Lokmanya Tilak Information in hindi लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जीवन परिचय के बारे में इस लेख में जानने वाले हैं ब्रिटिश सरकार से आंदोलन का शुरुआत और भारत को पूर्ण स्वराज दिलाने के लिए सबसे पहला लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का ही आवाज था उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी जिनके बारे में इस लेख में नीचे विस्तार से जानेंगे.
तो इस लेख में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक राष्ट्रवादी और कांग्रेस के पहले ऐसे नेता जिन्होंने पूर्ण स्वराज्य का आव्हान किया था हमारे भारत में इतिहास के कई महान क्रांतिकारी समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी शिक्षक वकील कई महान नेता राजनेता हुए हैं
लेकिन सबसे पहले जो भारत में अंग्रेजों का विरोध करने वाले महान क्रांतिकारी और समाज सुधारक Lokmanya Bal Gangadhar Tilak थे. इनके बाद कई महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक और महान नेता हुए तो आज हम लोग लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बारे में पूके बारे में आइए जानकारी प्राप्त करतें हैं.
Lokmanya Tilak Information in hindi
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक महान समाज सुधारक थे Lokmanya Bal Gangadhar Tilak भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों में सबसे लोकप्रिय क्रांतिकारी और नेता थे उनका दिया हुआ नारा इतना प्रसिद्ध हुआ कि उस समय के कई क्रांतिकारियों में एक अलग ही जोश उत्पन्न हो गया उन्हें प्रोत्साहन मिला.
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में जितने भी स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं उनमें बाल गंगाधर तिलक का स्थान बहुत ही ऊंचा है और उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है महात्मा गांधी से पहले भी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बाल गंगाधर तिलक ने संग्राम शुरू किया था.

लाल बाल पाल के नाम से ख्याति प्राप्त और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जिनमें लाला लाजपत राय बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल शामिल थे बाल गंगाधर तिलक ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई महान कार्य किए समाज सुधार कार्य किए.
बाल गंगाधर तिलक एक शिक्षक एक वकील भी थे भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई नारा दिया कई आंदोलन भी किया उनकी लोकप्रियता लोगों में इतनी बढ़ गई थी कि लोग उन्हें लोकमान्य के उपाधि देकर सम्मानित किए थे.
बाल गंगाधर तिलक ने उस समय कई समाज सुधारक कार्य भी किए उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया बाल विवाह का विरोध किया इस तरह उन्हें बहुत समाज सुधारक कार्य किए.
भारत को स्वतंत्र कराने के लिए भी उन्होंने आंदोलन की हैं. जिस वजह से अंग्रेज उनके खिलाफ कई तरह के एक्शन भी लिए थे उन्हें जेल भी जाना पड़ा था उनके क्रांतिकारी आंदोलन के वजह से अंग्रेज अधिकारी उन्हें भारतीय अशांति के पिता कहा करते थे.
बाल गंगाधर तिलक कैसे मजबूत अधिवक्ता थे जिन्होंने सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता के तौर पर भारत को पूर्ण स्वराज दिलाने के लिए आंदोलन किया ब्रिटिश सरकार से भारत को स्वतंत्र कराने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने एक नारा लगाया कि
स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा इस एक नारा से कई स्वतंत्रता सेनानियों में भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ज्वाला भड़कने लगा बाद में जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कई आंदोलन किए उसका नींव रखने का श्रेय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ही जाता है.
भारत में एनी बेसेंट के साथ मिलकर होम रूल लीग की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने किया इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज्य दिलाना था जिसके बाद लोकमान्य की उपाधि ने दी गई थी बाल गंगाधर तिलक को हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी बहुत लोग कहते थे.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म
नाम | लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक |
असली नाम | केशव गंगाधर तिलक |
उपनाम | हिंदू राष्ट्रवाद का पिता, भारतीय अशांति के पिता |
जन्म | 23 जुलाई 1856 |
जन्म स्थान | महाराष्ट्र के रत्नागिरी |
पिता का नाम | गंगाधर रामचंद्र तिलक |
पत्नि का नाम | सत्यभामा |
शिक्षा | डेक्कन कॉलेज से बीए फर्स्ट डिवीजन, वरना कूलर स्कूल से मैट्रिक |
कार्यक्षेत्र | स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक और क्रांतिकारी नेता |
संपादन | केशरी और मराठा समाचारपत्र |
समाज सुधार कार्य | बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन, गणेश उत्सव और शिवाजी का जन्म दिवस का शुरुआत |
रचनाएं | श्रीमद्भागवत गीता रहस्य,आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज,द हिंदू फिलासफी आफ लाइफ, एथिक्स एंड रिलिजन,वैदिक क्रोनोलॉजी एंड वेदांग ज्योतिष,द ओरियोन,श्यामजी कृष्ण वर्मा |
उपाधी | लोकमान्य |
मृत्यु | 1 अगस्त 1920 |
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 में हुआ था वह महाराष्ट्र के रत्नागिरी के रहने वाले थे बाल गंगाधर तिलक का असली नाम केशव गंगाधर तिलक था उनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था .
उनके पिताजी संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान थे और वह एक स्कूल में शिक्षक थे वह एक बहुत ही अच्छे और प्रसिद्ध शिक्षक थे Lokmanya Bal Gangadhar Tilak को बचपन से ही अन्याय बर्दाश्त नहीं होता था वह कहीं भी किसी के ऊपर कोई भी अन्याय होते हुए देखते थे उसका बहुत विरोध करते थे.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का शिक्षा
बाल गंगाधर तिलक अपने समय के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति थे Lokmanya Bal Gangadhar Tilak जब 10 साल के थे तो उनके पिताजी का तबादला पुणे हो गया
पुणे जाकर बाल गंगाधर तिलक ने वरना कूलर स्कूल में उनका एडमिशन हुआ वहीं से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की पुणे पढ़ाई के लिए जब वह स्कूल गए तो उनके स्कूल में बहुत ही अच्छे और जाने-माने शिक्षक थे
जिस वजह से उन्होंने शिक्षा बहुत अच्छे से ग्रहण किया.वह बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे उन्हें पढ़ने में बहुत रुचि थी बाल गंगाधर तिलक जब छोटे थे तभी उनकी माता का मृत्यु हो गया
जब वह 16 साल के हुए तभी उनके पिता का मृत्यु हो गया. बाल गंगाधर तिलक ने मैट्रिक करने के बाद डेक्कन कॉलेज से बीए फर्स्ट डिवीजन से पास किये.
बी ए करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने पुणे में ही एक स्कूल में गणित के शिक्षक के पद पर अपना कार्य संभाला.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का विवाह
बाल गंगाधर तिलक जब मैट्रिक के पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उनकी शादी हो गई थी उनकी पत्नी का नाम सत्यभामा था जब उनकी शादी हुई उस समय उनकी पत्नी का उम्र 10 वर्ष था
शादी के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखें और ग्रेजुएशन किया उसके बाद वकालत की भी पढ़ाई पूरी की और वकालत की डिग्री प्राप्त की.
लोकमान्य बाल गंगाधर व्यक्तित्व
वह अन्याय के बहुत बड़े विरोधी थे उन्हें किसी के खिलाफ अत्याचार या किसी तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं होता था और वह पुराने रीति-रिवाजों कुप्रथा के बहुत बड़े विरोधी थे
अपने समाज में फैले कुप्रथाओं के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाया और कई तरह के समाज सुधारक कार्य किए Lokmanya Bal Gangadhar Tilak संस्कृत गणित खगोल विज्ञान और हिंदू धर्म के बहुत बड़े विद्वान थे
उन्हें अंग्रेजी बिल्कुल पसंद नहीं था उनका मानना था कि अंग्रेजी बोल कर अपने मातृ भाषा का अपमान करना है.बाल गंगाधर तिलक ने शिक्षा के लिए बहुत आवाज उठाया
उन्होंने लोगों में शिक्षा को जागृत करने के लिए कई तरह के प्रयास किए वह बहुत ही प्रसिद्ध वकील और शिक्षक भी थे वह अपना ज्यादा समय लिखने और पढ़ने में ही व्यतीत करते थे बाल गंगाधर तिलक ने लोगों के बीच स्वतंत्रता पाने के लिए जोश और देश भक्ति की भावना उत्पन्न किया.
बाल गंगाधर तिलक ने मराठा और केसरी नाम का समाचार पत्र का शुरुआत किया था जिसमें उन्होंने अंग्रेजी शासन के क्रूरता के खिलाफ और भारतीय संस्कृति को अंग्रेजो के द्वारा हीन भावना की दृष्टि से देखने के विरोध में आलोचनाएं की
उनके इस तरह के लेख छापने की वजह से कई बार वह जेल भी गए थे बाल गंगाधर तिलक को भारतीय अशांति के पिता भी कई ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी कहते थे बाल गंगाधर तिलक ने कई तरह के समाज सुधार कार्य किए
उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाया विवाह करने की जो भी आयु समय निश्चित थी उसमें उन्होंने 10 वर्ष से बढ़ाकर के 12 वर्ष कर दिया था.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक जीवन
बाल गंगाधर तिलक एक बहुत बड़े क्रांतिकारी थे शुरू में उन्होंने अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के विरोध लोगों के बीच क्रांति की ज्वाला फैलाई और वह सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए
लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि सब लोग अंग्रेजो के खिलाफ ज्यादा बोलने वाले नहीं है नरमपंथी विचार वाले लोग हैं इसलिए वह कांग्रेस से अलग हो गए
1937 में उन्होंने गरम दल का गठन किया जिसमें उनके साथ लाला लाजपत राय और विभिन्न चंद्रपाल शामिल थे इन तीनों ने मिलकर गरम दल का संचालन शुरू किया
उस समय के भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में और भारत में लाल बाल पाल के नाम से यह तीनों बहुत प्रचलित हो गए थे.बाल गंगाधर तिलक ने प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस जो कि एक बहुत बड़े क्रांतिकारी थे
उनके हमले के खिलाफ विद्रोह किया जिस वजह से अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ कर जेल भेज दिया Bal Gangadhar Tilak दो पत्रिकाओं का संपादन करते थे जिसका नाम केसरी और मराठा था
केसरी पत्रिका मराठी भाषा में और मराठा पत्रिका अंग्रेजी में संपादित होता था इन्हीं दोनों पत्रिकाओं में अंग्रेजो के खिलाफ कई तरह के खबर छपते थे
उसी में उन्होंने खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी के हत्या के विरोध में संपादन किया था जिस वजह से अंग्रेज उनसे बहुत क्रोधित हुए थे और उन्हें जेल भेज दिया था.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक जीवन
जेल में ही जब Bal Gangadhar Tilak थे तभी उनकी पत्नी का मृत्यु हो गया लेकिन उन्हें जेल से बाहर निकलने नहीं दिया गया और वह अपनी पत्नी का लास्ट समय में भी दर्शन नहीं कर सके
बाल गंगाधर तिलक बहुत बड़े क्रांतिकारी थे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई तरह के लेख छपते थे उन्होंने एक बहुत ही प्रचलित नारा दिया स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हैं.
मैं इसे लेकर ही रहूंगा यह नारा इतना प्रचलित हुआ की बाल गंगाधर तिलक का साथ देने के लिए बहुत सारे क्रांतिकारी उनके साथ हो गये. बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकमत करने के लिए और जाति प्रथा को खत्म करने के लिए गणेश उत्सव मनाना शुरू किया
शिवाजी का जन्मोत्सव मनाना उन्होंने शुरू किया बाल गंगाधर तिलक का मानना था कि इससे सभी भारतवासी एकमत होकर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाएंगे और ऐसा ही हुआ
इस के बाद बाल गंगाधर के साथ बहुत सारे लोगों ने मिलकर जन आंदोलन शुरू किया.बाल गंगाधर तिलक जब जेल से छूटकर आए तब उन्होंने अप्रैल 1916 में होम रूल लीग की स्थापना की
उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना एनी बेसेंट जोकि आयरलैंड से भारत आई थी उनके साथ किया होमरूल लीग में बहुत सारे लोग तो नहीं थे लेकिन उस समय के बहुत बड़े बड़े राजनेता और वकील उनके साथ मिल गए थे होम रूल लीग का मुख्य उद्देश्य भारत को पूर्ण स्वराज्य दिलाना था.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का सामाजिक कार्य
लोकमान्य Bal Gangadhar Tilak बहुत बड़े समाज सुधारक थे उन्होंने समाज में फैल रहे कुप्रथा और कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाया वह भारतीय संस्कृति के बहुत बड़े उपासक थे
उन्हें संस्कृति से खिलवाड़ करते लोगों से बहुत गुस्सा होता था बाल गंगाधर तिलक ने बाल विवाह जैसी कुरीति और कुप्रथा को समाज से खत्म करने के लिए विरोध किया और इसे बंद करने का मांग भी किया.
बाल गंगाधर तिलक ने विधवा विवाह का समर्थन किया उन्होंने समाज में एकता बनाए रखने के लिए गणेश उत्सव और शिवाजी का जन्म दिवस मनाना शुरू किया ताकि लोगों में एकता बनी रहे
उन्होंने महाराष्ट्र के हर गांव में घूम कर स्वदेशी मार्केट का आयोजन किया . उन्होंने समाचार पत्र और अपने भाषण से लोगों के बीच स्वदेशी मार्केट का प्रचार और प्रसार किया वह चाहते थे कि लोग अपने देश का ही चीज समान उपयोग करें और एक दूसरे से एकता बनाए रखें जातीवाद नहीं रहे.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की लिखी पुस्तकें
बाल गंगाधर तिलक एक महान क्रांतिकारी समाज सुधारक शिक्षक वकील तो थे ही लेकिन वह एक बड़े लेखक भी थे जब उन्हें खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी हत्या के विरोध में आंदोलन करने
अपने पत्रिका में खबर छापने के विरोध में उन्हें अंग्रेज मांडले जेल में बंद कर दिया था जब Lokmanya Bal Gangadhar Tilak मांडले जेल में थे तो उस समय उन्होंने 400 पन्नों का एक किताब लिखा .
भगवान श्री कृष्ण ने जो श्रीमद् भागवत गीता में कर्म योग के व्याख्या किया हैं उसी के बारे में उन्होंने इस किताब में लिखा यह किताब बाद में बहुत लोगों के बीच प्रचलित भी हुआ बाल गंगाधर तिलक ने कई किताब लिखें जैसे कि
- श्रीमद्भागवत गीता रहस्य
- आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज
- द हिंदू फिलासफी आफ लाइफ एथिक्स एंड रिलिजन
- वैदिक क्रोनोलॉजी एंड वेदांग ज्योतिष
- द ओरियोन
- श्यामजी कृष्ण वर्मा
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का मृत्यु
लोकमान्य तिलक एक जाने-माने क्रांतिकारी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे पढ़े लिखे और पहले महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने कई नारा दिया कई आंदोलन किया
उस समय के बहुत बड़े शिक्षक और वकील भी थे अंग्रेजी शासन के खिलाफ उनके अत्याचारों के खिलाफ अपने पत्रिका केसरी में कई तरह के लेख भी छापे जिससे गुस्सा होकर अंग्रेज उन्हें कई बार जेल भी भेज दिए थे .
ऐसे महान समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी का मृत्यु 1 अगस्त 1920 में हुआ था.उन्होंने हर युवा क्रांतिकारियों को बहुत प्रोत्साहित किया और उन्हें क्रांति के लिए उत्साहित किया.
इसीलिए लोग इतने प्रभावित हुए उनके कई अनुयाई हो गए बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि से सम्मानित किया .
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- एनी बेसेंट का जीवन परिचय
- रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय
सारांश
1897 में अंग्रेजी सरकार के नीतियों के विरुद्ध बाल गंगाधर तिलक ने पूर्ण स्वराज्य का नारा दिया था स्वाधीनता संग्राम उन्होंने शुरू किया था इसलिए उन पर मुकदमा राजद्रोह का मुकदमा लगाकर जेल भेज दिया गया था
बाल गंगाधर तिलक भारतीय संस्कृति भारतीय सभ्यता धार्मिक परंपराओं को विशेष स्थान देना चाहते थे अंग्रेजी सरकार जो भारतीय संस्कृति के खिलाफ थे उसको नीचे गिराना चाहते थे
इसलिए Bal Gangadhar Tilak अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन भी करते थे बाल गंगाधर तिलक जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए तो उन्हें नरमपंथी दल के किसी भी नेता का रवैया पसंद नहीं आता था
इसीलिए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ बोलना शुरू हुआ और उन्हें साथ में उन्होंने गरम दल की स्थापना की जिसमें लाला लाजपत राय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक श्री विपिन चंद्र पाल शामिल हुए
यह तीनों लाल बाल पाल के नाम से स्वतंत्रता संग्राम में मशहूर हो गए.भारत की स्वतंत्रता संग्राम में एक सर्वमान्य नेता स्वतंत्रता सेनानी शिक्षक वकील आदि बाल गंगाधर तिलक थे उन्होंने अपने नारा से स्वाधीनता आंदोलन में एक नया जोश भर दिया था
बाल विवाह और अन्य कई सामाजिक कुप्रथा और कुरीतियों के विरोध उन्होंने आवाज उठाया हिंदी भाषा को भारत का मातृभाषा बनाने के लिए उन्होंने आवाज उठाया भारत में गणेश उत्सव की परंपरा शुरू करने का श्रेय लोकमान्य Bal Gangadhar Tilak को ही जाता है
इस लेख में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बारे में पूरी जानकारी दी गई है उनका जन्म कहां हुआ उन्होंने शिक्षा कहां से प्राप्त की बाल गंगाधर तिलक का विवाह किससे हुआ स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग कैसे किया
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प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।