेत्र | स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नरपंथी नेता |
संस्थापक | 1905 में सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी |
उपाधी | भारत का ग्लेडस्टोन |
मृत्यु | 19 फरवरी 1915 |
Gopal Krishna Gokhale महाराष्ट्र के रत्नागिरी के रहने वाले थे उनका जन्म 9 मई 1866 को हुआ था महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक गांव के रहने वाले थे गोपाल कृष्ण गोखले के पिताजी का नाम कृष्ण राव श्रीधर गोखले था
उनकी माता का नाम वालू बाई गोखले था. उनके पिता जी का मृत्यु उनके बचपन में ही हो गया था इस वजह से उनके घर की सारी जिम्मेदारी गोपाल कृष्ण गोखले के कंधे पर आ गया था
गोखले बहुत ही ईमानदार और मेहनती व्यक्ति थे उन्हें बचपन से ही मेहनत करना अच्छा लगता था.गोपाल कृष्ण गोखले एक गरीब परिवार से थे उनके माता पिता चाहते थे कि वह अच्छे से पढ़ कर कोई सरकारी नौकरी करें ताकि उनका परिवार अच्छे से चल सके.
गोपाल कृष्ण गोखले का शिक्षा
गोपाल कृष्ण गोखले बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे उन्हें पढ़ाई करना अच्छा लगता था वह बचपन से ही बहुत लगन शील और मेहनती व्यक्ति थे उनके पिता की मृत्यु होने के बाद घर की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर हो गया था इस वजह से उनका परिवार चाहता था कि वह पढ़ाई करके सरकारी नौकरी में लग जाए उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त किया था
एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के सदस्य बन गये. पढ़ाई पूरी करने के बाद न्यू इंग्लिश हाई स्कूल पुणे में अध्यापक के पद पर नौकरी करने लगे बाद उन्होंने एक कॉलेज में इतिहास और अर्थशास्त्र के शिक्षक के पद पर काम करने लगे.यह कॉलेज पुणे का सबसे प्रसिद्ध कॉलेज फर्गुसन कॉलेज था.
गोपाल कृष्ण गोखले का विवाह
Gopal Krishna Gokhale ने दो शादियां की थी पहली शादी उन्होंने 1880 में सावित्रीबाई से किया था . दूसरी शादी 1887 में किया था गोपाल कृष्ण गोखले ने जब दूसरी शादी किया उसके कुछ ही दिनों बाद उनकी दूसरी पत्नी का मृत्यु हो गया लेकिन उनकी पहली पत्नी जीवित थी उनकी दूसरी पत्नी से दो बेटी थी उनकी पत्नी के मृत्यु के बाद दोनों बच्चों का पालन पोषण उनके रिश्तेदार ने किया था.
गोपाल कृष्ण गोखले का व्यक्तित्व
वह बहुत ही सहनशील नरम दिलवाले कर्मठ मेहनती व्यक्ति थे वह शुरू से ही भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कार्यरत थे गोपाल कृष्ण गोखले नरम दल के नेता थे
उन्हें छुआछूत से बहुत ही नफरत था जो लोग जात पात और हिंदू मुस्लिम छुआछूत करते थे उनसे गोपाल कृष्ण गोखले बहुत घृणा करते थे गोपाल कृष्ण गोखले ने लोगों को शिक्षित करने के लिए भारत में विकास लाने के लिए कई तरह के कार्य किए हैं.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में जितनी भी नेता थे उनमें गोपाल कृष्ण गोखले सबसे नरमपंथी नेता माने जाते थे वह महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य थे गोपाल कृष्ण गोखले बहुत ही तीव्र बुद्धि वाले व्यक्ति थे उन्हें वित्तीय मामलों की समझ और उस के बारे में बहस करने की अद्वितीय क्षमता थी
भारत में सुधार करने के लिए भारत का विकास करने के लिए उन्नति करने के लिए उनका मानना था कि भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा का विकास होना चाहिए भारत के नौजवानों को शिक्षित करने के लिए उन्होंने सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी का स्थापना किया था
उनकी राष्ट्रीय भावनाओं को देखते हुए नीति निर्धारण के समझ को देखते हुए गोपाल कृष्ण गोखले को ठक्कर बापा के नाम से भी जाना जाता है गोखले विश्वास था कि अगर भारत में शिक्षा का विकास होगा तो लोग आत्मनिर्भर बनेंगे
अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए भारत को स्वतंत्र कराने के लिए स्वाधीनता संग्राम में लोग आवाज उठाएंगे सहयोग करेंगे इसीलिए उन्होंने कई शिक्षण संस्थान का भी स्थापना किया था
ब्रिटिश सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले हमेशा आवाज उठाते थे 1909 में जो मिंटो मार्ले सुधार हुआ था उसमें सबसे ज्यादा श्रेय गोखले को दिया जाता है उन्होंने बंग भंग आंदोलन का नेतृत्व किया था
भारत में छुआछूत जातिवाद का आंदोलन चलाया था दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ गोपाल कृष्ण गोखले ने आवाज उठाई थी कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर वह हिंदू मुस्लिम एकता के लिए भी हमेशा कार्यरत रहते थे.
भारत में जो राष्ट्रीय आंदोलन चल रहा था उसमें अन्य आंदोलनकारियों के लिए एक मार्गदर्शक के रुप में गोपाल कृष्ण गोखले थे गांधीजी भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे.
गोपाल कृष्ण गोखले का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
Gopal Krishna Gokhale भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता थे जब वह फर्गुसन कॉलेज में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे उसी समय उनका मुलाकात श्री एमजी रानाडे से हुआ गोपाल कृष्ण गोखले श्री एम जी राणा जी से बहुत प्रभावित हुए और वह डेक्कन एजुकेशन सोसायटी से जुड़ गए
इसके बाद गोपाल कृष्ण गोखले 1890 में कांग्रेस पार्टी के सदस्य बन गए उसके बाद इंग्लैंड गए वहीं पर उनका महात्मा गांधी से भी मुलाकात हुआ Gopal Krishna Gokhale को महात्मा गांधी अपना राजनीतिक गुरु मानते थे
जब महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करके भारत वापस आए भारत के आंदोलन के बारे में जानकारी पाने के लिए और उस पर विचार करने के लिए उन्होंने गोखले से परामर्श लेना शुरू कर दीया.
गोपाल कृष्ण गोखले का स्वतंत्रता आंदोलन
महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में भी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु कहकर लिखा हैं Gopal Krishna Gokhale को कुछ दिनों के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ज्वाइंट सेक्रेटरी बना दिया गया गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक दोनों एक साथ थे
लेकिन बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले दोनों का मत दो तरह का था वह एक शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करके अंग्रेजों को भारत से भगाना चाहते थे लेकिन बाल गंगाधर तिलक क्रांतिकारी ढंग से लड़ाई करके अंग्रेजों को अपने देश से खदेड़ना चाहते थे
जब 1905 में बंगाल विभाजन हुआ इसी समय बंग भंग आंदोलन शुरू किया हुआ इस आंदोलन में भारत के हर राज्य हर जगह में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाने लगा और स्वदेशी आंदोलन चलाया गया
इस वजह से दोनों अलग हो गए वही बाल गंगाधर तिलक लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल ने मिलकर गरम दल का गठन किया और Gopal Krishna Gokhale नरम दल के नेता बन गए.
गोपाल कृष्ण गोखले का स्वतंत्रता आंदोलन
गोपाल कृष्ण भारत को आजाद तो करवाना चाहते थे लेकिन शांतिपूर्ण ढंग से . Gopal Krishna Gokhale के वजह से ही महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में हो रहे रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया था भारत को आजाद करवाने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले ने कई विदेशी यात्राएं भी की
ताकि लोगों के सहयोग से भारत को आजाद कराया जा सके गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत को पूरी तरह से स्वराज दिलाया जा सके.जब वह इंग्लैंड गए तो वहां पर 49 दिनों में 45 सभाएं की और इन सभाओं में उन्होंने इतना अच्छा भाषण दिया कि वहां के लोग उनसे बहुत प्रभावित हुए
इसके बाद गोखले का सार्वजनिक हितों में आवाज ज्यादा सुनी जाने लगी और लोग उनकी बातों को सुनने लगे ध्यान देने लगे Gopal Krishna Gokhale मराठा सप्ताहिक पत्रिका में भी लेख लिखा करते थे इस लेख के माध्यम से भारत के लोगों को जगाना चाहते थे
उनकी यह लेख देश भक्ति हुआ करती थी गोपाल कृष्ण गोखले नगरपालिका के दो बार सदस्य भी रहे थे और इसमें अपने देश को आजाद कराने के लिए उनके जो भी विचार थे अपना विचार रखा था.
सामाजिक कार्य
गोखले स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक समाज सेवक भी थे उन्होंने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रचार प्रसार किया था भारतीयों को शिक्षित करने के लिए ही उन्होंने 1905 में सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी
इस सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को शिक्षित करना था Gopal Krishna Gokhale चाहते थे कि इस सोसायटी के द्वारा भारत के हर समाज में रहने वाले लोग शिक्षित हो ताकि भारत में पूरी तरह से विकास होने लगे.
उनका मानना था कि जब समाज शिक्षित होगा तभी देश शिक्षित होगा और जब देश शिक्षित होगा तभी भारत आजाद होगा वह सर्वेंट ऑफ इंडिया सोसाइटी के द्वारा भारतीयों में आजादी की लहर फैलाना चाहते थे
वह चाहते थे कि भारत वासियों का संपूर्ण विकास हो और भारत पूरी तरह से ब्रिटिश सरकार से आजाद हो जाए वह भारतीयों में राजनीतिक शिक्षा को फैलाना चाहते थे.
गोपाल कृष्ण गोखले का सेवा भाव
Gopal Krishna Gokhale इस सोसाइटी के द्वारा कई स्कूल कॉलेजों का स्थापना किया था और कई जगह बैठ बैठ कर भी लोगों को पढ़ाया जाता था वह चाहते थे कि भारत में हर एक व्यक्ति शिक्षित हो और अपने देश को आजाद कराने का क्षमता उसमें पूरी तरह हो यह सोसाइटी आज भी अपना कार्य करती हैं
लेकिन पहले से और इसमें सदस्य कम हैं वह शिक्षा के क्षेत्र में बहुत विकास करना चाहते थे वह पश्चिमी शिक्षा प्रणाली से बहुत प्रभावित रहते थे वह चाहते थे कि भारत में भी पश्चिमी शिक्षा प्रणाली का विकास हो ताकि भारतीयों का विकास हो लेकिन महात्मा गांधी उनके इस विचार से सहमत नहीं थे.
गोपाल कृष्ण गोखले के नाम से कई शिक्षण संस्थान
Gopal Krishna Gokhale ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत सारे विकास किया उन्होंने भारतीयों को शिक्षित कराने के लिए कई तरह के सोसाइटी और संस्थान चलाया हैं इन संस्थानों का नाम कुछ इस तरह हैं
- गोखले मेमोरियल गर्ल्स कॉलेज इन कोलकाता
- gokhale हॉल इन चेन्नई
- गोखले सैंटनरी कॉलेज इन अंकोला
- गोपाल कृष्ण गोखले कॉलेज इन कोल्हापुर
- gokhale इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकनोमिक इन पुणे
- गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक अफेयर्स इन बैंगलोर
गोपाल कृष्ण गोखले का मृत्यु
Gopal Krishna Gokhale का मृत्यु 19 फरवरी 1915 में हुआ था वह शुगर और सांस के रोगी थे उन्हें ज्यादा बोलने से परेशानी होता था लेकिन वह भारत को आजाद कराने के लिए कई जगह जाते थे और भाषण देते थे.
ज्यादा बोलने की वजह से ही उनका रोग ज्यादा बढ़ गया और उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा जिस वजह से उनकी मृत्यु हो गई.उनका जब मृत्यु हुआ था उस समय उनका उम्र सिर्फ 49 साल ही था जब उनकी मृत्यु हुई तो बाल गंगाधर तिलक उनके अंतिम संस्कार में आए और उन्होंने कहा कि हमने भारत का हीरा महाराष्ट्र का आभूषण और श्रमिकों का राजकुमार खो दिया.
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सारांश
भारत के युवाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए युवाओं को शिक्षित होकर अपने राष्ट्रप्रेम को समझने के लिए गोपाल कृष्ण गोखले ने कई शिक्षण संस्थान स्थापित किए भारत में कई तरह के समाज सुधार कार्य किए स्वतंत्रता आंदोलन में कई आंदोलन का उन्होंने नेतृत्व किया
इस लेख में गोपाल कृष्ण गोखले का जीवन का लक्ष्य क्या था उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में किस तरह से भारत वासियों को प्रोत्साहित किया भारत में शिक्षा का विकास करने के लिए देशवासियों को उन्नति करने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कौन से समाज सुधार कार्य किए के बारे में पूरी जानकारी दी गई है अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें
इस लेख में हमने भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और एक महान समाज सुधारक गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन परिचय Gopal Krishna Gokhale के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं Gopal Krishna Gokhale in hindi आप लोगों की यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।