रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय Rambriksh Benipuri ka jeevan parichay in hindi हिंदी साहित्य में बहुत सारे लेखक कवि उपन्यासकार हुए हैं जिनके बारे में हमेशा पढ़ते हैं और उनकी रचनाओं को ध्यान में रखते हैं इन्हीं लेखक में एक लेखक हुए रामवृक्ष बेनीपुरी.
रामवृक्ष बेनीपुरी बहुमुखी प्रतिभा के लेखक हुए थे उन्होंने बहुत सारे कहानी उपन्यास नाटक रेखाचित्र यात्रा विवरण संस्मरण निबंध आदि लिखे हैं.
वह बहुत ही प्रचलित भी हुए हैं तो आइये इस लेख में रामवृक्ष बेनीपुरी जी के बारे में नीचे जानते हैं कि उनकी कौन-कौन सी रचनाएं हैं उनके व्यक्तित्व के बारे में उनका जन्म कहां हुआ था Rambriksh Benipuri का साहित्यिक जीवन.
Rambriksh Benipuri ka jeevan parichay
रामवृक्ष बेनीपुरी बहुत ही बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे इन्होंने बहुत सारी रचनाएं की हैं जिनमें कहानी उपन्यास नाटक रेखाचित्र यात्रा विवरण संस्मरण निबंध आदि लिखे हैं जो कि बहुत प्रचलित हुए हैं बिहार में हिंदी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक के रूप में भी Rambriksh Benipuri को याद करते हैं.
Rambriksh Benipuri जी एक बहुत ही कर्मठ देशभक्त भी माने जाते थे उनमें कई तरह के गुण थे जैसे कि वह एक बहुत अच्छे देशभक्त थे और साहित्यकार भी थे.

रामवृक्ष बेनीपुरी सिर्फ एक साहित्यकार ही नहीं थे उनमें ऐसे गुण थे की राजनीति और सामाजिक आंदोलन को भी उत्पन्न करती थी जो हर तरह के परंपराओं को तोड़ने का काम करते थे Rambriksh Benipuri एक निर्भीक कवि क्रांतिकारी और योद्धा थे उनका स्थान हिंदी साहित्य में बहुत ऊंचा और अलग है.
Rambriksh Benipuri ka janm kab hua tha
Rambriksh Benipuri बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के बेनीपुर गांव के रहने वाले थे इनका जन्म 23 दिसंबर 1899 में एक भुमिहार ब्राह्मण में हुआ था उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था.
बचपन में इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी इसी कारण उनका पालन पोषण इनके ननिहाल में हुआ था और उनके पढ़ाई भी ननिहाल में ही हुआ था मैट्रिक करने के बाद बेनीपुरी जी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपना सहयोग देने लगे.
नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी |
जन्म | 23 दिसंबर 1899 |
जन्म स्थान | बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के बेनीपुर |
रचनाएं | कहानी,रेखाचित्र,उपन्यास,यात्रावृतांत,नाटक,निबंध,जिवनी,अलोचना |
सम्मान या पुरस्कार | वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार, डाक टिकट पर चित्र |
भाषा शैली | आलोचनात्मक वर्णनात्मक भावात्मक और प्रतीकात्मक |
कार्यक्षेत्र | कवि,स्वतंत्रता सेनानी,संपादन,पत्रकार |
मृत्यु | 9 सितंबर 1968 |
रामवृक्ष बेनीपुरी का शिक्षा
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के बेनीपुर गांव के Rambriksh Benipuri रहने वाले थे उनका नाम रामवृक्ष था लेकिन बेनीपुर गांव के रहने वाले थे इसलिए उन्होंने अपना उपनाम बेनीपुरी रखा था.
उनका शुरुआती पढ़ाई बेनीपुर गांव के पाठशाला में हुई थी लेकिन आगे की पढ़ाई करने के लिए मुजफ्फरपुर कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया था Rambriksh Benipuri ने पढ़ाई ज्यादा नहीं किए थे.
उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर के महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग ले लिए थे जिसके बाद उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया लेकिन हिंदी साहित्य सम्मेलन की विशारद परीक्षा बाद में पास किए.
जब वह 15 साल के थे तभी से पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिख कर के संपादन के लिए देते थे इस लेख के माध्यम से भारत के देशवासियों में स्वतंत्रता संग्राम के लिए और अपने देश को आजाद कराने देश भक्ति की ज्वाला भड़काने लगे थे.
रामवृक्ष बेनीपुरी का स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी मैट्रिक की पढ़ाई करने के बाद ही वो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए और उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में साथ दिया था.
8 साल के जेल में भी बिताया था Rambriksh Benipuri निर्भीक कवि थे और एक क्रांतिकारी योद्धा भी थे असहयोग आंदोलन शुरू होने के प्रारंभ में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ कर महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ाई लड़ने लगे रामवृक्ष बेनीपुरी महान विचारक थे.
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि थे एक स्वतंत्रता सेनानी थे देश प्रेमी थे Rambriksh Benipuri में कई तरह के प्रतिभा थी उन्होंने राष्ट्र सेवा भी की है भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने 1930 से लेकर 1942 तक जेल में ही व्यतीत किया था.
इसी बीच उन्होंने अपना पत्रकारिता का काम भी चालू रखा भारत आजाद होने के बाद भी वह अपने लेखन पर ध्यान देते रहें और अपनी रचनाएं करते रहें.
Rambriksh Benipuri भारत को आजाद कराने के लिए ब्रिटिश सरकार को भारत से जड़ से उखाड़ कर फेंकने के लिए उन्होंने महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में साथ दिया युवक नाम का अखबार उन्होंने 1929 में शुरू किया था.
इनके अखबारों में भारत को आजाद कराने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें देश भक्ति की तरफ प्रेरित करने के लिए कई न्यूज़ छपते थे राष्ट्रवाद के लिए लोगों को अपने अखबार के जरिए संदेश देते थे.
1931 में समाजवादी दल की स्थापना Rambriksh Benipuri ने किया था 1942 में जब अगस्त क्रांति का आंदोलन हुआ था उसमें रामवृक्ष बेनीपुरी का भी एक अहम रोल था उन्होंने इस आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा कई पत्र-पत्रिकाओं में देशभक्ति लेख लिखकर के युवाओं को प्रोत्साहित करते थे जिसकी वजह से उन्हें कई बार जेल में जाना पड़ा था हजारीबाग जेल में जब रामवृक्ष बेनीपुरी बंद थे
उस समय उन्होंने जनेऊ तोड़ो अभियान चलाया था.Rambriksh Benipuri सिर्फ एक लेखक नहीं थे बल्कि वह एक राजनीतिक और सामाजिक व्यक्ति थे देश सेवा के लिए देश को आजाद कराने के लिए मर मिटने वाले व्यक्ति थे.
बेनीपुरी जी समाजवादी दल की स्थापना किए थे जब भारत आजाद हुआ तब 1957 में इसी दल के प्रत्याशी बनकर उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़े और विधानसभा के सदस्य बने.
रामवृक्ष बेनीपुरीजी का व्यक्तित्व
रामवृक्ष बेनीपुरी राजनीतिज्ञ और पत्रकार के रूप में हिंदी साहित्य जगत में हमेशा याद किए जाएंगे उनकी बहुत रचनाएं हैं बेनीपुरी का भाषा उनकी रचनाओं में खड़ी बोली सुबोधता और सजीवता रहती थी.
Rambriksh Benipuri जी स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी और हिंदी साहित्य जगत के महान लेखकों में याद किए जाते हैं वह एक प्रसिद्ध साहित्यकार थे गद्य लेखक थे पत्रकार स्वतंत्रता सेनानी समाजसेवी और हिंदी प्रेमी भी थे उन्होंने राष्ट्र निर्माण समाज संगठन और मानवता के लिए बहुत सारे कार्य किए.
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है उन्होंने बहुत सारी रचनाएं की जैसे कहानियां रेखाचित्र यात्रा विवरण संस्मरण निबंध इत्यादि गद्य विधाओं में भी एक अलग छाप है.
15 वर्ष की आयु से उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में लिखना शुरू कर दिया था एक साहित्य सेवी आदमी थे उनकी रचनाएं प्रमुख है. Rambriksh Benipuri को कलम का जादूगर कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने कलम के दम पर देश की युवाओं में क्रांतिकारी भावना उत्पन्न किया था.
कई आंदोलन में योगदान देने की वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा लेकिन जेल में भी वह रह कर के लोगों को अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित करते रहते थे उन्हें देश भक्ति के लिए स्वतंत्रता संग्राम के लिए हमेशा जागृत करते रहते थे.
जेल में रहकर भी Rambriksh Benipuri कई ग्रंथों की रचना की थी. भारत के लोगों को जागृत करने के लिए उन्होंने कई उपन्यास कहानी नाटक निबंध संस्मरण रेखाचित्र आदि की रचना की है.
रामवृक्ष बेनीपुरी का साहित्यिक जीवन
हिंदी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के बहुत ही प्रसिद्ध साहित्यकार Rambriksh Benipuri थे वह पूरा जिंदगी स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवा पत्रकार के रूप में कार्य करते रहें भारत को आजाद कराने के लिए उन्होंने कई आंदोलन में अहम भूमिका निभाई
साथ ही लेख लिखते रहें और कई ग्रंथों का उन्होंने रचना किया रामवृक्ष बेनीपुरी के रचनाओं में ललित निबंध नाटक रेखाचित्र उपन्यास संस्मरण कहानी बाल साहित्य आदि शामिल है.
जब वह 15 साल के थे तभी से उन्होंने पत्रिकाओं में लेख लिखकर के छापने के लिए देते थे 1930 में जेल में रहते हुए उन्होंने पतितों के देश में नाम का एक प्रसिद्ध उपन्यास का रचना किया. कहा जाता है कि बेनीपुरी जी जब भी किसी आंदोलन के बाद जेल में जाते थे
और जब Rambriksh Benipuri जेल से रिहा होते थे उनके हाथ में दो चार ग्रंथों की पांडुलिपियां जरूर रहती थी क्योंकि जेल में रहकर भी वह लोगों के दिलों में आग भड़काने वाली रचनाएं लिखते रहते थे.
इन्हीं क्रांतिकारी रचनाओं के वजह से वह जेल में भी जाते थे एक बार उन्होंने बिहार हिंदी सम्मेलन की भी स्थापना की थी यह सम्मेलन उन्होंने बिहार में हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए किया था.
Rambriksh Benipuri ने कभी भी लेख नाटक की कहानियां उपन्यास अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए नहीं लिखी थी जो लोग अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए सम्मान बढ़ाने के लिए वैसे कार्य करते थे उसके पीछे भागते थे उन लोगों को देखकर वह बहुत दुखी होते थे.
भारत स्वतंत्र होने के बाद भी अपनी रचनाएं लिखते रहे लेकिन कभी भी किसी साम्मान या पुरस्कार प्राप्त करने की इच्छा उनमें नहीं थी Rambriksh Benipuri का बेनीपुरी ग्रंथावली नाम का रचना है जिसमें कि उनका पूरा साहित्य कई खंडों में प्रकाशित हुआ है.
रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएं
Rambriksh Benipuri ने माटी की मूरतें नाम की एक रेखाचित्र लिखी थी जिसमें की बिहार के जनजीवन बिहार के लोगों का रहन सहन सभी उन्होंने चित्रित किया है उनके रग रग में राष्ट्रीय भावना समाहिता शुरू से थी.
वह क्रांतिकारी रचनाएं लिखते थे बेनीपुरी जी ने कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखे हैं नाटक कहानी निबंध रेखाचित्र आदि गद्य विधाएं उन्होंने लिखे हैं इसीलिए उन्हें कलम का जादूगर भी कहा जाता है
धार्मिक किताबें पढ़ना उन्हें बहुत पसंद था खासकर की रामचरितमानस का उन्होंने पूरा अध्ययन किया था बिहारी सतसई विद्यापति पदावली आदि जैसे आलोचना उन्होंने लिखे हैं
1999 में Rambriksh Benipuri के सम्मान में भारतीय डाक सेवा के द्वारा डाक टिकट पर उनका चित्र शुरू किया गया और बिहार सरकार के द्वारा उन्हें वार्षिक अखिल भारतीय Rambriksh Benipuri पुरस्कार भी हर साल समर्पित किया जाता है.
रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएं
- रेखा चित्र- माटी की मूरतें ,लाल तारा
- संस्मरण- जंजीरें और दीवारें, मील के पत्थर
- कहानी- चिता के फूल
- उपन्यास- पतितों के देश में
- यात्रा वृतांत -पैरों में पंख बांधकर, उड़ते चलें
- नाटक -अम्रपाली ,सीता की मां, रामराज्य
- निबंध -गेहूं और गुलाब, बंदे बाणी ,विनायक मसाल
- जीवनी -महाराणा प्रताप ,जयप्रकाश नारायण, कार्ल मार्क्स
- आलोचना -विद्यापति पदावली ,बिहारी सतसई की सुबोध टीका
- संपादन -तरुण भारती, कर्मवीर बालक ,किसान मित्र ,कैदी योगी, चुन्नू मुन्नू, नई धारा, जनता, हिमालय रामवृक्ष
रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा शैली
अपनी रचनाओं के बल पर अपनी लेखनी के बल पर कलम के जादूगर Rambriksh Benipuri ने भारत देश के वासियों में स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला भड़काई थी उन्होंने पत्रकारिता से अपने साहित्य का शुरुआत की है लेकिन इसके बाद स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग भी देते थे और साथ ही रचनाएं भी करते थे.
जिनमें रेखाचित्र कहानी उपन्यास नाटक जीवनी यात्रा वृतांत ललित लेख आदि शामिल है Rambriksh Benipuri जो भी रचनाएं हैं उसमें भाषा शैली खड़ी बोली होती थी जो कि बहुत ही सरलता से सजीवता से उन्होंने अपनी रचनाएं लिखी है बेनीपुरी जी लाक्षणिक एवं अलंकारिक भाषा का उपयोग अपनी रचनाओं में करते थे.
उन्होंने जो भी कहानी उपन्यास रेखाचित्र लिखे हैं उसमें मुहावरे और लोकोक्तियां भी जरूर इस्तेमाल करते थे उनकी रचनाओं की भाषा शैली आलोचनात्मक वर्णनात्मक भावात्मक और प्रतीकात्मक भाषा शैली का प्रयोग उन्होंने किया है.
बेनीपुरी जी की रचनाओं में आंचलिक शब्द प्रयुक्त होते थे जैसे कि गांव में ग्रामीण जनता जिस तरह की भाषा बोलते हैं उसी तरह का भाषा उनकी रचनाओं में वह प्रयोग करते थे इसीलिए इन्हें भाषा का जादूगर भी कहा जाता था Rambriksh Benipuri की संस्कृत अंग्रेजी और उर्दू भाषा का भी प्रयोग अपनी रचनाओं में किए हैं.
बेनीपुरी जी का मृत्यु
Rambriksh Benipuri भारत आजाद होने के बाद विधानसभा के सदस्य भी चुने गए थे उन्होंने कुछ दिन राजनीति में भी कार्य किया लेकिन हमेशा वो सादा जीवन जीते थे.
उनका मानना था कि सादा जीवन और उच्च विचार हर किसी को रखना चाहिए तभी वह मनुष्य महान बनता है कई प्रसिद्ध रचनाएं उन्होंने की है साथ ही समाज सेवा के लिए भी कई कार्य किए.
बिहार में हिंदी का प्रचार प्रसार करने के लिए बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की भी स्थापना बेनीपुरी जी ने किया था 9 सितंबर 1968 में रामवृक्ष बेनीपुरी का मृत्यु हुआ था उनकी रचनाएं जो भी होती थी उनमें वाक्य छोटे छोटे होते थे.
लेकिन उनका महत्व बहुत बड़ा होता था.रामवृक्ष बेनीपुरी का मृत्यु 1968 में हुआ था उनकी कृतियां हम लोग याद रखेंगे Rambriksh Benipuri और राजनीतिज्ञ देश प्रेमी स्वतंत्रता सेनानी आदि थे.
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सारांश
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय गेहूं और गुलाब नाम का सबसे पहला निबंध Rambriksh Benipuri ने लिखा था जिसके बाद उन्होंने कई निबंध लेख कहानी उपन्यास और बिहार के जन जीवन के बारे में लोगों के रहन सहन के बारे में माटी के मूरतें जैसी रेखाचित्र उन्होंने लिखी थी.
इस लेख में कलम के जादूगर Rambriksh Benipuri ka jivan parichay उनका जन्म कहां हुआ उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सहयोग कैसे दिया उनका साहित्यिक जीवन कैसा था उनका मृत्यु कब हुआ.
Rambriksh Benipuri ने कौन-कौन सी रचनाएं की है के बारे में पूरी जानकारी दी गई है फिर भी अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल आपके मन में है कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
रामवृक्ष बेनीपुरी के बारे में यह जानकारी आप लोगों को कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।