ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय थे Raja Ram Mohan roy biography in hindi जिन्होंने सती प्रथा को जड़ से खत्म कर दिया हम लोग इस लेख में Raja ram mohan roy के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी पाने वाले हैं जिस समय समाज में सती प्रथा जैसा हानिकारक परंपरा था
जिससे कि कई महिलाओं को कम उम्र में अपने अपने पति की मृत्यु के साथ ही सती हो जाना पड़ता था उस समय एक महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय का जन्म हुआ जिन्होंने भारत से सती प्रथा खत्म किया उन्होंने समाज में जितने भी अंधविश्वास कुरीतियां कुप्रथा आदि था उसको दूर करने के लिए उसका विरोध किया.
इसी वजह से उनके घर वालों ने भी उन्हें घर से बहिष्कृत कर दिया. तो आइए इस लेख में एक महान समाज सुधारक राजाराम मोहन राय की जीवनी के बारे में उनका जन्म कहां हुआ उनकी शिक्षा कहां से प्राप्त हुई उनका विवाह किससे हुआ राजा राममोहन राय ने कौन कौन से समाज सुधारक कार्य किए उन्हें कौन-कौन से सम्मान में दिए गए राजा राममोहन राय की मृत्यु कब और कैसे हुआ.
Raja Ram Mohan roy biography in hindi
राजा राममोहन राय एक समाज सुधारक और ब्रह्म समाज के संस्थापक थे राजा राममोहन राय को आधुनिक भारतीय समाज का जन्मदाता भी कहा जाता है हमारे देश में उस समय सती प्रथा बहुत प्रचलित थे सती प्रथा को जड़ से खत्म करने वाले राजा राममोहन राय थे.
राजा राममोहन राय उस समय के समाज में चल रहे कुरीतियों अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के खिलाफ लड़ने वाले एक समाज सुधारक थे वह इन सब कुरीतियों को दूर करके अपने भारत को आधुनिक बनाना चाहते थे बंगाल में उन्हें नवजागरण यूग के पितामह भी कहा गया है.

राजा राममोहन राय ने भारत के जनता की सेवा करने के लिए आत्मीय सभा की 1815 मैं स्थापना किया था उन्होंने 1816 में हिंदुत्व को पहली बार अंग्रेजी भाषा में Hinduism शब्द का प्रयोग किया उन्होंने 1820 में प्रिसेप्ट ऑफ जीसस नाम का ईसाई धर्म पर किताब भी लिखा था.
भारत में सबसे पहली बार फारसी अखबार का शुरुआत राजा राममोहन राय ने ही किया था. मीरात उल अखबार नाम का सप्ताहिक पत्रिका फारसी भाषा में उन्होंने शुरू किया था.
कई सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन राजा राममोहन राय ने किए हैं इसीलिए उन्हें आधुनिक भारत का जनक भी कहा गया है.
राजा राममोहन राय का जन्म
सती प्रथा को खत्म करने वाले और ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को हुआ था.राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुआ था राजा राममोहन राय आधुनिक भारतीय समाज के जन्मदाता भी कहे जाते हैं राजा राममोहन राय बंगाल के एक गांव में ब्राम्हण परिवार में जन्म लिए थे
उनके पिता का नाम राय रमाकांत था और उनकी माता का नाम तारिणी देवी था उनके खानदान में राय की उपाधि नवाबी राज्य से मिली थी राजा राममोहन राय की माता बहुत बुद्धिमान सुशील और धार्मिक स्त्री थी.
राजा राममोहन राय एक साधु सन्यासी बनना चाहते थे लेकिन उनकी माता ने उन्हें इस कार्य से रोक लिया सबसे पहली बार उन्होंने सती प्रथा को रोकने के लिए अपने घर से ही आवाज उठाना शुरू किया जब उनके भाई की मृत्यु हुई और उनकी भाभी को सती होने के लिए बात ही किया जा रहा था तब उन्होंने उसका विरोध किया और तभी से यह प्रण ले लिया कि सती प्रथा जैसे सामाजिक प्रथा को वह हमेशा के लिए खत्म कर देंगे.
नाम | राजा राममोहन राय |
असली नाम | राममोहन राय |
जन्म | 22 मई 1772 |
जन्म स्थान | बंगाल के मुर्शिदाबाद |
पिता का नाम | राय रमाकांत |
माता का नाम | तारिणी देवी |
विवाह | तीन बार |
संस्थापक | ब्रह्मसमाज |
उपाधी | आधुनिक भारत का जनक, नवजागरण यूग के पितामह |
कार्यक्षेत्र | समाज सुधारक |
समाज सुधारक कार्य | सती प्रथा खत्म किये,बाल विवाह का विरोध,विधवा पुनर्विवाह का समर्थन, जाति प्रथा का विरोध, मूर्ति पूजा का विरोध,स्त्री शिक्षा का प्रचार प्रसार आदि |
सम्मान और पुरस्कार | मुगल सम्राट अकबर द्वितीय के द्वारा 1931 में राजा नाम का उपाधि |
मृत्यु | 27 सितंबर 1835 |
राजा राममोहन राय का शिक्षा
राजा राममोहन राय को अरबी फारसी संस्कृत का ज्ञान था वह बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे उनका दिमाग बहुत तेज था उनकी माता एक धार्मिक स्त्री थी इसलिए वह भी धर्म में श्रद्धा रखते थे
जब वह पाठशाला जाते थे तो उनका और बच्चों से बहुत तेज दिमाग था फारसी भाषा का शिक्षा उनको अपने पिता से मिला था जब वह 9 वर्ष के थे तब उन्हें पटना भेज दिया गया था पटना रहकर उन्होंने फारसी के कवियों के साथ बहुत अध्ययन किया .
जब वह 12 13 वर्ष के हुए तब उन्हें बनारस संस्कृत पढ़ाई करने के लिए भेजा गया उन्होंने वहां पर संस्कृत के बहुत अच्छे से अध्ययन किया फिर वहां से घर आ गए वह घर पर धर्म के बारे में पूजा पाठ के बारे में देखते उसके बारे में अपने पिता से तर्क करते हैं यह सब देख कर उनके पिता को बहुत दुख होता था
उन्होंने हिंदू धर्म के खिलाफ एक किताब लिखी जिसका नाम था हिंदू की पौधलिक धर्म प्रणाली यह सब देख कर उनके पिता बहुत क्रोधित हो गए और उन्हें घर से निकाल दिया उसके बाद राजा राममोहन राय भारत भ्रमण करने लगे और जहां जाते हैं वहीं का भाषा सीख लेते थे.
राजा राममोहन राय का विवाह
राजा राममोहन राय का विवाह 9 वर्ष की आयु में हुआ था लेकिन उनकी पत्नी ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सके और किसी बीमारी कारण उनका मृत्यु हो गया.
फिर उनका दूसरा विवाह 10 वर्ष की आयु में हुआ उनकी दूसरी पत्नी भी किसी बीमारी की वजह से स्वर्ग सिधार गइ फिर उन्होंने तीसरी शादी भी की लेकिन उनकी तीसरी पत्नी भी ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकी.
राजा राममोहन राय का व्यक्तित्व
राममोहन राय का व्यक्तित्व समाज में सुधार लाने वाला था वह जब भी समाज में महिलाओं को प्रताड़ित होते हुए महिलाओं को परेशान होते हुए देखते थे तो बहुत ही परेशान हो जाते थे इसीलिए उन्होंने समाज में सुधार करने के लिए संकल्प लिया सती प्रथा समाप्त किया जिसमें उन्होंने ब्रिटिश लॉर्ड विलियम बेंटिक से मिलकर इस प्रथा को खत्म करने का शासनादेश जारी करवाया
उनका मानना था कि महिलाओं को अगर शिक्षित किया जाएगा तो समाज में सुधार होगा उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए कई विद्यालय स्थापित करवाए जिसमें उनका साथ केशव चंद्र सेन ईश्वर चंद्र विद्यासागर आदि ने दिया था इन्हीं लोगों के प्रयासों के फलस्वरूप एंग्लो वैदिक स्कूल महाविद्यालय का स्थापना हुआ.
जिसे डीएवी के नाम से जाना जाता है राजा राममोहन राय हिंदू धर्म समाज के कई कुरीतियों कुप्रथाओं का विरोध किया इसीलिए उन्होंने 1828 में ब्रह्म समाज का स्थापना किया उनका परिवार शुरू से ही धार्मिक था पूजा पाठ करने वाला था
लेकिन राजा राममोहन राय मूर्ति पूजा के विरोध थे राजा राममोहन राय एक विचारक एक प्रवर्तक और साथ ही कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे उन्होंने देश में बेस्ट वेस्टर्न मेडिसिन विज्ञान इंग्लिश और टेक्नोलॉजी को भारत में पढ़ाए जाने के लिए विस्तार करने के लिए अपना पक्ष रखा था.
सती प्रथा के साथ ही उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया विधवा पुनर्विवाह का प्रचार प्रसार किया और जो भी धार्मिक अंधविश्वास होते हैं कुप्रथा कुरीतियां है उसका उन्होंने विरोध किया हिंदू धर्म में हिंदू परंपरा में दखल देते हुए महिला और समाज के हित के लिए कई सामाजिक कार्य किए
समाज सुधारक कार्य
राजा राममोहन राय ने बहुत सारे कुरीतियों के खिलाफ सामाजिक अभियान चलाया उन्होंने ब्रह्म समाज का स्थापना किया बहुत सामाजिक सुधार कार्य किया.
उन्होंने कई कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाया इस वजह से उनके परिवार में भी विद्रोह हो गया था राजा राममोहन राय ने सती प्रथा बहु विवाह अंधविश्वास और महिलाओं के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ भी आवाज उठाई थी.
1. सती प्रथा को जड़ से खत्म किया
उन्होंने सती प्रथा को जड़ से खत्म किया था उस समय बंगाल में सती प्रथा बहुत जोरों से चल रही थी राजा राममोहन राय देखते थे कि जब किसी स्त्री का पति मर जाता था तो लोग उसे उसे जबरजस्ती पति के साथ उसी चीता में जल कर मर जाने के लिए विवश करते हैं.
उन्होंने वहां देखा कि धर्म के नाम पर कई कुरीतियों और रिवाजों को चलाया जा रहा है और लोगों को भटका कर रीति-रिवाजों के बोझ तले दबाया जा रहा था .
इस कुप्रथा से राजा राममोहन राय बहुत दुखी रहते थे उन्होंने उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी में भी इस प्रथा के प्रति अपने विचार बताया था उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने उनके विचारों पर सहानुभूति व्यक्त किया था और इस कुप्रथा को खत्म करने में राजा राममोहन राय का सहयोग भी किया था.
1829 में लॉर्ड विलियम बैटिंग बैंक ने एक अधिनियम पास किया और इसे इस प्रथा को दंडनीय अपराध घोषित किया सती प्रथा खत्म होने की वजह से महिलाओं को अपने जीवन जीने का अधिकार मिल गया .
2. जाति प्रथा का विरोध
भारत के समाज में जाति प्रथा सबसे बड़ा समस्या था उन्होंने जातिवाद का विरोध किया उनका राजा राममोहन राय का मानना था कि सभी धर्म के लोग समाज में हर कोई परम पिता परमेश्वर का संतान है इसलिए समाज में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए.
हर किसी को समाज में रहने के लिए एक समान हक मिलना चाहिए जातिवाद का विरोध करने की वजह से राजा राममोहन राय खिलाफ स्वर्ण समाज हो गए थे.
3. विधवा विवाह का समर्थन
महिलाओं के विकास के लिए महिलाओं को समाज में स्वतंत्रता से जीने के लिए राजा राममोहन राय ने कई समाज सुधारक कार्य किए उन्होंने सती प्रथा खत्म कर किया उसके साथ ही विधवा विवाह का उन्होंने प्रचार किया उनका मानना था कि समाज में महिलाओं को अपने विचारों के अनुसार स्वतंत्रता से जीने का हक देना चाहिए.
वह विधवा पुनर्विवाह के लिए ब्रिटिश सरकार में कानून बनाने के लिए भी सिफारिश करते थे महिलाओं की शिक्षा के लिए उनके स्वतंत्रता के लिए महिलाओं की रक्षा के लिए उन्होंने समाज सुधारक कार्य किया.
4. मूर्ति पूजा का विरोध
राममोहन राय ने भारत में मूर्ति पूजा करने के विरोध में आवाज उठाई उनका मानना था कि भगवान सिर्फ एक है वह कहते थे कि मैंने दुनिया में कई जगह भ्रमण किया है हर जगह के लोग यही कहते हैं कि एक ही भगवान है जो कि पूरे विश्व को चलाते हैं इसलिए मूर्ति पूजा करना जरूरी नहीं है उनके मूर्ति पूजा के विरोध करने की वजह से परिवार वाले उनके खिलाफ थे.
राजा राममोहन राय के कार्य
Raja ram mohan roy ने फारसी में मीरात उल नामक अखबार भी चलाया था उनका कहना था कि सच्चाई को कभी दबाया नहीं जा सकता है राजा राममोहन राय का मानना था की हिंदी के साथ अंग्रेजी गणित भूगोल लैटिन भाषा का भी अध्ययन करना चाहिए.
और इसके लिए एक कालेज की स्थापना भी होनी चाहिए बंगाल में उन्होंने अंग्रेजी कॉलेज खोलने के विचार प्रकट किया और 1 साल के अंदर ही उन्होंने अंग्रेजी कॉलेज का स्थापना कर दिया .
उन्होंने कहा कि बेहतर रोजगार पाने के लिए हिंदी के साथ अंग्रेजी गणित और विज्ञान भाषा का भी अध्ययन करना चाहिए उन्होंने 1817 में हिंदू कॉलेज की स्थापना की राजा राममोहन राय मूर्ति पूजा का खंडन करते थे इस वजह से उनके परिवार में भी मतभेद हो गया था उनके पिता गुस्सा कर उन्हें घर से बाहर भी निकाल दिया था.

राजा राममोहन राय का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
समाज में कई तरह के प्रथा को खत्म करने और सती प्रथा खत्म करने का श्रेय राजा राम मोहन राय को दिया जाता है इसके साथ ही उन्होंने भारत में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा का विकास करने के लिए कई कार्य किए राजा राममोहन राय ने इंग्लिश स्कूल की स्थापना किया
जिससे कि भारत में इंग्लिश का पढ़ाई लोग कर सके विकास हो सके उन्होंने हिंदू कॉलेज का स्थापना कोलकाता में किया जो कि वर्तमान समय में सबसे बड़ा शिक्षा का एक बेहतर संस्थान है.
राजा राममोहन राय ने केमिस्ट्री, फिजिक्स, वनस्पति शास्त्र आदि विज्ञान के सब्जेक्ट का भारत में पढ़ाए जाने के लिए प्रोत्साहित किया देश में बच्चों को युवाओं को नई नई तकनीक की जानकारी हासिल करने के लिए प्रोत्साहन दिया
उन्होंने स्कूलों में इंग्लिश की पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रचार प्रसार किया उनका मानना था कि अगर इंग्लिश का पढ़ाई होगा तो छात्रों के लिए और भी बेहतर है राजा राममोहन राय कई देशों का भ्रमण किए थे इसलिए उन्होंने भारत में गणित ज्योग्राफी और लैटिन भाषा को पढ़ाए जाने के लिए प्रचार प्रसार किया.
क्योंकि वह कहते थे कि अगर गणित ज्योग्राफी और लैटिन भाषा का पढ़ाई नहीं होगा अन्य देशों की अपेक्षा भारतीय पीछे रह जाएंगे उन्होंने अपनी मातृभाषा का विकास किया.
राजा राममोहन राय को मिले सम्मान
राजा राममोहन राय 1809 1814 ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्य करते थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने आप को अपने राष्ट्र के हित के लिए राष्ट्र की सेवा के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी का नौकरी छोड़ दिया और स्वतंत्रता की लड़ाई के साथ ही उन्होंने भारत में देश के नागरिकों को सम्मान से जीने के लिए अनेक अंधविश्वास और कुरीतियों को खत्म करना चाहा
रविंद्र नाथ टैगोर राजा राममोहन राय के एक मुख्य अनुयाई थे.Raja ram mohan roy को उस समय के मुगल सम्राट अकबर द्वितीय ने 1931 में राजा नाम का उपाधि दिया जिसके बाद राममोहन राय राजा राममोहन राय नाम से जाने जाने लगे.
राजा राममोहन राय के विचार
राजा राममोहन राय ने विचारों को प्रकट किया जैसे कि
- यह व्यापक विश्व ब्रह्म का पवित्र मंदिर है शुद्ध शास्त्र है श्रद्धा का मूल है प्रेम ही परम साधन है स्वार्थों का त्याग वैराग्य है.
- प्रत्येक स्त्री को पुरुषों की तरह अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि इस्त्री ही पुरुष की जननी है हमें हर हाल में स्त्री का सम्मान करना चाहिए.
- उन्होंने यह ज्ञान लोगों को दिया की स्त्री का सम्मान करना चाहिए.
राजा राममोहन राय की मृत्यु
Raja ram mohan roy की मृत्यु 27 सितंबर 1835 में हुई थी उनकी मृत्यु मेंनिगजइटिस रोग होने से हुई थी राजा राममोहन राय को उस समय के मुगल सम्राट ने कुछ कार्य को निश्चित करने के लिए इंग्लैंड भेजा था उसी दौरान उनकी मृत्यु इंग्लैंड में हो गई उसके बाद उन्हें इंग्लैंड के कब्रिस्तान में दफनाया गया था.
राजा राममोहन राय भारत को आधुनिक बनाने में बहुत बड़ा योगदान है भारत के रचयिता भी माने जा सकते हैं ब्रिटेन में उनके सम्मान में ब्रिस्टल किसानों को उनका नाम दिया गया है उन्होंने महिलाओं के प्रति कुरीतियों के बारे में खासकर सति प्रथा के खिलफ आज उठाया था.
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सारांश
भारत में ब्रह्म समाज के संस्थापक भारत के सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के लिए राजा राम मोहन राय को एक विशेष स्थान दिया जाता है बंगाल में नवजागरण युग का पितामह पत्रकारिता के आंदोलन को सही रास्ता दिखाने वाले राजा राममोहन राय ही थे
उन्होंने भारत में कई समाज के कुप्रथा और कुरीतियों को दूर किया जिससे समाज में कई दुष्परिणाम हो रहे थे राजा राममोहन राय को हिंदी भाषा से बहुत लगाव था वह चाहते थे कि भारत स्वतंत्र हो लेकिन हर नागरिक को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए कीमत पहचानना चाहिए इस लेख में एक महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय बायोग्राफी इन हिंदी Raja Ram Mohan roy biography in hindi के बारे में पूरी जानकारी दी गई है
राजा राममोहन राय का जन्म कहां हुआ उन्होंने कौन-कौन से शिक्षा प्राप्त की उनका विवाह किससे हुआ राजा राममोहन राय कौन-कौन से सामाजिक सुधार कार्य है किस सम्मान से सम्मानित किया गया से संबंधित अगर आपके मन में अगर कोई सवाल हैं तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें आप लोगों को यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।