मदर टेरेसा कौन थी Mother Teresa essay in hindi और उन्होंने क्या-क्या कार्य किए मदर टेरेसा को हम लोग किस काम से ज्यादा जानते हैं mother teresa in hindi का स्वभाव कैसा था उनका व्यक्तित्व कैसा था
दीन दुखियों की सेवा करना मानवता की सेवा को ही अपना कार्य बना लेना और अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए हमेशा जीते रहना मदर टेरेसा का एक महानता था इसीलिए उन्हें एक महान आत्मा के रूप में याद किया जाता है
जिन्होंने अपना पूरा जीवन सेवा और भलाई में ही समर्पित कर दिया तो इस लेख में एक महान समाजसेवी मदर टेरेसा की जीवनी के बारे में उनके द्वारा किए गए समाज सुधार कार्य के बारे में पूरी जानकारी आइए नीचे विस्तार रूप से जानते हैं.
Mother Teresa essay in hindi
मदर टेरेसा एक महान समाज सेविका और एक शिक्षिका भी थी. मदर टेरेसा एक ऐसी शख्सियत थी जिन्हें सिर्फ दूसरों का सेवा करना और दूसरे का भलाई करना यही उनके जीवन का एक उसूल भी था और उनकी आदत भी थी
उन्हें किसी का दुख देखकर बर्दाश्त नहीं होता था और उनकी सहायता और सेवा करने के लिए वह जी जान से लग जाती थी Teresa जीती जागती ममता की मूरत थी उन्हें भगवान का दूसरा रूप भी हम लोग का सकते हैं.

क्योंकि उन्हें दूसरों का दुख देखा नहीं जाता था.मदर टेरेसा एक ऐसी शख्सियत थी ऐसी इंसान थी जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब असाध्य रोगों से पीड़ित लूले लंगड़े अपाहिज लोगों पर निछावर कर दिया.
उन्होंने पूरे विश्व को शांति और मानवता का संदेश दिया विश्व भर में मिशनरी के कार्यों से मदर टेरेसा ने असहाय लोगों की गरीबों को सहायता किया जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं
उन्होंने असहायों की सेवा करना ही अपना धर्म बना लिया था लोगों की सेवा करने के लिए मानवता की सेवा के लिए मदर टेरेसा ने अपने जो पारंपरिक वस्त्र थे उनको हमेशा के लिए त्याग दिया और नीली किनारी वाली साड़ी हमेशा पहनती थी
इसीलिए भारत सरकार ने भी मदर टेरेसा के सेवा भाव को समाज सेवा जन कल्याण की भावना का बहुत ही सम्मान किया आदर किया और उन्हें कई सम्मान से नवाजा गया
मदर टेरेसा एक भारत मूल के नहीं होते हुए भी भारत के लोगों का हमेशा साथ दियाऔर भारतीय के लिए कुछ करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया इसीलिए मदर टेरेसा के किए गए कार्यों को एक मिसाल के रूप में याद किया जाता है.
मदर टेरेसा कहां की रहने वाली थी वो भारत कब और क्यों आई. मदर टेरेसा के जीवन परिचय के बारे में उनके जन्म के बारे में और उनके महान कार्यों के बारे में तो आप लोगों को यहां पर पूरी जानकारी मिलेगी.
भारत में या विश्व में कितने समाज सेवक समाज सुधारक व्यक्ति हुए जिन्हें हमेशा याद किया जाता है उनके कार्यों से उन्हें सम्मान दिया जाता है लेकिन मदर टेरेसा एक ऐसी महान महिला थी
जिनके मानवीय कार्यों के लिए सम्मान दिया जाता है वह अपने इन कार्यों से हमेशा के लिए प्रसिद्ध हो गए मदर टेरेसा गरीबों और असहायों के लिए एक साक्षात देवी थी कई अनाथ लोगों को उन्होंने सेवा भाव से अपना करके सनाथ बना दिया था
मदर टेरेसा का जीवन परिचय
नाम | मदर टेरेसा |
असली नाम | एग्नेस गोंझा बोयाजिजू |
जन्म | 26 अगस्त 1910 |
जन्म स्थान | रोमन के मेसेडोनिया |
पिता का नाम | निकोला बोयाजू |
माता का नाम | द्राना बोयाजू |
शिक्षा | नर्स की ट्रेनिंग |
कार्यक्षेत्र | समाज सेविका |
संस्थापक | मिशनरी ऑफ चैरिटी |
समाज सुधार कार्य | गरीब, असाध्य रोगों से पीड़ित, लूले, लंगड़े, अपाहिज लोंगों की सेवा |
आश्रम का स्थापना | निर्मल हृदय और निर्मल शिशु |
सम्मान और पुरस्कार | नोबेल शांति पुरस्कार,भारत रत्न, पद्म श्री सम्मान |
मदर टेरेसा की उतराधिकारी | सुपिरियर जनरल सिस्टर निर्मला |
मृत्यु | 5 सितंबर 1997 |
Mother Teresa मिशनरी ऑफ चैरिटी का संस्थापक थी इसके जरिए लोगों का भलाई करना शुरू किया था उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब और बेसहारा लोगों के सेवा और भलाई में लगा दिया
यह काम वह बहुत ही लगन से और हृदय से दिल से करती थी उन्हें दूसरों का सेवा करना दूसरों का भलाई करना बहुत अच्छा लगता था उन्होंने बहुत ही कम उम्र में ही समाज सेवा करना शुरू कर दिया था.
दूसरों के लिए जीना उन्हें अच्छा लगता था भले ही वह खुद भूखी रह जाती थी बिना सुख सुविधा के रहना पसंद करती थी लेकिन दीन दुखी और बेसहारों को वह दुखी देखना या भूखे रहना पसंद नहीं करती थी
जितना हो सके उनका सेवा और सहायता करती थी भारत के इतिहास में मदर टेरेसा फूल बनकर हमेशा महकती रहेगी और कई सालों तक हम लोग उप्हें याद भी करते रहेंगे.
मदर टेरेसा का जन्म
Mother Teresa रोमन के मेसेडोनिया गणराज्य की रहने वाली थी उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था उनके पिता का नाम निकोला बोयाजू था और माता का नाम द्राना बोयाजू था मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था.मेसोडेनिया में गोंझा का मतलब फूल का कली होता हैं.
मदर टेरेसा का शिक्षा
टेरेसा की पढ़ाई कुछ ज्यादा नहीं हो पाई थी क्योंकि मदर टेरेसा एक साधारण परिवार में जन्म ली थी उनके पिताजी एक छोटे से व्यवसायी थे और जब मदर टेरेसा छोटी थी
तभी उनके पिता जी का मृत्यु हो गया इस वजह से सारे घर का जिम्मेवारी उनके माता के ऊपर आ गया और उनका घर बड़ी मुश्किल से चल पाता था इसी वजह से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई
टेरेसा बचपन से ही बहुत ही परिश्रमी और मेहनती थी मदर टेरेसा को गाना गाना भी बहुत पसंद था वह अक्सर वहां के गिरजाघर में अपने बहन के साथ जाया करती थी और दोनों वहां गाती थी.
वे बचपन से ही लोगों की सेवा करने में बहुत मन लगता था वह और वह इस काम को बहुत श्रद्धा पूर्वक करती थी इसीलिए उन्होंने लोगों को सेवा करने के लिए और बच्चों को पढ़ाने के लिए भी सिस्टर ऑफ लोटेरों में शामिल हो गई और वहां पर बच्चों को शिक्षा देने लगी.
लोटेरों में शामिल होने से पहले उन्हें अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी था और उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी इसीलिए Mother Teresa आयरलैंड जाकर वहां पर अंग्रेजी का पढ़ाई किया और जब अंग्रेजी उन्हें अच्छे से आ गया तब वह लोटेरो और सिस्टर से जुड़कर बच्चों को पढ़ाने लगी.
मदर टेरेसा का व्यक्तित्व
Mother Teresa बहुत ही निर्मल हृदय वाली समाजसेविका थी लोगों का सेवा करना सहायता करना उन्हें बहुत पसंद था मदर टेरेसा जब भी गरीब और अपंग लोगों को सड़क पर भूखे मरते हुए या भीख मांगते हुए देखती थी
उनसे बर्दाश्त नहीं होता था और वह जाकर उन लोगों का सेवा और सहायता करने लगती थी. मदर टेरेसा एक रोमन कैथोलिक नन थी और उन्होंने भारत की नागरिकता 1948 में अपनी इच्छा से ले लिया था
टेरेसा ने कोलकाता में मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना किया जिसके द्वारा उन्होंने कई बीमार अनाथ गरीब रोगी व्यक्तियों की मदद की उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमार अपाहिज अंधे लूले लंगड़े आदि की सेवा में लगा दिया
उन्होंने दिन हीन की सेवा को ही अपना धर्म मान लिया था दया सेवा और ममता की एक साक्षात देवी या मूर्ति मदर टेरेसा थी संसार में जितने गरीब अपाहिज रोगी या दिन हीन थे
उन्होंने मदर टेरेसा को पा करके अपने आप को अनाथ से सनाथ मान लिया था मदर टेरेसा तो भारत में एक शिक्षिका के तौर पर आई थी वह भी एक बहुत ही अनुशासित शिक्षिका थी
अपने विद्यार्थियों से तो बहुत प्यार करती थी लेकिन उन्हें अनुशासन में भी रखती थी सबसे पहले मदर टेरेसा ने झांसी में एक आश्रम स्थापित किया था और वहीं पर वह गरीब अपाहिज अनाथ रोगी लोगों का सेवा करती थी
लेकिन बाद में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का स्थापना किया निर्मल हृदय और निर्मल शिशु भवन नाम से उन्होंने आश्रम खोला था जिसमें ऐसे गरीबों और रोगियों की सेवा करती थी जो कि असाध्य बीमारी से पीड़ित रहते थे समाज से निकाल दिए गए थे
इस तरह के लोगों पर अपना ममता अपना प्यार भावना बहुत ही खुले मन से और प्रेम से लूटाती थी. जब मदर टेरेसा ने हीं मिशनरीज ऑफ चैरिटी का स्थापना किया तो उस समय सिर्फ 12 केंद्र ही थे लेकिन बाद में बढ़कर हजारों की संख्या में यह केंद्र बन गए.
मदर टेरेसा का कार्य
टेरेसा जब सिस्टर्स ऑफ लोटेरो से जुड़ी उन्होंने वहां बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और वह बच्चों का बहुत मन लगा कर पढ़ाती थी मदर टेरेसा एक बहुत ही अनुशासित शिक्षिका और एक अनुशासित स्त्री भी थी
उन्हें अनुशासन में रहना पसंद भी था और बच्चों को भी अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करती रहती थी वह बच्चों से बहुत प्रेम करती थी. 6 जनवरी 1929 को सिस्टर्स ऑफ लोटेरो के तरफ से भारत के कोलकाता में लोटेरों कान्वेंट स्कूल में पढ़ाने के लिए आई
उनके शिक्षा के और बच्चों से प्रेम और लगन की वजह से उन्हें हेडमिस्ट्रेस बना दिया गया. जब भी वह बाहर निकलती थी सड़क पर और अपने आसपास लोगों को गरीबी से जूझते हुए और दरिद्रता से भीख मांगते हुए देखती थी तो उन्हें बहुत दुख होता था
तभी उन्होंने अपने मन में यह सोच लिया इन गरीब लोगों के लिए कुछ बड़ा करूंगी जब 1946 में हिंदू मुस्लिम दंगा में कोलकाता में शहर में लोगों का जीना मुश्किल हो गया तब उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का स्थापना करने के बारे में सोचा.
मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना क्यों हुआ
भूख से पीड़ित और गरीबी दरिद्रता से हो रही लोगों की मौत देखकर बहुत परेशान हो गई थी इसी वजह से गरीब दीन दुखियों लूला लंगड़ा चर्म रोग से ग्रसित रोगियों और लाचार लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी.
7 अक्टूबर 1950 में उन्होंने मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की थी .मिशनरी ऑफ चैरिटी के जरिए उन्होंने लोगों की सेवा करना शुरू किया गरीब और बीमार लोगों के सेवा करने के लिए और उनकी मदद करने के लिए उन्हें नर्स की ट्रेनिंग की जरूरत थी .
इसलिए Mother Teresa पटना के होली फैमिली हॉस्पिटल में कुछ दिन रहकर नर्सिंग की ट्रेनिंग ली जब उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली उसके बाद वह कोलकाता फिर से वापस चली गई. कोलकाता वापस आने के बाद मदर टेरेसा पहली बार तालतला जगह पर गई
जहां पर उन्होंने गरीब जो रोगी बुजुर्ग लोग थे उनकी सेवा करना शुरू कर दिया उनके घाव को मरहम पट्टी करती थी और उन्हें इस चीज से थोड़ा भी घृणा नहीं होता था वह बहुत ही श्रद्धा भाव से उन लोगों का सेवा करती थी.
मदर टेरेसा ने मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना
जब उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी तब उनके पास बहुत कम पैसा था लेकिन उन्होंने मन लगाकर अपना काम करना शुरू किया लोगों की सेवा करना शुरू किया उनका काम लोगों में बहुत फैलने लगा और लोग उनकी प्रशंसा करने लगे
उनके सेवा भाव को देखते हुए उनकी सहायता बहुत लोग भी करने लगे थे 7 अक्टूबर 1950 में उन्होंने मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की थी.इसके बाद उन्होंने निर्मल हृदय और निर्मल शिशु नाम से आश्रम भी खोली थी
निर्मल हृदय में गरीब असहाय लोगों की सेवा होती थी जिन्हें रहने का घर नहीं था जिनके पास पैसा नहीं था और वह किसी रोग से ग्रसित थे उन्हें वहां पर मुफ्त में इलाज और सेवा होता था .
निर्मल शिशु भवन में जो अनाथ बच्चे थे जिन्हें लोग कहीं सड़क पर या कहीं भी छोड़ दे छोड़ देते थे उनके लिए निर्मल शिशु भवन सहायक था
जिसमें अनाथ बच्चों के लिए रहने के लिए उनके खाने पढ़ने के लिए हर चीज की व्यवस्था थी इसके बाद टेरेसा लास्ट समय तक लोगों के सेवा भाव में ही जुडी रही और हृदय से और दिल से सेवा करती थी.
सम्मान और पुरस्कार
Mother Teresa के समाजसेवी भावना से बहुत लोग प्रभावित हुए और उनकी बहुत सराहना भी की उन्होंने अनाथ और बेघर बच्चों को सहारा दिया गरीब रोगी व्यक्तियों के लिए सहारा दिया इसलिए भारत सरकार ने उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया
- 1962 में मदर टेरेसा को पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया.
- 1980 में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
- मदर टेरेसा के सेवा भावना को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
मदर टेरेसा की मृत्यु
उन्होंने जब मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी उस समय उनके साथ सिर्फ 13 लोग थे लेकिन लास्ट समय तक उनके मिशनरी आफ चैरिटी में 4000 सिस्टर और 300 सहयोगी संस्थाएं काम करने लगी थी
Mother Teresa की मृत्यु 5 सितंबर 1997 को हुआ था. 13 मार्च 1997 को ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपिरियर जनरल सिस्टर निर्मला को उन्होंने अपना उत्तराधिकारी बनाया था
Mother Teresa जैसी समाजसेविका शायद ही आगे होगी वह एक जीती जागती भगवान की मूरत थी जिन्होंने लोगों की सेवा के लिए अपने सारी जिंदगी समर्पित कर दिया.
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सारांश
मदर टेरेसा किसी भी दलित और पीड़ितों की सेवा में किसी तरह का पक्षपात नहीं करती थी सब लोगों को एक भाव एक समान प्यार करती थी सभी लोगों में सद्भावना रखने के लिए सद्भाव बढ़ाने के लिए उन्होंने पूरे विश्व का भी दौरा किया था
Mother Teresa से प्रेरणा लेकर कई जगह के स्वयंसेवक भारत आए और उन्होंने तन मन से रोगी गरीब अनाथ लोगों का सेवा किया उनका मानना था कि प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी होती है
इस लेख में चैरिटी ऑफ मिशनरीज का संस्थापक मदर टेरेसा के सभी समाज सुधार कार्य के बारे में उनके मिशनरीज ऑफ चैरिटी का स्थापना उन्होंने कब किया इसके द्वारा उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए क्या-क्या किया
उनका मृत्यु कब हुआ के बारे में पूरी जानकारी दी गई है और इस लेख से संबंधित कुछ सवाल मन में है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
इस लेख में हमने महान समाजसेवी क्या मदर टेरेसा से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की हैं Mother Teresa अगर आप लोगों को जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट करें और शेयर भी जरूर.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।