सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय Sumitranandan Pant ka jivan parichay लेखनी के दम पर अपने कलम के बल पर समाज में फैली कुरीतियों और कुप्रथाओं को खत्म करने का प्रयास किया
कई सामाजिक कार्य करके समाज से अंधविश्वास और अन्य बुराइयों को खत्म करने के लिए विरोध किया उन कवि और लेखकों का भारत के इतिहास में एक अमूल्य योगदान है जिसे युगों युगों तक याद किया जाएगा इन्हीं महान लेखक में सुमित्रानंदन पंत का नाम लिया जाता है जो कि हमारे भारत के हिंदी साहित्य में एक अलग छाप छोड़ गए.
भारतीय हिंदी साहित्य जगत में बहुत ही प्रसिद्ध लेखक और कवि हुए हैं सुमित्रानंदन पंत की कविताएं लेख बहुत ही प्रसिद्ध हुआ Sumitranandan Pant ka jivan parichay in hindi अपनी कविताओं के प्रभाव से उन्होंने अपनी कलम के बल पर बहुत सारे समाज सुधार काम भी किये.
Sumitranandan Pant ka jivan parichay
भारत के हिंदी साहित्य में छायावाद युग में चार स्तंभ माने गए हैं उनमें चार स्तंभों में एक सुमित्रानंदन पंत जयशंकर प्रसाद सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा थेसुमित्रानंदन पंत एक ऐसे लेखक और कवि थे जिन्होंने अपने रचनाओं में अपनी कविताओं में प्रकृति का बहुत ही सुंदर वर्णन करते थे
ऐसा लगता था जैसे साक्षात प्रकृति उनकी कविताओं में उतर कर आ गई है इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि भी कहा गया है पंत के कविताओं में प्रकृति की हर एक सुंदर दृश्य का वर्णन होता था।
जैसे कि बर्फ झरना शीतल पवन भंवरों का गुंजन करना तारों के बारे में जो कैसे आकाश में आकाश को चुनरी ओढ़ाए हुए हैं। शाम की ढलती हुई संध्या के बारे में प्रकृति के जितने भी सुंदर दृश्य होते हैं वह सभी उन के कविता में वर्णित किया जाता है
सुमित्रानंदन पंत भारतीय हिंदी साहित्य के बहुत बड़े कवि थे और भारतीय इतिहास में हिंदी साहित्य को ऊंचाई पर ले जाने का सबसे ज्यादा श्रेय और योगदान सुमित्रानंदन पंत जी को जाता है.
वैसे तो हमारे भारतीय हिंदी साहित्य में बहुत सारे लेखक और कवि हुए लेकिन सुमित्रानंदन पंत हिंदी भारतीय इतिहास में हिंदी साहित्य को सबसे ऊंचाई पर ले गयेे और हिंदी भाषा के बारे में उनके पास बहुत ज्यादा जानकारी थी.

सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म
नाम | सुमित्रानंदन पंत |
जन्म | 20 मई उन्नीस 1900 |
पिता का नाम | गंगाधरपंत |
माता का नाम | सरस्वती देवी |
घर का नाम | गोसाईं दत |
रचनाएं | ग्रंथि गुंजन,ग्राम्या, युगांत,स्वर्ण किरण,स्वर्ण धुली,काला बूढ़ा चांद |
मृत्यु | 28 दिसंबर 1977 |
Sumitranandan Pant का जन्म 20 मई उन्नीस 1900 में राज्य के कौसानी गांव में उनका जन्म हुआ था पंत जी के जन्म के समय उनकी मां की मृत्यु हो गई तो उनका लालन-पालन उनकी दादी और पिता जी ने किया था पंत जी के पिताजी का नाम गंगाधरपंत था और माताजी का नाम सरस्वती देवी था पंंत जी के बचपन का नाम गोसाईं दत था पंत जी को अपना नाम पसंद नहीं था.
इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया पंत जी की प्रारंभिक पढ़ाई अल्मोड़ा 18 वर्ष की उम्र में पंत जी अपने भाई के साथ बनारस चले गए थे बनारस आने के बाद सुमित्रानंदन पंत जी की भारत कोकिला सरोजिनी नायडू और विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर से मुलाकात हुई.
उसी समय पंत जी अंग्रेजी की रोमांटिक काव्यधारा से अवगत हुये. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई में दाखिला लिया.
सुमित्रानंदन पंत की साहित्यिक जीवन
ऐसा कहा जाता कि सुमित्रानंदन पंत जी जब चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे तभी से उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था. 1918 ईस्वी के लगभग पंत जी को हिंदी साहित्य के नवीन धारा के कवि के रूप में लोग पहचानने लगे थे.
1922 में उच्चावास और 28 में पल्लो प्रकाशित हुआ इसी के बाद उनका छवि एक प्रमुख छायावादी कवि के रूप में उभरने लगा. पंत जी के काव्य में ग्रामीण जीवन जगजीवन के सामाजिक भौतिक और नैतिक मूल्यों के बारे में ज्यादा हम लोग पढ़ पाएंगे.
सुमित्रानंदन पंत जी कुछ समय आकाशवाणी से भी जुड़े थे और आकाशवाणी में उनका मुख्य निर्माता के पद पर कार्यभार था ऐसा हम लोग सुनते हैं की पंत जी का विचारधारा योगी अरविंद से भी प्रभावित हुई जोकि बाद में उन्होंने अपनी रचनाओं में भी इसे प्रदर्शित किया पंत जी का जीवन तीन तरह का था छायावादी थे दूसरा समाजवादी थे और तीसरा अरविंद दर्शन से प्रभावित होकर अध्यात्म वादी हो गए.
सुमित्रानंदन पंत का स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग
उन ने अपनी पढ़ाई आधी पर ही छोड़ दी उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन के साथ जुड़ गए और अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ कर सत्याग्रह आंदोलन के साथ जुड़ गया उसके बाद उन्होंने घर पर ही रह कर अपने आगे क जारी रखें.
हिंदी संस्कृत और बंगाली साहित्य क्या अच्छे से अध्ययन किया सत्याग्रह आंदोलन से जुड़ने के कारण पंत जी को कई गांव में जाने का भी मौका मिला जिससे ग्राम में जीवन के अधिक नजदीक जाकर उनके रहन-सहन को देखने का अवसर मिला था
वही गांव का रहन-सहन लोगों के साथ बातचीत करने के बाद वहां का माहौल को देखकर पंत जी के जीवन में एक नया मोड़ आ गया यहीं से उन्होंने अपने काव्य युग का जीवन का शुरुआत किया.
सुमित्रानंदन पंत का व्यक्तित्व
उन का व्यक्तित्व ऐसा था कि कोई भी देख करके उनको आकर्षित हो जाता था उनका चेहरा उनका शरीर एक अलग ही आकर्षण का केंद्र बिंदु हुआ करता था गोरे रंग का उनका चेहरा था सुंदर सौम्य मुखाकृति था बाल लंबे घुंघराले थे और उनका शरीर बहुत ही सुंदर सुगठित हुआ करता था सुमित्रानंदन पंत का बचपन का नाम था गोसाईं दत.
लेकिन बाद में उन्होंने अपने आप ही अपना नाम बदल कर सुमित्रानंदन पंत रख लिया था पंत जी छायावादी युग के चार स्तंभ में एक स्तंभ थे जिन्होंने भारतीय हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य किया
वह एक समाजवादी आदर्शों पर चलने वाले व्यक्ति थे अध्यात्म वादी व्यक्ति थे उन्होंने कई काव्य कृतियां लिखी जो कि समाज सुधार में स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत ही सहयोग किया था सुमित्रानंदन पंत की जो भाषा थी जो उनके लिखने का तरीका था वह बहुत ही कोमल और मधुर स्वभाव का था
इसीलिए सुमित्रानंदन पंत को कोमल कल्पनाओं के कवि भी कहा जाता है सुमित्रानंदन पंत की रचना उनकी कविता ऐसी होती थी जिनमें प्रकृति के हर रंग रूप सौंदर्य कृत्रिम वातावरण दिखाई देता है
ऐसा लगता था कि जैसे मनुष्य प्रकृति का स्नेह प्राप्त कर रहा है प्रकृति को देख कर के कोई भी मनुष्य अपने सभी दुखों को क्षण भर में ही भूल जाएगा जिस तरह कहीं प्राकृतिक चीज जैसे झरना बादल आकाश को देख कर के मोहित हो जाता है
प्रकृति से लगाव हो जाता है उसी तरह उनकी रचनाओं में भी प्रतीत होता था. उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन किया.
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएं
उन की रचनाओं में नैतिकता धर्म सामाजिकता दर्शन अध्यात्मिकता भौतिकता और प्रकृति का बहुत ही सुंदर कोमल भावनाओं से युक्त वर्णन रहता था उनकी सुंदर रचनाओं के लिए कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले थे.
सबसे पहला रचना उनका गिरजे का घंटा 1916 में लिखे थे उसके बाद कई रचनाएं उनकी प्रकाशित हुई कई पत्रों का संपादन भी उन्होंने किया जिसके लिए उन्हें ज्ञानपीठ अकादमी पुरस्कार आदि कई पुरस्कार भी मिले थे.
उन का भाषा शैली अत्यंत ही मधुर और सरस था उन्होंने अपनी रचनाओं में गीतात्मक शैली कोमलता संगीतात्मकता आदि शैलियों का प्रयोग किया था.
Sumitranandan pant ki rachnaye
- ग्रंथि गुंजन
- ग्राम्या
- युगांत
- स्वर्ण किरण
- स्वर्ण धुुली
- काला बूढ़ा चांद
- लोकायतन
- चिदंबरा
- सत्यकांत
- ज्योत्सना
- नाटक रजत शिखर
- उच्छावास
- ग्रंथि
आदि रचनाएं सबसे ज्यादा उल्लेखित मिलता हैंं. पंत जी अनुपम कवि के रूप में मानेे जाते हैंं. सुमित्रानंदन पंत जी के जीवन काल में 28 पुस्तकें प्रकाशित हुई थी. जिनमें बहुत सारी कविताएं और नाटकों और बहुत सारे निबंध शामिल है
उन जी का जीवन एक विचारक दार्शनिक और मानवतावादी के रूप में हम लोग के सामने प्रदर्शित होता है सुमित्रानंदन पंत जी एक कलात्मक कविताएं पल्लो है जिसमें 32 कविताओं का एक संग्रह है यह संग्रह 1918 से 1924 ईस्वी तक लिखी गई थी.
पंत का पुरस्कार
सुमित्रानंदन पंत जी का भारतीय हिंदी साहित्य जगत में उठाने के लिए बहुत सारे पुरस्कार मिले .
- 1961 ईस्वी में पदम भूषण मिला
- ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला
- साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार मिला
इसके साथ ही बहुत ही उच्च श्रेणी के सामानों से पुरस्कृत किया गया उन जी के गांव में कौसानी में जिस घर में बचपन से वह रहते थे उस घर को एक संग्रहालय के रूप में बना दिया गया
जिसका नाम सुमित्रानंदन पंत का रखा गया इसमें उनके व्यक्तिगत प्रयोग की वस्तु जैसे कि कपड़ों कविताओं की पांडुलिपि छायाचित्र आदि की जितनी भी प्रयोग के समान था सभी चीजों को उसमें लोगों को देखने के लिए रखा गया.
Pant Death
वह कई भाषाओं के ज्ञाता थे जैसे कि हिंदी संस्कृत बांग्ला और अंग्रेजी. उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी अपना योगदान दिया था एक कवि एक लेखक होते हुए भी एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों को जागृत करना लोगों को आंदोलन के तरफ आकर्षित करने में अपना योगदान अपने लेखनी से दिया था.
सुमित्रानंदन पंत जी की मृत्यु 77 वर्ष की उम्र में 28 दिसंबर 1977 को हुआ था पंत जी की मृत्यु से हिंदी साहित्य जगत का एक बहुत बड़ी क्षति हुई थी यह हिंदी साहित्य के प्रकाश पुंज के समान थे जो आधुनिक हिंदी साहित्य जगत से हमेशा के लिए चलेगा.
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सारांश
Sumitranandan Pant ka jivan parichay सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय भारतीय हिंदी साहित्य की महान लेखक कवि साहित्यकार समाज सुधारक स्वतंत्रता सेनानी सुमित्रानंदन पंत थे उन्होंने समाज में सुधार के लिए कई रचनाएं की भारत को आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में अपना योगदान दिये.
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय इस लेख में छायावाद के चारों स्तंभों में से एक स्तंभ माने जाने वाले उन के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जिसमें सुमित्रानंदन पंत का जन्म कहां हुआ उन्होंने कौन-कौन सी रचनाएं की स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने कैसे सहयोग किया
कैसे योगदान दिया उनका मृत्यु कब हुआ उनके माता-पिता कौन थे के बारे में पूरी जानकारी दी गई है.आप लोग को सुमित्रानंदन पंत के बारे में यह जानकारी कैसा लगा कमेंट करके जरुर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।