जिस समय मुगल सम्राट औरंगजेब पूरे भारत में राज करना चाहता था उस समय के महान सम्राट छत्रपति शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की स्थापना किया था.
इस महान रणनीतिकार महाराज छत्रपति शिवाजी की जीवनी के बारे में Shivaji maharaj history in hindi language उनके जन्म तिथि के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें.
तो आइए इस लेख में भारत के महान शासक छत्रपति शिवाजी का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था शिवाजी के माता पिता कौन थे छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कब हुआ था.
Shivaji Maharaj History in Hindi
भारत देश में कई मुस्लिम शासक आए जिन्होंने पूरे भारत पर राज करना चाहा भारत को अपना गुलाम बनाना चाहते थे लेकिन उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने के लिए उनका सामना करने के लिए कई ऐसे राजा थे
जिन्होंने भले ही जान गवा दी लेकिन भारत पर मुस्लिम शासकों को टिकने नहीं दिया. जिस समय भारत पर मुगलों का शासन था मुगल सम्राट अकबर ने जिस तरह भारत पर एकछत्र राज किया था
उन्हीं के वंशज भारत पर राज करते थे उसी समय एक महान योद्धा महान राजा छत्रपति Shivaji maharaj भोसले का जन्म हुआ.
जिन्होंने अपने राज्य के लिए अपने देश के लिए औरंगजेब जैसे शासक से कई बार संघर्ष किया छत्रपति शिवाजी भारत के एक बहुत ही महान रणनीतिकार थे एक महान राजा थे जिन्होंने अपने राज्य को मुगल सम्राट औरंगजेब से बचाने के लिए उसके साथ कई युद्ध किए.
उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी छत्रपति शिवाजी ने मराठी भाषा और संस्कृत भाषा को राजकीय भाषा बनाया शिवाजी को भारत के वीर सपूत के रूप में जाना जाता हैं
कई लोग तो उन्हें हिंदू हृदय सम्राट मराठा का गौरव का भी उपाधि दिया हैं छत्रपति शिवाजी को भारतीय गणराज्य के महानायक के रूप में याद किया जाता हैं.
Shivaji ka janm kab hua tha
नाम | छत्रपति शिवाजी |
जन्म | 19 फरवरी 1630 |
जन्म स्थान | शिवनेरी दुर्ग जिला पुणे महाराष्ट्र |
पिता का नाम | शाहजी भोंसले |
माता का नाम | जीजाबाई |
दादाजी का नाम | कोंडदेव |
भाई | एकोजी राजे |
पत्नि का नाम | साईं बाई निंबालकर, सोयराबाई , लक्ष्मी बाई, काशीबाई, पुतलाबाई, सकवरा बाई |
पुत्र | संभाजी भोसले, राजाराम |
शिक्षा | देश समाज की रक्षा करना अपनी संस्कृति को बचाना गौ माता ब्राह्मणों को मुसलमानों के उत्पीड़न से बचाना, रामायण माहाभारत का ज्ञान |
गुरू | गुरु रामदास |
कार्यक्षेत्र | कुशल सेनापति, कुशल रणनीतिकार, स्वतंत्रता सेनानीसेनानी, कट्टर देशभक्त और एक चतुर कूटनीतिज्ञ |
विजय | टोरणा की युद्ध, बीजापुर पर विजय, कोंडाना विजय |
राज्याभिषेक | 1674 |
शिवाजी का सैन्य बल | 30 से 40,000 घुड़सवार , पैदल चलने वाले,1260 हाथी और कई तोपखाने |
शिवाजी का धार्मिक कार्य | मस्जिद बनवाये , हर साल दसहरा में वह कार्यक्रम करवाते थे संस्कृत भाषा को बढावा दिया |
उपाधी | हिंदू हृदय सम्राट, मराठा का गौरव छत्रपति |
मृत्यु | 3 अप्रैल 1680 |
हमारे भारत की हिंदू हृदय सम्राट मराठा गौरव कहे जाने वाले छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में हुआ था छत्रपति शिवाजी का जन्म शिवनेरी दुर्ग जिला पुणे महाराष्ट्र में हुआ था
उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले था और उनकी माता का नाम जीजाबाई था शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले भी बहुत ही शक्तिशाली और वीर सामंत थे.
उनकी माता भी कोई साधारण महिला नहीं थी वह भी यादव कुल में उत्पन्न हुई थी और साथ ही बहुत ही प्रतिभाशाली महिला थी.
शिवाजी के पिता जी शाहजी भोंसले ने जीजाबाई को छोड़कर दूसरा शादी तुकाबाई मोहिते से किया था और उनसे उनका एक पुत्र एकोजी राजे भी हुआ था.
शिवाजी की शिक्षा
जब छत्रपति Shivaji maharaj का जन्म हुआ उसके कुछ ही दिनों बाद उनके पिताजी शाहजी भोंसले ने शिवाजी की माता जीजाबाई का त्याग कर दिया.
उसके बाद जीजाबाई अपने पिता के घर जाकर रहने लगे जीजाबाई के पिताजी भी यानी कि शिवाजी के नाना एक बहुत ही वीर प्रभावशाली और शक्तिशाली जाधव सामंत थे तो शिवाजी का बचपन और उनका पालन पोषण उनके नाना के घर ही हुआ था .
उनके नाना जी और उनके दादाजी कोंडदेव ने शिक्षा दीक्षा दिया था और शिवाजी अपने दादाजी और अपनी मां को ही अपना गुरु मानते थे शिवाजी का जो भी शिक्षा दीक्षा हुआ वह गुरु रामदास के देखरेख में हुआ था
उन्हें शुरू से ही देश समाज की रक्षा करना अपनी संस्कृति को बचाना गौ माता ब्राह्मणों को मुसलमानों के उत्पीड़न से बचाना इसी कर्तव्य का पालन करने का शिक्षा दिया गया था
इसीलिए छत्रपति शिवाजी के मन में शुरू से ही मुसलमानों के प्रति एक द्वेष भावना था अपने राष्ट्र को विदेशी और आताताई राज्य सत्ता से स्वतंत्र कराने के लिए भरपूर कोशिश किया.
इसीलिए उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में एक अग्रगण्य वीर के रूप में आज भी याद किया जाता हैं. अपनी माता से ही उन्होंने युद्ध की शिक्षा दीक्षा राजनीति की शिक्षा और उस युग के अनुसार उस वातावरण के अनुसार किस तरह रहना हैं किसके साथ कौन सा व्यवहार करना हैं.
वह अपने माता के मार्गदर्शन में उन्होंने शिक्षा ली थी.उनकी माता रामायण माहाभारत जैसी धार्मिक कहानियां सुनाती थी.इन्हीं ग्रंथों के सुनने से शिवाजी पर बहुत गहरा असर पडा उन्हें हिन्दु धर्म का बचाव करने की प्रेरणा मिली.
छत्रपति शिवाजी का विवाह
शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में साईं बाई निंबालकर के साथ हुआ था वैसे शिवाजी ने आठ शादियां किया था साईं बाई निंबालकर से शिवाजी को 1 पुत्र पैदा हुए थे जिनका नाम संभाजी भोसले था
संभाजी भोसले शिवाजी के आगे चलकर उत्तराधिकारी हुए शिवाजी की और भी कई पत्नियां थे जिनका नाम सोयराबाई लक्ष्मी बाई काशीबाई पुतलाबाई सकवरा बाई था.
छत्रपति शिवाजी का राजनीतिक जीवन
छत्रपति Shivaji maharaj को शुरू से ही कुशल सेनापति कुशल रणनीतिकार और एक चतुर कूटनीतिज्ञ की शिक्षा उनके दादाजी और उनकी माता ने दिया था
इसीलिए वह एक कट्टर देशभक्त थे और अपने मातृभूमि को बचाने के लिए मातृभूमि की रक्षा करने के लिए कई युद्ध उन्होंने किया
औरंगजेब जैसे शासक के साथ में कई युद्ध किया उसके बाद ही छत्रपति शिवाजी को राजा घोषित किया गया उनका राज्याभिषेक किया गया लेकिन उससे पहले छत्रपति शिवाजी ने कई विजय हासिल की.
1. टोरणा की युद्ध
छत्रपति शिवाजी ने 16 साल की उम्र में ही सबसे पहला युद्ध किया और उसमें उन्होंने जीत भी हासिल की वह थी तोरणा के किला पर विजय.
2. बीजापुर पर विजय
छत्रपति Shivaji maharaj ने जब से देश राज्य हित के बारे में जाना तब से उन्हें बीजापुर से हमेशा लड़ाई देखा उनके राज्य और बीजापुर के राजा के साथ हमेशा लड़ाई होती रहती थी 1659 में बीजापुर के सुल्तान ने अपने सेनापति अफजल खान को शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा
साथ में 20000 सैनिक भी गए लेकिन उस समय शिवाजी ने अपनी चतुराई से अपने रणनीतिकार सोच से अफजल खान के सेना को मात दे दी
उसे पहाड़ों के बीच ऐसा फंसा दिया कि वे लोग यहां से निकल ही नहीं पाए और अफजल खान की हत्या शिवाजी ने बाघ नख से कर दी.
बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के पिता जी शाहजी भोंसले को पकड़कर जेल में डाल दिया था लेकिन अफजल खान के हत्या के बाद 1662 में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह को अपने राज्य पर संकट दिखाई देने लगा
तब उसने शिवाजी के साथ एक शांति संधि की और उसने जितने भी राज्य जीते थे. वह शिवाजी को वापस करके वहां का स्वतंत्र शासक बना दिया. जब बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह का तबीयत बहुत खराब हो गया
उसके राज में अराजकता फैलने लगी उस मौके का लाभ उठाकर शिवाजी ने बीजापुर में प्रवेश किया और वहां पर रोहिदेश्वर दुर्ग हमला करके उस पर अधिकार कर लिया.
3. कोंडाना विजय
बीजापुर पर आक्रमण कर के विजय प्राप्त करने के बाद छत्रपति शिवाजी ने कोंडाना के किले पर अधिकार करने के बारे में रणनीति बनाएं उनके इस युद्ध में मालवा के राजा तानाजी मलूसरे ने साथ दिया
कोंडाना दुर्ग पर कब्जा कर लिया लेकिन इस युद्ध में तानाजी वीरगति को प्राप्त हो गए और शिवाजी ने इस दुर्ग का नाम से सिंहगढ़ रखा.
इस तरह शिवाजी ने कई किले कई दुर्ग पर आक्रमण किया कुछ ही दिनों पहले तानाजी पर बनी एक फिल्म आई थी वह इन्हीं तानाजी मालुसरे की जीवनी थी.और उस पर अधिकार कर लिया कहा जाता हैं कि छत्रपति शिवाजी ने 23 किलों पर युद्ध करके कब्जा किया था.
छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक कब हुआ था
छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक 1674 में हुआ था उन्हें रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी के रूप में मराठा साम्राज्य का स्वतंत्र शासक के रूप में घोषित कर ताज पहनाया गया था जब उनका राज्याभिषेक हुआ
वह राजा बन गए तो मुगल सल्तनत के लिए यह एक संकट बन गए. शिवाजी महाराज के बढ़ते शक्ति को देखते हुए कई बार उन्हें कई शासक ने मारना भी चाहा एक बार बीजापुर के शासक ने उनसे बदला लेने के लिए उनके पिताजी को बंदी बना लिया और कई सैनिकों को उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए भेजा.
लेकिन शिवाजी महाराज ने सारे सैनिकों को मार गिराया इसी तरह राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान के साथ संधि करके शिवाजी को हराने के बारे में सोचा लेकिन उस समय भी शिवाजी ने उनके साथ युद्ध किया और पुरंदर की संधि के अनुसार महाराजा जयसिंह के साथ छत्रपति शिवाजी ने संधि कर लिया.
जब दक्षिण भारत में शिवाजी का अधिकार बढ़ने लगा तो औरंगजेब ने उन्हें रोकने के लिए कई हमले करवाए.
जब शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ उसके बाद औरंगजेब ने वहां के ब्राह्मणों को धमकी देना शुरू कर दिया कि शिवाजी को राजा मानने से इंकार कर दो
लेकिन वहां की प्रजा ने वहां के ब्राह्मणों ने उसकी एक बात भी नहीं मानी और शिवाजी का राज्याभिषेक बहुत ही धूमधाम से किया.
शिवाजी और मुगलों से टक्कर
जब Shivaji maharaj का शक्ति बहुत बढ़ने लगा तब मुगल सम्राट औरंगजेब को चिंता होने लगी उसने दक्षिण में अपने एक नए सूबेदार को नियुक्त किया.
और छत्रपति शिवाजी पर चढ़ाई करने का आदेश दिया लेकिन इस युद्ध में Shivaji maharaj से लड़ाई करने के बाद औरंगजेब के सूबेरदार युद्ध में हार गया और वह मैदान छोड़कर के वहां से भाग निकला इस युद्ध में शिवाजी ने अपने पुत्र को खो दिया था.
छत्रपति शिवाजी का सेना
शिवाजी महाराज ने बचपन में सैन्य कौशल कुछ ज्यादा नहीं सिखा था. उन्होंने अपने माता से नाना जी ने दादा जी से राजकाज के बारे में प्रशासनिक कार्यों के बारे में शिक्षा घर पर ही लिया था लेकिन उन्होंने अपने दरबार में प्रशासनिक कार्यों के लिए कई तरह के व्यवस्थाएं बनाई थी.
आठ मंत्रियों का एक मंडल था जिसमें एक प्रधान होते थे जिनको अष्टप्रधान कहा जाता था. इनके द्वारा शिवाजी महाराज अपने राज दरबार के कार्यों में सहायता लेते थे. इनके साथ ही शिवाजी महाराज के दरबार में जो मंत्रियों के प्रधान होते थे उनको पेशवा कहा जाता था.
राजस्व के और वित्त मंत्रालय के जो भी कार्य होते थे उनको अमात्य देखते थे. राज्य से बाहर की जो भी कार्य या देखरेख होता था वह विदेश मंत्री यानी कि सुमंत देखते थे. राज्य में जो भी धार्मिक कार्य होते थे या धार्मिक कार्यों से जुड़े देखरेख का कार्य पंडितराव करते थे.
छत्रपति शिवाजी ने अपने साम्राज्य को चार भागों में बांट दिया था ताकि उनके राज्य में सभी प्रशासनिक व्यवस्थाएं सही से बनी रहे. उन्होंने बाहरी दुश्मनों से लड़ने के लिए नौसेना भी तैयार की थी नौसेना के प्रमुख मयंक भंडारी को उन्होंने बनाया था.
शिवाजी का व्यक्तित्व
छत्रपति शिवाजी एक बहुत ही वीर योद्धा थे और उनमें धार्मिक और देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी उनकी माता ने धर्म संस्कृति और राजनीति की शिक्षा बहुत ही अच्छे से दिया था
इसीलिए वह एक राष्ट्र प्रेमी कर्मठ योद्धा और कर्तव्य परायण पुरुष थे शिवाजी कट्टर देशभक्त चतुर कूटनीतिज्ञ और कुशल रणनीतिकार थे वह अपनी मातृभूमि के लिए मर मिटने के लिए हमेशा तैयार रहते थे.
अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए कई दुर्ग और किले पर उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल रणनीति और बहादुरी से अधिकार किया था कई महान शासकों राजा सुल्तान को हराकर उनके राज्यों पर उन्होंने अधिकार कर लिया था.
शिवाजी शुक्राचार्य और कौटिल्य को अपना आदर्श मानते थे और उन्हीं के आदर्शों पर चलकर एक निरंकुश शासक बने थे.
शिवाजी महाराज के सेना में लगभग 30 से 40,000 घुड़सवार पैदल चलने वाले और 1260 हाथी रहते थे और कई तोपखाने भी उनके सेना में थे. वाजी एक कट्टर हिन्दु थे लेकिन वह सभी धर्मों का सम्मरन करते थे.
उन्होंने कई धार्मिक कार्य किये हैं कई मस्जिद बनवाये हैं मुसलमान भी उनके राज्य में स्वतंत्र रहते थे.हर साल दशहरा में वह कार्यक्रम करवाते थे.उन्होंने संस्कृत भाषा को बढावा दिया.
शिवाजी महाराज के द्वारा चलाया गया सिक्का
शिवाजी महाराज एक ऐसे राजा थे जिनका सम्मान उनकी सभी प्रजा करती थी क्योंकि शिवाजी एक बहुत ही आदर्श पुत्र थे जब उनके पिता को बीजापुर के सुल्तान ने बंदी बना लिया था तब उन्होंने बीजापुर के सुल्तान के साथ संधि करके अपने पिता को छुड़वाया था.
शिवाजी महाराज का राजतिलक उनके पिता के मृत्यु के बाद ही हुआ था छत्रपति शिवाजी का जितना दिन तक शासन रहा इतने दिनों तक उनके राज्य में किसी भी तरह का आंतरिक विद्रोह या किसी भी तरह की कोई घटना नहीं हुई थी.
अपनी प्रजा को किस तरह खुश करना है उनका ध्यान किस तरह रखना है शिवाजी महाराज को बहुत ही अच्छे से पता था. वह एक बहुत ही बड़े कूटनीतिज्ञ थे और अपने दुश्मनों को बहुत ही आसानी से हरा देते थे.
जिस तरह कई शासक अपने शासनकाल में सिक्का चलाया उसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी अपने शासनकाल में अपने नाम का एक सिक्का चलाया था जिसका नाम शिवराई था.
छत्रपति शिवाजी ने संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने की बहुत कोशिश किये थे इसीलिए उन्होंने अपना जो सिक्का चलाया था उस पर संस्कृत भाषा में लिखा हुआ था.
छत्रपति शिवाजी का धार्मिक कार्य
शिवाजी महाराज को अपनी सभ्यता और संस्कृति धार्मिक कार्य आदि के बारे में बचपन से ही अपनी माता से शिक्षा मिली थी. महाभारत रामायण वेद पुराण आदि का ज्ञान उन्होंने अपने माता से ही लिया था.
शिवाजी महाराज ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया इसके लिए उन्होंने अपने कई किलों का नाम संस्कृत में रखा था. शिवाजी महाराज के परिवार में हर किसी को संस्कृत का बहुत अच्छे से ज्ञान था
उन्होंने अपने दरबार में एक राजपुरोहित नियुक्त किया था जिनका नाम केशव पंडित था. केशव पंडित एक बहुत ही बड़े संस्कृत के कवि और शास्त्री भी थे. शिवाजी महाराज को कट्टर हिंदू के रूप में जाना जाता है.
उन्होंने हिंदुओं के लिए कई धार्मिक कार्य किए लेकिन शिवाजी महाराज सभी धर्मों का बहुत सम्मान करते थे. उन्होंने मुसलमानों को भी उनके हर धार्मिक कार्यों के लिए स्वतंत्रता दी थी
शिवाजी महाराज ने मुस्लिमों के लिए कई मस्जिद का निर्माण किया उसके लिए उन्होंने दान दिया उनकी सेना में हिंदुओं के साथ-साथ कई मुस्लिम सैनिक भी थे.
शिवाजी की मृत्यु
शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 में हुई थी शिवाजी के मृत्यु के बारे में कई तथ्य हैं इतिहासकारों को इसमें मतभेद हैं कुछ इतिहासकारों का कहना हैं कि उनकी दूसरी पत्नी का जो पुत्र था राजाराम उसके विवाह के बाद शिवाजी बहुत बीमार पड़ गए थे
उनका तबीयत खराब रहने लगा था इसी वजह से उनकी मृत्यु हो गई लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना हैं की शिवाजी को जहर पिला दिया गया था इसलिए उनकी मृत्यु हो गई इसके बारे में कोई साक्ष्य प्रमाण नहीं हैं.
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सारांश
शिवाजी महाराज ने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब से कई बार संघर्ष किया और अपने राज्य अपने देश को सुरक्षित करना चाहा उनके राज्याभिषेक के बाद ही छत्रपति नाम मिला था वह एक बहुत ही बड़े देश भक्त राष्ट्रभक्त हिंदू हृदय सम्राट माने जाते हैं.
इस लेख में शिवाजी महाराज कौन थे छत्रपति शिवाजी का जन्म कब हुआ था उनके माता पिता कौन थे उनका विवाह किससे हुआ था छत्रपति शिवाजी ने कौन-कौन से युद्ध किया
उनका राज्याभिषेक कब हुआ इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई हैं इस लेख से जुड़े कोई सवाल मन में तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें और इस जानकारी को दोस्त मित्रों रिश्तेदारों को शेयर जरूर करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।