भारत कोकिला के नाम से प्रसिद्ध होने वाली Sarojini Naidu biography in hindi सरोजिनी नायडू एक बहुत बड़ी कवियित्री और महान स्वतंत्रता सेनानी भी थी हम लोग इस लेख में Sarojini Naidu के जीवन चरित्र के बारे में जानकारी लेंगे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया
लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाएं कम ही जाती थी ऐसे ही एक महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती सरोजिनी नायडू थी जिन्हें भारत कोकिला भी कहा जाता है सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़कर महिलाओं के प्रति कई महान कार्य करने का प्रयास किया
साथ ही कई आंदोलन में भी उन्होंने महात्मा गांधी के शिष्य के रूप में सहयोग किया कई बार जेल भी गई आजाद भारत की पहली महिला गवर्नर बनी सरोजिनी नायडू ने कई कविताएं भी लिखी है जिसके बारे में हम पूरी जानकारी नीचे प्राप्त करेंगे.
Sarojini Naidu biography in Hindi
Sarojini Naidu वह बहुत बड़ी स्वतंत्रता सेनानी थी Sarojini Naidu पहली ऐसी महिला थी जोकि इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बनी थी और वह किसी राज्य की गवर्नर भी बनी थी सरोजिनी नायडू एक कवित्री भी थे जो कि छोटे-छोटे बच्चों के ऊपर ही कविताएं लिखती थी सरोजिनी नायडू जो भी कविताएं लिखती थी.
उसको पढ़ने से ऐसा लगता था की कोई बच्चा लिखा हो या ऐसा लगता था कि उनके अंदर का बच्चा निकल के कविता के अंदर आ गया है इसी वजह से सरोजिनी नायडू को भारत का बुलबुल भी कुछ लोग कहते थे उन्होंने इतने अच्छे कार्य किए हैं कि महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है उनके जन्मदिन को आज भी हम लोग महिला दिवस के नाम से मनाते हैं.

सरोजिनी नायडू का जन्म
Naidu महान स्वतंत्रता सेनानी कविता लेखिका अच्छी गायिका और एक महान नेता थी वह महिला स्वतंत्रता सेनानी थी सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था
वह एक बंगाली परिवार से थी सरोजिनी नायडू के पिता जी वैज्ञानिक और डॉक्टर थे उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था और उनकी माता का नाम वरद सुंदरी देवी था उनकी माताजी एक लेखिका थी वह बंगाली में कविता लिखती थी सरोजिनी नायडू के पिता भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे .
नाम | श्रीमती सरोजिनी नायडू |
जन्म | 13 फरवरी 1879 |
जन्म स्थान | हैदराबाद |
पिता का नाम | अघोरनाथ चट्टोपाध्याय |
माता का नाम | वरद सुंदरी देवी |
शिक्षा | मैट्रिक मद्रास यूनिवर्सिटी, आगे की पढाई लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी उर्दू, तेलुगु, इंग्लिश, बंगाली सारी भाषाओं |
पति का नाम | डॉक्टर गोविंद रुजुल नायडू |
कार्यक्षेत्र | स्वतंत्रता सेनानी समाज सुधारक और उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल |
रचनाएं | द गोल्डन थ्रेसहोल्ड, मोहम्मद अली जिन्ना इन्वेस्टर ऑफ यूनिटी, स्क्रिप्टेड फिल्म सोंग्स ऑफ इंडिया आई, द इंडियन वेबर्स |
पुरस्कार | नाइटेंगल ऑफ इंडिया, कैसर ए हिंद |
मृत्यु | 2 मार्च 1949 |
सरोजनी नायडू का शिक्षा
Sarojini Naidu का पूरा नाम सरोजनी चट्टोपाध्याय था वह बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थी वह एक बहुत अच्छी विद्यार्थी थी सरोजनी नायडू को उर्दू, तेलुगु, इंग्लिश, बंगाली सारी भाषाओं का बहुत अच्छे से ज्ञान था पढ़ने में इतनी तेज थी कि 12 साल की उम्र में ही 12वीं पास कर ली थी .
उन्होंने मैट्रिक मद्रास यूनिवर्सिटी से टॉप किया था उनके पिता की चाहत थी कि वह वैज्ञानिक बने लेकिन उनकी रूचि साहित्य में थी उनको कविताएं लिखना अच्छा लगता था एक बार उन्होंने अपने गणित के कॉपी में 1300 लाइन का कोई कविता लिखा था
उनके पिताजी ने जब देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने वह कविता हैदराबाद के नवाब को दिखाया जो कि बहुत खुश हुए और उन्होंने सरोजनी नायडू को विदेश पढ़ने के लिए भेज दिया और सरोजनी नायडू के पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी देने लगे आगे की पढ़ाई उन्होंने लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की थी.
sarojini naidu पढ़ाई करने के लिए लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चली गई पढ़ाई के दौरान ही Sarojini Naidu की मुलाकात डॉक्टर गोविंद रुजुल नायडू से हुई थी दोनों एक ही साथ एक ही कॉलेज में पढ़ते थे
दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने डॉक्टर गोविंद रुजुल नायडू से शादी कर ली रुजुल नायडू दूसरे कास्ट के थे उस समय दूसरे समाज में शादी करना बहुत ही शिकायत की बात होती थी इन सब बातों की परवाह किए बगैर नायडू ने शादी कर ली उनके पिताजी कुछ दिन बाद मान गए.
सरोजिनी नायडू का व्यक्तित्व
बचपन से ही अपनी पढ़ाई में हमेशा सरोजनी नायडू अव्वल थी वह अपने स्कूल की एक बहुत ही प्रतिभावान छात्रा थी उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था बंगला उर्दू फारसी इंग्लिश तेलुगू आदि उनके पिता भी एक स्कूल के अध्यापक थे
उन्होंने हैदराबाद के निजाम कॉलेज की स्थापना सरोजिनी नायडू के पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय ने हीं किया था सरोजिनी नायडू बचपन से ही कविताएं लिखती थी
उनकी कविता हैदराबाद में इतना प्रचलित हुआ कि वहां के निजाम उन से प्रभावित होकर पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति देने लगे जिससे सरोजिनी नायडू विदेश जाकर पढने लगी उनके पिता चाहते थे कि वह एक वैज्ञानिक बने या गणितज्ञ बने सरोजनी नायडू ने 1950 में बंगाल विभाजन के समय भारत के स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हुई
जिन के बाद कई महापुरुषों के साथ मिलकर उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और भारत में महिला सशक्तिकरण महिला के अधिकार के लिए उन्होंने आवाज उठाए छोटे-छोटे गांव कस्बे छोटे-छोटे शहरों में महिलाओं को घूम घूम कर जागरूक करती थी
1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी के द्वारा चलाया गया था उसमें सरोजिनी नायडू को 21 महीने जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी सरोजिनी नायडू गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक पिता मानती थी.
भारत में आजादी की लड़ाई में महिला के रूप में उन्होंने बहुत योगदान दिया साथ ही महिलाओं के आजादी की लड़ाई भी वह लड़ती थी
ताकि समाज में महिलाएं पुरुषों के समान जी सके महिलाओं को समाज में सम्मान मिले वह एक ऐसी राजनेता थी उनमें ऐसा योग्यता और हुनर था कि उन्हें पहली महिला अध्यक्ष राष्ट्रीय कांग्रेश की बनाई गई थी और पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू को बनाया गया था.
सरोजनी नायडू का राजनीतिक जीवन
सरोजनी नायडू ने शादी करने के बाद भी अपनी कविताएं लिखना जारी रखा था उनकी कविताओं को लोग गाने की तरह भी गाते थे कुछ दिन बाद उनकी कविता बुलबुले हिंद पत्रिका में प्रकाशित हुए जिससे कि वह बहुत मशहूर हो गई लोग उन्हें जानने लगे उसके बाद कई कविताएं उनके प्रकाशित हुई .
उनको भारत कोकिला के नाम से भी जाना जाता है वह इस नाम से बहुत मशहूर है सरोजनी नायडू इंग्लिश में भी कविताएं लिखा करती थी कुछ दिनों बाद सरोजनी नायडू का मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुआ
उसी के बाद ही उनका स्वतंत्रता संग्राम की तरफ ध्यान आकर्षित हुआ 1 दिन उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई महात्मा गांधी से मिलने के बाद वह उनसे बहुत प्रभावित हुई और देश आजाद करवाने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा दी .
वह महिलाओं के बीच में जा जाकर उनसे बातें करती उन्हें जागृत करती थी उन्हें समझाती कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हमें भी साथ देना चाहिए महिलाओं को बहुत ही प्रोत्साहित करती थे
1925 ईस्वी में सरोजनी नायडू को इंडियन नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. 1931 में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया और उस में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी
1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन में भी सरोजनी नायडू ने अपनी भूमिका महत्वपूर्णता से निभाई थी उस समय उन्होंने महात्मा गांधी के साथ एक महीना तक जेल में भी बिताया था महिलाओं के अधिकार के लिए और महिला सशक्तिकरण के लिए भी सरोजनी नायडू ने आवाज उठाई थी वह एक वीरांगना थी.
सरोजिनी नायडू की रचनाएं
भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थी इसके साथ ही वह एक बहुत ही अच्छी लेखिका कवियित्री और गायिका भी थी सरोजिनी नायडू ने कई कविता संग्रह लिखे हैं
जो कि आज भी बेहद प्रसिद्ध और लोकप्रिय है उन्हें उनकी कविताओं के लिए कई पुरस्कार से भी नवाजा गया है सरोजिनी नायडू भारत कोकिला नाम से प्रसिद्ध हुई थी
उनकी रचनाएं जो की कविता संग्रह था द गोल्डन थ्रेसहोल्ड में प्रकाशित होता था लंदन टाइम्स और द मैन्चेस्टर गार्जियन नाम के अखबार में उनकी कविता संग्रह की समीक्षाएं हमेशा लिखी जाती थी जोकि हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के लोग काफी पढ़ते थे
और काफी सराहना भी करते थे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरोजिनी नायडू पहली महिला अध्यक्ष थी सरोजिनी नायडू ने पढ़ाई के दौरान कई नाटक भी लिखें 1916 में मोहम्मद अली जिन्ना इन्वेस्टर ऑफ यूनिटी का उन्होंने प्रकाशन किया था उसके बाद स्क्रिप्टेड फिल्म सोंग्स ऑफ इंडिया आई 1943 में सरोजिनी नायडू ने लिखा
1961 में सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू ने अपनी मां के द्वारा लिखे हुए रचना द फिदर ऑफ द ड्वान को प्रकाशित करवाया था सरोजिनी नायडू की सबसे अंतिम लास्ट रचना द इंडियन वेबर्स प्रकाशित हुआ था.
नायडू रचनाएं लिखने के साथ-साथ बहुत ही अच्छे स्वर में गाती भी थी मधुर स्वर में अपनी कविताएं गाने की वजह से उन्हें भारत कोकिला के नाम से भी जाना जाता है.
सरोजिनी नायडू को मिले सम्मान और पुरस्कार
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में एक महिला स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सरोजिनी नायडू ने अपनी भूमिका बहुत ही अच्छे से निभाई थी इसके साथ ही अपने पढ़ाई के समय से ही उन्होंने कई कविता संग्रह और कई नाटक भी लिखे उनकी कविता संग्रह अखबारों में प्रकाशित होते थे
और लोग बहुत ही पसंद करते थे सरोजिनी नायडू बांग्ला भाषा में लिखती थी उनकी कविताओं के लिए ही नाइटेंगल ऑफ इंडिया अवार्ड दिया गया था
जिसके बाद सरोजिनी नायडू का नाइटेंगल ऑफ़ इंडिया उपनाम हो गया था 1967 में सरोजनी नायडू को भारत सरकार के तरफ से सम्मान दिया गया उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया था और भारत सरकार के तरफ से कैसर ए हिंद का पुरस्कार सरोजिनी नायडू को देकर सम्मानित किया गया था.
सरोजिनी नायडू का राज्यपाल कब बनाया गया
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी नेताओं का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण था लेकिन इसमें बहुत कम ही महिला स्वतंत्रता सेनानी थी जो कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अपना योगदान देती थी
सबसे पहली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष सरोजनी नायडू को 1925 में बनाया गया सरोजिनी नायडू ने भारत में कई तरह की परेशानियों को दूर करने का प्रयास किया
उन्होंने महिला सशक्तिकरण महिला की आजादी सामाजिक कल्याण आदि के लिए बहुत कोशिश किया 1947 से 1949 तक सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था सरोजनी नायडू आयरलैंड की मूल निवासी थी
लेकिन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था 1932 में सरोजिनी नायडू भारत के प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका गई थी महात्मा गांधी के विचारों से वह बहुत प्रभावित रहती थी
वह महात्मा गांधी को वह अपना गुरु मानती थी इसके साथ ही सरोजिनी नायडू एनी बेसेंट की बहुत अच्छी मित्र भी थी कहा जाता है कि सरोजिनी नायडू राज्यपाल नहीं बनना चाहती थी क्योंकि जब उन्हें राज्यपाल बनाया गया
तो उन्होंने कहा कि मैं अपने को कैद कर दिए गए जंगल के पक्षी की तरह अनुभव कर रही हूं लेकिन उन्होंने अपने कार्यों को अपने दायित्वों को बहुत ही अच्छे तरीके से निभाया था.
सरोजनी नायडू की मृत्यु
वह पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थी जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभाई थी कितने दिन जेल में भी व्यतीत किया था 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो
आजादी के बाद सरोजनी नायडू को उत्तर प्रदेश का गवर्नर भी बनाया गया था गवर्नर बनने के बाद पहली ऐसी महिला बनी जो कि किसी राज्य का गवर्नर बनी थी सरोजनी नायडू हर भारतीय नारी के लिए आदर्श थी है और हमेशा रहेगी.
सरोजनी नायडू का मृत्यु 2 मार्च 1949 को हुआ था उनका मृत्यु उनके ऑफिस में काम करने के समय हुआ था हार्ट अटैक आ जाने की वजह से सरोजनी नायडू का देहांत हो गया सरोजिनी नायडू एक ऐसी महिला थी
जिन्होंने महिलाओं को जागृत और प्रोत्साहित करके भारत को आजाद कराने के लिए कई कार्य किये सरोजनी नायडू के जन्मदिन को महिला दिवस के रूप में आज भी हम लोग मनाते हैं .
आज की महिलाओं को भी सरोजनी नायडू से प्रेरणा लेना चाहिए उनको यह परिवार से विरासत के रूप में मिला था उनके पिताजी भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनके एक भाई भी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें अंग्रेजों ने मार दिया था.
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सारांश
सरोजिनी नायडू को कई भाषाओं का ज्ञान था वह जब भी भाषण देती थी तो जिस क्षेत्र में भाषण देती थी वहां के भाषा में ही बोलती थी जैसे कि हिंदी अंग्रेजी गुजराती बांग्ला आदि एक बार जब लंदन में वह किसी कार्य से गई थी
तो वहां पर अंग्रेजी भाषा में भाषण देकर के वहां उपस्थित जितने भी श्रोता थे उन्हें मंत्रमुग्ध कर दी थी सरोजिनी नायडू एक वीरांगना की तरह हमेशा देशवासियों को अपने देश के प्रति कर्तव्य को याद दिलाती थी घूम घूम कर गांव में और छोटे छोटे शहरों में लोगों को देश भक्ति के लिए देश प्रेम का की तरफ जागरूक करती थी
उनमें उत्साह भरती थी. इस लेख में भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू के बारे में जानकारी विस्तृत रूप से दी गई है फिर भी अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल आपके मन में है तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.
इस लेख में भारत कोकिला सरोजनी नायडू Sarojini Naidu biography in hindi language के जीवन चरित्र के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है आप लोगों की जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।