Sardar Vallabhbhai Patel biography in hindi भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक महान नेता एक अधिवक्ता और एक बहुत ही प्रमुख राजनेता थे भारत आजाद होने के बाद एक नया संविधान लागू किया गया अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए संविधान को नष्ट करके जब नया संविधान बनाया गया तो सबसे मुख्य कार्य अखंड भारत का निर्माण करना था।
आजाद भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत का संविधान बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ कई महान स्वतंत्रता सेनानी ने देश को आजादी दिलाने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। जिसमें एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल भी थे। जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ कई स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उनकी साहस शौर्य और दृढ़ संकल्प की वजह से उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने कई कठिन कार्य किए। भारत को अखंड भारत बनाने के लिए भारत में हर कास्ट के लोगों के बीच एकता कायम रखने के लिए कई प्रयास किए। जब 1950 में संविधान लागू हुआ उस समय संविधान को बनाने में उन्होंने भरपूर योगदान दिया।
Sardar Vallabhbhai Patel biography in hindi
सरदार बल्लभ भाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक सशक्त स्वतंत्रता सेनानी थे वह एक बहुत ही बड़े राजनीतिज्ञ थे भारत आजाद होने के बाद पहले गृह मंत्री और भारत के पहले उप प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने कार्य किया था
भारत में जब संविधान बनाया गया तब उन्होंने संविधान बनाने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का सहयोग किया इसीलिए उन्हें भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता भी कहा जाता है.

15 अगस्त 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो भारत में जितनी छोटी छोटी रियासतें थी वहां के राजा थे उन सभी को एक मत करना उन सभी को बुद्धिमता और सूझबूझ से भारत में मिलाना था भारत में जितने रियासतें थी
उन सभी को एक करना महत्वपूर्ण कार्य था और यह कार्य सरदार बल्लभ भाई पटेल ने किया था उन्हें लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है 1947 में भारत आजाद होने के बाद भारत पाकिस्तान के बीच बंटवारे के लिए जो युद्ध हुआ था
उसी युद्ध का समझौता करना भारत की राजनीति में एकीकरण करना वल्लभ भाई पटेल ने यह कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से प्रमुख तरीके से करके एक गृह मंत्री के रूप में अपने दायित्व को निभाया
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म
नाम | वल्लभभाई झावेरभाई पटेल |
उपनाम | सरदार और लौह पुरूष |
जन्म | 31 अक्टूबर 1875 |
जन्म स्थान | गुजरात के नडियाद |
पिता का नाम | झवेरभाई |
माता का नाम | लाडवा देवी |
पत्नि | झारबेड़ा |
पुत्र | दहयाभाई |
पुत्री | मणि बेन पटेल |
भाई | सोमाभाई, नरसी भाई और विट्ठल भाई |
पद | पहले उप प्रधानमंत्री एवं पहले गृहमंत्री |
सम्मान | भारत रत्न |
लेखन कार्य | गांधी नेहरू सुभाष,भारत विभाजन,कश्मीर और हैदराबाद आर्थिक एवं विदेश नीति,सरदार श्री के विशिष्ट अनोखे पत्र,मुस्लिम और शरणार्थी |
मृत्यु | 15 दिसंबर 1950 |
सरदार वल्लभ भाई पटेल नाम से प्रसिद्ध थे उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था वह आजाद भारत के पहले गृह मंत्री थे जो हम लोगों के बीच लौह पुरुष के नाम से प्रख्यात है
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नडियाद में हुआ था Sardar Vallabhbhai Patel एक किसान परिवार से थे उनके पिताजी एक किसान थे उनके पिताजी का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडवा देवी था उनकी माता एक साधारण महिला थी
वल्लभभाई पटेल तीन भाई और एक बहन थे और अपने भाई बहनों ने वह सबसे छोटे थे वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के नडियाद में हुआ था वह लेवा पटेल यानी कि पाटीदार जाति से संबंध रखते थे बल्लभ भाई पटेल के भाई का नाम सोमाभाई नरसी भाई और विट्ठल भाई था.
सरदार वल्लभ भाई पटेल का विवाह
वल्लभ भाई पटेल का विवाह 16 साल की उम्र में 1891 में झारबेड़ा नामक कन्या से हुआ था और उन्हें उनसे दो संतान हुई थी.सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक लड़की और एक लड़का था वल्लभ भाई पटेल के दो संतान थी
एक दहयाभाई पुत्र थे और एक पुत्री मणि बेन पटेल थी वल्लभभाई पटेल की पत्नी ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकी
1909 मैं कैंसर जैसे बीमारी हो जाने की वजह से सरदार वल्लभभाई पटेल की पत्नी का मृत्यु हो गया उस समय वल्लभभाई पटेल किसी हाईकोर्ट में कार्य करते थे वहां किसी जरूरी केस के सिलसिले में कार्यवाही में लगे थे पत्नी की मृत्यु के बाद बहुत ही दुखी हुए
और उसके बाद उन्होंने जीवन भर अपने बच्चों के देखभाल में अकेले रहकर ही अपनी भूमिका एक माता और पिता की अच्छे से निभाई.
Sardar Vallabhbhai Patel का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अहम योगदान था वल्लभभाई पटेल बचपन से ही बहुत परिश्रमी थे वह अपने पिताजी के साथ खेती में भी उनका बहुत मदद करते थे
Sardar Vallabhbhai Patel स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने बहुत सारे साहसिक कार्य भी किए हैं इसीलिए उन्हें लौह पुरुष सरदार की उपाधि मिली थी.
सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रारंभिक पढ़ाई
sardar vallabhbhai patel की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही मीडियम स्कूल से हुआ था उसके बाद उन्होंने इंग्लिश मीडियम से भी पढ़ाई किया सरदार वल्लभभाई पटेल का पढ़ाई पूरा होने में वक्त लगा था
22 साल के उम्र में उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की थी Sardar Vallabhbhai Patel शुरू से ही बहुत होशियार थे और विद्वान भी थे अपने परिवार की आर्थिक व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से घर पर ही रह कर पढ़ाई करने लगे थे
और उन्होंने जिलाधिकारी के परीक्षा की तैयारी बहुत अच्छे से घर पर आकर ही किया था और इस परीक्षा में उनका सबसे अच्छा नंबर आया था उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद भारत वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करनी शुरू की थी.
वल्लभभाई पटेल का प्रारंभिक जीवन
जिस तरह हर व्यक्ति का एक लक्ष्य होता है एक सपना होता है कि वह अपने जीवन में आगे चलकर कौन सा पढ़ाई करेगा किस तरह का जीवन व्यतीत करेगा उसी तरह सरदार वल्लभभाई पटेल का भी एक सपना था कि वह कुछ अच्छा सा पढ़ाई करके अच्छी नौकरी करें
पैसा कमाए जिससे कि उनका जीवन बसर अच्छे से हो जाए उनका परिवार अच्छे से चल सके इसलिए शुरू से वह बहुत मेहनत करते थे पैसा जमा करते थे ताकि आगे की पढ़ाई के लिए वह इंग्लैंड जा सके
उनके घर की भी हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह इंग्लैंड जाकर पढ़ाई कर सकें उन्हें कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा रहा था घर के लोगों को यही लगता था कि वह कुछ नहीं करेंगे जब वल्लभभाई पटेल दिमाग के इतने तेज थे कि जो लॉ का कोर्स 36 महीने में पूरा किया जाता है
वह उन्होंने 30 महीने में ही पूरा कर लिया था और अपने कॉलेज में ज्यादा मार्क्स लाकर के टॉप किए थे इंग्लैंड जाकर के बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की उसके बाद वापस अहमदाबाद आकर वकालत की पढ़ाई करने के लगे
उसके साथ-साथ उन्होंने नौकरी भी करना शुरू कर कर दिया ताकि उनका पढ़ाई भी ठीक से चल सके और उनके परिवार का पालन पोषण भी हो सके लोगों से किताबें उधार लेकर के पढ़ाई करते थे
जब वह भारत लौट कर के आए तो अपनी वकालत की प्रैक्टिस करने के लिए गुजरात के गोधरा में चले गए और वही से बड़े पदों पर नियुक्त हो गये .
उस समय ब्रिटिश सरकार का भारत पर राज था तो ब्रिटिश सरकार ने बड़े पद पर उन्हें नियुक्त होने का प्रस्ताव दिया लेकिन वल्लभभाई पटेल को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था क्योंकि वह ब्रिटिश सरकार के बहुत ही विरोधी थे
और अंग्रेजों से काम करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे पढ़ाई पूरी करने के बाद देश की सेवा में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने लगे भारत को आजाद बनाने के लिए भारत में स्वतंत्र देश बनाने के लिए पूरे भारत को एक सूत्र में बांधने के लिए कार्य करने लगे.
वल्लभभाई पटेल का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अहम भूमिका
जब एक सफल बैरिस्टर बन गए ब्रिटिश सरकार का प्रस्तावना उन्होंने नामंजूर कर दिया उसके बाद गुजरात के एक क्लब के मेंबर बन गए और उसी दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल का मुलाकात एक किसी फंक्शन में महात्मा गांधी से हुआ था
और महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए और वही से उनका एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जीवन आगे की तरफ चल दिये महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर उनके दिखाए रास्ते पर चलने लगे और धीरे-धीरे उनका जीवन राजनीति में आगे बढ़ गया.
उन्होंने महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचार महिलाओं के प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ छुआछूत के खिलाफ जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने लगे समाज में जितने भी कुरीतियां कुप्रथा थी उसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाना शुरू कर दिया
और साथ ही महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा भी लेने लगे.महात्मा गांधी जी के विचारों से बहुत ही प्रभावित थे और उन्होंने गांधीजी के विचारधारा को बहुत हद तक अपनाया भी था और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने का फैसला लिया था
Sardar Vallabhbhai Patel महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को दूर करने के लिए भी आवाज उठाई थी 1920 में गांधीजी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी
उन्होंने उस आंदोलन में स्वदेशी खादी वस्तुओं को अपनाया था और विदेशी वस्तुओं को का बहिष्कार किया था सरदार वल्लभभाई पटेल ने गांधी जी के साथ बहुत सारे आंदोलनों में भी साथ दिया था जैसे स्वराज आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन दांडी यात्रा आंदोलन आदि.
1. खेड़ा आंदोलन
1918 में खेड़ा आंदोलन हुआ था जिसमें कि सरदार बल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर के अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
उस समय खेड़ा में बहुत ही भयंकर सूखा आ जाने की वजह से किसानों में भूखों मरने की नौबत आ गई थी लेकिन ब्रिटिश सरकार कर में कोई माफी नहीं कर रहे थे तो किसानों की यह मांग थी कि कर में छूट दिया जाए और ब्रिटिश सरकार यह मानने को तैयार नहीं थी.
किसानों के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और इनके साथ कई स्वतंत्रता सेनानी ने मिलकर आंदोलन किया जिसमें आंदोलन सफल हुआ सरकार झुक गई और किसानों की कार में बहुत ही राहत भी मिल गया.
2. बारडोली सत्याग्रह
1928 में बारडोली सत्याग्रह हुआ था ब्रिटिश सरकार ने किसानों पर 30 परसेंट तक का लगान बढ़ा दिया था जिसके विरोध में आंदोलन होने लगे थे किसानों के इस सत्याग्रह आंदोलन को दबाने के लिए कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने भरपूर कोशिश किया
लेकिन अंत में उन्हें किसानों की मांग पूरी करनी पड़ी इस आंदोलन के बाद किसानों महिलाओं गरीबों में सरदार वल्लभभाई बहुत प्रचलित हो गए उन्हें लोग आदर सम्मान देने लगे और उसी के बाद उन्हें सरदार की उपाधि से नवाजा गया.
3. असहयोग आंदोलन
महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन 1920 में चलाया था जिसमें स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया गया जितने भी विदेशी वस्तु थे उनका बहिष्कार किया गया उसका होली जलाया गया जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल बहुत ही प्रभावित हुए
महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन जैसे कि स्वराज आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन, देशव्यापी आंदोलन नमक के लिए चलाया गया दांडी सत्याग्रह आंदोलन में उन्होंने बहुत सहयोग किया.
इन आंदोलनों में सरदार वल्लभभाई पटेल को कई बार जेल भी जाना पड़ा था और जब भारत आजाद हुआ तो आजाद भारत के पहले गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उनका चुनाव हुआ और उन्हें कार्य सौंपा गया जब प्रधानमंत्री के लिए मतदान हो रहा था
तो सबसे ज्यादा मत सरदार वल्लभभाई पटेल को ही मिला था लेकिन महात्मा गांधी ने उन्हें अपना नाम वापस लेने के लिए कहा जिसके बाद उन्होंने अपना नाम वापस कर लिया और जवाहरलाल नेहरू को देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल को उपप्रधानमंत्री के रूप में चुना गया.
4. भारत विभाजन
देश आजाद होने के बाद मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना एक मुस्लिम बहुल देश बनाने के लिए मांग करने लगे जिससे कि हिंसा भड़कने लगा मुस्लिम और हिंदू में दंगे शुरू होने लगे
इसमें सरदार वल्लभभाई पटेल ने सिविल वर्कर वी पी मेनन के साथ मिलकर समस्या का समाधान खोजने में लग गए और इस तरह भारत का विभाजन हो गया जिसमें एक मुस्लिम देश पाकिस्तान बन गया और एक हिंदू बहुल देश हिंदुस्तान यानी कि भारत बन गया.
5. देश के राज्यों को एकमत करना
जब भारत देश आजाद हुआ तो सबसे बड़ा परेशानी था कि भारत में जितने भी छोटे-छोटे राज्य थे उन्हें एक करना उन्हें एक-एक मत करना सरदार बल्लभ भाई पटेल ने वीपी मेनन के साथ मिलकर भारत के जितने भी छोटे-छोटे राज्य थे
उनको एक करने का कार्य करने लगे लेकिन इनमें तीन राज्य छोड़कर सभी रियासतों ने एक साथ मिलकर रहने का बात स्वीकार कर लिया. वह तीन रियासतें जम्मू और कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद था
उस समय देश में 562 छोटी-छोटी रियासतें थी लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य नेताओं के साहसिक कार्यों के फलस्वरुप सभी रियासतें एक हो गई. हैदराबाद सबसे बड़ी रियासत थी
लेकिन वहां पर भी सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बहुत सारे सेनाओं को भेजकर के बिना खून खराबा किए हैं उस राज्य को भारत में मिला लिया इस कठिन कार्य के बाद ही उन्हें लौह पुरुष के नाम से जाना जाने लगा.
सरदार वल्लभभाई पटेल का व्यक्तित्व
वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन किए और उसमें उन्होंने अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभाई जब वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनाए गए उसमें भी उन्होंने अपना कार्य बहुत अच्छे से निभाया
भारत के 562 रियासतों को एक करने का कार्य उन्होंने किया हैदराबाद जैसे बड़े देश को बिना खून खराबा किए हुए भारत में लाना एक बहुत ही दृढ़ कार्य था
जिसके बाद ही उन्हें लौह पुरुष के नाम से सभी जानने लगे बल्लभभाई पटेल हमेशा कहते थे कि मैं एक गरीब परिवार से आया हूं झुग्गी झोपड़ियों में जीवन बसर किया है खेतों में कार्य किया है इसलिए गरीबों का क्या हालत होता है
वह मैं बहुत अच्छे से जानता हूं. अखंड भारत करने का भारत की एकता कायम रखने में सरदार वल्लभभाई पटेल का सबसे पहले नाम लिया जाता है वह शुरू से ही बहुत तेज दिमाग के थे
सरदार वल्लभभाई पटेल को सम्मान और उपाधि
sardar vallabhbhai patel ने 1928 ईस्वी में साइमन कमीशन के खिलाफ आवाज उठाई थी और इसमें उन्होंने बहुत सारे लोगों को एकत्रित भी कर लिया था यह आंदोलन बारडोली मे शुरू हुआ था
इस आंदोलन से लोग उनसे बहुत प्रभावित हुए थे इस आंदोलन के चलते ही अंग्रेज भी घुटने टेक दिए थे इसी आंदोलन के बाद लोगों ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी
Sardar Vallabhbhai Patel का साल 1991 में उनके मरने के बाद मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था और उनके नाम पर कई शिक्षण संस्थान और हवाई अड्डे का नाम भी रखे गये है.
वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में कई हवाई अड्डे का नाम दिया गया है विश्वविद्यालय बनाए गए और अन्य संस्था ने स्मारक का नाम भी उनके नाम पर रखा गया
- सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय दिनांक क्षेत्र अहमदाबाद
- वल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय
- सरदार पटेल स्मारक ट्रस्ट
- सरदार सरोवर बांध गुजरात
- सरदार पटेल प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई
- सरदार पटेल इंजीनियरिंग कॉलेज मुंबई
- सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद
- सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरत
इस तरह सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में उनके नाम पर कई स्मारक संस्थान बनाए गए हैं इसके साथ ही 31 अक्टूबर 2018 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 240 मीटर ऊंचाई और 58 मीटर का आधार की और उस मूर्ति का ऊंचाई एक सौ 82 मीटर है
जिसका नाम स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी नाम रखा गया है इस मूर्ति का स्थापित किया गया है गुजरात के सरोवर बांध नर्मदा नदी के बीच में एकता की मूर्ति यानी कि स्टैचू ऑफ लिबर्टी को स्थापित करके सरदार वल्लभभाई पटेल को सम्मान दिया गया.
सरदार बल्लभ भाई पटेल के द्वारा लिखी गई पुस्तकें
एक गृह मंत्री उप प्रधानमंत्री एक सफल राजनेता एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कठिन कार्य किए इसके साथ ही उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी वह सारी पुस्तकें उन्होंने कई खंडों में लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद भी किया गया है
- सरदार पटेल चुना हुआ पत्र व्यवहार
- गांधी नेहरू सुभाष
- भारत विभाजन
- कश्मीर और हैदराबाद
- आर्थिक एवं विदेश नीति
- सरदार श्री के विशिष्ट अनोखे पत्र
- मुस्लिम और शरणार्थी
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु
sardar vallabhbhai patel की मृत्यु 1950 ईस्वी में हुआ था उनकी तबीयत खराब थी जिससे उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया था उसके बाद हार्ड अटैक आया उसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई.
सरदार वल्लभभाई पटेल का स्वास्थ्य 1950 में खराब हो गया जिसके बाद उन्हें कई परेशानियां होने लगी और वह ज्यादा बीमार होते गए और हार्ड अटैक होने की वजह से 15 दिसंबर 1950 में उनका मृत्यु हो गया.
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सारांश
इस लेख में भारत के पहले गृह मंत्री उप प्रधानमंत्री एक स्वतंत्रता सेनानी सफल राजनेता सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवनी के बारे में उनका जन्म कब और कहां हुआ उनका विवाह किससे हुआ स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका कैसे निभाई।
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प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।