Srishti Ka sanchalan Kaun karta hai? सृष्टि का संचालन कौन करता है। who runs the whole universe? पूरी पृथ्वी पर मानव, जीव जंतु इत्यादि अलग-अलग प्रकार के कई जीव पाए जाते हैं। इन सभी का जन्म कैसे होता है तथा इस दुनिया में जो भी मानव है उनका संचालन कैसे होता है।
इस दुनिया में जो कुछ भी है चाहे वह आदमी हो या जीव-जंतु पेड़-पौधे प्रकृति सबकुछ का संचालनकर्ता ईश्वर हैं। जिनको अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ईश्वर के बस में प्रकृति है। प्रकृति के बस में सब जीव जंतु हैं। जैसे प्रकृति अपना रुख बदलती है एसी पर इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव जंतु का जीवन निर्भर होता है।
इस दुनिया में सुख-दुख लाभ-हानि जीवन-मरण सब कुछ ईश्वर के द्वारा ही होता है। इस संसार में ईश्वर अलग-अलग रूपों में मौजूद हैं। दुनिया में ईश्वर के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन ईश्वर को केवल अनुभव किया जा सकता है देखा नहीं जा सकता है।
सृष्टि का संचालन कौन करता है
सृष्टि का संचालन ईश्वर भगवान करते हैं। भगवान वही हैं जिनसे इस सृष्टि का शुरुआत हुआ। जिनको इस धरती के सभी प्राणी अलग-अलग नामों से जानते हैं। ईश्वर भगवान सत्य के रूप में है, जो सत्य है वह ईश्वर है। अब इनका नाम इस पृथ्वी पर हम लोग अलग-अलग रखे हैं और उसी नाम से जानते हैं। लेकिन ईश्वर एक ही हैं वहीं इस पूरे सृष्टि का संचालन करते हैं।
जीवन में सुख दुख रोग तकलीफ कष्ट सब कुछ कर्म के अनुसार निर्भर होता है। मानव का जीवन कर्म के आधार पर आधारित है। जैसा आदमी कर्म करेगा उसके हिसाब से उसका फल प्राप्त करेगा। इसीलिए इस दुनिया में कर्म सबसे प्रधान है।
इसीलिए कहा गया है कर्म प्रधान विश्व करि राखा का कोई तर्क बढ़ा वही साखा।
यानी कर्म ही बड़ा है इससे बड़ा कुछ भी नहीं है। जब हम अच्छा कर्म करेंगे तब उसका लाभ भी अच्छा होगा। उसका फल भी अच्छा होगा। ईश्वर भी हर एक प्राणी के लिए उनका कर्म निर्धारित किए हैं। जिसके आधार पर यदि किसी भी प्राणी जीव जंतु का कर्म अच्छा है तो उसका फल भी अच्छा ही होगा।
सृष्टि संचालन के प्रकार
- ईश्वर
- प्रकृति
- जीवात्मा
सृष्टि संचालन भगवान विष्णु करते हैं। लेकिन ईश्वर ने ही सृष्टि संचालन के लिए कुछ नियम बनाए हैं। जिसके आधार पर इस दुनिया में सृष्टि का संचालन होता है। जिसके तीन प्रमुख प्रकार हैं।
ईश्वर
इस दुनिया में जो कुछ भी होता है वह सब कुछ इश्वर के कृपा से ही होता है। लेकिन कभी भी ईश्वर अपने आप पर उसका क्रेडिट नहीं लेते हैं। जैसे किसी के घर सुख होता है, तो उसका फल उस दूसरे को दिया जाता है और किसी के घर यदि कुछ दुख होता है तो भी उसका कारण कुछ दूसरा होता है।
जिसका मतलब है कि ईश्वर को इससे कोई डायरेक्ट संबंध नहीं होता है। लेकिन जो कुछ भी होता है वह उन्हीं की कृपा से होता है।
ईश्वर इस दुनिया के सृष्टि के मुक्ति और मोक्ष के प्रमुख माध्यम हैं। ईश्वर से ही मोक्ष या दुर्गति प्राप्त हो सकता है। इसीलिए सृष्टि के संचालक ईश्वर हैं। लेकिन उन्होंने इस को अलग-अलग भाग में बांटा हुआ है।
प्रकृति
ईश्वर के द्वारा प्रकृति को बनाया गया और जितने भी जीव जंतु हैं। वह सभी प्रकृति के अधीन बनाए गए। ईश्वर प्रकृति के अधीन है। मानव जीव जंतु प्रकृति के भी अधीन है और ईश्वर के भी अधीन हैं। लेकिन जीव जंतु डायरेक्ट प्रकृति के ही अधीन है।
क्योंकि प्रकृति के मालिक ईश्वर हैं और उन्होंने ऐसा व्यवस्था बनाया कि इस दुनिया में जितने भी जीव जंतु हैं उनका देख रेख तथा संचालन प्रकृति के द्वारा किया जाएगा। इसीलिए इस प्रकृति में जो भी बदलाव होता है उसका डायरेक्ट संबंध जीव-जंतुओं पर पड़ता है।
जीवात्मा
जीवात्मा प्रकृति के अधीन है। जीवात्मा का मतलब होता है वैसा सूक्ष्म आत्मा जो किसी शरीर में है जो किसी व्यक्ति अथवा पशु पक्षी में स्थित है। वही जीवात्मा है जिसका मतलब हो सकता है कि वैसा आत्मा जो किसी प्राणी के अंदर है। किसी पशु के अंदर है। किसी पक्षी के अंदर है वही जीवात्मा है।
इसका उदाहरण है और यह हो सकता है कि ऐसा व्यक्ति वैसा पशु पक्षी जो जीवित है। जिसके अंदर सांस है वह जीवात्मा है। जीवात्मा का मतलब जिंदा आत्मा भी होता है जो जिंदा है वही जीवात्मा है।
जीवात्मा पूरी तरह से प्रकृति के अधीन है। प्रकृति ईश्वर के अधीन है। इस तरह से जीव और ईश्वर के बीच संबंध जुड़ा हुआ है। ईश्वर प्रकृति जीवात्मा यह तीनों को मिलाकर के इस सृष्टि का संचालन होता है। जब-जब प्रकृति में बदलाव होता है तब तब उसका असर जीवात्मा पर पड़ता है। प्रकृति में बदलाव ईश्वर के द्वारा किया जाता है।
ईश्वर जब चाहे तब प्रकृति के कुछ सिस्टम में बदलाव करते रहते हैं। जिसके कारण इस पृथ्वी पर सुख या दुख होता है। जब प्रकृति अच्छी होती है तब इस प्रकृति में वास करने वाले सभी जीव जंतु प्राणी सुख का अनुभव करते हैं।
जब प्रकृति में किसी प्रकार का कोई समस्या होता है तब इस प्रकृति में वास करने वाले सभी जीव जंतु प्राणी दुख का अनुभव करते हैं। सुख और दुख प्रकृति के अधीन है। प्रकृति ईश्वर के अधीन है। इसीलिए इस पूरे सृष्टि के संचालन करता ईश्वर हैं। दुनिया में इश्वर से बड़ा कोई नहीं है।
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सारांश
सृष्टि का संचालन कैसे होता है के बारे में इस लेख में जानकारी दी गई है। जिसमें सृष्टि संचालन के नियम तरीकों के बारे में बताया गया है।
सत्य सुविचार प्रकृति के इस स्थित व्यवस्था के अनुसार मनुष्य जीवन का बेहतर संचालन हो पाता है। जिसके प्रमुख संचालनकर्ता सत्य हैं। जिसका मतलब ईश्वर होता है जो सत्य है वही ईश्वर है। यदि इससे संबंधित कोई सवाल है सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में टाइप करें।
प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।