Jaishankar Prasad in hindi भारतीय हिंदी साहित्य में छायावादी युग का स्थापना करने वाले अपने लेखनी से नाटक का युग परिवर्तन करने वाले जयशंकर प्रसाद थे।हिंदी साहित्य में छायावाद काल को एक प्रमुख काल माना जाता है। जिसमें कई प्रसिद्ध लेखक और कवि का प्रादुर्भाव हुआ। उनमें से एक महाकवि जयशंकर प्रसाद थे।
जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई पहचान दिलाई। उन्हें हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक कहा जाता है। उन्होंने जो भी रचनाएं की है उसमें भारतीय संस्कृति, भारत का इतिहास और भारत के राष्ट्रीय भावना से संबंधित काव्य लिखा है। उन्होंने प्रकृति की सुंदरता और प्रकृति के हर एक रुप का भी वर्णन अपने काव्य में विस्तृत किया है।
वह 48 वर्ष के उम्र में ही चल बसे थे। लेकिन इतनी छोटी सी उम्र में कई महान महान रचनाएं की थी। जिससे उनकी प्रसिद्धि आज भी लोगों में कायम है। Jaishankar Prasad ka jivan parichay in hindi के बारे में छायावाद के प्रमुख स्तंभ में से एक थे महाकवि जयशंकर प्रसाद कौन थे उनका साहित्यिक जीवन और उनके जीवन से संबंधित हर एक घटनाओ के बारे में आइए नीचे जानते हैं।
Jaishankar Prasad ka jivan parichay
जयशंकर प्रसाद जी हिंदी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं उन्होंने उसी युग में हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना किया था जिसके बाद उस समय की कविताएं खडी बोली में लिखी जाने लगी थी और वही भाषा का सीधा भाषा बन गई आधुनिक हिंदी साहित्य में उनकी कृति गौरव प्रदान करती है
महाकवि जयशंकर प्रसाद जी छायावाद के प्रमुख स्तंभ थे जयशंकर प्रसाद जी छायावाद के प्रवर्तक के रूप में जाने जाते हैं. प्रसादजी एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने अपनी रचनाओं से अपनी लेखनी से भारतीय हिंदी साहित्य में युग परिवर्तन किया कहा जाता है कि जयशंकर प्रसाद के बिना भारत का हिंदी साहित्य अधूरा ही रह जाता.

उन्होंने अपने महान से महान रचनाओं से हिंदी साहित्य को पूरा कर दिया और छायावादी युग का आरंभ किया इसीलिए छायावादी युग के चार प्रमुख के कवि में उनका नाम सबसे पहले लिया जाता है जयशंकर प्रसाद को भारतीय हिंदी साहित्य का पर्याय कहा जाता है वह एक ऐसे लेखक थे
रचनाकार नाटककार निबंधकार थे कि उन्हें भारत की हिंदी साहित्य में युगों युगों तक नाम लिया जाएगा उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में हिंदी साहित्य जगत में लिखा गया हैं जयशंकर प्रसाद अपने काव्य में खड़ी बोली का इस्तेमाल करते थे
उन्हीं के बाद हिंदी काव्य में खड़ी बोली एक प्रमुख भाषा बन गई उन्हें युग प्रवर्तक लेखक कहा जाता है जयशंकर प्रसाद ने कई कविता कहानी उपन्यास लेखक आदि लिखे हैं जो कि पढ़ कर के बहुत ही गौरव प्राप्त होता है
उनके नाटक आज भी बहुत लोग पसंद करते हैं प्रसाद जी का जीवन बहुत ही कष्टमय भरा था उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ा था लेकिन फिर भी वह अपने पथ पर निरंतर चलते रहे थे
जयशंकर प्रसाद की रचनाओं में प्रकृति का सौंदर्य मानव सौंदर्य आदि का वर्णन बहुत ही सुंदर किया गया है ऐसा लगता है कि सभी सजीव है उन्होंने ब्रजभाषा और खड़ी बोली में अपनी रचनाएं की है.
जयशंकर प्रसाद जी का जन्म
नाम | जयशंकर प्रसाद |
जन्म | 30 जनवरी 1889 |
पिता का नाम | देवी प्रसाद |
भाई का नाम | शंभू रत्न |
पत्नि का नाम | विंध्यवाटिनी देवी और कमला देवी |
पुत्र का नाम | रत्न शंकर |
प्रमुख रचनाएं | कामायनी, स्कंद गुप्त,चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी,जन्मेजय का नाग यज्ञ,राज्यश्री,कामना |
मृत्यु | 15 नवंबर 1937 |
प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी 1889 में हुआ था जयशंकर प्रसाद जी का जन्म वाराणसी काशी में सुगनी साहू नामक प्रसिद्ध वैष्णव परिवार में हुआ था जयशंकर प्रसाद जी के दादाजी का नाम शिवरतन साहू और पिताजी का नाम देवी प्रसाद था
और इनके दो बड़े भाई भी थे इनका बड़े भाई का नाम शंभू रत्न था जयशंकर प्रसाद जी के पिताजी का मृत्यु प्रसाद जी के बाल्यकाल में ही हो गया था.
जयशंकर प्रसाद की शिक्षा
कुछ दिनों बाद उनके माता और बड़े भाई का भी मृत्यु हो गया जिसके कारण 17 वर्ष की उम्र में ही जयशंकर प्रसाद जी पर अनेकों जिम्मेदारियां आ गई थी जयशंकर प्रसाद जी ने विद्यालय का शिक्षा छोड़ दी और अपने घर में ही रह कर अंग्रेजी हिंदी बांग्ला उर्दू फारसी संस्कृत आदि भाषाओं का अध्ययन किया.
जयशंकर प्रसाद जी शिव के उपासक थे और यह मांस मदिरा से बहुत दूर रहा करते थे जयशंकर प्रसाद जी ने वेद इतिहास पुराण साहित्य का बहुत ही अध्ययन किया जयशंकर प्रसाद हिंदी कविता कवि नाटककार कथाकार उपन्यासकार तथा निबंधकार थे.
जयशंकर प्रसाद का विवाह
प्रसाद जी की जिंदगी बहुत ही दुखों से और कष्टमय भरा हुआ था बचपन में ही उनके माता-पिता का मृत्यु हो गया था थोड़े बड़े हुए तो उनके भाई की भी मृत्यु हो गई.
जिसके बाद घर का सारी जिम्मेदारी उन्हीं के सिर पर आ गया था उनकी भाभी ने उनका विवाह विंध्यवाटिनी नाम की लड़की से करवाया उनकी शादी होने के बाद भी उनके जीवन में खुशियां कुछ ही दिनों तक थी
फिर से उनके जीवन में दुखों का पहाड़ टूट गया जब 1916 में टीबी की बीमारी होने से उनकी पत्नी का मृत्यु हो गया इस दुख से प्रसाद जी बहुत आहत हुए और उन्होंने अकेले रहने का प्रण कर लिया.
लेकिन उनकी भाभी ने उनकी एक भी बात नहीं मानी और उन्हें दोबारा शादी करने के लिए विवश किया फिर उनकी दूसरी शादी कमला देवी से हुआ कमलादेवी से उन्हें एक पुत्र भी प्राप्त हुआ जिसका नाम रत्न शंकर था.
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन
जयशंकर प्रसाद एक युग प्रवर्तक लेखक थे जिन्होंने अपने कविता नाटक कहानी और उपन्यास से हिंदी जगत में अपना गौरव और कृति बहुत ही ऊंचा उठा दिया था प्रसाद जी को भी निराला पंत महादेवी वर्मा के साथ साथ छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं उन के रचनाएं नाटक उपन्यास कहानी और कविता आज भी अधिकतर लोग बहुत ही चाव से पढ़ते हैं उनकी उपन्यास और कहानी बहुत ही यादगार हैं.
उन की सबसे प्रसिद्ध रचना है कामायनी .आधुनिक हिंदी युुग का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य हैं. प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि कथाकार नाटकार और कवि थे जिस समय हिंदी साहित्य युग में अधिकतर कवि या लेखक ब्रज भाषा में अपनी रचनाएं लिखते थे उस समय कविता के शिखर पर पहुँचा दिया था और उन्होंने ब्रजभाषा के प्रभाव से सब को मुक्त कर दिया उन्होंने बहुत सारी रचनाएं लिखें इसमें सबसे प्रसिद्ध कामायनी हैंं.
व्यक्तित्व
उन को साहित्य और कला में बचपन से ही रुचि था जब वह 9 साल के थे तभी ब्रज भाषा में कलाधर नाम का एक सवैया लिख दिया था यह देख करके उनके बड़े भाई ने उन्हें काव्य रचना करने के लिए स्वतंत्रता दे दी बचपन में अपने माता के साथ कई तीर्थ स्थानों पर पूजा-पाठ मंदिरों में जाया करते थे
इसलिए उन्हें वेद पुराण इतिहास साहित्य शास्त्र आदि का भी बहुत ज्ञान हो गया था खाना भी वह बहुत ही साधारण खाते थे साथ ही खाना बनाने के बहुत शौकीन थे
प्रसादजी को कई भाषाओं का ज्ञान था जैसे कि हिंदी संस्कृत फारसी उर्दू आदि. उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना कामायनी थी कामायनी एक महाकाव्य है प्रसाद जी की रचनाएं हिंदी साहित्य जगत में हमेशा अमर रहेगी
कहा जाता है कि उनके नाटकों की वजह से ही हिंदी साहित्य जगत में प्रसाद युग का शुरुआत हुआ उनकी रचनाएं राष्ट्रीय भावना भारतीय संस्कृति भारत की अतीत और गौरव पर आधारित रहता था1
Jaishankar Prasad ने अपनी रचनाओं में कई भाषा शैलियों का प्रयोग किया है जैसे कि भावात्मक विचारात्मक अनुसंधानात्मक आदि उनकी जो भी रचनाएं थी उसे आधुनिक युग के सबसे श्रेष्ठ और प्रसिद्ध रचना मानी जाती है जयशंकर प्रसाद की रचनाओं के लिए कई पुरस्कार और कई सम्मान भी मिले थे.
जयशंकर प्रसाद जी की सबसे प्रसिद्ध रचनाएं
झरना आंसू महत्वपूर्ण रचनाएं हैं कामायनी को हम लोग हिंदी जगत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कृति के रूप में याद करते हैं जयशंकर प्रसाद जी की कहानियां और उपन्यास बहुत ही विख्यात हुआ
जयशंकर प्रसाद जी एक महान लेखक के रूप में विख्यात है प्रसाद जी के तितली कंकाल अमरावती जैसे उपन्यास और आकाशदीप मधवा और पुरस्कार जैसी कहानियां उनको उँचाई पर ले गये उनकी कहानियां कविता समान रूप से रहते थे.
जयशंकर प्रसाद ने ऐतिहासिक और पौराणिक कई रचनाएं की है इतिहास में कई सर्वश्रेष्ठ राजा हुए जिनकी जीवनी के बारे में उन्होंने नाटक लिखा जैसे कि चंद्रगुप्त ध्रुवस्वामिनी स्कंद गुप्त जन्मेजय कामना राज्यश्री. शुरू से ही उन्हें वेद पुराण पढ़ने में अध्ययन करने में बहुत मन लगता था अपने माता जी के साथ हमेशा तीर्थ स्थानों पर जाया करते थे.
उनकी कहानियों में भारतीय संस्कृति आदर्शों का बहुत ही सुंदर वर्णन मिलता है.उनकी काव्य साहित्य में कमायनी बहुत बड़ी कृति है अपने निबंध लेखन में बहुत सारी शैलियों को प्रयोग किया जिनमें कुछ प्रमुख शैलियां हैं
- भावात्मक शैली
- चित्रात्मक शैली
- अलंकारिक शैली
- संवाद शैली और
- वर्णनात्मक शैली
1. प्रमुख काव्य संग्रह
- कामायनी (जोकि एक महाकाव्य है)
- आंसू
- झरना
- कानन कुसुम
- लाहर
- कामायनी
- प्रेम पथिक
- महाराणा का महत्व
2. jaishankar prasad ki rachna
- छाया
- प्रतिध्वनि
- आकाशदीप
- आंधी
- इन्द्रजाल
3. उपन्यास
- स्कंद गुप्त
- चंद्रगुप्त
- ध्रुवस्वामिनी
- जन्मेजय का नाग यज्ञ
- राज्यश्री
- कामना
- एक घुंट इत्यादि
4. प्रतिनिधी रचनाएं
- चित्राधार
- आह वेदना मिली विदाई
- बीती विभावरी जाग री
- दो बूँदें
- प्रयाण गीत
- तुम कनक किरण
- भारत महीमा
मृत्यु
छायावादी युग का आरंभ करने वाले Jaishankar Prasad ने कई महान रचना की इसीलिए उन्हें नाटक के क्षेत्र में युग प्रवर्तक भी कहा जाता है ऐसे युग प्रवर्तक महान लेखक का मृत्यु बहुत ही कम उम्र में हो गया था उन्होंने कई उपन्यास लिखे कई नाटक लिखे जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था जयशंकर प्रसाद के अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी
इसलिए उनकी रचनाओं में देश प्रेम सौंदर्य प्रेम प्रकृति का चित्रण धर्म आदि विषयों के बारे में अधिक वर्णन रहता था उन्हें भारतीय काव्य साहित्य के गरिमा के रूप में देखा जाता है
हिंदी साहित्य में उनका स्थान सबसे ऊपर हमेशा रहेगा Jaishankar Prasad ने कामायनी जैसा महाकाव्य लिखा लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्हें टीवी जैसा बीमारी हो जाने की वजह से कमजोर हो गए और कामायनी लिखने के 1 साल के बाद ही उनकी मृत्यु हो गई
उन का 48 वर्ष के छोटे से उम्र में ही निधन हो गया था जयशंकर प्रसाद की मृत्यु 15 नवंबर 1937 में हुआ था उन्होंने 48 वर्ष के उम्र में ही कविता कहानी नाटक उपन्यास और बहुत सारी आलोचनात्मक निबंध की रचना की थी.
हिंदी साहित्य का एक अनमोल सितारा हमेशा हमेशा के लिए अस्त हो गया. प्रसाद जी के मृत्यु के बाद उन्हें कामायनी जैसे महाकाव्य लिखने के लिए मरणोपरांत मंगला प्रसाद पारितोषिक पुरस्कार दिया गया था.
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सारांश
Jaishankar Prasad ka jivan parichay अपनी कविता में अपनी रचनाओं में स्त्री का गौरव और स्त्री का भिन्न भिन्न रूप चित्रित किया है उनकी रचनाएं मानव जीवन के ऊपर मानव के उत्थान के लिए उनके चेतना के लिए लिखे गए हैं. इस लेख में नाटक के युग प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जिसमें उनका जन्म कहां हुआ
उनका साहित्यिक जीवन कैसा था उनका व्यक्तित्व कैसा था जो शंकर प्रसाद ने कौन-कौन सी महान रचनाएं लिखी उनकी मृत्यु कब हुई. जयशंकर प्रसाद जी के बारे में आपलोगों को यह लेख कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और अपने दोस्त मित्रों को जरूर शेयर करें

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।