एसएचओ का फुल फॉर्म,एसएचओ का कार्य और योग्‍यता

एसएचओ का फुल फॉर्म क्या होता हैं Sho ka full form in hindi SHO के बारे में पूरी जानकारी इस लेख में मिलेगी। एसएचओ किसी भी police स्टेशन का इंचार्ज या उन्हें पुलिस स्टेशन का प्रभारी भी होते हैं।

किसी भी क्षेत्र में अगर कोई अपराधिक मामला होता हैं तो उसका देख रेख एक पुलिस स्टेशन का प्रभारी यानी कि स्टेशन हाउस ऑफिसर ही करता हैं. यह ऑफिसर अपने कार्यक्षेत्र के अंदर शांति बनाए रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं।

हर पुलिस स्टेशन के SHO अपने क्षेत्र में हर तरह के कानून व्यवस्था और अपराधों की जांच करने के लिए एक टीम बनाकर जिसमें कि सब इंस्पेक्टर हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल रहते हैं उनको लेकर के अपने सारे कार्य करते हैं.

Sho ka full form in hindi

पुलिस डिपार्टमेंट में कई अधिकारी और कई कांस्टेबल सिपाही कई तरह के पद होते हैं उनमें एक होते हैं Station House Officer जिसका शॉर्ट फॉर्म एसएचओ होता हैं. एसएचओ का फुल फॉर्म हिंदी में पुलिस निरिक्षक होता हैं. यह पुलिस विभाग का एक सम्‍मानित पद होता हैं।स्टेशन हाउस अधिकारी को पुलिस स्टेशन का इंचार्ज भी कहते हैं.

  • S:-Station
  • H:-House
  • O:-Officer
SHO ka full form

स्टेशन हाउस अधिकारी का पद किसी को भी डायरेक्ट प्राप्त नहीं हो जाता हैं बल्कि इसके लिए पहले सब इंस्पेक्टर के पद के लिए परीक्षा देना पड़ता हैं जब सब इंस्पेक्टर बन जाते हैं तो कुछ दिनों के बाद उसके कार्य को देखते हुए सरकार की तरफ से प्रमोशन मिलता हैं उसके बाद स्टेशन हाउस ऑफिसर का पद मिलता हैं.

हम लोग जो अपने घर में बहुत ही आराम से रह पाते हैं वह हमारे भारत के पुलिस डिपार्टमेंट के वजह से ही हो पाता हैं क्योंकि अगर कोई भी अपराधिक मामला होता हैं या किसी भी तरह के चोरी डकैती जो भी होता हैं तो हम पुलिस की मदद लेते हैं एसएचओ पुलिस डिपार्टमेंट का अधिकारी होता हैं

एसएचओ क्या हैं

हर राज्य में हर जिले में कई पुलिस स्टेशन होते हैं और प्रत्येक पुलिस स्टेशन के एक इंचार्ज जरूर होते हैं जिन्हें कि हम लोग SHO यानी कि स्टेशन हाउस ऑफिसर या स्टेशन हाउस अधिकारी कहते हैं SHO पुलिस डिपार्टमेंट का एक बहुत ही प्रमुख और सम्मानित अधिकारी का पद होता हैं. क्‍याेंकि यह पुलिस थाने के वरिष्‍ठ अधिकारी होते हैं।

किसी भी शहर में या गांव में अगर किसी भी तरह का कोई अपराधिक मामला होता हैं जैसे कि चोरी डकैती हत्या या किसी भी तरह का मारपीट तो यह सारे मामलों का देखरेख और वहां के कानून व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के जो इंचार्ज होते हैं स्टेशन हाउस अधिकारी  उन्हीं के अधिकार में आते हैं.

अगर किसी भी तरह का आपराधिक मामला हैं और उसका सुनवाई अदालत में होता हैं तो उस अपराधिक मामला के बारे में कुछ भी अगर जानकारी वकील या जज को लेना होता हैं तो वह स्टेशन हाउस अधिकारी  से सही सारी पूछताछ करते हैं.

एसएसओ की क्या पहचान हैं

वैसे तो हम लोग बहुत पुलिस ऑफिसर कांस्टेबल हेड कांस्टेबल सिपाही दरोगा सभी को देखते हैं लेकिन वर्दी से किसी को नहीं पहचान पाते हैं कि कौन पुलिस ऑफिसर किस रैंक पर हैं इसका कौन सा पद हैं कभी-कभी ऐसा होता हैं कि कोई व्यक्ति अपना किसी भी तरह की क्राइम के रिपोर्ट लिखवाने किसी पुलिस स्टेशन में जाता हैं.

और वह पहचान नहीं पाता हैं कि इस पुलिस स्टेशन का इंचार्ज कौन हैं और अपना रिपोर्टर किससे लिखवायें.

स्टेशन हाउस अधिकारी  का पहचान उसके वर्दी पर कंधे पर लगे तीन स्टार से किया जाता हैं और एसएचओ के वर्दी के बाहरी सोल्डर पर लाल तथा ब्लू रंग का रिबन प्रतिक के रूप में लगा रहता हैं जिससे कि यह पहचान होता हैं कि वह एक किसी पुलिस स्टेशन का इंचार्ज यानी कि स्टेशन हाउस ऑफिसर हैं.

एसएचओ का क्या कार्य हैं

पुलिस डिपार्टमेंट में जितने भी लोग होते हैं चाहे वह किसी अधिकारी रैंक के हो सिपाही रैंक के हो दरोगा हो इन सभी लोगों का अपना अपना एक कार्य होता हैं उनका कार्यक्षेत्र एक सीमित दायरे में बांधा होता हैं तो हम लोग जानेंगे कि Sho का क्या क्या कार्य हैं उसका कार्य कितने दूर तक सीमित रहता हैं.

  • स्टेशन हाउस अधिकारी जिस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन का इंचार्ज होता हैं उस क्षेत्र में अगर किसी भी तरह का आपराधिक मामला होता हैं तो उसका देखरेख SHO के अधिकार में ही होता हैं.
  • किसी भी क्षेत्र का कानून व्यवस्था को बनाए रखना ताकि वहां किसी भी तरह का कोई अपराध ना हो पाए एक एसएचओ का मुख्य कार्य होता हैं.
  • अगर किसी भी क्षेत्र में कोई अपराधिक मामला होता हैं तो उस घटना स्‍थल पर जाकर के सारे मामले का देखरेख करना और वहां पर जाकर के जांच करना उस मामला से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त करना एसएचओ का ही कार्य होता हैं.
  • अगर कहीं भी कुछ घटना होता हैं तो एसएचओ अपने साथ एक टीम बनाकर सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को लेकर देखरेख करता हैं.
  • SHO का प्रमुख कार्य यह भी हैं कि वह जिस पुलिस स्टेशन का इंचार्ज हैं वहां पर अगर किसी भी तरह का फैसला उस पुलिस स्टेशन के संबंधित लेना हैं तो वह अपने अनुसार लेकर किसी भी तरह का व्यवस्था बना सकता हैं.
  • एसएचओ का सबसे प्रमुख कार्य होता हैं कि जिस क्षेत्र में वह कार्य कर रहा हैं वहां पर किसी भी तरह के एंटी सोशल एलिमेंट्स और किसी भी तरह के बेड करैक्टर पर अगर शक हो तो उसका अच्छे से निगरानी करके अपने ऊपर के जो वरिष्ठ अधिकारी हैं उनको सारा रिपोर्ट देना.
  • स्टेशन हाउस ऑफिसर को अपने साथ में जो भी एसआई हेड कांस्टेबल कांस्टेबल हैं उनको किसी भी तरह का सरकारी सहायता चाहिए तो वह दे सकता हैं और उन्हें अनुशासन में रखना भी उनका मुख्य कार्य होता हैं.
  • किसी भी क्षेत्र में अगर पेट्रोलिंग व्यवस्था करना हो तो वह एसएचओ अपने मन मुताबिक कर सकते हैं.
  • किसी भी रेलवे स्टेशन का देख रेख करना उस क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर के कार्य क्षेत्र में ही आता हैं.

एसएचओ कैसे बनें

SHO यानी कि स्टेशन हाउस ऑफिसर बनने के लिए किसी भी तरह का डायरेक्ट पद नहीं होता हैं यह पद प्रमोशन के बाद मिलता हैं तो अगर कोई एसएचओ बनना चाहता हैं.

तो उसके लिए सबसे पहले एसएससी यानी कि स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की परीक्षा देकर पहले सब इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्त होना पड़ता हैं उसके बाद उसके कार्य को देखते हुए प्रमोशन कर के एसएचओ का पद मिलता हैं.

एसएचओ एक प्रमोशनल पोस्ट होता हैं. SHO बनने के लिए पहले सब इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्त होना पड़ता हैं.सब इंस्पेक्टर बनने के लिए किसी भी छात्र का स्नातक की डिग्री किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज से होना चाहिए.

और उसे स्नातक में 50 परसेंट मार्क्स किसी भी विषय में होना आवश्यक हैं तभी सब इंस्पेक्टर बन सकते हैं और सब इंस्पेक्टर बनने के बाद प्रमोशन से किसी भी थाना का इंचार्ज यानी कि स्टेशन हाउस ऑफिसर बनने का मौका मिल सकता हैं.

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सारांश 

Sho ka full form in hindi स्टेशन हाउस ऑफीसर का क्या कार्य होता हैं स्टेशन हाउस ऑफिसर कैसे बनते हैं SHO का क्या पहचान होता हैं एसएचओ के बारे में पूरी जानकारी दी गई हैं आप लोगों को यह जानकारी कैसा लगा कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताएं और अपनी दोस्त मित्रों को शेयर जरूर करें.

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