Neeraj Chopra Biography In Hindi नीरज चोपड़ा बायोग्राफी इन हिंदी भारत में कई खेलों का लोकप्रियता है. कई खेल खेले जाते हैं जैसे की कबड्डी, बैडमिंटन, क्रिकेट, हॉकी आदि. वैसे ही नीरज चोपड़ा भारत के एक जैवलिन थ्रो खिलाड़ी है.
उन्होंने भारत का नाम 2021 टोक्यो ओलंपिक खेल में पाहली बार गोल्ड मेडल जीतकर रौशन किया है. यह भारत के एक ऐसे भाला फेंकने वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 121 साल के बाद जैवलिन में गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का नाम रौशन किया है.
इसके अलावा भी उन्होंने कई प्रतियोगिता में जैवलिन थ्रो के खेल में हिस्सा लिया है और उसमें इनाम और मेडल प्राप्त किया है.इस लेख में भारत के जैवलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी.
कुछ दिनों पहले ही Neeraj Chopra का नाम सुर्खियों में था. हर टीवी न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर आदि सभी लोगों के जवान पर सिर्फ एक ही नाम था, वह था जैवलिन थ्रो ओलंपिक गोल्ड मेडलिज्डलिस्ट नीरज चोपड़ा.
नीरज चोपड़ा ने अपने देश का नाम गोल्ड मेडल जीतकर ऊंचा कर दिया है, तो आइये नीरज चोपड़ा के जन्म के बारे में, उनकी शिक्षा कहां से प्राप्त हुई, उनके माता पिता कौन है, उनका कैरियर, उनके व्यक्तित्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. रतन टाटा की जीवनी
Neeraj Chopra Biography In Hindi नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय
भारत के हरियाणा राज्य के पानीपत जिला के निवासी नीरज चोपड़ा है. वह टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने से पहले भारतीय थल सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं.
ओलंपिक में एथलीट में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय Neeraj Chopra है. उनसे पहले निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया था. इसके लिए Neeraj Chopra को भारत सरकार के द्वारा विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया.

टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद 2022 में विश्व एथलीट चैंपियनशिप में भी उन्होंने 88 मीटर भाला फेंक कर सिल्वर मेडल प्राप्त किया.
जिस जैवलिन के खेल में मेडल के लिए भारत के लोग कितने दिनों से सपना देख रहे थे, उस सपने को हरियाणा के Neeraj Chopra ने साकार किया. उन्होंने इस गोल्ड मेडल को जीतकर इतिहास रचा है.
Neeraj Chopra का जन्म
24 दिसंबर 1997 में हरियाणा राज्य के पानीपत जिला के एक गांव में नीरज चोपड़ा का जन्म हुआ. उनके पिता का नाम सतीश कुमार है और उनकी माता का नाम सरोज देवी है.
उनके पिताजी एक किसान है. अपने गांव में किसानी करके ही अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. Neeraj Chopra की माता एक गृहिणी है. वह पांच भाई बहन है. वह अपने भाई बहन में सबसे बड़े हैं.
Neeraj Chopra की शिक्षा
हरियाणा के गांव से ही Neeraj Chopra ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई शुरू की थी. पानीपत के बीवी कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी. जब वह 11 साल के थे तभी उन्होंने अपने गांव के ही एक जय चौधरी को जैवलिन का प्रैक्टिस करते हुए देखकर इस खेल के प्रति आकर्षित हुए.
तभी से उन्होंने जैवलिन थ्रो के खेल में अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया. जैवलिन का प्रैक्टिस और आगे चलकर आर्मी में नौकरी लग जाने की वजह से उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़ दी.
वह अपने गांव में अपने भाई बहनों के साथ साथ गांव के अन्य लड़के और लड़कियों को भी जैबलिन थ्रो की ट्रेनिंग भी देते हैं.
नीरज चोपड़ा का कैरियर
बचपन से ही जैवलिन थ्रो के प्रति काफी रुचि Neeraj Chopra का था. जब वह 13 साल के थे उसी समय उनके चाचा उन्हें दौड़ने के लिए स्टेडियम में लेकर जाते थे.
वहां पर वह अन्य लोगों को जैवलिन खेल का प्रैक्टिस करते हुए देखते थे. भला फेंकते हुए लोगों को देखते-देखते उनका भी मन इस खेल के प्रति आकर्षित होने लगा और वह भाला फेंकने का प्रैक्टिस खुद से करते रहे.
2016 में पोलैंड में एक आईएएएफ वर्ल्ड यू 20 चैंपियनशिप उन्होंने हिस्सा लिया. जिसमें 86.48 मीटर दूर जैवलिन थ्रो करके गोल्ड मेडल जीत लिया.
उनके इस सफलता को देखते हुए आर्मी में राजपूताना रेजीमेंट में जूनियर कमीशंड ऑफीसर के तौर पर नायब सूबेदार के पद पर नौकरी मिल गया. उनके नौकरी मिलने का कारण उनका प्रतिभा उनके अंदर भाला फेंकने का जज्बा था.
जिससे उन्हें डायरेक्ट एक ऑफिसर के पद पर नियुक्त कर दिया गया. उनके परिवार में उनसे पहले कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं था. यह बात उन्होंने एक इंटरव्यू में भी बताया था.
नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो खेल में अपने नाम कई बेहतरीन रिकॉर्ड हासिल किए हैं. उन्होंने 2018 में जकार्ता में एशियन गेम्स में 88.06 मीटर का जैवलिन थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता था.
एशियन गेम में Neeraj Chopra से पहले भारत के एक ही ऐसे भारतीय थे जिन्होंने मेडल जीते थे.इन्होंने कई नेशनल गेम में गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल आदि हासिल किया. लेकिन 2021 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
नीरज चोपड़ा के कोच
जर्मनी के एक प्रसिद्ध जैवलिन थ्रो खिलाड़ी Uwe Hohn नीरज चोपड़ा के कोच है. इससे पहले इनके कोच गैरी कैल्वर्ट थे. गैरी कल्वर्ट का मृत्यु बीजिंग में 2018 में हो गया.
नीरज चोपड़ा ने जब नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीता उसके बाद ही Uwe Hohn के साथ ट्रेनिंग करने का मौका मिला.
Neeraj Chopra का व्यक्तित्व
नीरज चोपड़ा एक संक्षिप्त परिवार में थे और वह एक गरीब किसान के बेटे थे. शुरुआती दौर में तो वह निश्चित ही नहीं कर पा रहे थे कि किस गेम में वह अपना कैरियर बनाएं.
लेकिन धीरे-धीरे उनका झुकाव जैवलिन थ्रो गेम में हुआ. जिसमें वह भरपूर मेहनत और जुनून के साथ अपना कैरियर बनाने में लग गए. उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.
उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह ज्यादा पैसों का जैवलिन खरीद कर प्रैक्टिस करें. लेकिन फिर भी उन्होंने अपना हौसला बुलंद रखा और सस्ता वाला भाला खरीद कर ही अपना प्रैक्टिस शुरू रखा.
पूरे जुनून और बुलंद हौसले के साथ उन्होंने कोशिश किया और उनका कोशिश टोक्यो ओलंपिक में रंग लाया . टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने भारत को गोल्ड मेडल दिला कर रिकॉर्ड कायम किया.

नीरज चोपड़ा के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह एक कोच के द्वारा प्रैक्टिस करें, तो उन्होंने यूट्यूब पर जो जैवलिन थ्रो सिखाने वाले एक्सपर्ट होते थे, उनका वीडियो देखकर मैदान में जाकर अपने आप से प्रैक्टिस करते थे.
भले उनका कैरियर संघर्षपूर्ण रहा हो लेकिन आगे चलकर उन्होंने भारत के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया. Neeraj Chopra भारत के दूसरे ऐसे वह व्यक्ति हैं जिन्होंने एथलीट में गोल्ड मेडल हासिल किया है.
ऐसा कहा जाता है कि जब वह छोटे थे तो अपने परिवार के लाड प्यार की वजह से बहुत मोटे हो गए थे, जिस वजह से उनके साथ के लड़के उन्हें हमेशा चिढ़ाते रहते थे.
उनका मजाक उड़ाते थे. फिर भी उन्होंने उनके मजाक पर ध्यान नहीं देकर अपने पढ़ाई में हमेशा लगे रहते थे. वह ज्यादातर ध्यान और समय अपने पढ़ाई और खेल में ही लगाते थे.
Neeraj Chopra एक बहुत ही मेहनती परिश्रमी और जुनूनी व्यक्ति है. उन्होंने जैवलिन थ्रो गेम को अपना जुनून बनाकर अपने हौसले को बुलंद करके अपने नाम कई रिकॉर्ड कायम किए हैं. उन्होंने कई प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक पुरस्कार और मेडल जीते हैं.
नीरज चोपड़ा को मिले मेडल और पुरस्कार
गेम | वर्ष | मेडल |
एशियन जूनियर चैंपियनशिप | 2016 | सिल्वर मेडल |
साउथ एशियन गेम्स | 2016 | गोल्ड मेडल |
वर्ल्ड यू 20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप | 2016 | गोल्ड मेडल |
एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप | 2017 | गोल्ड मेडल |
कॉमनवेल्थ गेम | 2018 | गोल्ड मेडल |
एशियन गेम्स | 2018 | गोल्ड मेडल |
सर्वश्रेष्ठ | 2018 | अर्जुन अवॉर्ड |
टोक्यो ओलंपिक | 2021 | गोल्ड मेडल |
राष्ट्रपति के द्धारा | 2022 | पद्मश्री अवॉर्ड |
वर्ल्ड अथिलीट चैंपियनशिप | 2022 | रजत पदक |
फिनलैंड में कुअर्ताने गेम में | 2022 | गोल्ड मेडल |
ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज चोपड़ा को भारत के सरकार के तरफ से इनाम के तौर पर धनराशि भी मिले हैं.
- मणिपुर गवर्नमेंट की तरफ से 1 करोड़.
- क्रिकेट एसोसिएशन बीसीसीआई ने उन्हें अपने तरफ से एक करोड़ रुपये इनाम के तौर पर दिए.
- Neeraj Chopra के बेहतरीन खेल प्रदर्शन को देखते हुए भारत के नाम इतिहास रचने के लिए उन्हें रेलवे की तरफ से भी 3 करोड़ मिले.
- पंजाब गवर्नमेंट ने दो करोड़ रुपए दिए.
- ओलंपिक एसोसिएशन की ओर से एक करोड़ रुपए मिले.
- हरियाणा सरकार ने उन्हें बेहतर खेल प्रदर्शन के लिए 60000000 दिए.
- महिंद्रा के तरफ से महिंद्रा के मालिक ने एक्सयूवी 700 कार इनाम में दिए.
- इंडिगो एयरलाइंस ने भी नीरज चोपड़ा के द्वारा रचे गए इतिहास के लिए उन्हें एक 1 साल के लिए हवाई जहाज का फ्री में टिकट इनाम में दिए.
- पूरे भारत में जितने भी जैवलिन थ्रो खिलाड़ी है उसमें नीरज चोपड़ा का वर्ल्ड रैंकिंग चौथे नंबर पर है.
FAQ
नीरज चोपड़ा कौन है
भारत के एक जैवलिन थ्रो खिलाड़ी Neeraj Chopra है. जिन्होंने 2021 के टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल प्राप्त किए.
नीरज चोपड़ा कहां के रहने वाले हैं
हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के एक गांव के रहने वाले हैं.
नीरज चोपड़ा के कोच कौन है
नीरज चोपड़ा के कोच जर्मनी के प्रसिद्ध जैवलिन थ्रो खिलाड़ी Uwe Hohn है. जिन्होंने 1984 में जैवलिन थ्रो के खेल में रिकॉर्ड बनाया था जिसको आज तक किसी ने नहीं तोड़ा है.
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में कितनी दूरी पर भाला फेंकने का रिकॉर्ड बनाया.
87.58 मीटर भाला फेंक कर उन्होंने फाइनल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
सारांश
Neeraj Chopra Biography In Hindi नीरज चोपड़ा भारत के एक बहुत ही बेहतरीन जैवलिन थ्रो खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं. जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत कर भारत देश का नाम रोशन किया.
इस लेख में Neeraj Chopra की बायोग्राफी के बारे में पूरी जानकारी दी गई है. अगर नीरज चोपड़ा से संबंधित किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं.
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प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।
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