महात्मा गांधीजी का जीवन परिचय और योगदान

Mahatma Gandhi biography in hindi भारत जब अंग्रेजों के अधीन था उस समय ब्रिटिश साम्राज्य का भारत देश पर एकाधिकार था, तो भारतीयों को कई तरह की परेशानियां और अत्याचारों को सहना पड़ता था। लेकिन इन सारी परेशानियों से भारतीयों को निकालने के लिए गांधीजी ने कई आंदोलन किए।

अंग्रेजों से भारत देश को अपने भारत माता को आजाद कराने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले सबसे ज्यादा लिया जाता है. वह स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में पूरी जानकारी इस लेख में दी गई हैं।

भारत का बड़े से लेकर बच्चों तक हर कोई महात्मा गांधी का नाम महात्मा गांधी का जन्मदिन और उनके योगदानो के बारे में जानकारी जरूर रखता है.सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में पहचाने जाने वाले राष्ट्रपिता को आज भी हर कोई अपना आदर्श मानता है.

हर भारतीय के दिलों में महात्मा गांधी एक आदर्शवादी के रूप में बसे हैं। लोगों को सही राह दिखाने वाले लोगों को सत्य और अहिंसा के राह पर चलकर किसी भी तरह की लड़ाई जीतने के लिए एक आदर्शवादी महापुरुष के रूप में उन्‍हें युगो युगो तक याद किया जाता रहेगा.

Mahatma Gandhi Biography In Hindi 

भारत आजाद हुआ भारत को स्वतंत्र कराने में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे ज्यादा योगदान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का था। सत्य और अहिंसा की राह को हमेशा अपनाकर चलते थे। वह अपने कर्तव्यों का पालन करते और लोगों को भी सत्य और अहिंसा पर चलना सिखाते थे।

महात्मा गांधी एक ऐसा नाम है जिसे भारत के साथ साथ विश्व में हर कोई जानता और पहचानता है. गांधीजी एक संत एक महात्मा की तरह जीवन जीते थे सादगी और सौम्यता से किसी से भी बात करते थे जो भी उनसे मिलता था वह महात्मा गांधी का शिष्य बन जाता था उनके विचारों से प्रभावित हो जाता था.

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वह जो भी आंदोलन करते थे जो भी लड़ाई लड़ते थे अंग्रेजो के खिलाफ जो भी विरोध करते थे वह पूरी तरह से सत्य और अहिंसा के पथ पर चलकर करते थे हिंसा का हमेशा विरोध किया करते थे.

कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हुए जो कि भारत माता को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए अंग्रेजों की तरह ही खून खराबा करके उनके साथ लड़ाई करके उनका जवाब देते थे लेकिन महात्मा गांधी शांति और अहिंसा के पथ पर चलना लोगों को सिखाते थे.

राष्ट्रपिता अफ्रीका से बैरिस्टर बन कर आए तो दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीय लोगों पर अंग्रेजों के अत्याचार को देखा उनके मन में अंग्रेजो के खिलाफ एक द्वेष भावना हो गया.

भारत आने के बाद और जब तक महात्मा गांधी जीवित रहे तब तक उनका जीवन आंदोलन की तरह ही रहा उन्होंने कई आंदोलन किये उसमें से कई आंदोलन सफल भी हुए.

भारत के जन-जन में स्वतंत्रता आंदोलन का लहर फैला दिया लोगों के दिलों में उनका स्थान राष्ट्र के पिता के रूप में था और आगे भी रहेगा महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के अध्यात्मिक राजनीतिक और सबसे प्रमुख नेता माने जाते थे.

भारत देश को आजाद कराने में गांधीजी का भूमिका सबसे पहले स्थान पर था इसीलिए आज भी उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम से गांधी दिवस के रुप में मनाया जाता हैं।

नाममोहनदास करमचंद गांधी
जन्‍म2 अक्टूबर 1869
पिता का नामकरम चंद्र गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पत्नि का नामकस्‍तुरबा गांधी
पुत्रहरीलाल गांधी,मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी
उपनामराष्‍ट्रपिता, महात्‍मा, बापू
प्रमुख आंदोलनअसहयोग आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, हरिजन आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन
मृत्‍यु30 जनवरी 1948

जन्म

भारत देश के भारत राष्ट्र के पिता के रूप में महात्मा गांधी को जाना जाता है उनके सिद्धांतों और उनके दिखाए हुए राह पर चलकर ही अंग्रेजों से भारत को आजाद कराया गया भारत के हर व्यक्ति को अपना नागरिक अधिकार मिल पाया.

सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी का जन्‍म 2 अक्टूबर 1869 ईसवी में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था उनके पिता का नाम करम चंद्र गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था महात्मा गांधी के पिता अंग्रेजों के रियासत के दीवान थे.

और उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति की विचार वाली महिला थी इसिलिए उन पर भी धार्मिकता का प्रभाव था महात्मा गांधी शाकाहारी थे उपवास रखने पर ज्यादा महत्व रखते थे Mahatma Gandhi जी का पूरा नाम  मोहनदास करमचंद गांधी था.

उनकी माता एक बहुत ही धार्मिक स्त्री थी वह हमेशा पूजा-पाठ लोगों के प्रति दया प्रेम श्रद्धा की भावना रखती थी इसीलिए महात्मा गांधी में भी अपने मां का गुण था। वह हमेशा अपने माता-पिता के दिखाए रास्ते पर ही चलते रहे। लोगो से प्रेम भावना से बातें करना ईश्वर के प्रति निस्वार्थ भावना से पूजा पाठ करना यही उनका नित्‍यकर्म था.

शिक्षा 

महात्मा गांधी की शुरुआती पढ़ाई उनके जन्म स्थान पोरबंदर में मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई पूरी हुई थी लेकिन इनके पिता का ट्रांसफर राजकोट में हो गया इसलिए मिडिल स्कूल से आगे की पढ़ाई राजकोट से पूरी हुई 1887 में उन्‍होंने मैट्रिक के परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई करने के लिए भावनगर के सामल दास कॉलेज में दाखिला लिया.

उसके बाद वकालत की पढ़ाई पूरी करने के लिए लंदन चलेगा लंदन जाते समय उन्होंने अपने माता को यह वचन दिया था कि वह मांस और शराब से हमेशा दूर रहेंगे जब वह लंदन में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए गए तो वहां पर खाना ज्यादा मांसाहारी ही मिलता था और महात्मा गांधी शाकाहारी थे.

इसलिए उन्होंने वहां पर लंदन वेजीटेरियन सोसायटी की सदस्यता ले ली और उस सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य भी बना दिए गए वहीं पर वह एक पत्रिका में लेख भी लिखने लगे लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई 1891 में उन्होंने पूरी की.

जब वह लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई कर रहे थे उस समय वह कुछ शाकाहारी लोगों से भी मिले थे कुछ व्यक्ति उसमें थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य थे थियोसोफिकल सोसाइटी में बौद्ध धर्म और सनातन धर्म से संबंधित कई लोग थे.

उनमें से किसी व्यक्ति ने गांधीजी को श्रीमद्भागवत पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया लेकिन महात्मा गांधी ने किसी भी धर्म के बारे में पढ़ाई करने में यह किसी भी धर्म के बारे में जानने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी और वकालत करके वह भारत वापस चले आए.

जब वह दक्षिण अफ्रीका में अपनी पढ़ाई कर रहे थे उस समय भारतीयों पर कई तरह के भेदभाव देखा करते थे उस समय उन्होंने अंग्रेजों का भारतीयों पर हो रहे भेदभाव बहुत ही नजदीक से देखा था.

शुरू में जब वह वहां गए तो एक ट्रेन में टिकट उनके पास रहने के बावजूद भी दूसरे डब्बे में जाने से इनकार किए तो वहां के लोगों ने उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया.

कई जगह तो ऐसी व्यवस्था थी कि दक्षिण अफ्रीका से बाहर के किसी व्यक्ति को अंदर जाने पर कई परेशानियां झेलनी पड़ती थी एक जगह तो किसी अदालत में गए थे वहां के न्यायाधीश ने महात्मा गांधी से अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा था.

यह सारी बातें महात्मा गांधी के दिमाग में बैठ गई वहां पर भारतीयों पर इस तरह का भेदभाव देखकर अपने देशवासियों का अपमान देकर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ घृणा हो गया.

वहां पर भारतीयों के साथ अंग्रेज बहुत ही अत्याचार कर रहे थे तभी उनहोंने भारतीयों को अंग्रेजी साम्राज्य से न्याय दिलाने का मन में प्रतिज्ञा ले लिया था.

वहां पर कई होटलों में भारतीयों को ठहरने पर पाबंदी था इन सब घटनाओं से महात्मा गांधी के जीवन में अलग ही मोड आ गया था और मन ही मन उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने की ठान ली थी.

विवाह

उनका विवाह बचपन में ही उनके माता-पिता ने कस्तूरबा गांधी से तय कर दिया था लेकिन जब उनकी उम्र 13 वर्ष की थी और कस्तूरबा  14 वर्ष की थी  उसी समय उनकी शादी हो गई थी जब वह 15 वर्ष के थे तभी उनकी पाहली संतान की प्राप्ति हुई थी.

जब उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ तो वह एकदम अनपढ़ थी उन्हें लिखना पढ़ना नहीं आता था तो महात्मा गांधी ने उन्हें पढ़ाई के प्रति जागरूक किया उन्हें लिखना पढ़ना सिखाया जिसके बाद कस्तूरबा गांधी एक आदर्श पत्नी के रूप में महात्मा गांधी के साथ हर काम में कदम से कदम मिलाकर उनका साथ दिया.

कई आंदोलनों में भी कस्‍तुरबा गांधी महात्‍मा गांधी के अपना योगदान दिया था महात्मा गांधी की चार संतान थी जिनका नाम हरीलाल गांधी मणिलाल गांधी रामदास गांधी और देवदास गांधी था.

व्यक्तित्व  

Mahatma Gandhi ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमारे भारत देश को आजादी दिलाई थी महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का तथा कोई महात्मा कहता था कोई बापू कहता था उन के अनेकों नाम थे.

वह एक सन्यासी की तरह अपने जीवन व्यतीत करते थे और हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलते थे  हमारे भारत देश को आजादी दिलाने में उनका सबसे महत्वपूर्ण भूमिका था बुरा मत देखो बुरा मत सुनो बुरा मत कहो महात्मा गांधी नहीं कहा था.

वह अहिंसा के पुजारी थे वह हमेशा ही स्वदेशी सामानों को इस्तेमाल करने के बारे में सब को प्रेरित करते रहते थे हमेशा उनका वेशभूषा साधारण इंसान की तरह ही रहता था महात्मा गांधी का खाना भी बहुत ही सात्विक और शाकाहारी खाते थे उनके घर में शुरू से ही धार्मिक माहौल था.

उनकी माताजी एक धार्मिक स्त्री थी हमेशा पूजा पाठ और भगवान की पूजा निस्वार्थ भावना से करती रहती थी स्वदेशी आंदोलन के बाद महात्मा गांधी ने खादी का कपड़ा पहनना शुरू कर दिया था.

बाद में तो वह सिर्फ एक चादर ओढ़ कर के ही खादी का बना हुआ धोती और सूत से बना हुआ सॉल हमेशा ओढते थे और खुद से ही चरखे से सूत कात कर हाथ से अपना कपड़ा बनाते थे.

आत्म शुद्धि करने के लिए हमेशा कई कई दिनों तक उपवास भी रखते थे महात्मा गांधी ने गरीब महिलाओं धार्मिक एकता के लिए लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई आंदोलन किए

जिसमें उनका साथ भारत के हर देशवासी ने दिया था जितने भी आंदोलन महात्मा गांधी ने किए उनमें उनका अस्त्र-शस्त्र हथियार सिर्फ शांति सत्य अहिंसा था और लोगों का सहयोग रहता था.

किसी भी तरह के हिंसा का विरोध हमेशा करते और लोगों को भी अहिंसा से लड़ाई करने के लिए प्रेरित करते रहते थे महात्मा गांधी को प्यार से सम्मान देने के लिए उन्हें बापू भी कहा जाता है.

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका 

जब महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करके 1891 में भारत लौट कर आए तो यहां पर उन्होंने मुंबई में एक अपनी वकालत की शुरुआत किया था लेकिन इस कार्य में उन्हें सफलता नहीं मिली और वहां से वह राजकोट चले गए.

वहां पर जिस व्यक्ति को किसी भी तरह की अर्जियां लिखना नहीं आता था तो वह उन लोगों की मदद करने लगे और अर्जियां लिख कर उन्हें देने लगे लेकिन इस काम को भी वो कुछ दिनों के बाद छोड़ दिए.

जब वह दक्षिण अफ्रीका से 1914 में भारत लौट कर आए तो वह उस समय के स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के उदारवादी नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर ही आए थे गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी का विचार बहुत हद तक मिलता था.

कुछ दिनों तक गोपाल कृष्ण गोखले के साथ कई जगहों पर घूम घूम कर सामाजिक मुद्दों आर्थिक मुद्दों और राजनीतिक मुद्दों को उन्होंने अच्छे से जांचा और परखा उसके बाद बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की.

1915 ईस्वी में  उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया और वहां पर अपना विचार रखा और वही से उन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना योगदान शुरू किया Mahatma Gandhi ने स्वतंत्र भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बहुत सारे आंदोलन किए जिनमें से कुछ प्रमुख आंदोलन है जैसे कि

1. खेडा सत्याग्रह आंदोलन

सबसे पहला आंदोलन गुजरात के खेड़ा आंदोलन में उन्होंने भाग लिया खेड़ा में बहुत ही भयंकर बाढ़ और बाद में सुखा होने से लोगों की जिंदगी बहुत ही परेशानियों में गुजर रही थी

वहां के किसान और गरीब की हालत बहुत ही बदतर हो गई थी वहां के किसान और गरीब अंग्रेजों से कर नहीं देने की बात कर रहे थे वहां पर महात्मा गांधी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के साथ मिलकर किसानों और गरीबों का बात रखने के लिए अंग्रेजों के पास गए.

जिसके बाद अंग्रेजों ने कर से उन गरीब और किसानों को मुक्ति दिलाया और जितने लोगों को कैदी बनाकर जेल में डाला था उन सभी लोगों को रिहा कर दिया इस चंपारण खेड़ा आंदोलन के बाद महात्मा गांधी की ख्याति पूरे भारत देश में फैलने लगी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख और महत्वपूर्ण नेता महात्मा गांधी बन गए.

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2. चंपारण  सत्याग्रह

1918 ईस्वी में Mahatma Gandhi ने चंपारण  सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था और उसने उन्हें बहुत बड़ी सफलता भी मिली थी यह आंदोलन किसानों के लिए था जो भी नील की खेती कर रहे किसानों के लिए यह आंदोलन किया गया था यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में हुआ था.

3. खिलाफत आंदोलन

खिलाफत आंदोलन महात्मा गांधी ने 1919 से 1924 तक चलाया था महात्मा गांधी का सोच था उनका मानना था कि भारत को आजाद कराने में हर जाति का सहयोग होना जरूरी है.

इसीलिए उन्होंने मुसलमानों के द्वारा चलाए गए खिलाफत आंदोलन के नेता के साथ मिलकर हिंदू मुस्लिम एकता को कायम रखने के लिए खिलाफत आंदोलन में साथ दिया.

4. असहयोग आंदोलन

महात्मा गांधी का मानना था कि अगर भारत देश में सभी देशवासी मिलकर के सहयोग के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई करें तो भारत देश आजाद होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा अंग्रेजो के साथ असहयोग करेंगे तो अंग्रेज बहुत ही जल्दी भारत देश को छोड़कर चले जाएंगे.

उस समय तक महात्मा गांधी की लोकप्रियता कांग्रेस के एक सबसे बड़े नेता के रूप में पूरे देश में फैल गई थी उस समय उन्होंने अहिंसा शांति के साथ अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन किया

जिसमें कि उन्होंने कोई भी अस्त्र शस्त्र का प्रयोग नहीं किया था लेकिन जब 1919 में जालियांवाला नरसंहार हत्याकांड हुआ. इससे भारत की जनता में अंग्रेजो के खिलाफ क्रोध और बहुत बड़ी हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी

असहयोग आंदोलन में गांधी जी ने असहयोग अहिंसा और शांति के विरोध से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत की थी इस आंदोलन में अंग्रेजों के नीतियों और उनके दमन के तरीकों को लेकर हुआ था

जैसे कि मुस्लिम विरोधी कानून रौलट एक्ट जलियांवाला बाग हत्याकांड आदि Mahatma Gandhi ने असहयोग आंदोलन 1920 ईस्वी में शुरू किया था.

5. स्वदेशी आंदोलन

जालियांवाला नरसंहार के बाद आम जनता में ज्‍वाला भडक उठी जिसके बाद महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन चलाया जिसमें जितनी भी विदेशी वस्तुएं थी उनका बहिष्कार किया गया और स्वदेशी सामानों का उपयोग किया जाने लगा.

इसी के बाद महात्मा गांधी के द्वारा खादी से बनाए गए कपड़े पहने जाने लगे महात्मा गांधी ने हर व्यक्ति को चाहे वही स्त्री हो चाहे वह पुरुष हो उन्हें प्रतिदिन सूत काटकर उसे कपड़े बनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

भारतीय लोगों को सरकारी नौकरियों अदालतों संस्थाओं में जो भी नौकरी करते थे या अंग्रेजी शासन से जो भी सम्मानीय तमगा लोगों को मिला था उसे लौटाने का अनुरोध करने लगे.

इस स्वदेशी आंदोलन से असहयोग आंदोलन में बहुत ही ज्यादा सफलता महात्मा गांधी को मिला इस आंदोलन में भारत के हर धर्म हर वर्ग हर जाति के लोग बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया और पूरे जोश से सभी लोग इसमें भागीदारी बढ़ाने लगे.

1922 में चौरा चौरी कांड हुआ इसमें हिंसक घटना होने लगी जिसके बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था इस आंदोलन को वापस लेने के बाद अंग्रेजों ने 10 मार्च1922 महात्मा गांधी को राजद्रोह का मुकदमा लगाकर गिरफ्तार कर लिया.

जिसमें अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को छ: साल की सजा सुनाई थी महात्मा गांधी की तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया.

6. नमक सत्याग्रह आंदोलन

स्वराज और नमक सत्याग्रह आंदोलन Mahatma Gandhi के द्वारा ही चलाया गया आंदोलन था 1930 में यह आंदोलन हुआ था जोकि अंग्रेजो के खिलाफ साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक पैदल मार्च किया गया था.

क्योंकि चाय कपड़ा और नमक भाारतीयोंं से छीन लिया था जिसके लिए महात्‍मा  गांधी ने यह आंदोलन चलाया था और आंदोलन बहुत सफल भी हुआ था.

1924 में जब महात्मा गांधी रिहा होकर आए तो वह कुछ दिनों तक राजनीति से दूर रहे लेकिन शराब अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ धीरे-धीरे लड़ते रहे 1930 में अंग्रेजों के खिलाफ नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह आंदोलन चलाया इस आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ बहुत सारे स्त्री और पुरुष ने साथ दिया अंग्रेजों ने नमक पर कर लगा दिया था.

दुकानों पर भी नमक बहुत ही मांगा मिलने लगा था जिसे भारत के लोगों को नमक खरीदने में बहुत परेशानी होने लगी थी इसके विरोध में महात्मा गांधी ने 12 मार्च से 6 अप्रैल तक अहमदाबाद से दांडी गांव तक पैदल 388 किलोमीटर की यात्रा पूरी की थी.

इस यात्रा का उद्देश्य Mahatma Gandhi का नमक का उत्पादन करना था इस आंदोलन में Mahatma Gandhi के साथ हजारों की संख्या में भारत के वासियों ने दिया जिसमें 60000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार करके जेल में बंद कर दिया गया.

लेकिन ब्रिटिश सरकार के लॉर्ड इरविन ने Mahatma Gandhi से बातचीत किया और गांधी इरविन की संधि के द्वारा मार्च 1931 में हस्ताक्षर किया गया और जितने भी कैदियों को पकड़ा गया था उन्हें रिहा कर दिया गया.

7. हरिजन आंदोलन

भारत में निचली जाति अछूतों के साथ में हो रहे भेदभाव को खत्म करने के लिए उनका जीवन सुधारने के लिए Mahatma Gandhi ने हरिजन आंदोलन चलाया था हरिजन आंदोलन अंग्रेजों द्वारा नए संविधान बनाने के लिए था इस आंदोलन में गांधी जी ने 6 दिन का उपवास किया था.

8. भारत छोड़ो आंदोलन

यह आंदोलन अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए था  इसीलिए इसका नाम Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिया था और इस आंदोलन को तेज करके बहुत लोगों को इसमें जोड़ रखा था.

स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे शक्तिशाली और सर्वाधिक आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन था इसी आंदोलन के बाद भारत देश आजाद हुआ.

9 अगस्त 1942 में अंग्रेजों ने Mahatma Gandhi को गिरफ्तार कर लिया और 2 साल तक उन्हें जेल में बंदी बनाकर रखा इसी दौरान महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का मृत्यु हो गया

इसके बाद Mahatma Gandhi को भी मलेरिया बीमारी हो जाने से उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा तब उन्हें 6 मई 1944 में रिहा कर दिया गया इसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध का भी अंत हुआ था.

Mahatma Gandhi ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त कर दिया जिसके बाद अंग्रेजों ने जो कई हजार राजनीतिक कैदियों को जेल में कैद करके रखा था उन्हें रिहा कर दिया. 

9. देश विभाजन

अंग्रेज तो भारत छोड़कर चले गए लेकिन हिंदू मुस्लिम की एकता को भंग करके देश विभाजन का ज्वाला भड़का कर चले गए अंग्रेजों का एक नारा था कि फूट डालो और राज करो यही नारा जाते-जाते वह सार्थक करके चले गए

भारत के आजादी में मुसलमानों के तरफ से नेता जीन्ना थे जिन्ना के नेतृत्व में भारत के जितने भी मुसलमान थे उन्होंने एक अलग मुसलमान बहुल देश बनाने की मांग करने लगे

जिसका नाम पाकिस्तान रखा गया महात्मा गांधी अपने देश का विभाजन नहीं करना चाहते थे लेकिन हिंदू और मुस्लिम में विरोध होने लगा अपने देश की धार्मिक एकता को बनाए रखने के लिए उन्होंने भारत को दो हिस्सों में बांट दिया एक हिंदू बहुल देश भारत बन गया और एक मुसलमान बहुल देश पाकिस्तान बन गया.

महात्मा गांधी की मृत्यु  

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन बहुत दिन चला लेकिन इस आंदोलन के खत्म होते होते भारत को आजादी भी मिल गई लेकिन अंग्रेज जाते जाते फूट डालो और राज करो की नीति अपनाकर भारत में विभाजन का बिज डाल दिये .

15 अगस्त 1947 में भारत देश आजाद हुआ और इसका विभाजन भी हो गया एक भारत और दूसरा पाकिस्तान इसके विभाजन के खिलाफ बहुत लोग थे इसी विरोध के चलते 30 जनवरी 1948  को बिरला हाउस में दिल्ली में Mahatma Gandhi जी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

नाथूराम गोडसे नाम से एक व्यक्ति ने उन पर गोली चलाई थी कहा जाता है कि जब गांधीजी की हत्या हुई तब उनके मुंह से जो अंतिम शब्द निकला था वह था हे राम महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे

जिन्हें हम सदियों तक याद रखेंगे और भारत देश को आजाद कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर महात्मा गांधी ने भारत देश को आजादी दिलाई थी वह एक सादा जीवन जीते थे इसलिए उनको  महात्मा कहा जाता था.

उनके जीवनी पर कई फिल्म भी बन चुके हैं उनके सिद्धांतों को उनके दिखाए हुए राह पर आज भी लोग चलना चाहते हैं महात्मा गांधी का मृत्यु जिस दिन हुआ उस दिन को हर साल शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता है.

भारत के हर व्यक्ति के लिए या विश्व के हर उस मानव जाति के लिए Mahatma Gandhi एक मिसाल है आदर्शवादी व्यक्ति है जिन्होंने परिस्थिति चाहे कोई भी हो सिर्फ और सिर्फ अहिंसा और सत्य का पालन करके आगे बढ़ते रहे. महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख नायक एक महान और एक अमर नायक के रूप में जाने जाते हैं.

सारांश 

भारत को स्वतंत्र कराने में कई लोगों ने अपनी जान गवा दी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई तरह के स्वतंत्रता सेनानी थे एक स्वतंत्रता सेनानी खून खराबा करके अंग्रेजों के अत्याचार का जवाब उन्हीं के तरह लाठी-डंडों से बंदूक से गोली से देते थे.

लेकिन वह एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो कि शांति सत्य और अहिंसा के साथ अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे और भारत को आजाद कराने के लिए कहीं आंदोलन भी किए.

इस लेख में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में Mahatma Gandhi biography in hindi Language उनकी जीवनी उन्होंने कौन कौन से आंदोलन चलाए महात्मा गांधी का व्यक्तित्व कैसा था उनकी मृत्यु कब और कैसे हुई के बारे में पूरी जानकारी दी गई है

फिर भी अगर इस लेख से जुड़े सवाल आपके मन में है तो कृपया करके जरूर पूछें. महात्मा गांधी जी के बारे में आप लोगों को यह जानकारी कैसी लगी आप लोग कमेंट करके हमें जरूर बताएं ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें.

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