सुभाष चंद्र का बोस का जीवन परिचय – Subhash Chandra Bose in hindi

Subhash Chandra Bose biography in hindi भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में सबसे प्रमुख माने जाने वाले नेताजी के नाम से पहचान पाने वाले सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई को एक नया मोड़ दे दिया था.

उनका जन्म कहां हुआ Subhash Chandra Bose in hindi का जन्म कहां हुआ था उनके माता पिता कौन थे उन्होंने विवाह किससे किया उन्होंने शिक्षा कहां से प्राप्त किया सुभाष चंद्र बोस ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कौन-कौन से संघ का गठन किया.

सुभाष चंद्र बोस का सबसे प्रसिद्ध नारा कौन था उनका मृत्यु कैसे हुआ. सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता अभियान में लोगों को आजादी पाने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी कौन-कौन से उन्होंने प्रेरणादायक भाषण दिया जिससे लोगों से प्रेरित हुए आइए इस लेख में इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं.

Subhash Chandra Bose biography in hindi 

Subhash Chandra Bose भारत माता के एक वीर और सच्चे सपूत थे वह भारत के वीर सैनिक वीर क्रांतिकारी महानायक एक कूटनीतिज्ञ एक राजनीतिज्ञ और बहुत ही महान व्यक्तित्व वाले इंसान थे

सुभाष चंद्र बोस ने भारत को आजादी दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था आजाद हिंद फौज का गठन करके सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के लिए बहुत ही ज्यादा समस्या खड़ा कर दिया था उस समय की जितने भी युवा क्रांतिकारी थे स्वतंत्रता सेनानी थे उनके लिए नेताजी एक प्रेरणा स्रोत के रूप में बन गए थे.

Subhash Chandra Bose biography in hindi

Subhash Chandra Bose ने भारत को आजाद कराने के लिए अपने सारी जिंदगी उसी में लगा दी वह जब तक जिंदा रहे तब तक वह यहीं विचार करते रहे कि कौन सा ऐसा प्रयत्न किया जाए जिससे कि भारत आजाद हो जाए.

भारत के लोग अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होकर अपने अनुसार अपनी जिंदगी जिए. नेताजी एक ऐसे महान देशभक्त इंसान थे जिनके शरीर में खून तो भरा था

लेकिन वह खून भारत की आजादी दिलाने के लिए हमेशा खौलता रहता था उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका बहुत ही वीरता पूर्वक और दृढ़ता पूर्वक पूर्वक निभाया हैं.

सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय 

नामसुभाष चंद्र बोस
जन्‍म23 जनवरी 1897
जन्‍म स्‍थानउड़ीसा के कटक
पिता का नामजानकीनाथ बोस
माता का नामप्रभावती देवी
पत्नि का नामएमिली शेंकल
पुत्रीअनिता बोस
शिक्षास्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने इंटर, दर्शनशास्त्र से ग्रेजुएशन,
कार्यक्षेत्रवीर सैनिक, वीर क्रांतिकारी, महानायक, कूटनीतिज्ञ,  राजनीतिज्ञ
गठनस्वराज पार्टी का गठन, आजाद हिंद फौज का गठन,
सम्‍मान अैर पुरस्‍कारभारत रत्न, गोल्डन स्पर, ऑर्डर ऑफ मेरिट पुरस्कार
नाराजय हिंद, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा,
उपाधिनेताजी
मृत्‍यु18 अगस्त 1945

सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे वीर पुरुष और वीर इंसान थे जिन्होंने भारत के आजादी दिलाने के लिए अपने जीवन के बारे में भी थोड़ा सा भी नहीं सोचा. उन्होंने अपने मातृभूमि को अंग्रेजों के गुलामी की जंजीर से आजाद कराने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी

Subhash Chandra Bose ने अंग्रेजों के दिल में एक अलग ही डर पैदा कर दिया था अंग्रेजों को सुभाष चंद्र बोस से भय लगने लगा था कि अब भारत को आजाद करा कर ही रहेंगे. Subhash Chandra Bose ने भारतवासी के युवा पीढ़ियों के दिल में आजादी की क्रांति का ज्वाला भड़का दिया था.

जिससे कि सभी युवा क्रांतिकारी आजादी के लिए जी जान से संग्राम करने लगे थे Subhash Chandra Bose एक ऐसे वीर पुरुष थे जिनकी वीरता भारत में तो लगभग सभी के बीच मशहूर हैं

लेकिन उनकी भारत से बाहर विदेशों में भी उनकी वीरता की गाथा लोग सुनाते हैं वह भारत माता के सच्चे देशभक्त और सच्चे वीर सपूत थे. उनके इसी वीरता और कूटनीतिक विचार से लोग इतना प्रभावित हो गए थे कि उन्हें प्यार से नेता जी कहते थे.

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 

Subhash Chandra Bose का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था सुभाष चंद्र बोस उड़ीसा के कटक के रहने वाले थे उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और उनकी माता का नाम प्रभावती देवी था

सुभाष चंद्र बोस के पिता जी एक बहुत ही प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता बहुत ही धार्मिक स्त्री थी सुभाष चंद्र बोस के पिता जी उस समय के बहुत जाने-माने वकील थे इसी वजह से उन्हें रायबहादुर के उपाधि मिली थी.

जो कि बाद में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई में उनके पिताजी ने यह उपाधि वापस कर दिया.

सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा 

Subhash Chandra बोस का शुरुआती पढ़ाई कटक से ही हुआ था वह अपने स्कूल में सभी बच्चों से पढ़ने में काफी तेज और होनहार भी थे

उन्हें शुरू से ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी. इस वजह से स्कूल में वह अपने टीचर के सबसे लोकप्रिय छात्र थे मैट्रिक पास करने के बाद सुभाष चंद्र बोस कोलकाता चले गए और वहां से स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने इंटर पास किया

दर्शनशास्त्र से उन्होंने ग्रेजुएशन पास किया सुभाष चंद्र बोस के पिता जी चाहते थे कि वह सेना में भर्ती हो जाए और देश की सेवा करें.सुभाष चंद्र बोस विवेकानंद के व्यक्तित्व से बहुत थे.

वह उन्हीं के बताए रास्ते पर चलना चाहते थे लेकिन उनके परिवार के लोग चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें. उन्होंने पढ़ाई के दिनों में ही स्वामी विवेकानंद के बारे में पूरा अध्ययन कर लिया था

उनके विचारों से बहुत हद तक प्रभावित भी थे. स्नातक करने के बाद सुभाष चंद्र बोस अपने पिता के बताए अनुसार सीएस करने के लिए इंग्लैंड चले गए.लेकिन उनका मन पढाई में थोड़ा भी नहीं लग रहा था

क्योंकि वहां पर अंग्रेज शिक्षक के साथ उनका मतभेद हो गया था . वहां पर जाति का भेदभाव बहुत हो रहा था इस वजह से Subhash Chandra Bose के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा

अंग्रेजो के खिलाफ उनके मन में विद्रोह पैदा हो गया उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और भारत वापस लौट आए.

सुभाष चंद्र बोस का विवाह 

नेताजी को किताबें लिखने का भी बहुत शौक था किसी भी काम में रहते थे लेकिन वह अपना किताब लिखने वाला काम कभी छोड़ते नहीं थे. 1934 में जब वह ऑस्ट्रिया अपने इलाज के लिए गए थे

उस समय भी वह अपना लेखनी नहीं छोड़ते थे तब उन्हें वहां पर किसी एक अंग्रेजी टाइपिस्ट का जरूरत था उसी दौरान उनके एक दोस्त ने एक ऑस्ट्रियन महिला एमिली शेंकल से उनकी मुलाकात करवाया.

एमिली सुभाष चंद्र बोस के साथ वहां रहने लगी उसी दौरान Subhash Chandra Bose को एमिली से प्रेम हो गया और उन्होंने 1942 में उसके साथ वहीं पर शादी हिंदू रीति रिवाज के साथ कर लिया.

सुभाष चंद्र बोस को एमिली शेंकल से एक बेटी भी पैदा हुई जिसका नाम अनिता बोस हैं. अनिता बोस आज भी जर्मनी में रहती हैं और अपने परिवार से मिलने के लिए कभी-कभी भारत आती हैं.

सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व 

Subhash Chandra Bose बहुत ही दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे उनके मन में भारत माता के प्रति सच्ची श्रद्धा और लगन थी उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी पूरी जी जान लगा दी

उन्‍होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कई सारी आंदोलनों में क्रांति की ज्वाला भडकाई और भारतीय युवा क्रांतिकारियों के दिल में क्रांति की आग फैला दी. Subhash Chandra Bose के मन में अंग्रेजो के खिलाफ बचपन से ही घृणा और नफरत था क्‍योंकि बचपन से ही अपने आसपास अंग्रेजों का अत्याचार लोगों पर करते हुए देखते थे.

बोस ने रंगून में एक ऐतिहासिक भाषण दिया था जिससे सभी भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में जोश भर गया था उनका भाषण था कि स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों स्वतंत्रता बलिदान चाहती है आपने आजादी के लिए बहुत त्‍याग किए लेकिन अपनी जान की आहुति अभी बाकी है मैं आप सब से एक चीज मांगता हूं और वह है खून दुश्मन ने हमारा जो खून बहाया है

उसका बदला सिर्फ खून से ही चुकाया जा सकता है और इसके बाद उन्होंने नारा दिया कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा इस एक नारा से भारत के हर युवा में आजादी का लहर दौड़ गया चंद्र बोस को नेताजी के नाम से लोग संबोधित करते थे

कई बार अंग्रेजों ने उन्हें गुप्तचरों के द्वारा मरवाने का भी प्रयास किया था भारत सरकार के द्वारा सुभाष चंद्र बोस को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया है.

सुभाष चंद्र बोस का राजनीतिक जीवन 

सुभाष चंद्र बोस ने जब पढ़ाई पूरी करके भारत वापस आए तो वह कोलकाता के स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें अपना राजनीतिक गुरु भी मानते थे

उन्होंने पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विस की परीक्षा दिया और उसमें उनका चौथा स्थान आया था लेकिन उन्होंने यह नौकरी ठुकरा दिया और गांधी जी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े Subhash Chandra Bose ने महात्मा गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता कहा था.

स्वराज पार्टी का गठन

भारत आने के बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ने का मन बनाया और उन्होंने कांग्रेस का सदस्यता ले लिया और चितरंजन दास के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सहयोग देने लगे.

1922 ईस्वी में उन्‍होंने मोतीलाल नेहरू से अलग होकर चितरंजन दास के साथ मिलकर स्वराज पार्टी का गठन किया और वहां पर युवा पीढ़ी के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने लगे

भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना योगदान बहुत ही अच्छे से देने लगे उसी समय Subhash Chandra Bose इतना लोकप्रिय हुए कि उन्हें लोग नेता जी कहकर चारों तरफ पुकारने लगे

उन्हें नेताजी के नाम से ही पहचानने लगे थे.Subhash Chandra Bose महात्मा गांधी के अहिंसा वादी विचारों से सहमत नहीं थे क्योंकि 1931 में जब भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी हुआ

तो सुभाष चंद्र बोस ने भी यह मान लिया कि अब अहिंसा वादी आंदोलन और क्रांति से आजादी नहीं मिल सकता हैं इसी वजह से उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई वह चाहते थे कि भारत को जितनी जल्दी हो सके आजादी मिल जाए

इसीलिए Subhash Chandra भारत से बाहर कई देशों को एकमत करने लगे और पूरी दुनिया में घूम कर वह भारत को आजाद कराने के लिए मदद मांगने लगे.

आजाद हिंद फौज का गठन

जब सुभाष चंद्र बोस जापान और जर्मनी से सहायता लेने के लिए गए इस वजह से अंग्रेजों उनसे बहुत नाराज हुए और अपने गुप्तचर उनके पीछे लगा दिया और सुभाष चंद्र बोस को जान से मारने की कोशिश भी करने लगे थे

बोस ने 1943 में आजाद हिंद फौज का अस्थाई रूप से गठन किया और उनके इस संघ का साथ जर्मनी जापान फिलीपींस कोरिया चीन इटली मंजुनिया और आयरलैंड सभी ने सहायता किया.

1944 में उन्‍होंने आजाद हिंद फौज का गठन दोबारा से स्थाई रूप में किया और अंग्रेजों पर दबाव बनाना शुरू किया कि जितना जल्दी हो सके भारत को आजाद कर दो. 

उन्होंने 1944 में रंगून से एक रेडियो प्रोग्राम से महात्मा गांधी से आशीर्वाद भी मांगा की भारत को आजादी दिलाना चाहता हूं. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एक नारा दिया

तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा यह नारा उस समय के युवा लोगों में इतना प्रचलित हुआ कि उनके साथ आजादी के लडाई में बहुत सारे क्रांतिकारी और युवा साथ हो गये.

सुभाष चंद्र बोस ने कौन-कौन से संघ का गठन किया 

  • 5 जुलाई 1943 में उन्होंने क्रांतिकारियों को संबोधित किया और नारा दिया दिल्ली चलो इस नारा का लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ा.
  • 21 अक्टूबर 1943 में उन्होंने आजाद हिंद फौज का अस्थाई रूप से गठन किया और 1944 में सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का दोबारा से स्थाई रूप से गठन किया.
  • Subhash Chandra Bose ने जय हिंद का नारा लगाया और लोगों को क्रांति के लिए उत्साहित किया.
  • सुभाष चंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा लगाया और यह नारा उस समय इतना प्रचलित हुआ कि भारतवासी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी के नाम से संबोधित करने लगे और इसी नाम से वह भारत वासियों में प्रचलित हो गए.

सुभाष चंद्र बोस का मृत्यु 

Subhash Chandra Bose का मृत्यु 18 अगस्त 1945 में हुआ था उनका  मृत्यु तब हुआ जब वह भारत को आजाद कराने के लिए रूस सहायता मांगने के लिए जा रहे थे उसी दौरान उनकी मौत हवाई जहाज दुर्घटना में हो गई

लेकिन उनका मौत आज भी लोगों में एक रहस्य बना हुआ हैं उनके परिवार और भारत के बहुत लोगों का कहना हैं कि उस समय उनका मौत नहीं हुआ था उन्हें  नजर बंद करके रखा गया था.

उनके परिवार वाले आज भी उनके मौत के बारे में पूरी तरह से जांच करने का मांग कर रहे हैं 2021 में उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के लिए भारत सरकार ने घोषणा किया हैं कि

हर साल उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा Subhash Chandra Bose सच्चे देशभक्त और भारत माता के सच्चे सपूत वीर सैनिक और वीर क्रांतिकारी थे.

सारांश 

सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि जब अपने देश को आजाद कराना है अंग्रेजों से आजादी हासिल करना है तो अंग्रेज के दुश्मनों से मिलकर रहना चाहिए उस समय दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ा हुआ था

इसलिए अंग्रेज उनके विचारों से बहुत परेशान हुए उन्हें लगा कि कहीं नेजी जाकर उनके दुश्मनों से न मिल जाए इसलिए उन्हें कोलकाता में नजर बंद कर दिया गया

लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की मदद से वहां से भाग गए सुभाष चंद्र बोस ने पूरे दुनिया का भ्रमण किया था

भारत को आजादी दिलाने के लिए हर जगह से हर तरह की नीति को अपनाया था हिटलर से नाजीवाद मुसोलिनी से फासीवाद आदि नीतियों को उन्होंने जांचा और परखा था

इस लेख में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में पूरी जानकारी दी गई हैं अगर इस लेख से संबंधित कोई सवाल मन में थी कृपया कमेंट करके जरूर पूछें.

इस लेख में हमने सुभाष चंद्र बोस के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं Subhash Chandra Bose biography in hindi आप लोगों की जानकारी कैसी लगी हम कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी जरूर करें ताकि और लोगों के पास भी यह जानकारी पहुंच सके.

Leave a Comment