रहीम दास का जीवन परिचय, व्‍यक्तित्‍व एवं रचनाएं

रहीम दास के नाम से प्रचलित होने वाले अब्दुल रहीम खानखाना रहीम दास बायोग्राफी इन हिंदी Rahim Das Biography in hindi हमाारे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि रहीम दास के दोहे हम अक्सर सुना करते हैं. हम अपने निजी जीवन में  उन दोहों का प्रयोग भी करते हैं.

रहीम जो भी दोहे लिखते थे उसमें एक सीख मिलता है रहीम के दोहे हर किसी के जीवन में कुछ सिखाने के लिए कुछ बताने के लिए जीवन का मतलब क्या होता है के बारे में होता है उनके दोहों से किस व्यक्ति का क्या स्थान होना चाहिए किसी के प्रति आदर सम्मान का भावना कैसे रखना चाहिए यह सारी बातें सीखने को मिलती है.

इस लेख में रहीम दास के जीवन के बारे में जानेेेेगें, रहीम का जन्‍म कब और कहां हुआ उनके माता पिता कौन थे रहीम की रचनाएं कौन कौन हैं उनकी भाषा शैली क्‍या थी आदि के बारे में आइये जानते हैं.

Rahim Das Biography in hindi 

रहीम  का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना था लेकिन उन्होंने दोहे Rahim Das के नाम से लिखे हैं रहीम मुगल बादशाह अकबर के दरबार में नौ रत्नों में से एक थे

रहीम ने  भारतीय हिंदी साहित्य में बहुत दोहे लिखे जो काफी मशहूर भी हुआ  है और आज भी बहुत मशहूर हैं उनके दोहेे अक्सर हम लोग बोलते रहते हैं. उन्‍होंने कई किताबें भी लिखी हैं.रहीम जन्‍म से मुस्लिम थे लेकिन वह कृष्ण भक्त थे

उनकी गिनती महान कवि सूरदास और तुलसीदास के साथ किया जाता है  रहीम ने अनगिनत दोहे लिखे और उन दोहों को हम लोग आज भी हर क्लास के पाठ्य पुस्तक में पढ़ते हैं और उन दोहों की लोकप्रियता आज भी वैसे ही बनी है जैसे कि  रहीम के समय बनी हुई थी.

Rahim Das Biography in hindi

भारतीय हिंदी साहित्य जगत के मध्यकालीन कवि रहीम एक बहुत ही महान और प्रसिद्ध कवि थे एक कवि होने के साथ-साथ वह एक कुशल सेनापति आश्रय दाता बहुभाषाविद दानवीर कूटनीतिज्ञ विद्वान और कला के प्रेमी थे

रहीम जो भी दोहे कविताएं लिखते थे उनमें वह भारत के सामाजिक संस्कृति उन लोगों के जो भी आराध्य भगवान हैं हर संप्रदाय हर जाति के प्रति आधार का भावना रखकर सत्य निष्ठा के साथ रचना करते थे

Rahim Das ज्योतिष भी थे कई सारी किताबें रहीम दास की लिखी हुई हैं जो कि आज बहुत ही प्रसिद्ध है भक्ति काल में जितने भी कवि हुए हैं उनमें एक महत्वपूर्ण स्थान रहीम का भी है

अकबर के दरबार में वह कई पदों पर कार्य करते थे कई भाषाओं का रहीम दास को ज्ञान था कवि लेखक होने के साथ-साथ एक बहुत ही बड़े योद्धा भी थे लोगों को दान देना लोगों की सहायता करना रहीम दास का एक स्वभाव था इसलिए उन्हें दानवीर भी कहा जाता है उनकी स्मरण शक्ति बहुत तेज थी.

रहीम दास ने जो भी रचनाएं की हैं जो भी दोहे लिखे हैं हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं हिंदू धर्म के धार्मिक पर्व और मान्यताओं धार्मिक परंपराओं आदि का उल्लेख अपने दोहों में किया है रामायण महाभारत पुराण कथा गीता जैसे ग्रंथ का उदाहरण देकर के उन्होंने अपने दोहे लिखा है.

रहीम दास का जन्म

पूरा नामअब्दुल रहीम खान- ए-खाना
जन्‍म17 दिसंबर 1556
माता का नामसुल्‍ताना बेगम
पिता का नामबैरम खां
पालन पोषणमुगल बादशाह अकबर
पत्नि का नाममाहबानों
पुत्र का नाम 
रहीम के गुरूमूल्ला मोहम्मद अमीन
रचनाएंरहीम दोहावली,नायिका भेद बैरवे,मदनाष्टक,रास पंचाध्यायी,नगर शोभा
भाषा शैलीअवधी, और ब्रज
मृत्‍यु1627

Rahim Das जी का जन्म 17 दिसंबर 1556 में हुआ था इनका जन्म लाहौर में हुआ था रहीम दास के पिता का नाम बैरम खां था बैरम खां अकबर के संरक्षक थे उनकी माता का नाम सुल्ताना बेगम था हुमायूं की मृत्यु के बाद अकबर का और मुगल सल्तनत का देखरेख करने वाला बैरम खान ही था बैरम था अकबर के साथ ही रहता था.

बैरम खान सम्राट अकबर के पिता हुमायूं के साढ़ू थे और हुमायूं के बहुत ही अच्छे मित्र भी थे बैरम खान हरियाणा के मेवाती राजपूत की पुत्री सुल्ताना बेगम से शादी हुई थी

1561 में किसी लड़ाई में बैरम खान की हत्या हो गई जिसके बाद बैरम खां के पुत्र रहीम का पालन पोषण Rahim Das का देखरेख करने का जिम्मेदारी अकबर के ऊपर आ गया क्योंकि अकबर के बैरम खां संरक्षक थे

उनका पालन पोषण बैरम खां ने ही किया था इसलिए अकबर ने रहीम को अपना धर्म पुत्र बना करके अपने दरबार में रख लिया और रहीम को मिर्जा खान का खिताब मिला.

अकबर ने बैरम खां के बेगम सुल्ताना बेगम से निकाह कर लिया और Rahim Das के साथ उसकी माता सुल्ताना बेगम अकबर के दरबार में ही रहने लगे और वहीं पर रहीम का शिक्षा दीक्षा एक शहजादे की तरह होने लगा.

बैरम खां  की  किसी लड़ाई में हत्या हो गई उसके बाद उसकी पत्नी अपनेे बेटे को लेकर अकबर के दरबार में आ गई और अकबर को  देखरेख करने के लिए दे दिया अकबर भी रहीम को अपने पुत्र की तरह मानता था और जब रहीम दास बडे हुए तो अकबर ने उन्हें मिर्जा खान नाम दिया और अपने दरबार में भी उन्हें जगह दिया.

रहीम की शिक्षा दीक्षा

जब Rahim Das और सुल्ताना बेगम बैरम खां के मृत्यु के बाद अकबर के दरबार में आए तो अकबर ने सुल्ताना बेगम से विवाह करके रहीम को अपना धर्मपुत्र बना लिया और अकबर के दरबार में ही रहीम की शिक्षा दीक्षा एक शहजादे की तरह होने लगी.

अब्दुल रहीम खान- ए- खाना  को कई भाषाओं का ज्ञान था तुर्की अरबी फारसी हिंदी संस्कृत छंद रचना फारसी व्याकरण आदि.

मुगल सम्राट अकबर रहीम को बहुत मानते थे उनसे बहुत प्रभावित थे इसलिए ज्यादा समय रहीम का अकबर के साथ ही व्यथित होता था रहीम की शिक्षा दीक्षा के लिए मूल्ला मोहम्मद अमीन को दरबार में रखा गया.

और उन्हीं से कविता कैसे लिखा जाता है छंद की रचना कैसे किया जाता है गणित शास्त्र आदि का शिक्षा Rahim Das को मिलने लगा रहीम को राज्य का कैसे संचालन किया जाता है

किसी भी व्यक्ति का सहयोग करना किसी गरीब को दान देना वीरतापूर्ण कोई भी कार्य करना यह अपने पिता और माता से संस्कार में मिला था अकबर के कहने पर रहीम ने अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया था

वैसे तो अकबर के दरबार में कई संस्कृत के विद्वान थे लेकिन रहीम को आगे बढ़ाने में Rahim Das का विकास करने में उन्हें काव्य रचना करने के लिए ज्ञान प्राप्त करवाना अकबर का ही मेहनत और सूझबूझ का फल था रहीम के लगन योग्यता कार्य कुशलता को देखकर अकबर बहुत खुश होता था रहीम से बहुत प्रभावित होते थे.

रहीम दास का विवाह

Rahim das के ने जब  शिक्षा प्राप्त कर ली उसके बाद मुगल सम्राट अकबर ने रहीम दास का विवाह मिर्जा अजीज कोका की बहन माहबानों से करा दिया रहीम दास को माहबानों से दो बेटियां और दो बेटे हैं उनके बेटों का नाम इरीज  और दाराब था

Rahim Das का दूसरा विवाह सौदा जाति के लड़की से हुआ था दूसरी पत्नी से एक बेटा हुआ जिसका नाम रहमान दाद था रहीम दास का तीसरा विवाह एक दासी से हुआ उससे भी एक पुत्र पैदा हुुुआ था जिसका नाम मिर्जा अमर उल्लाह था.

जब Rahim Das का निकाह हो गया तो उसके बाद अकबर ने रहीम को राजकाज में भी लगा दिया. गुजरात उदयपुर कुंभलनेर आदि राज्यों के युद्ध में रहीम जाने लगे वहां पर उन्होंने विजय प्राप्त किया इससे अकबर खुश हो कर के बहुत ही बड़ा और उच्‍च उपाधि मीरअर्ज से रहीम को सम्मानित किया.

और 1584 में रहीम को खान- ए-खाना की उपाधि से अकबर ने सम्मानित किया जिसके बाद उनका नाम अब्दुल रहीम खान- ए -खाना हो गया.

 रहीम दास का व्यक्तित्व

अब्दुल रहीम खानखाना एक कृष्ण भक्त कवि थे Rahim Das को अकबर ने अपने दरबार में नवरात्रों में शामिल किया था और उन्हें बहुत सारी जमीन जायदाद भी  भेंट किया था Rahim Das बहुत ही दयालु इंसान थे

जब उन्हें करोड़ों का जमीन जायदाद और पैसा मिला तो गरीब लोगों की सहायता करने के लिए उन्हें गरीबों में बांटने लगे इस वजह से अकबर को रहीम से ईर्ष्या होने लगा कि उससे भी ज्यादा दयालु कोई उस के दरबार में है रहीम दास दानवीर के रूप में जाने जाते थे.

मुगल सम्राट अकबर एक ऐसे मुस्लिम शासक थे जिनके दरबार में कई हिंदू दरबारी भी थे और उनके नवरात्रों में से कई हिंदू भी थे इसलिए अकबर के दरबार में हिंदू धर्म के सभी भगवान देवी देवता का सम्मान किया जाता था

रहीम एक खुद कृष्ण भक्त कवि थे Rahim Das ने अक्सर ज्यादातर भगवान कृष्ण के बारे में दोहे लिखे हैं अकबर के दरबार में कई हिंदू होने की वजह से या देवी देवताओं के आदर सम्मान होने की वजह से रहीम की कृष्ण भक्ति का भी कोई विरोध नहीं करता था

रहीम ने हिंदी साहित्य में भक्ति काल के कवियों में एक महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं उन्होंने कृष्ण भक्ति में हिंदू धर्म के लिए कविताएं लिखने लगे दोहे लिखने लगे इसलिए उनका नाम रहीम दास भी पड़ गया

उनकी तुलना भक्ति काल के महान कवि तुलसीदास सूरदास आदि कवियों के साथ होने लगा था Rahim Das कविताएं लिखने के साथ-साथ अकबर के राज दरबार में भी कई पदों पर कार्य करते थे और उसमें अपना योगदान भी बहुत अच्छे से देते थे

अक्सर हम लोग जब Rahim Das के दोहे पढ़ते हैं तो दोहों में रहिमन नाम जरूर आता है वह अपनी कविताओं में रहीम का नाम का इस्तेमाल नहीं करते थे रहिमन नाम से ही अधिक कविताएं लिखते थे रहीम के दोहे में रहीम के रचनाओं में श्रृंगार रस भक्ति रस प्रेम नीति आदि का वर्णन मिलता है.

रहीम दास के रचनाएं

Rahim Das के दोहे अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में रचित है उनकी रचनाएं कविताएं रामायण महाभारत पुराण गीता जैसे ग्रंथों की भाषा के जैसे मिलती है एक बार एक युद्ध के समय महाराणा प्रताप ने अकबर के दरबार के महिलाओं को सुरक्षित उनके घर छोड़ दिया.

इस बात का रहीम दास के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और वह इस घटना के बाद एकदम बदल गए जन्म से तो एक मुस्लिम थे.

लेकिन इस घटना के बाद वह कर्म से भगवान कृष्ण के भक्त बन गए और उन्होंने अपनी जितनी भी रचनाएं की भगवान कृष्ण को ही समर्पित कर दिया था  Rahim Das एक शिक्षक थे. उन्हें तुर्की अरबी फारसी इन सभी भाषाओं का ज्ञान था रहीम दास के कविताओं में छंद  भी भरपूर दिखाई देता है.

Rahim Das स ने कई भाषाओं में रचना की है क्योंकि उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था एक मुस्लिम धर्म के होते हुए भी उन्होंने हिंदी काव्य जगत में अपनी महत्वपूर्ण स्थान बनाई थी संस्कृत में तुर्की भाषा में कई रचनाएं की है. बाबर की आत्मकथा जोकि तुर्की भाषा में लिखा गया था उसे रहीम ने  फारसी में तुजके बावरी नाम से अनुवाद किया था.

प्रमुख रचनाएं 

  • रहीम दोहावली
  • नायिका भेद
  • मदनाष्टक
  • बरवै
  • रास पंचाध्यायी
  • नगर शोभा
  • फुटकर भैरवे
  • फुटकर कवितव
  • श्रृंगार
  • फुटकर छंद तथा पद
  • सोरठा
  • रहिमन विनोद
  • रहीम कवितावली
  • रहीम विलास
  • रहिमन शतक
  • रहिमन चंद्रिका
  • रहीम सत्साई
  • श्रृंगार सतसई
  • रहीम रत्नावली

रहीम दास की भाषा शैली

जब भी हम लोग किसी लेखक कवि की रचनाएं पढ़ते हैं तो उसमें जो भी शब्द वाक्य प्रयोग होते हैं उनका एक भाषा शैली होता है हर कवि और लेखक का अपना भाषा होता है अपना दोहा लिखने का तरीका होता है

उसी तरह रहीम दास का भी एक अलग भाषा शैली था उनकी रचनाओं में ब्रज खड़ी बोली पूर्वी अवधि आदि भाषाओं का मुख्य रूप से प्रयोग मिलता है Rahim Das की जो रहीम दोहावली नाम की रचना है

उसमें उनका भाषा ब्रजभाषा है रहीम दास के कविताओं में भाषा स्वाभाविक एवं सरल होती थी अरबी संस्कृत आदि भाषाओं के भी ज्ञान Rahim Das को था फिर भी उन्होंने ब्रजभाषा अवधी भाषा में ही अपनी रचनाएं की है

उनकी कविताएं ऐसी होती है जो कि कोई व्यक्ति एक बार पढ़ ले तो उसके हृदय में उसके मन मस्तिष्क में एक विशेष स्थान हो जाता है रहीम दास के कविताओं में भाव प्रवणता सरलता नीति विषयक आदि होते हैं

Rahim Das ने अपने काव्‍यों में अपनी रचनाओं में धरती पर जितने भी मनुष्य हैं मानव जाती है उनके शरीर में जो एक अलग सहनशक्ति होती है किसी भी चीज को सहने की शक्ति होती है उसके बारे में उन्होंने वर्णन किया है

उन्होंने मानव के शरीर की सहने की शक्ति का तुलना धरती से किया है जिस तरह धरती माता सर्दी गर्मी वर्षा आदि सभी हमेशा सहती रहती है लोग अपना घर बनाते हैं जमीन खोदते हैं

पानी निकालने के लिए यह सारी तकलीफ धरती माता हमेशा सोहती रहती है उसी का वर्णन Rahim Das ने अपने दोहों में किया है कि मानव यानी मनुष्य का शरीर भी हर प्रकार के सुख दुख को सहने के काबिल होता है रहीम के दोहे का अर्थ बहुत ही सही और सटीक निकालता है

उनके दोहों में भक्ति प्रेम के साथ-साथ श्रृंगार कृष्ण की महिमा का एक अनोखा वर्णन मिलता है. रहीम दास के दोहे हर परिस्थिति में हर विषय से मिलता जुलता है उनके कवितायों में सादगी प्रेम मित्रता भाग्य महानता स्वार्थ चिंता हर विषय का झलक मिलता है

रहीम दास की मृत्यु 

वह अकबर के नवरत्नों में से एक थे अकबर उन्हें अपने पुत्र की तरह मानता था लेकिन अकबर के बाद जब जहांगीर बादशाह बनने वाले थे तब उनके और दरबारियों के तरह अब्दुल रहीम खानखाना भी जहांगीर को बादशाह बनााने के पक्ष में नहीं था

इन्हीं सब बातों के चलते जब अकबर की मृत्यु हो गई और जहांगीर बादशाह बन गए तब जहांगीर ने Rahim Das के दोनों बेटों को मरवा दिया और इसके बाद 1627 में अब्दुल रहीम की भी मौत हो गई

अब्दुल रहीम खान- ए- खाना  ने अपनी बेगम की याद में एक मकबरा बनवाया था जिसका नाम खान-ए-खाना  था जब रहीम का मृत्यु हुआ तो उन्हें इसी मकाबरे में दफनाया गया था.अब्दुल रहीम की मकबरा बनवाया गया जो कि दिल्ली में आज भी स्थित है.

Rahim Das ke dohe

  • रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय
  • सुनि  इठलैहै लोग सब बांटी ना लेहे कोय

इसका मतलब है कि अपने दुख को मन के भीतर ही छिपा कर रखना चाहिए किसी और को अपना दुख सुनाने से कोई बांटने वाला नहीं है वह सुनकर और  खुश होगा

  • रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
  • टूटे तो फिर ना छूटे जुटे गांठ पड़ जाए

इस दोहा का अर्थ है की प्रेम का रिश्ता बहुत नाजुक होता है जिस तरह धागा टूट जाने के बाद जुड़ने के बाद उसमें गांठ पड़ जाता है उसी तरह प्रेम का रिश्ता भी अगर एक बार टूट जाता है तो दोबारा जोड़ने के बाद पहले जैसी मिठास नहीं रह जाती हैं

रिश्ते में दरार पड़ जाती है. इस तरह उनकी बहुत सारे दोहे हैं जो कि ज्ञानवर्धक है और हम लोग अपने निजी जीवन में भी उसे हमेशा बोलते रहते हैं प्रयोग करते रहते हैं.

एकै साधे सब सधे सब साधे सब जाए

रहिमन मूलहि सींचिबो फूलै फलै अगाय।।

रहिमन गली है सांकरी ना ठहराहिं

आपु अहै तो हरि नहीं हरि तो आपुन नाहिं।।

बड़े बड़ाई ना करें बड़े न बोले बोल

रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरो मोल।।

समय पाय फल होत है समय पाय झरि जाए

सदा रहे नहिं एक सी का रहीम पछताए।।

सीता रतन तम हरत नित भुवन भरत नहिं चूक

रहिमन तेहि रबि को कहा जो घटि लखै उलूक।।

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून

पानी गए न ऊबरै मोती मानुष चून।।

चित्रकूट में रमि रहे रहिमन अवध नरेश

जा पर विपदा पड़त है सो आवत यह देश।।

बिगरी बात बनै नहीं लाख करौ किन कोय

रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय।।

रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिए डारि

जहां काम आवे सुई कहा करे तलवारि।।

इसे भी पढ़ें

सारांश 

इस लेख में प्रसिद्ध कवि अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जिसे Rahim Das के नाम से जाना जाता है एक कृष्ण भक्त कवि के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जिसमें रहीम का जन्म कहां हुआ रहीम का पालन पोषण किसने किया उनकी शिक्षा-दीक्षा किसने दी रहीम का विवाह किससे हुआ रहीम के माता पिता कौन थे

Rahim Das का व्यक्तित्व कैसा था रहीम दास बायोग्राफी इन हिंदी Rahim Das Biography in hindi उन्होंने कौन-कौन सी रचनाएं की उनकी रचनाओं में कौन सी भाषा शैली प्रसिद्ध थी. फिर भी अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल आपके मन में है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें

Leave a Comment