कालसर्प दोष क्या होता है? कालसर्प दोष एक प्रकार का ग्रह होता है। जिसके बारे में जानकारी जातक के लग्न कुंडली से प्राप्त किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के लग्न कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष का आंकलन किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति के लग्न कुंडली में राहु केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते है, तब वैसे जातक को कालसर्प दोष लगता है।
Kaal Sarp Dosh जो कभी-कभी बहुत ही कष्टकारी भी होता है तथा इससे कुछ लाभ भी होता है। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब ग्रहों की स्थिति लग्न कुंडली में बेहतर स्थान पर हो। तब उसका बेहतर फल प्राप्त किया जा सकता है। यदि लग्न कुंडली में राहु केतु के बीच सभी ग्रह होते हैं, तब इसका फल अच्छा नहीं होता है।
कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं, जिसके बारे में इस लेख में नीचे जानकारी दिया है। उन सभी प्रकार के फल भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं।
Kaal Sarp Dosh Kya hota hai
लग्न कुंडली में राहु केतु के बीच एक तरफ सभी ग्रहों के होने से कालसर्प दोष बनता है। इस योग में जन्मे व्यक्ति यदि खनिज, पेट्रोलियम, एसिड, कोयला, मेडिकल, केमिकल इत्यादि का व्यापार करते हैं तथा राजनीति या वैज्ञानिक क्षेत्र में नौकरी करते हैं, तो उन्हें बहुत ही ज्यादा सफलता प्राप्त हो सकता है।
परंतु एक ही झटके में कमाई गई सारी पूंजी नष्ट भी हो सकती है। इस योग में जन्मे व्यक्ति के यदि केयद्रुम योग बनता है, तो वैसे व्यक्ति छोटा काम और बिना पूंजी वाला काम करते हैं। वे परेशानियों से घिरे हुए रहते हैं, इसमें संकट योग की शांति कराने से लाभ प्राप्त होता है।
लग्न कुंडली में चंद्रमा से केंद्रस्थ गुरु और बुध, से केंद्रस्थ शनि हो तो ऐसे जातक ऐश्वर्य प्राप्त करते हैं। वह व्यक्ति कामातूर और धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।

लग्न कुंडली में ग्रहों की स्थिति जब बेहतर स्थान पर होता है, तब वैसे जातक की कुंडली में यदि सर्प दोष भी होता है, तो भी वह अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि एवं संपन्नता को प्राप्त करते हैं। लेकिन जब लग्न कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं, तब वैसे व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी ग्रहों की स्थिति जब समय के अनुसार बदलते रहता है, तब उसका फल भी अच्छा या बुरा होता है। किसी भी व्यक्ति के लग्न कुंडली के अनुसार कालसर्प दोष योग का गणना किया जाता है।
जब किसी व्यक्ति या जातक के ऊपर कालसर्प दोष योग बनता है, तब उसके जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जैसे नौकरी, व्यापार इत्यादि में असफलता का सामना करना पड़ता है।
उसका शरीर कई प्रकार के रोग इत्यादि से भी ग्रसित हो जाता हैं। अन्य प्रकार की कई परेशानियां उनके जीवन में भी आती है। जैसे चिंताओं से घिरा रहना, परिवार में सभी सदस्यों से विरोध होना इत्यादि कालसर्प योग के दोष होते हैं।
कालसर्प दोष का एक उदाहरण
लग्न कुंडली में राहु केतु स्थित के बीच में जब सभी ग्रह मौजूद होते हैं, तब कालसर्प योग बनता है। जैसे यदि राहु पहले घर में स्थित हैं, केतु सातवें घर में स्थित है और इन दोनों के बीच में दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे घर में सभी ग्रह भी स्थित है, तो कालसर्प योग बनता है।
कालसर्प योग में यह भी देखना जरूरी है कि राहु का दृष्टि सामने है या राहु का दृष्टि उल्टा है। वैसे सामान्य तौर पर राहु और केतु का दृष्टि उल्टा होता है। लेकिन यदि राहु और केतु का दृष्टि सामने की तरफ है, तो उसका फल अच्छा होता है।
सामान्य तौर पर राहु और केतू उलटी दिशा में चलते हैं। लेकिन जब राहु का दिशा सामने की तरफ कुंडली में स्थित है, तब उसका फल उस व्यक्ति को अच्छा मिलता है। इसलिए जब आप लग्न कुंडली में इन सभी चीजों का आंकलन करेंगे तब बेहतर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि आपके लग्न कुंडली में स्थित कालसर्प योग का फल कैसा होगा।

कालसर्प योग में केयद्रुम योग कैसे बनता है
चंद्रमा से द्वितीय और 12वें स्थान में कोई ग्रह न हो तो केयद्रुम बनता है। जब किसी जातक के लग्न कुंडली में कालसर्प योग के साथ केयद्रुम योग भी बनता है, तब वह बहुत ही कष्टकारी होता है।
लेकिन यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केवल कालसर्प योग है, तो उसके लग्न में स्थित ग्रहों के आधार पर उसका अच्छा या गलत प्रभाव का आकलन किया जाता है। लेकिन जब किसी लग्न कुंडली में कालसर्प दोष के अलावा केयद्रुम योग भी बनता है, तब वह जातक के लिए ज्यादा कष्टकारी हो जाता है।
कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं। जिसके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है। इन 12 प्रकार के कालसर्प दोष का अलग-अलग प्रभाव तथा उसके फल भी होते हैं।
1. अनंत नामक कालसर्प योग
जब लग्न में राहु एवं सप्तम में केतु हो, तो यह योग बनता है। इसमें जन्मे व्यक्ति दिमाग से कम सोचते हैं। जबकि दिल से ज्यादा निर्णय लेते हैं। इस तरह के जो भी जातक होते हैं, उनमें मस्तिष्क, मुख इत्यादि की परेशानी होती है। वह परेशानियों के साथ अपना जीवनयापन करते हैं तथा किसी महिला के सहयोग से उनके जीवन में थोड़ा अच्छा योग बनता है। वह अपने क्षेत्र में माहिर होते हैं।
2. कुलिक नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में द्वितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु हो, तो यह योग बनता है। इस तरह के जो जातक होते हैं, उन्हें धन, कुटुम्ब, वाणी एवं स्वास्थ्य की समस्याओं से घिरे हुए रहते हैं। वह जातक अपने पराक्रम और बुद्धिमानी से अच्छा तरक्की भी कर लेते हैं। यदि उनकी वाणी में कटुता होती है, तो दूसरे के लिए वह कटुता सत्य हो जाती है। अर्थात उनके द्वारा कहे गए कुछ कटु शब्द दूसरे के लिए सही हो जाता है।
3. बासुकी नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में जब तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो यह योग बनता है। ऐसे जातक कठोर, परिश्रमी, अनुशासन प्रेमी, दूसरे के दुख में मदद करने वाला तथा अपना दुख किसी से न कहने वाला होता है। वह जातक सत्य से प्रेम करने वाला होता है।
परिवारिक जीवन संतोषजनक नहीं होता है इस तरह के जातक सामान और धन दोनों की प्राप्ति करते हैं। लेकिन ऐसे जातक कभी-कभी भाग्य से धोखा भी खाते हैं जिसके कारण उनका स्वभाव चिड़चिड़ा भी हो जाता है।
4. शंखपाल नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में जब चतुर्थ भाव में राहु और दशम भाव में केतु हो तो यह योग बनता है। इस तरह के जातक या व्यक्ति माता-पिता से दुखी रहते हैं अथवा माता-पिता को कष्ट भी मिलता है। इस तरह के जातक अपरोपकारी, यश विहीन, स्वार्थी होते हैं। तथा इस तरह के जातक स्वावलंबी व विलाषी भी होते हैं। इनकी आमदनी में स्थिरता नहीं होता है।
5. पद्म नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में जब पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु हो, तो यह योग बनता है। इस तरह के जातक बुद्धिमान, परिश्रमी,स्नेहशील, सम्माननीय एवं सतत उद्यमी होते हैं। इनका निर्णय दूसरों के लिए बहुत ही लाभदायक एवं अपने लिए हानिकारक होता है। प्रथम से तीन को कष्ट अनावश्यक व्यय, अपयश एवं परेशानियां से घिरे हुए होते हैं
6. महापदम नामक कालसर्प योग
जब किसी जातक के लग्न कुंडली में छठवें में राहु और बारहवें स्थान में केतु हो, तो यह योग बनता है। इस तरह के जातक को मानसिक परेशानियां प्राप्त होती हैं।
परिस्थितियों से हटकर मुकाबला करने वाले होते हैं। परमार्थी स्वभाव वाले महत्वकांक्षी सम्मान प्राप्त करने वाले, सतत कार्य करने वाले, राजनीति में पूर्ण सफलता प्राप्त करने वाले होते हैं। इस तरह के जातक संभवत: सभी उपलब्धियां विलम्ब से प्राप्त करते हैं।
7. तक्षक नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में सातवें भाव में राहु और लग्न स्थान में केतु हो, तो यह योग बनता है। यह ज्योत्षी, लेखक, पत्रकार और स्वाभिमानी होते हैं। परंतु यह अपने कार्य क्षेत्र में कभी भी सर्वश्रेष्ठ नहीं बन पाते हैं।
इस तरह के जातक स्त्रियों से लगाव रखते हैं। परंतु मूड खराब होने पर विरोधी भी हो जाते हैं। इनका विद्यार्थी जीवन, व्यापारिक जीवन, राजनीतिक जीवन, सरकारी नौकरी में पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला होता है तथा इस तरह के जातक विदेश की यात्रा भी करते हैं।
8. कर्कोटक नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में अष्टम भाव में राहु व द्वितीय भाव में केतु हो, तो यह योग बनता है। ऐसे जातक का आर्थिक स्थिति खराब रहता है। रहस्यमय घटनाएं घटती रहती है। इस तरह के जातक को जनेंद्रिय विकार, उदर विकार, गले में रोग, ऑपरेशन का भय, पाचन क्रिया समस्या, नशे का सेवन करने वाले होते हैं। इस तरह के जातक बच्चों से प्यार करने वाले भी होते हैं।
9. शंखनाद नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में नवम भाव में राहु एवं तृतीय भाव में केतु हो तो यह योग बनता है। इस तरह के जातक गृहस्थ जीवन में दुखी होते हैं। स्त्री से कष्ट प्राप्त करते हैं। गुप्त शत्रु से घिरे हुए रहते हैं। कार्य एवं नाम की लोकप्रियता वाले होते हैं। इस तरह के जातक उत्तम स्वभाव वाले भी होते हैं तथा लोगों में लोकप्रिय भी होते हैं। इनका जीवन का उत्तरार्ध उत्तम होता है।
10. यातक नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में दशम भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो तो यह योग बनता है। इस तरह के जातक का वैवाहिक जीवन अन्य संबंधियों की दखलवाजी की वजह से परेशानियों से भरा हुआ रहता है। इस तरह के जातक हृदय रोग, मधुमेह, श्वास, दमा आदि रोग से ग्रसित रहते हैं। इस तरह के जातक व्यापार में असफलता और दुखी का सामना करते हैं। यह नजदीकी संबंधियों से भी परेशान रहते हैं।
11. विषाक्त नामक कालसर्प योग
लग्न कुंडली में एकादश भाव में राहु और पांचवे भाव में केतु हो तो इस तरह का योग बनता है। इस तरह के जातक के जीवन में आर्थिक क्षति एवं व्यवसायिक क्षति का भी सामना करना पड़ता है। इस तरह के जो जातक होते हैं उनके जीवन में मानसिक बीमारी, मधुमेह, हड्डी की बीमारी सहित कई प्रकार की असाधारण बीमारियां भी होती हैं।
12. शेषनाग नामक कालसर्प योग
इस तरह का योग लग्न कुंडली में बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु के कारण बनता है। इस तरह के जातक देश विदेश में व्यापार करने वाले या उसमें साझेदारी करने वाले होते हैं। इनके व्यापार में नुकसान भी होता है।
इस तरह के जातक अपने व्यापार में नुकसान उठाते हैं, लेकिन अचानक उनके जीवन में लाभ भी प्राप्त होता है। इस तरह के जातक शिक्षक, वकील, पत्रकार, वेद प्रवचनकर्ता एवं ज्योतिषी के जैसे अपना कार्य करके ख्याति प्राप्त करते हैं।
इस तरह के जातक मुडी स्वभाव वाले होते हैं। मूड खराब होने पर आर या पार की स्थिति में आ जाते हैं। यदि राहु के मुंह के तरफ अन्य ग्रह हो, तो समस्याओं का सामना तथा पीठ की तरफ हो तो यह उत्तम फल भी देता है।
कालसर्प योग से बचने का उपाय
कालसर्प योग से बचने का कई उपाय है। जिसको करके कालसर्प योग से बचा जा सकता है। इस तरह का जब दोष कुंडली में होता है, तो उसके लिए कई प्रकार की पूजा बताई गई है। जिससे जातक के जीवन में स्थिरता एवं शांति प्राप्त होता है।
ऊपर बताए गए जो भी कालसर्प योग दोष के प्रकार हैं, उससे संबंधित यदि किसी भी तरह का कोई दोष आपके कुंडली में स्थित है, तो नीचे बताए गए उपाय को कर सकते हैं।
- सिद्धनाग यंत्र का उपयोग करें
- सिद्ध बटुक भैरव यंत्र की तवीज
- अष्ट धातु की द्विसर्पाकार अंगूठी
- बटुक भैरव मंत्र का अनुष्ठान
- नित्य पार्थिव पूजन करें
- सर्पयुक्त का पाठ सोने के सर्प को बहती नदी में नौ सोमवार को प्रवाहित कर रक्ताक्षी देवी का जप अनुष्ठान करें।
कालसर्प योग दोष क्यों लगता है
किसी भी व्यक्ति या जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच किसी भी ग्रह के स्थित नहीं होने के कारण, इस तरह का दोष जातक के ऊपर लगता है।
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सारांश
लग्न कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति के आधार पर अन्य प्रकार के कई दोष बनते हैं। जिसके निवारण के लिए तरह तरह का पूजा पाठ भी बताया गया है। लेकिन यदि आपकी कुंडली में कालसर्प योग का दोष है, तो आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
उसके लिए आपको नियमित रूप से सुबह 4:00 बजे उठकर नियम से हर रोज 6:00 बजे तक 2 घंटा भगवान विष्णु का ध्यान, पूजा, जप करना है। यदि आपके जीवन में किसी भी प्रकार का बाधा, दोष इत्यादि हैं, तो उसका निवारण हो सकता है।
कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार के दोष के निवारण के लिए एकमात्र उपाय सात्विक भोजन, सात्विक विचार होना सबसे जरूरी है। जब आप अपने जीवन में दूसरों के प्रति प्रेम, स्नेहभाव, इमानदारी रखेंगे और भगवान का भजन करेंगे, सुबह शाम भगवान का नाम जप करेंगे तो यह सारे दोष स्वयं ही समाप्त हो जाएंगे।

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।