गुरुदेव के नाम से विख्यात रवींद्रनाथ ठाकुर या रवींद्रनाथ टैगोर बायोग्राफी इन हिन्दी Rabindranath Tagore biography in hindi language को हम लोग बहुत अच्छे से जानते हैं हमारे देश का राष्ट्रगान जन गण मन के रचयिता रविंद्र नाथ ठाकुर टैगोर के बारे में हम लोग इस लेख में जानकारी पाने वाले हैं
आइए नीचे जानते हैं भारत देश में बहुत ऐसे व्यक्ति हुए हैं जिनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेना चाहिए जैसे कि भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रविन्द्रनाथ टैगोर थे जो कि एक अद्भुत प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे उन्होंने अपने रचनाओं के बल पर कार्यों के बल पर भारत देश के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए उनका पूरा जीवन हर व्यक्ति के लिए एक सिख है एक प्रेरणा है
अपने साहित्य से भारत के इतिहास में अपना नाम अमर करने वाले रविंद्र नाथ टैगोर बहुराष्ट्रीय दृष्टिकोण रखने वाले एक व्यक्ति थे तो आइए हम लोग ऐसे अद्भुत प्रतिभा वाले व्यक्ति प्रेरणा स्रोत व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं. स्वामी दयानंद सरस्वती कौन थे
Rabindranath Tagore Biography in hindi
रवीना टैगोर एसे महान व्यक्ति थे जिनका परिचय किसी एक दो शब्द का मोहताज नहीं है उनके जैसे महान व्यक्ति उनके जैसे छवि वाले व्यक्ति और ऐसे प्रतिभा के धनी व्यक्ति का जन्म धरती पर बहुत ही मुश्किल से होता है जिनके जीवन से कई लोग प्रेरणा लेकर अपना जीवन सुधार लेते हैं.
रवींद्रनाथ टैगोर एक विश्व विख्यात साहित्यकार कवि दार्शनिक थे . नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय रवीन्द्र नाथ टैगोर ही थे उन्हें बहुत लोग गुरुदेव के नाम से भी पुकारते थे आज भी बहुत लोग उन्हें गुरुदेव के नाम से जानते हैं Rabindranath Tagore ऐसे कवि थे जिन्होंने दो रचनाएं की और वह 2 देशों की राष्ट्रगान बनी.
भारत का जन गण मन राष्ट्रगान है और बांग्लादेश का आमार सोनार बांग्ला राष्ट्रगान है .यह दोनों राष्ट्र गानों का रचना रविंद्र नाथ टैगोर ने किया था. रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं.
Rabindranath Tagore एक महान भारतीय कवि थे उन्होंने कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखें उनकी रचनाएं बहुत महान हुई है आज भी हम लोग उन्हें राष्ट्रगान के रचयिता के रूप में बहुत अच्छे से जानते हैं और याद भी करते हैं.
रविंद्र टैगोर का जन्म
Rabindranath Tagore का जन्म 7 मई 1861 में हुआ था वह कोलकाता के प्रसिद्ध जोडासांको ठाकुरबाडी में रहते थे वहीं पर उनका जन्म हुआ था उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ ठाकुर था
वह ब्रह्म समाज के नेता थे और उनकी माता का नाम शारदा देवी था उन्हें बचपन में रब्बी नाम से पुकारा जाता था रविंद्र नाथ टैगोर के घर में ही साहित्यिक माहौल था.
उनके पिताजी घर में संगीतकारों को रहने के लिए और अपने बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखाने के लिए बुलाते थे रवीना टैगोर के बड़े भाई बृजेंद्र नाथ एक बहुत बड़े कवि और दार्शनिक भी थे
उनके एक भाई सिविल सेवा में थे एक भाई संगीतकार और नाटककार थे उनकी बहन उपन्यासकार थी इस वजह से उनके घर में साहित्यिक माहौल था.
नाम | रविंद्र नाथ टैगोर |
बचपन का नाम | रब्बी |
असली नाम | रविंद्र नाथ ठाकुर |
जन्म | 7 मई 1861 |
जन्म स्थान | कोलकाता के प्रसिद्ध जोडासांको ठाकुरबाडी |
पिता का नाम | देवेंद्र नाथ ठाकुर |
माता का नाम | शारदा देवी |
भाई का नाम | बृजेंद्र नाथ |
पत्नि का नाम | मृणालिनी देवी |
बच्चे | दो बच्चे |
स्थापना | विश्व भारती शांतिनिकेतन विद्यालय |
कार्यक्षेत्र | प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार, लेखक, दार्शनिक,संगीतकार,समाजसुधारक |
सम्मान और पुरस्कार | नोबेल पुरस्कार, ब्रिटिश सरकार के द्वार नाइटहुड |
उपाधी | गुरुदेव |
प्रसिद्ध रचनाएं | गीतमाल्य,गीताली,कथा वह कहानी,शिशु,शिशु भोलानाथ कणिका,क्षणिका,खेया,गीतांजलि
गौरा,पोस्ट ऑफिस,द गार्डनर, लिपिका,द गोल्डन बोट |
मृत्यु | 7 अगस्त 1941 |
रवीन्द्र नाथ टैगोर का शिक्षा
Rabindranath Tagore बचपन से बहुत प्रतिभाशाली छात्र थे उन्हें चित्रकारी का भी बहुत शौक था चित्रकला का उन्होंने कोई पढ़ाई नहीं किया था लेकिन वह चित्रकला बहुत अच्छे से करते थे उनकी पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल से हुई थी बाद में उन्होंने वकालत की पढ़ाई करने के लिए लंदन गए.
लेकिन वहां उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी नहीं की बिना पूरा किए ही वह भारत लौट आए . रविंद्र नाथ टैगोर को पढ़ाई में मन नहीं लगता था उन्हें विद्यालय के कमरों को लेकर हमेशा शिकायत रहता था
क्योंकि उनके स्कूल में कोई भी बच्चे खिड़की से बाहर नहीं देख सकते थे और अगर वह अपना होमवर्क करके नहीं आते थे तो उन्हें डंडे की मार खाना पड़ता था इसी वजह से उन्होंने अपना स्कूल छोड़ दिया था उनके पिताजी का सपना था कि रविंद्र नाथ टैगोर पढ़ाई करके बैरिस्टर बन जाए.
इसीलिए उन्हें 1878 में बैरिस्टर बनने के लिए लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में एडमिशन कराया गया था लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर शेक्सपियर और अन्य कई साहित्यकारों की उपन्यास या किताब रचना पढ़ने लगे.
उनका मानना था विद्यार्थी को पढ़ने के लिए प्राकृतिक माहौल जरूरी है प्राकृतिक माहौल में पढ़ाई अच्छे से होता है उसके बाद उन्होंने घर का ज़िम्मेदारी उठा लिया उनकी माता का देहांत जब वह 14 साल के थे तभी हो गया था Rabindranath Tagore को बचपन से ही कविताएं लिखने में विशेष रूचि थी.
रविंद्र नाथ टैगोर का विवाह
जब वह लंदन से बिना बैरिस्टर का पढ़ाई किए बिना डिग्री प्राप्त किये भारत लौट आए तो 1883 में मृणालिनी देवी से उनका विवाह हो गया. शादी के बाद रविंद्र नाथ टैगोर सियालदह में उनके परिवार का जागीर था वहीं पर रहने लगे थे कुछ दिनों बाद 1898 में वह अपने पत्नी और बच्चों को भी वही अपने साथ रखने लगे वह बहुत ही घूमते थे
हमेशा भ्रमण करते थे जो भी गरीब और ग्रामीण होते थे उनके बीच में घूम घूम कर उनके रहन-सहन को करीब से देखते थे इसीलिए उन्होंने बंगाल की गरीब और ग्रामीण लोगों के ऊपर कई छोटी-छोटी कहानियां लिखी है.
रवीना टैगोर का व्यक्तित्व
बंगाल के प्रसिद्ध कवि भारत के राष्ट्रगान जन गण मन के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर थे वह एक नाटककार उपन्यासकार चित्रकार संगीतकार होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे भारत के राष्ट्रीय गीत जो कि बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम लिखा था उसका संगीत रविंद्र नाथ टैगोर ने हीं दिया था उनके कई प्रसिद्ध काव्य गीत है
उनके द्वारा किए गए कई महान कार्यों की वजह से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया गैर यूरोपीय नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति रविंद्र नाथ टैगोर थे
रविंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन जैसे विद्यालय का स्थापना किया जो कि भारत में जितने केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं उनमें एक शांतिनिकेतन को माना जाता है उनका उद्देश्य विश्व में सुधार के लिए लोगों के हित के लिए धनराशि एकत्रित करना था
इसीलिए भारत के कई जगहों पर उन्होंने अपने द्वारा रचित नाटकों पर मंचन किया था रविन्द्रनाथ टैगोर के प्रसिद्ध कविता संग्रह गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था अपने बचपन से ही घूमने का बहुत शौक था इसीलिए देश विदेश में घूम कर दर्शन संस्कृति साहित्य आदि का उन्होंने ज्ञान लिया था.
रविंद्र नाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्ति थे जो कि किसी भी कार्य करने के लिए उस पर निरंतर करते रहने पर विश्वास करते थे उनका मानना था कि जो कार्य लगातार किया जाएगा कभी भी रुकना नहीं चाहिए तभी वह कार्य सफल होता है और ऐसा कार्य करना चाहिए.
जिससे लोगों का हित हो लोगों का भला हो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में तीन बार मुलाकात किया था.राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि रविंद्र नाथ टैगोर ने ही दिया था.
रविंद्र नाथ टैगोर का साहित्यिक जीवन
वह भारत के एक प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार, लेखक, दार्शनिक आदि थे उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है रविंद्र नाथ टैगोर सियालदह जो कि अब बांग्लादेश में पड़ता है में अपने घर में ही रहते थे
वहीं पर उनकी पत्नी और बच्चे भी रहते थे बाद में वह सांतिनिकेतन चले गए. वह ऐसे कवि थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था नोबेल पुरस्कार पाने वाले वह पहले एशियाई व्यक्ति थे
वह एक देशभक्त भी थे चित्रकार भी थे उन्होंने बहुत सारी रचनाएं भी की निबंध लेखक कहानी आदि किया है उनकी बहुत रचनाएं अंग्रेजी में भी अनुवाद किया गया है .रवीन्द्र नाथ टैगोर प्रकृति के बहुत बड़े प्रेमी थे उनका मानना था कि विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए प्राकृतिक माहौल जरूरी है
उन्होंने दो राष्ट गान का रचना किया था जो 2 देशों का राष्ट्रीय गान है राष्ट्रगान आज भी भारत देश में जन गन मन और बांग्लादेश में आमार सोनार बांग्ला हर मौके पर गाया जाता है वह एक बांग्ला कवि थे.
वह टैगोर एक महान निबंधकार उपन्यासकार कहानीकार लेखा कवि संगीतकार नाटककार गीतकार आदि थे एक चित्रकार भी थे उन्होंने कला का कोई कोर्स नहीं किया था लेकिन उन्हें कला में विशेष रूचि थी गीतांजलि उनका एक प्रसिद्ध रचना है जो कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुआ है गीतांजलि के लिए ही उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था.
रविंद्र नाथ टैगोर की रचनाएं
उन्होंने बहुत महान महान रचनाएं की है कविता लिखने में उनकी बचपन से ही विशेष रूचि थी उनकी बहुत सारी रचनाएं अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ है उनकी रचनाओं में आम आदमी के बारे में लिखी रहती हैं उनकी कहानियों लेखों में सरलता अनूठापन और दिव्यता रहता है .
रविंद्र नाथ टैगोर ने लगभग 2230 गीतों का रचना किया था उनके द्वारा रचित कई रचनाएं प्रसिद्ध गीत बन गए हैं गीतांजलि एक कविता संग्रह का उन्होंने रचना किया था जिसमें 103 कविताएं हैं इसी गीतांजलि के लिए रविंद्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिला था
बाद में रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने कई रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी में भी किया है जब अंग्रेजी में अनुवाद किया उसके बाद उनकी रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हो गए.उनकी प्रसिद्ध रचनाएं
- गीतमाल्य
- गीताली
- कथा वह कहानी
- शिशु
- शिशु भोलानाथ कणिका
- क्षणिका
- खेया
- गीतांजलि
- गौरा
- पोस्ट ऑफिस
- द गार्डनर
- लिपिका
- द गोल्डन बोट आदि
सम्मान और पुरस्कार
Tagore को गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था और उन्हें नाइट हूड पुरस्कार भी मिला था लेकिन उन्होंने वह पुरस्कार बाद में वापस कर दिया 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड जब हुआ तो उन्होंने उस नरसंहार के का बहुत विरोध किया उन्होंने ब्रिटिश सरकार को नाइट हूड पुरस्कार वापस कर दिया जालियांवाला बाग हत्याकांड विश्व का सबसे बड़ा नरसंहार था .
उनकी रचना को देखकर अंग्रेजों ने 1915 ईस्वी में उन्हें सर का भी उपाधि दिया था लेकिन 1919 के जलियांवाला हत्याकांड के बाद उन्होंने यह भी उपाधि त्याग दिया.
रविंद्र टैगोर ने किस स्कूल का स्थापना किया था
23 दिसंबर 1921 में रविंद्र नाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन का स्थापना किया वहां पर वह पेड़ों के नीचे प्राकृतिक माहौल में बैठकर के बच्चों को पढ़ाया करते थे उनका मानना था कि पढ़ाई करने के लिए प्राकृतिक माहौल होना जरूरी है
तभी विद्यार्थी को पढ़ाई करने में मन लगेगा वह चाहते थे कि पहले जो ऋषि मुनि आश्रम में पेड़ के नीचे पढ़ाया करते थे जहां की आध्यात्मिक शिक्षा दिया जाता था उसी तरह उन्होंने शांतिनिकेतन में पढ़ाना शुरू किया था
कुछ दिनों तक विद्यार्थी को ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए बोलते थे यही शांतिनिकेतन वर्तमान समय में भारत में जितने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं उनमें से एक माना जाता है इसमें कई उच्च पढ़ाई होता है.एक बार जब रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी पत्नी में मृणालिनी देवी से एक स्कूल की स्थापना करने के लिए सलाह मशविरा कर रहे थे
वह अपने मन की बात उनसे बता रहे थे कि कैसे स्कूल का स्थापना किया जाए जिससे कि बच्चों का पढ़ाई अच्छे से हो सके तो उनकी पत्नी इस बात पर बहुत ही जोर जोर से हंसने लगी कि जो व्यक्ति हमेशा पढ़ाई से दूर भागता रहा कभी भी स्कूल में नहीं जाना चाहता था पढ़ाई नहीं करने के कई बहाने बनाते थे वही व्यक्ति आज विद्यालय का स्थापना करना चाहता है.
उन्होंने अपने स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए विश्व में विख्यात करने के लिए बहुत ही धन लगाया कई जगह अपने नाटकों का मंचन करके धन इकट्ठा किया यहां तक कि अपनी पत्नी के गहने तक भी उन्होंने बेच दिए जब तक वह जीवित रहे उस स्कूल के लिए कार्य करते रहें.
रवींद्रनाथ टैगोर का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
भारत जब अंग्रेजों के अधीन था उस समय ब्रिटिश सरकार का शासन था महात्मा गांधी ने कई आंदोलन किए उसमें रविंद्र नाथ टैगोर ने भी महात्मा गांधी का समर्थन किया था किसानों ने कई आंदोलन अंग्रेजो के खिलाफ किया जिसमें रविंद्र नाथ टैगोर ने उनका समर्थन किया.
उनका साथ दिया जिस तरह महात्मा गांधी हिंसा के विरोधी थे उसी तरह रविंद्र नाथ टैगोर भी अहिंसा के पुजारी थे उनका मानना था कि हिंसा नहीं करना चाहिए मानवता एक बड़ी चीज है
जिससे कि कई बड़े-बड़े युद्ध बंद हो जाते हैं 3 जून 1915 में रविंद्र नाथ टैगोर को ब्रिटिश सरकार ने नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था जब जालियांवाला बाग हत्याकांड नरसंहार हुआ उस समय उन्होंने नाइटहुड की उपाधि वापस लौटा दिया.
और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के द्वारा किए गए मासूमों पर अत्याचार लोगों का अनगिनत नरसंहार के लिए अंग्रेजों का उन्होंने विरोध किया था और उनके खिलाफ आवाज भी उठाई थी हमेशा उन्होंने राष्ट्रवाद का अपने देश भक्ति का समर्थन किया
जब स्वदेशी आंदोलन के तहत अंग्रेजो के द्वारा सरकारी नौकरी या कोई भी चीज जो विदेशी था उसका बहिष्कार किया जा रहा था उस समय रविंद्र नाथ टैगोर ने समर्थन नहीं किया क्योंकि वह कहते थे कि हम हर चीज का बहिष्कार नहीं कर सकते हैं
कुछ बातें अंग्रेजों से भी सीखना चाहिए जैसे कि विज्ञान शिक्षा इस चीज का भारत में कमी है इसी जगह पर महात्मा गांधी और रविंद्र नाथ टैगोर के विचार नहीं मिलते थे.
रविंद्र टैगोर का मृत्यु
Rabindranath शांतिनिकेतन में रहते थे वहां पर उन्होंने एक आश्रम बना लिया था और वहां बहुत सारे बहुत सारे पेड़ लगाकर वहां बगीचा जैसा बना दिया और वहीं पर उन्होंने एक स्कूल पुस्तकालय और पूजा स्थल का निर्माण किया था.
रविंद्र नाथ टैगोर का मृत्यु 7 अगस्त 1941 को राखी के दिन ही हुआ था उनके मृत्यु के बाद उनका जगह कोई नहीं ले सकता वह एक महान कवि साहित्यकार कहानीकार लेखक निबंधकार आदि थे. भारत का राष्ट्रीय गीत जन गण मन का रचना भी उन्होंने ही किया था उनके जाने के बाद उनकी कमी हमेशा रहेगी.
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सारांश
Rabindranath Tagore biography in hindi रविंद्र नाथ टैगोर हमेशा मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचा रखते थे महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित रहते थे महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करते थे लेकिन उनके विचार उनका दृष्टिकोण तर्कसंगत भी था हर किसी भी बात पर वह बहुत तर्क करते थे
रवींद्रनाथ टैगोर गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध है इस लेख में भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जैसे कि उनका जन्म कहां हुआ उनकी उन्होंने शिक्षा कहां से प्राप्त की
उनका विवाह किससे हुआ उन्होंने कौन से विश्वविद्यालय का स्थापना किया रविंद्र नाथ टैगोर को कौन सा सम्मान मिला था उनकी रचनाएं कौन-कौन सी है उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सहयोग कैसे दिया था रविंद्र नाथ टैगोर का मृत्यु कब हुआ आदि
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प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।