समाजशास्त्र क्या हैं उत्पत्ति, विकास और 5+ प्रकार पूरी जानकारी

Samajshastra kya hai समाज शब्द का प्रयोग आदिकाल से ही होता रहा है हिंदू धर्म के कई ग्रंथ वेद या मनुस्मृति में मनुष्य के जीवन के हर समाजिक जीवन के बारे में वर्णन किया गया है। जिसमें समाज में हर व्यक्ति एक दूसरे के साथ किस तरह से रहता है। किस तरह से अपना कार्य करता है। समाज का हर एक महत्व, समाज के नियम, संस्कार, संस्कृति को समझने के लिए समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाता है.

समाजशास्त्र का परिभाषा क्या है Samajshastra ki paribhasha समाजशास्त्र क्या है इसका अर्थ क्या है के बारे में इस लेख में जानेंगें. विज्ञान का कई शाखा है जिसमें समाजशास्त्र को एक माना जाता है। समाज के हर एक पहलुओं को जानने के लिए समाज के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करने के लिए पूरी तरह से जानने के लिए समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाता है.

समाजशास्त्र को इंग्लिश में सोशियोलॉजी नाम से जाना जाता है सोशियोलॉजी शब्द का उत्पत्ति कब और कैसे हुआ सबसे पहले सोशियोलॉजी शब्द का प्रयोग किसने किया सोशियोलॉजी का जनक किसे कहा जाता है समाजशास्त्र का क्या महत्व है नीचे विस्तार से जानते हैं. 

Samajshastra Kya Hai

समाज के हर एक संबंधों का व्यावहारिक रूप से व्यवस्थित रूप से संगठित रूप से अध्ययन करने वाला एक आधुनिक विज्ञान Samajshastra को कहा गया है समाजशास्त्र विज्ञान का एक ऐसा शाखा है जिसमें कि समाज के हर विभिन्न पहलुओं के बारे में अध्ययन करने को मिलता है। समाज का अर्थ लोगों का वह समूह जहां कि कई व्यक्ति एक साथ रहते हैं और शास्त्र का मतलब विज्ञान होता है.

समाजशास्त्र का मतलब समाज का विज्ञान या समाज का अध्‍ययन करने वाला विज्ञान होता हैं। समाजशास्त्र का मतलब सामाजिक समूह के बारे में अध्ययन करना होता है। जिसमें की समाज में किस तरह के संगठन है किस तरह का सभ्यता है, संस्कृति है आदि जानने को मिलता है.

Samajshastra kya hai

क्योंकि बिना समाज का किसी भी व्यक्ति के जीवन का कोई भी अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के सामाजिक संबंधों का रहन-सहन का मनुष्य के जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक कौन-कौन से संस्कार होते हैं किस समाज में किस तरह का नियम सभ्यता संस्कृति बनाया  गया है.

ये सारे सामाजिक संबंधों का वर्णन समाजशास्त्र में किया गया है. समाजशास्त्र का विकास, समाज के हर एक सामाजिक संबंधों को जानने के लिए लोगों को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए ही किया गया है। इसीलिए समाजशास्त्र को सामाजिक विज्ञान के नाम से भी जाना जाता है. 

Samajshastra ki paribhasha 

जिस तरह से विश्व के हर एक भौगोलिक स्थिति के बारे में जानने के लिए भूगोल का अध्ययन किया जाता है पृथ्वी के हर एक प्राणी के जीवन के बारे में जानने के लिए जीव विज्ञान यानी के बायोलॉजी का अध्ययन किया जाता है.

उसी तरह सामाजिक संबंधों को जानने के लिए समाज के बारे में जानने के लिए समाजशास्त्र का अध्ययन करना आवश्यक होता है क्योंकि कई विद्वानों का मानना है कि जब एक अच्छा समाज विकसित करना है.

समाज का विकास करना है तो सबसे पहले समाज के बारे में जानना जरूरी होता है समाजशास्त्र को कई विद्वानों ने अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है.

गिड्डिंग्स ने समाजशास्त्र को वैज्ञानिक अध्ययन करने वाला विज्ञान माना है. वार्ड ने समाजशास्त्र को समाज का विज्ञान कहा है क्योंकि समाजशास्त्र में समाज के बारे में ही उल्लेख किया गया है.

एंथोनी गिडेंस ने समाजशास्त्र को आधुनिक समाज का विज्ञान माना है क्योंकि उनका मानना है कि समाजशास्त्र में जो दो शताब्दियों से कई क्रांति होते आ रहे हैं उनका परिणाम और स्वरूप को जान पाए हैं.

किसी विद्वानों ने माना है कि जिस तरह समाज में मनुष्य के समूह का व्यवहार होता है वह समाजशास्त्र में उल्लेख किया गया है समाजशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है.

वेनेट एवं ट्यूमिन के अनुसार मनुष्य के सामाजिक जीवन में जो कार्य होते हैं ढांचा होता है उसका विज्ञान समाजशास्त्र को माना है. मनुष्य के जीवन में जितने भी संबंध है उन संबंधों का व्यवहार कार्य घटना आदि के बारे में उल्लेख सोशियोलॉजी में किया गया है. 

सोशियोलॉजीका उत्पत्ति और विकास

जब से मनुष्य का उत्पत्ति हुआ तभी से समाज का भी उत्पत्ति माना जाता है समाजशास्त्र का उत्पत्ति फ्रांसीसी क्रांति और औद्योगिक क्रांति के बाद माना जाता है कुछ विद्वानों का मानना है कि समाजशास्त्र का उत्पत्ति के कारण यूरोप में पुनर्जागरण और वाणिज्य क्रांति का जन्म हुआ.

जिस तरह समाज में कई आंदोलन हुए क्रांति हुए, धार्मिक परिवर्तन, सामाजिक परिवर्तन, सांस्कृतिक परिवर्तन, आर्थिक परिवर्तन और समाज में कई तरह के बदलाव हुए उसको समझने के लिए एक विषय का जरूरत होने लगा तभी समाजशास्त्र का उत्पत्ति हुआ.

फ्रांस के एक वैज्ञानिक अगस्त कॉम्टे ने समाजशास्त्र का शुरुआत किया सबसे पहले उन्होंने इस विषय का नाम समाजिक भौतिकी रखा था लेकिन 1838 में नाम बदलकर अगस्त कॉम्टे ने सामाजिक भौतिकी को सोशियोलॉजी नाम रख दिया. 

अगस्त कॉम्टे ने ही सोशियोलॉजी को एक सब्जेक्ट के रूप में विकसित किया शुरुआत किया इसीलिए अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है.

भारत में सोशियोलॉजी का शुरुआत 1919 में मुंबई विश्वविद्यालय से माना जाता है और सबसे पहले समाजशास्त्र विभाग का शुरुआत पैट्रिक गेडिस के द्वारा किया गया था जिसके बाद ही भारत में कई विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाने लगा भारत के कई प्रमुख समाजशास्त्री के बारे में नीचे बताया गया हैं

राधा कमल मुखर्जीजी एस घुरिए
एस सी दुबेइरावती कर्वे
के एम कपाड़ियायोगेंद्र सिंह
एमएन श्रीनिवासए के सरन
डी एन मजूमदारपीएच प्रभु
ए आर देसाई

सोशियोलॉजी शब्द किन शब्दों से मिलकर बना है

Sociology समाजशास्त्र का अंग्रेजी शब्द है लेकिन सोशियोलॉजी शब्द दो भाषाओं के शब्दों से मिलकर बना है. Socius शब्द लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब समाज होता है और Logos शब्द ग्रीक भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ विज्ञान का अध्ययन करना होता है तो सोशियोलॉजी शब्द का शाब्दिक अर्थ समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान कहा जाता है.

सोशियोलॉजी शब्द 2 भाषा के शब्दों से मिलकर के बना है इस वजह से एक विद्वान जॉन स्टूअर्ट मिल ने इसे 2 भाषाओं की अवैध संतान माना है और सोशियोलॉजी का नाम इन्होंने इथोलॉजी रखने का सुझाव दिया लेकिन इनके इस सुझाव को किसी भी विद्वानों ने नहीं माना उन्होंने अस्वीकार कर दिया.

समाजशास्त्र का सबसे पहला किताब हरबर्ट स्पेंसर ने प्रिंसिपल ऑफ सोशियोलॉजी नाम से लिखा था जिसमें उन्होंने समाज के बारे में पूरी तरह से वर्णन किया है उन्होंने समाज के क्रमबद्ध और व्यवस्थित रूप से उल्लेख किया है प्रिंसिपल ऑफ सोशियोलॉजी किताब को समाजशास्त्र का पहला पाठ्यपुस्तक के रूप में जाना जाता है.

Samajshastra का अर्थ

Samajshastra को एक स्वतंत्र रूप से समाज के बारे में अध्ययन करने वाला जानने वाला विज्ञान कहा जाता है जिसमें समाज में जितने भी पहलू होते हैं एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ किस तरह का संबंध होता है और समाज के हर एक सामाजिक घटनाओं, सामान्य लक्षणों का अध्ययन समाजशास्त्र में किया जाता है

क्योंकि समाज में रहने वाले हर एक व्यक्ति के बीच सहयोग संबंध और सामाजिक क्रिया का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है और यह सारी बातें Samajshastra का अध्ययन करने से ही जाना जा सकता है. समाजशास्त्र को समाज के हर एक व्यवस्था उसके प्रगति को जानने वाला विज्ञान कहा जाता है.

समाज के हर एक बुराइयों अच्छाइयों को समाजशास्त्र का अध्ययन करने के बाद जाना जा सकता है इसलिए समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ समाज का विज्ञान या समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान कहा जाता है.

Samajshastra का प्रकार 

समाज के बारे में पूरी तरह से अध्ययन करने के लिए जानने के लिए समाजशास्त्र को 5 श्रेणियों में बांटा गया है समाजशास्त्र के हर एक पहलू स्वरूप विषय क्षेत्र को पूरी तरह से जानने के लिए समझने के लिए समाजशास्त्र के पांच प्रकार है 

1. समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है 

समाजशास्त्र को सामाजिक विज्ञान का एक शाखा माना जाता है जिसमें की मानव के हर एक सामाजिक संरचना का विकास विवेचनात्मक विश्लेषण सामाजिक कल्याण का अनुसरण विषय वस्तु आदि का अध्ययन किया जाता है

Samajshastra के अध्ययन से समाज में किस तरह का भाषा बोला जाता है किस तरह का सामाजिक परिवर्तन हो रहा है विकास हो रहा है आदि के बारे में जाना जा सकता है.

2. Samajshastra समाजिक समुह का अध्‍ययन

पृथ्वी पर हर एक व्यक्ति एक सामाजिक समूह का सदस्य होता है और जिस समाज में रहता है उस समाज के रीति रिवाज के अनुसार ही अपना कार्य करता है Samajshastra को सामाजिक समूह का अध्ययन करने वाला विज्ञान माना गया है

सामाजिक समूह में हर एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ व्यवहार बात करने का तरीका लक्ष्य क्या है उद्देश्य क्या है वह एक दूसरे से किस तरह से प्रभावित होते हैं उनके बीच कैसा सामाजिक संबंध स्थापित होता है का अध्ययन किया जाता है.

3. समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों का अध्ययन है 

समाज में पति पत्नी के बीच का संबंध पिता पुत्र का संबंध माता और पुत्र का संबंध भाई बहन का संबंध अध्यापक और छात्र के बीच का संबंध किस तरह का होना चाहिए

किस तरह का होता है समाजशास्त्र में पूरी तरह से वर्णन किया गया है इसीलिए Samajshastra को सामाजिक संबंधों का अध्ययन करने वाला विज्ञान कहा जाता है. 

4. समाजशास्त्र अंत:क्रिया का अध्ययन है 

हर समाज में हर एक व्यक्ति एक दूसरे के ऊपर निर्भर रहता है किसी भी कार्य को करने के लिए किसी व्यवस्थाओं को आपूर्ति करने के लिए एक दूसरे का सहयोग करते हैं

समाज में सामाजिक समूह में कई तरह के नीति नियम निर्धारित किए जाते हैं और इस नियम को हर एक व्यक्ति मानता है और उसी अनुरूप अपना कार्य करता है समाजशास्त्र का अध्ययन करने वाला विषय है. 

5. Samajshastra सामाजिक जीवन का अध्ययन है

कई विद्वानों ने Samajshastra को सामाजिक जीवन का व्यवहार घटनाओं कार्य का अध्ययन करने वाला एक विषय माना है. 

समाजशास्त्र का जनक किसे कहते हैं 

427 से 347 ईसा पूर्व यूनान के दार्शनिक प्लेटो ने सबसे पहले समाज के स्वरूप की व्याख्या करने का कोशिश किया था उसके बाद प्लेटो के शिष्‍य अरस्तु ने 384 से 322 ईसा पूर्व में समाज में हर एक व्यक्ति या सामाजिक प्राणी के बीच में आपसी संबंधों का अध्ययन करने का शुरुआत किया.

लेकिन Samajshastra को एक स्वतंत्र विषय के रूप में किसी ने नहीं माना था समाजशास्त्र का विकास करने का श्रेय फ्रांस के दार्शनिक अगस्त कॉम्टे को दिया जाता है उन्होंने ही सबसे पहले समाज के बारे में अध्ययन करने के लिए एक विषय बनाया और उसका नाम समाज भौतिकी रखा.

लेकिन बाद में 1838 में उन्होंने इसका नाम बदलकर समाजशास्त्र रखा. समाजशास्त्र को विषय के रूप में स्थापित किया 1876 में अगस्त कॉम्टे ने प्रिंसिपल ऑफ सोशियोलॉजी नाम का एक किताब लिखा

इस किताब को समाजशास्त्र का पहला पाठ्यपुस्तक के रूप में जाना जाता है इसीलिए अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक या पिता कहा जाता है इन्हें Father of sociology के नाम से जाना जाता है. 

Samajshastra का महत्व

समाजशास्‍त्र का अध्ययन हर एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हर मनुष्य के सामाजिक संबंधो के बारे में जानने के लिए समाज के आधार के बारे में जानने के लिए उसका अस्तित्व के बारे में जानने के लिए Samajshastra का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.

किसी भी समाज का विकास करने के लिए बढ़ाने के लिए हर एक व्यक्ति को सामाजिक ढांचे के बारे में  कुछ जानना जरूरी है समाजशास्त्र के अध्ययन से समाज का विकास समाज की उत्पत्ति उसकी विशेषताओं के बारे में अध्ययन करने को मिलता है.

किस वैज्ञानिक ने समाज के बारे में अपना किस तरह का राय दिया है यह जाना जा सकता है समाज के हर एक आदर्श उद्देश्य और संपूर्ण मानव और समाज का परिचय जाना जा सकता है Samajshastra का अध्ययन करने से सामाजिक जीवन के हर एक सामान्य समस्याओं का ज्ञान हो जाता है.

मनुष्य के जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक कौन-कौन से संस्कार होते हैं समाज में किस तरह का धर्म पारस्परिक संबंध होता है किस तरह का धार्मिक एकता स्थापित करना चाहिए समाजशास्त्र के अध्ययन से ही जाना जा सकता है समाज में कई तरह के सामाजिक समस्याएं होती है.

बाल अपराध बारे में समस्या का हल खोजा जा सकता है समाज का विकास किया जा सकता है Samajshastra के अध्ययन से परिवारिक जीवन की समस्याओं को हल किया जा सकता है पति पत्नी के बीच किस तरह का संबंध होना चाहिए वैवाहिक जीवन में परिवारिक जीवन में कई तरह की समस्याएं होती हैं

जिसे सोशियोलॉजी का अध्ययन करने के बाद परिवारिक जीवन को सफल बनाया जा सकता है समाजशास्त्र का अध्ययन व्यवसायिक जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है समाज को सही बनाने के लिए कई तरह के सामाजिक कार्य भी किया जाता है.

समाज का कल्याण करने के लिए समाज सेवा कार्य, ग्रामीण पुनर्निर्माण, परिवार नियोजन, जनगणना आदि कई तरह के सामाजिक कार्य है जिसको Samajshastra में अध्ययन किया जाता है.

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सारांश

Samajshastra kya hai इस लेख में Samajshastra के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जिसमें समाजशास्त्र क्या है. Samajshastra का अर्थ क्या है परिभाषा क्या है सोशियोलॉजी शब्द किन-किन भाषा से मिलकर बना है

सोशियोलॉजी शब्द का उत्पत्ति कैसे हुआ Samajshastra के जनक के रूप में किसको जाना जाता है के बारे में पूरी जानकारी दी गई है इससे संबंधित किसी भी तरह का सवाल हैं या सुझाव हैं तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं और अपने दोस्तों को शेयर जरूर करें. 

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