शिवमंगल सिंह सुमन कौन थे Shivmangal Singh Suman in hindi वह कहां के रहने वाले थे। हम लोग स्कूल के समय में शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में जरूर पढ़े होंगे उनका बहुत ही अच्छी अच्छी कविताएं हम लोगों को पढ़ने को मिलता था।
आज हम लोग उनके पूरा जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं ।जिसमें हम लोग शिवमंगल सिंह सुमन के जन्मस्थली के बारें में उनके शिक्षा के बारे में उनके व्यवहार उनके आचरण । उन्होंने अपने जीवन में किन किन ऊंचाइयों को प्राप्त किया हैं । उसके बारे में हम लोग इस लेख में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।
तो यदि आप लोग शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में सर्च करते हुए इस पोस्ट पर आए हैं तो शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप लोगों को पूरा पढ़ना होगा तो अब हम लोग विस्तृत रूप से नीचे शिवमंगल सिंह सुमन के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी को जानने वाले हैं।
Contents
- 1 Shivmangal Singh Suman in hindi
- 2 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म
- 3 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का शिक्षा
- 4 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का साहित्यिक जीवन
- 5 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का व्यक्तित्व
- 6 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
- 7 शिवमंगल सिंह सुमन की रचनाएं
- 8 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन को मिले पुरस्कार और सम्मान
- 9 डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का मृत्यु
- 10 साराशं
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Shivmangal Singh Suman in hindi
शिवमंगल सिंह सुमन एक प्रख्यात कवि और शिक्षक थे वह पढ़ाई करने के बाद से लेकर अंतिम समय तक शिक्षा से ही जुड़े रहे थे शिवमंगल सिंह सुमन अपने समय के हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि और कविता क्षेत्र के बहुत ही बेहतर कविता संरक्षक भी थे
जिन्होंने अपनी कविताओं में अपने भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त किया हैं। उस युग के सामूहिक मुद्दों पर भी अपनी रचनाओं के द्वारा टिप्पणियां की हैं। डॉ शिवमंगल सिंह सुमन भारतीय हिंदी साहित्य के कवियों में बहुत ही मशहूर थे और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना बहुत योगदान भी दिया हैं
वह उस समय इतने प्रसिद्ध थे कि किसी भी रिक्शा वाले से सिर्फ इतना कहा जाता था कि हमें सुमन जी के घर जाना हैं तो वह बिना कुछ बताए सीधे उनके घर ले जाकर छोड़ आते थे
उन्होंने बहुत ही प्रसिद्ध कविताओं की रचना की है जो कि हर क्लास के छात्रों को अपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ने को मिलता हैं।शिवमंगल सिंह सुमन की रचनाएं प्रेरणादायक होती हैं।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म
Shivmangal Singh Suman सुमन उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला के झगेरपुर के रहने वाले थे उनका जन्म 5 अगस्त 1915 को हुआ था वह एक बहुत ही बेहतरीन और कुशल शिक्षक थे।वह एक साफ दिल और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का शिक्षा
Shivmangal Singh Suman का प्रारंभिक पढ़ाई ग्वालियर से हुआ था उन्होंने M.A. और पीएचडी भी किया था बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने हिंदी से डिलीट की उपाधि प्राप्त की थी
पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अध्यापक के पद पर कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कार्य किया था 1968 से 1978 तक विक्रम विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में उन्होंने कुछ दिन कार्य किया था।शिक्षा को बेहतर बनाने लिए उन्होने बहुत प्रयास किया था।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का साहित्यिक जीवन
Shivmangal Singh Suman एक बहुत ही उच्च कोटि के लेखक और शिक्षक थे उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत वृद्धि किया कई स्कूलों कॉलेज और विश्वविद्यालयों में उन्होंने शिक्षक के पद पर कार्य किया और हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए बहुत सारे प्रयत्न भी किए थे।
शिवमंगल सिंह सुमन एक भारतीय हिंदी साहित्य के बहुत बड़े कवि अध्यापक और हिंदी से आत्मीय प्रेम करने वाले हिंदी को पूरी दुनिया में आगे बढ़ाने वाले एक ऐसे व्यक्ति थे। जिनको हम लोग आज हिंदी जगत के एक अच्छे कवि और अध्यापक के रूप में जानते हैं।
शिवमंगल सिंह सुमन का बचपन से ही शिक्षा में बहुत रुचि था और उन्होंने अपने बचपन के समय से ही पढ़ाई और शिक्षा के बारे में अपने आप को जागरूक रखते थे और दिनोंदिन हिंदी से उनका प्रेम बढ़ता गया।
और अपने पढ़ाई के बाद से ही उन्होंने लेखन संबंधी कार्यों में अपना रुचि को जाहिर करते हुए हिंदी साहित्य के लेखन के कार्यों में लग गए और साथ ही साथ देश में राज्य में शिक्षा का कैसे और ज्यादा विकास हो उसके बारे में वह अपने आप को समर्पित करते गए और आज हम लोगों के लिए एक आदर्श बने हुए हैं।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का व्यक्तित्व
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन एक बहुत अच्छे व्यक्तित्व वाले इंसान थे और वह एक शिक्षक थे जब भी वह अपने क्लास में पढ़ाने जाते थे तो उनके हाथ में आठ 10 किताबें जरूर रहती थी लेकिन उन किताबों में से वह एक भी पढ़ाते नहीं थे
क्लास के छात्र यह सब देखकर उन पर बहुत हंसते थे लेकिन उनको इस चीज का थोड़ा भी मतलब नहीं रहता था शिवमंगल सिंह सुमन साहित्य प्रेमियों के लिए एक सम्मानित और आदर्श व्यक्ति थे।
उन्हें संगीत से भी बहुत प्रेम था ऐसा कहा जाता हैं कि किसी कॅालेज के फंक्शन में कोई संगीत का प्रोग्राम था उसमें जब छात्र गाने के लिए स्टेज पर गए तब उन्होंने किसी एक स्वर को बताया कि ऐसे गाना हैं
तब सब लोग अचंभित रह गए कि वह संगीत का इतना ज्ञान भी हैं और बाद में वह बहुत प्रचलित हुआ और शिवमंगल सिंह सुमन का प्रशंसा सभी लोग करने लगे।उनका स्वभाव बहुत ही सरल था।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
शिवमंगल सिंह सुमन बहुत ही निडर व्यक्ति थे उन्होंने क्रांतिकारियों की भी मदद किया था कहा जाता है कि एक बार कुछ लोगों ने उनका आंख बंद कर कहीं लेकर गए जब उनकी आंख खुली तो अपने सामने महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद खड़े थे
चंद्रशेखर आजाद ने उन्हें एक रिवाल्वर देकर कहा कि इसे दिल्ली ले जाना हैं क्या आप ले जा सकते हैं तब डॉ शिवमंगल सिंह सुमन ने बिना कुछ सोचे समझे हां कर दिया
स्वतंत्रता सेनानियों की मदद बहुत अच्छे तरीके से किया। बाद में उन्होंने अपने दोनों बेटों को भी देश सेवा के लिए सेना में भरती करवा दिया उनका एक बेटा सेना में और दूसरा पुलिस में था।
शिवमंगल सिंह सुमन की रचनाएं
Shivmangal Singh Suman सुमन ने बहुत रचनाएं की और उन्होंने अपनी रचनाएं गध काव्य साधना गीतिकाव्य उद्धव कविता आदि किया हैं सुमन उनका उपनाम था डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की रचनाएं निम्न प्रकार हैं
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की कविता संग्रह
- हिल्लोल
- जीवन के गान
- युग का मोल
- प्रलय सृजन
- विश्वास बढ़ता ही गया
- विंध्य हिमालय
- मिट्टी की बारात
- वाणी की व्यथा
- खट्टे अंगूरों की बंदनवारें
शिवमंगल सिंह सुमन की गद्य रचनाएं
- महादेवी की काव्य साधना
- गीतिकाव्य उदय और विकास
- डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का नाटक
- प्रकृति पुरुष कालिदास
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन को मिले पुरस्कार और सम्मान
शिवमंगल सिंह सुमन को उनके महान रचनाओं के लिए बहुत सारे पुरस्कार और सम्मान भी मिले हैं भारतीय हिंदी साहित्य जगत में वह एक उच्च कोटि के कवि गधकार नाटककार आदि थे।उनकी रचनाओं के लिए भारत सरकार की तरफ से उच्च कोटि के सम्मान और पुरस्कार मिले हैं
- 1974 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- 1999 में पद्म भूषण समान प्राप्त किए।
- 1958 में देवा पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
- 1974 में पुरस्कार के रूप में उन्हें सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार दिया गया।
- 1973 में भागलपुर विश्वविद्यालय के द्वारा लिटरेचर का पुरस्कार दिया गया।
- 1983 में जबलपुर विश्वविद्यालय के द्वारा डी लिटरेचर का भी पुरस्कार दिया गया।
- 1993 में शिखर सम्मान और भारत भारती के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1974 में पदम श्री पुरस्कार के द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का मृत्यु
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन का मृत्यु 27 नवंबर 2002 में हुआ था उनका मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुआ था जब उनका मृत्यु हुआ तब उनका उम्र 87 वर्ष था उनका मृत्यु मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था
डॉ शिवमंगल सिंह सुमन की मृत्यु के साथ हिंदी साहित्य जगत से एक बहुत ही सुनहरे व्यक्तित्व वाले कवि का भी अंत हो गया भारतीय हिंदी साहित्य जगत में उनका स्थान सर्वश्रेष्ठ था।
शिवमंगल सिंह सुमन के मृत्यु के बाद उनके लेखन के चाहने वाले व्यक्ति प्रशंसक काफी दुखी हो गए थे । शिवमंगल सिंह सुमन की मृत्यु के पश्चात हिंदी साहित्य के प्रमुख रचनाकारों में भी काफी दुख का माहौल था
क्योंकि शिवमंगल सिंह सुमन एक मिलनसार एवं सभी धर्म समाज वर्ग को साथ लेकर चलने वाले कवि और अध्यापक के रूप में जाने जाते थे।
साराशं
इस लेख में हमने शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में पूरी जानकारी देने का प्रयास किया हैं जिसमें उनके व्यक्तित्व शिक्षा रचनाएं हिंदी साहित्य के कुछ प्रमुख पुरस्कार जो उन्होंने अपने जीवन में प्राप्त किया था उन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया हैं
फिर भी यदि शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में यदि कोई सवाल आपके मन में हो तो कृपया कमेंट करके जरूर पूछें। इस लेख में दी गई जानकारी आपको कैसा लगा कृपया कमेंट करके अपना राय जरूर दें और इस जानकारी को अपने दोस्त मित्रों के साथ शेयर भी करें।
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मैं प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ का Co-Founder हूँ। मेरी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, मुझे हिंदी में तरह-तरह के जानकारियों को साझा करने में बहुत ही सुखद अनुभूति होता हैं।