सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय Suryakant Tripathi Nirala ka jivan parichay सूर्यकांत त्रिपाठी निराला छायावादी युग के चार स्तंभ में से एक स्तंभ माने जाते हैंसूर्यकांत त्रिपाठी निराला का विचार बहुत ही क्रांतिकारी था। वह समाज में फैले हर तरह के कुरीति, कुप्रथा, अंधविश्वास आदि जो भी अव्यवस्थित करने वाली धारणाएं थी, उसको खत्म करना चाहते थे।
समाज में लोगों के हित के लिए समाज सुधार के लिए कई विद्रोही कविताएं उन्होंने लिखी है। इसीलिए एक विद्रोही कवि के रूप में भी Suryakant Tripathi Nirala को पहचान मिली थी। काफी हद तक उन्होंने अपने कलम के बल पर समाज में सुधार भी किए थे। उनकी काव्यों में रचनाओं में शुद्ध रूप से खड़ी बोली का प्रयोग किया जाता था।
वैसे तो छायावाद काल में ही खड़ी बोली का शुरुआत काव्य में माना जाता है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी छायावाद के एक प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध है। Suryakant Tripathi Nirala ka jivan parichay in hindi सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को महाप्राण के नाम से भी जानते थे वह बहुत ही प्रखर कवि थे आइए जानते हैं त्रिपाठी निराला जी के जीवनी के बारे में.
Suryakant Tripathi Nirala ka jivan parichay
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य जगत के छायावाद के चार स्तंभ में से एक स्तंभ है जयशंकर प्रसाद सुमित्रानंदन पंत महादेवी वर्मा के साथ छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ में से एक स्तंभ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी माने जाते हैं उन्होंने बहुत सारी कहानियां उपन्यास और निबंध लिखे हैं लेकिन उनकी सबसे ज्यादा प्रचलित और ख्याति विशेष रूप से कविता के कारण ही मिले हैं.
उन्होंने कई कहानियां उपन्यास निबंध आदि लिखे हैं जिससे कि उन्हें बहुत ख्याति मिली उन्होंने सबसे पहली रचना में अपने जन्म भूमि के बारे में लिखा था सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के रचनाओं में क्रांतिकारी विचार प्रदर्शित होते थे विद्रोही और क्रांतिकारी विचार के थे इसीलिए उन्हें एक विद्रोही कवि के रूप में भी जाना जाता है.

जन्म
Suryakant Tripathi Nirala जी के जन्म के संबंध में अनेकों मत है लेकिन कुछ लोगों के मत के अनुसार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत में जिला मेदिनीपुर में हुआ था निराला जी का जन्म 21 फरवरी 1896 में हुआ था लेकिन सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के कहानी संग्रह लिली में उनके जन्म तिथि 21 फरवरी 1899 दी गई है.
नाम | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला |
जन्म | 21 फरवरी 1899 |
पिता का नाम | पंडित राम सहाय त्रिपाठी |
माता का नाम | रुक्मिणी देवी |
पत्नि का नाम | मनोहरा देवी |
मृत्यु | 15 अक्टूबर 1961 |
रचनाएं | अनामिका, परिमल,गीतिका,तुलसीदास |
Suryakant Tripathi Nirala biography in hindi
उनके पिता का नाम पंडित राम सहाय त्रिपाठी था माता का नाम रुक्मिणी थी उनके निराला जी का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था और दिन मंगलवार था निराला जी के जन्म कुंडली बनाने वाला जो पंडित थे
उन्होंने उनका नाम सूरज कुमार रखा था निराला जी के पिता का वास्तविक निवास बांसवाड़ा उन्नाव जिले के गड़ा कोला गांव के निवासी थे Suryakant Tripathi Nirala जी बंगाल में रहने के वजह से उनकी मातृभाषा बांग्ला हो गई थी
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की शिक्षा
Suryakant Tripathi Nirala जी के शिक्षा बंगाली माध्यम से हुई थी क्योंकि वह बंगाल में ही रहते थे उसके बाद उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की उसके बाद उन घर पर ही रह कर संस्कृत अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया था
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को शुरुआत से ही रामचरितमानस बहुत ही प्रिय था वह हिंदी बांग्ला अंग्रेजी और संस्कृत भाषा के बहुत बड़े जानकार थे.
निराला जी श्री रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद और श्री रविंद्र नाथ टैगोर जी से विशेष रूप से प्रभावित रहते थे औ निराला जी एक बहुत ही स्वतंत्र रूप के आदमी थे
स्कूल में पढ़ने से ज्यादा उन्हें बाहरी चीजों में रूचि थी जैसे कि खेलकूद कहीं घूमने फिरने में और कुश्ती लड़ने में इत्यादि निराला जी की संगीत में ज्यादा रुचि थी ऐसी बताई जाती हैं पढ़ाई में उनका मन बहुत कम ही लगता था.
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का वैवाहिक जीवन
उनका विवाह 15 वर्ष की आयु में ही मनोहरा देवी नाम की कन्या से हुआ था मनोहरा देवी बहुत ही सुंदर और शिक्षित स्त्री थी और उनका संगीत का बारे में भी ज्ञान था पत्नी के ही कहने से निराला जी ने हिंदी के बारे में भी अभ्यास किया.
और उसके बाद ही उन्होंने हिंदी में कविता लिखना शुरू कर दिया था निराला जी जब 3 वर्ष के थे तो उनके माता जी का मृत्यु हो गया था.
जब वह 20 वर्ष की आयु के हुए तो उनके पिता का भी मृत्यु हो गया निराला जी का जीवन शादी के बाद बहुत ही सुख में बीत रहा था क्योंकि उनकी पत्नी बहुत ही समझदार और शिक्षित भी थी उनकी एक पुत्री भी थी लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही किसी महामारी के फैलने कारण उनकी पत्नी का देहांत हो गया था फिर आर्थिक तंगी से गुजरने लगे थे
Suryakant Tripathi Nirala जी पर एक के बाद एक विपत्तियों का पहाड़ गिरने के बाद भी उन्होंने बहुत ही दृढ़ता से अपने साहित्यिक जीवन में आगे बढ़ते गए और एक से बढ़कर एक युग परिवर्तनकारी कृतियों रचनाओं को प्रकाशित करते रहे.
1916 ईस्वी में उनकी पहली कविता जूही की कली हिंदी साहित्य जगत में बहुत ही प्रचलित हुए और लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने लगे वह गद्य और पद्य दोनों के जानकार थे
साहित्यिक जीवन
निरालाजी के 1920 ईस्वी में जन्मभूमि प्रभात नाम का एक मासिक पत्रिका प्रकाशित हुआ था फिर उनका एक कविता संग्रह अनामिका नाम से 1923 ईस्वी में प्रकाशित हुआ इस तरह उनके बहुत सारी रचनाएं और कृतियां है जो एक से बढ़कर एक थे.
उन्होंने 1822 ईसवी तक नौकरी किया और उसके बाद अपना लेखन शुरू किया और उसके बाद संपादन भी करने लगे Suryakant Tripathi Nirala जी हिन्दी साहित्य का शिखर कवि के रूप में भी जाने जाते हैं.
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का व्यक्तित्व
निराला जी एक विद्रोही व्यक्तित्व के व्यक्ति थे संत भी थे और कवि भी थे वह बहुत ही स्वाभिमानी थे अपनी कविताओं में उन्होंने भारतीयों के दिलों में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह भरने के का कार्य किया.
उन्होंने कई रचनाएं की लेकिन सबसे ज्यादा उन्हें प्रसिद्धि उनकी कविताओं से मिला था हिंदी संस्कृत और बांग्ला का सूर्यकांत त्रिपाठी जी को जानकारी था वैसे तो उनका जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा हुआ था.
किसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति में रहते हुए भी अपने कार्य में संघर्ष से हमेशा लगे हुए रहते थे एक महामारी में उनकी पत्नी चाचा भाई भाभी बेटी लगभग सभी परिवार का मृत्यु हो गया.
उनकी रचनाओं से उनके स्वभाव का पता चलता है कि उनका स्वभाव एक अक्खड़ता से भरा हुआ विचारों वाला था.उनका व्यक्तित्व एक ऐसा था कि कोई भी उन्हें देखकर के आकर्षित हो जाता था पृष्ठ पुष्ट शरीर के थे और वह हमेशा साफ-सुथरे कपड़े पहनते थे.
मृत्यु
उनकी कविताओं में उपन्यास और कहानियों में Suryakant Tripathi Nirala जी के मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को इलाहाबाद में हो गया.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की रचनाएं एक से बढ़कर एक है जिनमें प्रमुख रूप से कुछ उपन्यास काव्य संग्रह और बहुत सारी कविताएं हैं
Suryakant Tripathi Nirala का काव्य संग्रह
- अनामिका
- परिमल
- गीतिका
- तुलसीदास
- अनामिका द्वितीय
- कुकुरमुत्ता
- अणिमा
- बेला
- नये पत्ते
- अर्चना
- आराधना
- गीतकुंज
- संध्या काकली
- अपरा
Suryakant tripathi nirala ki rachnaye
- अप्सरा
- अलका
- प्रभावती
- निरुपमा
- कुल्ली भाट
- बिलेश्वर बकरीहा
- चोटी की पकड़
- काले कारनामे
- चमेली
- इंदुलेखा
- कहानी संग्रह
- लिली
- सखी
- सुकुल की बीवी
- चतुरी चमार
- देवी इत्यादि
निबंध आलोचना
- रविंद्र कविता कानन
- प्रबंध पद्य
- प्रबंध प्रतिमा
- संग्रह
- चाबुक
- चयन
- महाभारत और
- रामायण के अंतर्कथाएं
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सारांश
Suryakant Tripathi Nirala ka jivan parichay निराला का जीवन परिचय इस लेख में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जीके जीवन से संबंधित सारी जानकारी दी गई हैंउनका जन्म कब और कहां हुआ था.
उनके व्यक्तित्व कैसा था उनकी रचनाएं कौन कौन थी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय के बारे में यह लेख आप लोगों को कैसा लगा आप लोग कमेंट करके जरूर बताएं और दोस्त मित्रों को शेयर भी करें.

प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।