सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी,शिक्षा और रचनाएं | Subhadra Kumari

1857 की लड़ाई पर सुभद्रा कुमारी चौहान ने एक बहुत ही प्रसिद्ध  कविता लिखा था भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में 1857 की लड़ाई का अहम भूमिका झांसी की रानी की विरता को अपनी कविताओं द्वारा दर्शाया है. सुभद्रा कुमारी चौहान इन हिंदी Subhadra Kumari Chauhan in hindi झांसी की रानी के बारे में कविता लोगों में बहुत ही प्रसिद्ध हुआ.

subhadra kumari चौहान एक सुप्रसिद्ध लेखिका थी और एक प्रसिद्ध कवियित्री भी थी उन्होंने बहुत सारी कविताएं लिखी और उन कविताओं का संग्रह भी पढ़ने को मिलता है.

सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवनी के बारे में  हम लोग इस लेख में जानने वाले हैं कि सुभद्रा कुमारी चौहान की कौन-कौन सी कविताएं  है और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उनका क्या सहयोग था subhadra kumari चौहान का व्यक्तित्व कैसा था सब कुछ यह सारी जानकारियां हम लोगों को इस लेख में मिलने वाला है तो आइए जानते हैं.

Subhadra Kumari Chauhan in hindi

subhadra kumari चौहान भारतीय हिंदी साहित्य की एक जानी-मानी और सुप्रसिद्ध लेखिका और कवयित्री थी. सुभद्रा कुमारी चौहान ने बहुत सारी कविताएं लिखी हैं और बहुत सारे कहानी भी लिखी हैं.

उन्होंने 3 कथा संग्रह और दो कविता संग्रह लिखे थे लेकिन सबसे ज्यादा उन्हें प्रसिद्धि  मिली झांसी की रानी कविता से जो कि एक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के ऊपर था सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी.

Subhadra Kumari Chauhan in hindi language

उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था जेल में यातनाएं सहने के बाद भी उन्होंने अपनी कविताएं लिखना नहीं छोड़ा था और अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने यह सब व्यक्त भी किया था सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं और कहानियां सरल भाषा और काव्यात्मक होती थी.

सुभद्रा कुमारी चौहान महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया था असहयोग आंदोलन में योगदान देने वाली पहली महिला थी. स्वाधीनता संग्राम में कई आंदोलन में भाग लेने की वजह से वह कई बार जेल भी गई थी

जेल में कई तरह के परेशानियों को सहन करने के बाद भी वह कभी भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटी थी और अपनी कहानियों में कविताओं में उन्होंने अपनी स्वतंत्रता आंदोलन में सहे हुए अनुभूतियों को लिखा है.

 

सुभद्रा कुमारी चौहान  का जन्म 

नामसुभद्रा कुमारी चौहान
जन्‍म16 अगस्त 1904
पिता का नामठाकुर रामनाथ सिंह
माता का नामसरस्‍वती देवी
पति का नामठाकुर लक्ष्मण सिंह
पुत्री का नामसुधा चौहान
भाषा शैलीमुक्तक शैली,ओजपूर्ण शैली,सरल और सुबोध भाषा
रचनाएंकहानी,कविता
कहानी संग्रहबिखरे मोती,उन्मादीनी,सीधे-साधे चित्र
कविता संग्रहअनोखा दान,आराधना,इसका रोना,उपेक्षा,उल्लास,काला खिलौने वाला,जालियांवाला बाग में बसंत,जीवन फुल,झांसी की रानी,झांसी की रानी की समाधि,यह कदंब का पेड़
कहानीभग्नावशेष, कदम के फूल,किस्मत मत छुए की बेटी, एकादशी ,आहुति, अनुरोध, ग्रामीण
कार्यक्षेत्रस्वतंत्रता सेनानी,लेखिका,कवियित्रि
मृत्‍यु15 फरवरी 1948

चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 में हुआ था इनका जन्म इलाहाबाद के नजदीक निहालपुर में हुआ था सुभद्रा कुमारी के पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था और उनकी माता का नाम सरस्‍वती देवी था सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से कविता लिखने की रुचि थी

वह स्कूल के दिनों से ही कविताएं लिखती थी और इसी कविता लिखने की वजह से स्कूल में भी उनका  अलग स्थान था सुभद्रा कुमारी चौहान की शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद में ही क्रोस्थवैट गर्ल्स स्कूल से हुई थी उनकी पढ़ाई उनके पिता जी के देख रेख में ही हुई थी.

सुभद्रा कुमारी का वैवाहिक जीवन 

Subhadra kumari चौहान का विवाह 1919  में ठाकुर लक्ष्मण सिंह से हुआ था शादी होने के बाद वह जबलपुर में रहने के लिए चली गई . सुभद्रा कुमारी  चौहान के पति लक्ष्मण सिंह एक नाटककार थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़े हुए थे

शादी के कुछ दिनों बाद ही सुभद्रा कुमारी चौहान भी अपने पति के साथ सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हो गई थी और इसी दौरान वह कई बार जेल भी जा चुकी थी.

सुभद्रा कुमारी चौहान का व्यक्तित्व 

बचपन से ही कविता लिखने का शौक सुभद्रा कुमारी चौहान को था सबसे पहली रचना उन्होंने 15 वर्ष के उम्र में ही लिखा था शुरू से ही समाज में फैले रूढ़िवादी विचारों अंधविश्वास जाति भेदभाव आदि का विरोध करती थी उनका स्वभाव शुरू से ही किसी भी गलत कामों का विरोध करने वाला था

ठाकुर लक्ष्मण सिंह से विवाह करने के बाद अपने पति के साथ ही वह महात्मा गांधी के द्वारा चलाए जा रहे सत्याग्रह में भाग ले लिया स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार उन्‍होंने जेल में भी अपना जीवन व्यतीत किया था

अपने देश को आजाद कराने के लिए भारत माता को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए उन्होंने कई आंदोलन में तो योगदान दिया ही था साथ ही अपनी गृहस्थी को भी बहुत अच्छे से चलाती थी

रचनाएं लिख कर कई कविताएं और कहानियां उन्होंने लिखकर के स्वाधीनता संग्राम में लोगों को प्रोत्साहित करती थी साथ ही अपने छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन भी अच्छे से करके उन्हें अच्छा संस्कार भी दे रही थी

समाज में कई तरह के फैले कुरीतिओं कुप्रथा अंधविश्वास जाति प्रथा रूढ़िवादी विचारों का भी विरोध करके एक सामाजिक कार्य भी करती थी और राजनीति में भी सक्रिय रूप से अपना भूमिका निभाती थी सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति ठाकुर लक्ष्मण सिंह भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे

वह हमेशा सफेद खादी का धोती वह भी बिना किनारा वाला पहनती थी शरीर पर न कोई गहना पहनती थी न चूड़ी ना बिंदी एकदम सादा भेष भूषा में हमेशा रहती थी कपड़ों का बहुत शौक था फिर भी वह नहीं पहनती थी सुहागन होते हुए भी सुहागनों की तरह नहीं रहती थी

उनके इस वेशभूषा को देखते हुए एक बार महात्मा गांधी ने उनसे पूछा कि विवाह हो गया है तो बहुत ही खुश होकर उन्होंने अपने पति से मिलवाया बोला कि मेरे पति भी मेरे साथ है तब महात्मा गांधी ने उन पर बहुत गुस्सा हो करके बहुत डांटा और बोला कि जब तुम सुहागन हो तो तुम्हारे माथे पर सिंदूर नहीं है

तुमने चूड़ी नहीं पहने हैं सुहागन होते हुए इस तरह के भेश भूषा अच्छा नहीं लगता है इसलिए कल से जा करके तुम किनारीवाला साड़ी पहनना सिंदूर लगाना चूड़ी पहनना.सुभद्रा कुमारी चौहान ने 1922 ईस्वी में सबसे पहला सत्याग्रह झंडा सत्याग्रह किया था जिसके बाद वो सबसे पहली महिला सत्याग्रही भी बन गई थी.

सुभद्रा कुमारी चौहान का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग 

subhadra kumari चौहान  शादी के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने अपने पति के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में जुड गई और अपनी भूमिका बहुत अच्छे से निभाई . स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ते हुए वह कई बार जेल भी गई  जेल में जाते हुए भी अपने गृहस्थी भी बहुत अच्छे से निभाई थी

और उन्होंने अपने बच्चों का जीवन संवारने में भी कोई कमी नहीं की थी अपनी गृहस्थी के साथ-साथ समाज की भी बहुत ही  सेवा की थी सुभद्रा कुमारी चौहान के 5 बच्चे थे सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति ठाकुर लक्ष्मण सिंह दोनों  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे.

घर-घर जाकर कांग्रेस का संदेश पहुंचाया करते थे सुभद्रा कुमारी चौहान बहुत ही सादगी के साथ रहती थी वह एक सफेद धोती खादी की किनारी वाली  पहनती थी और उन्हें गाहनों का शौक था फिर भी वह एकदम शादगी में रहती थी  ना कोई गाहना और ना ही चूड़ी और ना ही माथे पर बिंदिया यह सब कुछ भी नहीं करती थी.

एक बार महात्मा गांधी ने उन्हें इस रूप में देखा और उनसे पूछा कि तुम्हारा शादी हो गया है तो उन्होंने कहा कि हां इस पर महात्मा गांधी बहुत ही उन पर गुस्सा हुए.

और उन्होंने कहा की जाकर अपने माथे पर बिंदिया और  सिंदूर लगाओ सुभद्रा कुमारी चौहान अपने पति के साथ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जेल भी गई थी सुभद्रा कुमारी चौहान स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला थी.

जो कई बार जेल भी गई  सुभद्रा कुमारी चौहान झंडा सत्याग्रह आंदोलन में भी अपनी भूमिका निभाई थी और पहली  महिला भी बनी टाइम्स ऑफ इंडिया के संवाददाता ने लोकल सरोजिनी  के नाम से उनको पुकारा था सुभद्रा कुमारी चौहान स्वतंत्रता आंदोलन में रहते हुए भी एक बहुत अच्छी कवियित्री और लेखिका भी थी

उन्होंने बहुत सारी कविताएं लिखी और कविताओं का संग्रह भी लिखा सुभद्रा कुमारी चौहान की पुत्री सुधा चौहान ने मिला तेज से तेज नामक पुस्तक में उनके बारे में लिखा है सुभद्रा कुमारी चौहान ने बहुत सारी रचनाएं की उनके कथासंग्रह कहानी संग्रह बहुत सारे मिलते हैं.

सुभद्रा कुमारी चौहान का सामाजिक कार्य

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान थी अपनी कहानियों और कविताओं से स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों को और भारत देश के वासियों को सुभद्रा कुमारी ने बहुत प्रोत्साहित किया उनका मनोबल बढ़ाया.

अपने बच्चों का पालन पोषण भी साथ में सही से करती थी और कई सामाजिक सुधार कार्य भी उन्होंने किया है महिलाओं के हक के लिए महिलाओं के लिए उन्होंने कई बार आवाज उठाया था सुभद्रा कुमारी चौहान ने 1920 में महिलाओं के लिए पर्दा प्रथा का उन्होंने विरोध किया.

समाज से छुआछूत को दूर करने के लिए आवाज उठाया और रूढ़िवादी विचारों के लिए भी उन्होंने आवाज उठाया था महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्त करना कितना जरूरी है इसका उन्होंने महत्व बताया शिक्षा का प्रचार प्रसार करके महिलाओं को प्रोत्साहित करती थी.

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं

झांसी की रानी और वीरों का कैसा हो बसंत जैसा कविता सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिख कर के हमेशा के लिए अमर हो गई उनकी कविता झांसी की रानी आज भी किताबों में पढ़ने को मिलता है उन्होंने जो भी रचनाएं की है वहीं भारतीय हिंदी साहित्य में आत्म बलिदान शौर्य से भरा हुआ रचना है

उनकी रचनाओं में श्रृंगारीक भावना वात्सल्य भावना और राष्ट्रप्रेम की भावना बखूबी झलकता है सुभद्रा कुमारी को कई महान रचनाएं करने के लिए महान कार्यों को लिखने के लिए सेकसरिया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था

उन्होंने अपनी कविताओं से अपनी कहानियों से भारत के युवक और युवतियों को स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय होने के लिए शामिल होने के लिए प्रेरित किया था. उन्होंने कई काव्य संग्रह कहानी संग्रह आदि लिखे हैं.

सुभद्रा जी की सबसे पहला कहानी संग्रह बिखरे मोती नाम से प्रकाशित हुआ था जिसमें लगभग 15 कहानियां है और दूसरा कथा संग्रह उनका उन्मादिनी था जो कि 1934 में प्रकाशित हुआ था उन उन्मादिनी में 9 कहानियां है.

Subhadra kumari chauhan poems in hindi

  • अनोखा दान
  • आराधना
  • इसका रोना
  • उपेक्षा
  • उल्लास
  • काला खिलौने वाला
  • जालियांवाला बाग में बसंत
  • जीवन फुल
  • झांसी की रानी
  • झांसी की रानी की समाधि
  • यह कदंब का पेड़
  • मेरा जीवन
  •  खिलौने वाला
  • झिलमिल तारे
  • फूल के प्रति
  • कलह कारण
  • प्रियतमा से
  • अनोखा दान
  • व्याकुल चाह

कहानी संग्रह

  • बिखरे मोती
  • उन्मादीनी
  • सीधे-साधे चित्र

बिखरे मोती इनके पहली  कहानी संग्रह हैं जिनमें बहुत सारी कहानियां है जैसे कि भग्नावशेष कदम के फूल किस्मत मत छुए की बेटी एकादशी आहुति अनुरोध ग्रामीण कुल मिलाकर इनमें 15 कहानियां है यह कहानियां लगभग सभी सरल भाषा में लिखी है

इन्होंने और इनकी लगभग सभी कहानियां नारियों पर लिखी गई थी उन्माद इनका  दूसरा कहानी संग्रह इसमें उन्होंने 9 कहानियां लिखी थी और सीधे साधे चित्र सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा कहानी संग्रह जिसमें 14 कहानियां लिखी है.

जैसे कि रूपा रानी भी आल्हा कल्याणी 2 साथी प्रोफ़ेसर मित्रा इन्होंने कहानियां बहुत लिखी लेकिन और कविताएं भी बहुत लिखी लेकिन इनको सबसे ज्यादा प्रसिद्धि झांसी की रानी कविता से मिली थी लोगों में बहुत प्रसिद्ध हुए आज भी हम लोग यह कविता बहुत मन से पढ़ते हैं सुभद्रा कुमारी चौहान को बहुत सारे साम्‍मान भी मिले थे.

सुभद्रा कुमारी चौहान को मिले सम्मान और पुरस्कार

उनकी महान रचनाओं के लिए कथा संग्रह कहानी संग्रह जो उन्‍होनें लिखे हैं उसके लिए कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं मुकुल कविता संग्रह के लिए सेक्सरिया पारितोषिक सम्मान सुभद्रा कुमारी चौहान को दिया गया था

सुभद्रा जी की पहला कहानी संग्रह बिखरे मोती के लिए भी उन्हें सेकसरिया पारितोषिक मिला था 1976 में सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया था.

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली

राष्ट्रप्रेम की भावना वात्सल्य श्रृंगारिक भावनाओं के साथ सुभद्रा कुमारी चौहान ने कई कहानी संग्रह और कविता संग्रह लिखे हैं उनकी काव्यों में वीर रस की प्रधानता होती थी

उनकी रचनाओं की भाषा शैली ओजपूर्ण शैली और बहुत ही सरल और सुबोध भाषा होती थी उन्होंने अपने कहानियों में कविताओं में मुक्तक शैली और अलंकार का बहुत ही अच्छे से प्रयोग किया है जिससे कि उनकी रचनाओं का सौंदर्य और भी निखर जाता है

लोग उसे बहुत ही प्रेम से और आनंदित होकर पढ़ते हैं सुभद्रा जी अपने आप को देश के प्रति कुर्बान होने पर सम्मान मानती थी और अपने कविताओं से अपनी रचनाओं से देशवासियों को प्रेरित करने के लिए कई कविताएं उन्होंने लिखे हैं

स्वतंत्रता आंदोलन में जितने वीर शहीद हुए थे उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानती थी. सुभद्रा कुमारी चौहान ने 88 कविताएं और लगभग 46 कहानियां लिखी थी मुकुल नाम का काव्य संग्रह उनका 1930 में प्रकाशित हुआ था जिसके लिए सेकसरिया पुरस्कार उन्हें मिला दिया गया था.

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु 

15फरवरी 1948 में हुआ था उनकी मृत्यु नागपुर से जबलपुर जाने के समय एक कार एक्सीडेंट से हुआ था उस समय वह एक असेंबली सेशन में उपस्थिति देने के लिए वहां जा रही थी उसमें सुभद्रा कुमारी चौहान राज्यसभा के विधानसभा सदस्य थी

इसी सिलसिले में वह नागपुर से जबलपुर जा रही थी सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु के बाद हमारे हिंदी साहित्य जगत में उनका एक जगह एकदम खाली खाली हो गया.

सुभद्रा कुमारी चौहान को हम लोग युगों युगों तक याद रखेंगे और उनकी कविताएं हम लोग युगो युगो तक पढ़ते रहेंगे उनकी कविताएं प्रेरणा देने वाली नौजवानों में क्रांति फैलाने वाली थी

हिंदी साहित्य जगत में ऐसी अकेली कवियित्री थी जिन्होंने लाखों युवक-युवतियों को त्याग और स्वतंत्रता संग्राम के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था.

सारांश

सुभद्रा कुमारी चौहान की बेटी सुधा चौहान ने सुभद्रा जी की जीवनी और उनके जीवन से संबंधित हर बातें “मिला तेज से तेज” नाम की किताब में लिखा है

सुभद्रा कुमारी चौहान एक स्वतंत्रता सेनानी कवियित्री लेखिका समाज सुधारक थी इस लेख में सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन परिचय के बारे में उनका जन्म कब और कहां हुआ के माता पिता कौन थे

सुभद्रा जी का विवाह किससे हुआ उन्होंने कौन-कौन सी कविताएं और कहानियां लिखी है सबसे प्रसिद्ध कविता कौन सी है सुभद्रा कुमारी चौहान की का भाषा शैली के बारे में उनके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी दी गई है.

इस लेख में सुभद्रा कुमारी चौहान इन हिंदी Subhadra Kumari Chauhan in hindi के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है आप लोगों को यह जानकारी कैसी लगी अपना कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी करें.

Leave a Comment