डॉ श्री कृष्ण सिंह का जीवन परिचय – Shri Krishna Singh in hindi

बिहार केसरी के नाम से प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री कृष्ण सिंह बिहार की शान थे. जिन्होंने बिहार के विकास के लिए कई महान कार्य किए.

भारतीय स्‍वतंत्रता आंदाेलन में बिहार के भी कई आंदोलनकारियोंं ने अपना भरपूर योगदान दिया था जिसमें श्री कृष्‍ण सिंह का नाम भी प्रमुख हैं

डॅा श्री कृष्ण सिंह Shri Krishna Singh in hindi कौन थे उनका जीवन परिचय, श्री कृष्ण सिंह के जन्म, शिक्षा और राजनीतिक जीवन के बारे में पूरी जानकारी आईये नीचे जानते हैं.

Shri Krishna Singh biography in hindi 

भारत देश में स्वतंत्रता के बाद बहुत सारे प्रधानमंत्री और बहुत सारे राज्यों के मुख्यमंत्री हुए हैं इन्हीं में बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ Shri Krishna Singh हुए. जिन्हें उनके महानतम कार्यों के लिए बिहार केसरी के नाम से सम्मानित किया गया.

आज भी हम लोग डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह को बिहार केसरी के नाम से या आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में जानते हैं. जब भारत आजाद हुआ तो बिहार के सबसे पहले मुख्यमंत्री के रूप में डॉ श्री कृष्ण सिंह को चुना गया.

Shri Krishna Singh in hindi

उन्होंने बिहार में सबसे पहले जमीदारी प्रथा को खत्म किया, जमीदारी प्रथा खत्म होने वाला बिहार भारत देश में पहला राज्य बना था और यह डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह के कारण हुआ था. 

श्री कृष्ण सिंह बिहार राज्य के विकास के लिए बहुत सारे महान कार्य किए हैं उन्होंने अपने महान कार्यों से बिहार का नाम भारत देश में एक विकसित राज्य के रूप में लोगों के सामने प्रदर्शित किया. डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह को श्री बाबू कह कर भी लोग उन्‍हें सम्मानित करते थे और आज भी करते हैं.

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह का जन्म 

बिहार केसरी Shri Krishna Singh का जन्म 21 अक्टूबर 1887 को हुआ था डॉक्टर श्री कृष्णा मुंगेर जिला के रहने वाले थे उनका जन्म उनके ननिहाल खंडवा में गांव में हुआ था लेकिन उनका पैतृक गांव शेखपुरा जिला के मौर गांव में था डॉ श्रीकृष्ण सिंह के माता का मृत्यु उनके बचपन में ही किसी बीमारी के कारण हो गया था.

नामडॉ श्री कृष्ण सिंह
जन्‍म21 अक्टूबर 1887
पिता का नामश्री हरिहर सिंह
जन्‍म स्‍थानशेखपुरा जिला के मौर गांव
दूसरा नामबिहार केशरी और श्री बाबू
पदबिहार के पहले मुख्‍यमंत्री
मृत्‍यु31 जनवरी 1961

Dr Shri Krishna Singh ka shiksha

श्री बाबू डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे वह अपने स्कूल के होनहार छात्रों में गिने जाते थे उन्होंने अपने शुरुआती पढ़ाई अपने गांव के स्कूल से ही किया था.

बाद में उन्होंने M.A. की पढ़ाई कोलकाता विश्वविद्यालय से किया और वकालत करने के लिए वह पटना विश्वविद्यालय चले गए और वहां उन्होंने लॅा की डिग्री प्राप्त की, लॉ की डिग्री प्राप्त करने के बाद डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह अपने जिला मुंगेर में ही वकालत की प्रैक्टिस करने लगे.

डॉक्टर Shri Krishna Singh पढ़ाई के दौरान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और महान क्रांतिकारी श्री अरविंद और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से बहुत प्रभावित थे उनमें अपने देश को आजाद कराने के लिए शुरू से ही उत्‍साह था.

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान 

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे डॉक्टर Shri Krishna Singh जब पढ़ाई कर रहे थे तभी से उनके अंदर भारत को स्वतंत्र कराने के लिए एक ज्वाला धधक रही थी.

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महान क्रांतिकारी अरविंद के विचारों से बहुत प्रभावित थे. डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह का मुलाकात 1916 में महात्मा गांधी से हुआ और यहीं से श्री कृष्ण सिंह महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हो गए

जब 1920 में महात्मा गांधी से इनकम मुलाकात दोबारा हुआ उसके बाद ही डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह ने यह प्रण लिया कि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए वह अपना जी जान लगा देंगे.

1921 में उन्होंने अपना वकालत छोड़ दिया और महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में कूद पड़े डॉक्टर श्री कृष्णा असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ अपनी भूमिका बहुत महत्वपूर्णता  से निभाई

इस वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था कुछ दिनों तक वह जेल में ही रहे. डॉक्टर श्री Shri Krishna Singh 1927 में कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने वह कांग्रेस पार्टी से जुड़ने के बाद बिहार विधान परिषद के सदस्य बनाए गए और 1929 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटि के महासचिव बनाए गए.

जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजो के खिलाफ नमक कानून भंग करने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन कर दांडी यात्रा किया था तभी डॉक्टर श्री Shri Krishna Singh ने भी महात्मा गांधी को उनके आंदोलन में सहयोग देने के लिए 100 किलोमीटर लंबी पदयात्रा करके मुंगेर से गंगा नदी पार कर गढ़पुरा के दुर्गा गाछी तक गए थे और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ नमक कानून को भंग किया. 

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

इस आंदोलन के वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और खोलते हुए नमक के पानी में उन्हें जलाया गया था इतने सारे कष्ट झेलने के बाद भी श्री बाबू Shri Krishna Singh अपने कर्म से पीछे नहीं हटे.

अंग्रेजों के जुल्म को सहते रहे और भारत को आजाद कराने के लिए अपना महानतम कार्य करते रहे. इस नमक कानून को भंग करने के लिए जो उन्होंने अपना योगदान दिया था इससे प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने उन्हें बिहार के प्रथम सत्याग्रही कह कर उन्हें सम्मानित किया.

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में भाग लिया जैसे कि उन्होंने महात्मा गांधी के साथ साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए जो आंदोलन हुआ था उसमें भी उन्होंने भाग लिया.

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में Shri Krishna Singh ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इस वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था इसके बाद भी डॉक्टर Shri Krishna Singh अपनी सारी जिंदगी सामाजिक कामों में लगा दिया.

डॉ श्री कृष्ण सिंह के राजनीतिक जीवन

डॉक्टर Shri Krishna Singh पटना विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लॉ की उपाधि प्राप्त की थी. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वह अपनी वकालत छोड़ कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे

डॉ श्री कृष्ण सिंह को बिहार असेंबली का सदस्य चुना गया जब भारत आजाद हुआ तब डॉक्टर Shri Krishna Singh बिहार के पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए.

उनकी कार्य क्षमता ऐसी थी की वह अपने आप को प्रधानमंत्री के रूप में प्रदर्शित करना चाहते थे लेकिन कुछ लोगों की वजह से जवाहरलाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया.

डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए बिहार के विकास के लिए बहुत कार्य किए और बिहार को विकसित राज्य के रूप में देश में एक अलग पहचान बनाई. 1950 में बिहार में जमींदारी प्रथा खत्म हुआ जमींदारी प्रथा खत्म होने वाला पहला राज्य बिहार ही था और यह सब डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह के वजह से ही हुआ था.

श्री कृष्ण सिंह के द्वारा बिहार के विकास के लिए किए गए कार्य 

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे डॉ Shri Krishna Singh को आधुनिक बिहार के निर्माता कहा जाता हैं. डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह ने बिहार के विकास के लिए अनेकों कार्य किया.

उन्होंने बिहार से जमींदारी प्रथा को खत्म किया श्री कृष्ण सिंह ने भूमि सुधार कानून बनाया और इसी से उन्होंने जमींदारी प्रथा भी खत्म कर दिया जमींदारी प्रथा खत्म होने के बाद बिहार आर्थिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ होने लगा.

डॉ Shri Krishna Singh मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने 10 वर्ष के शासनकाल में अनेकों कार्य किए और बिहार को उद्योग कृषि शिक्षा सिंचाई स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में सुदृढ़ और विकसित बना दिया जिसके चलते बिहार राज्य भारत देश में एक विकसित राज्य के रूप में प्रचलित हो गया.

उन्होंने बिहार राज्य में पहली रिफाइनरी बरौनी ऑयल रिफायनरी का शुरुआत किया उन्होंने पहला खाद कारखाना सिंदरी और बरौनी रसायनिक खाद कारखाना का शुरुआत किया.

डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने भारी उद्योग निगम हटिया, पहला स्टील प्लांट सैल बोकारो बरौनी डेयरी आदि की शुरुआत की उन्होंने प्रथम रेलखंड शुरू किया.  गंगोत्री से गंगासागर के बीच रेल सड़क पुल राजेंद्र पुल का निर्माण कराया.

डॉ श्री कृष्ण सिंह ने कृषि के क्षेत्र में भी निर्माण किया बिहार भागलपुर रांची आदि में एग्रीकल्चर कॉलेजों का उन्होंने स्थापना किया डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने कोसी प्रोजेक्ट का भी निर्माण किया.

डॉ श्री कृष्ण सिंह मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए बिहार को विकसित करने के लिए बहुत सारे परियोजनाओं का शुरुआत की था. जैसे कि बरौनी डेयरी परियोजना बरौनी थर्मल पावर पॉइंट बरौनी उर्वरक संयंत्र बोकारो स्टील प्लांट हाइडल पावर स्टेशन मैथन अलवर में सल्फर खाना आदि.

श्रीकृष्ण सिंह का व्यक्तित्व

अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई नेता राजनेता जब मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री या किसी बड़े पद पर रहते हैं तो कई तरह के भ्रष्टाचार करते हैं कई नेताओं के खिलाफ केस होता है कई घोटालों में उनका नाम आता है

लेकिन श्रीकृष्ण सिंह ऐसे राजनेता थे जो कि बहुत ही इमानदारी से अपना कार्य करते थे एक पत्रकार ने श्रीकृष्ण सिंह के बारे में बताया था कि जब श्री कृष्ण सिंह का मृत्यु हुआ उसके बाद 1961 में जब उनका पर्सनल तिजोरी खोला गया तो उसमें से सिर्फ 24500 मिला था.

वह भी पैसा उन्होंने दूसरे कामों के लिए इकट्ठा करके रखा था श्री कृष्ण सिंह इन 24,500 रुपयों को 4  लिफाफे में करके रखा था और हर लिफाफे पर एक अलग अलग कार्य के लिए नाम लिख कर के रखा गया था जिस लिफाफे में 20000 रखा गया था

वह कांग्रेस कमेटी के लिए उन्होंने रखा था एक लिफाफे में 3000 उन्होंने अपने मुनीम की बेटी की शादी करने के लिए जमा किया था एक लिफाफे में 1000 किसी महेश बाबू की बेटी के लिए उन्होंने जमा किया था और एक लिफाफे में 500 जो श्री कृष्ण सिंह जी ने सहेज कर रखा था.

वह अपने नौकर के लिए उन्होंने रखा था जो कि नौकर उनका सेवा करता था उनका बहुत ही खास नौकर था उसी के लिए उन्होंने 500 रु बहुत ही सुरक्षित अपने पर्सनल तिजोरी में रखा था श्रीकृष्ण सिंह एक ऐसे राजनेता थे

जो कि परिवारवाद से बहुत ही विरोध करते थे एक बार जब बिहार विधानसभा चुनाव हो रहा था उस समय उनके बड़े बेटे ने अपने आप को कांग्रेस प्रत्याशी बनने की मांग रखी तो उन्होंने इसका बहुत ही विरोध किया था.

उन्होंने कहा कि जब यह चुनाव लड़ेगा तो मैं राजनीति से दूर हो जाऊंगा उन्होंने कहा कि एक पिता और पुत्र एक साथ चुनाव नहीं लड़ सकते है जब तक वह जिंदा रहे तब तक उनके परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं उतरा था

लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे राजनीति में आए थे. कहा जाता है कि जब विधानसभा चुनाव होता था तब श्रीकृष्ण सिंह अपने आपके लिए कभी भी वोट नहीं मानते थे उनका मानना था कि जो नेता सच्चा और समाज सेवक है उसे जनता खुद ही वोट देकर जिताएगी.

श्रीकृष्ण सिंह का मानना था कि जब कोई नेता 5 सालों के लिए जनप्रतिनिधि बनता है तो उसे अपने ड्यूटी का निर्वाह अच्छे से करना चाहिए अगर वह अपना कार्य सही ढंग से करेगा तो उसे प्रचार करने की कोई जरूरत नहीं हैं. श्रीकृष्ण सिंह बहुत ही कम उम्र से स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ उन्होंने चंपारण सत्याग्रह आंदोलन से स्वतंत्रता आंदोलन के लिए आवाज उठाना शुरू किया था जब श्री कृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने.

उनके बहुत ही अच्छे मित्र और सहयोगी अनुग्रह नारायण सिंह को उप मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया बिहार के विकास के लिए बिहार के जनता के लिए बहुत सारे सामाजिक कार्य किए.

आजकल कें नेता जब चुनाव का समय आता है तो पैसा पानी की तरह बहाने लगते हैं ताकि जनता उन्हें वोट दे जनता उनसे आकर्षित हो जाए विधायक सांसद सभी पैसों के बल पर चुनाव जीतना चाहते हैं लेकिन श्रीकृष्ण सिंह इन सारी बातों का बहुत ही विरोध करते थे.

डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह की मृत्यु 

बिहार के एक ऐसे राजनेता एक ऐसे मुख्यमंत्री जिन्होंने कभी भी चुनाव में जीतने के लिए प्रचार प्रसार नहीं किया. उन्होंने भारत देश की राजनीति में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी.

श्री कृष्ण सिंह एक बहुत ही ईमानदार, जनता का सम्मान करने वाले जनता का ख्याल रखने वाले महान राजनेता थे जब भी वह कहीं किसी अफसरों को अनुशासन का हनन करते हुए देखते थे.

आचार संहिता का पालन कोई अफसर नहीं करता था तो वह उस अफसर के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते थे आज भी श्रीकृष्ण सिंह को हर नेता को एक मिसाल के रूप में उनसे प्रेरणा लेना चाहिए.

श्री कृष्ण सिंह को आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में पुकार कर सम्मान दिया जाता है. महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन जैसे कि दांडी सत्याग्रह आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन और कई आंदोलन अंग्रेजो के खिलाफ करने में अपनी भूमिका निभाई.

आधुनिक बिहार के निर्माता बिहार केसरी बिहार के पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ Shri Krishna Singh का मृत्यु 31 जनवरी 1961 में हुआ था डॉ श्री कृष्ण सिंह ने अपने मुख्यमंत्री के शासनकाल में बिहार को विकसित करने के लिए अनेकों कार्य किए और बिहार को भारत देश में एक अलग पहचान बनाई.

साराशं

बिहार केसरी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह Shri Krishna Singh in hindi के जीवन के बारे में हमने इस लेख में पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं आप लोगों को यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें.

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