हिंदू धर्म में सबसे बड़ा काव्य रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के एक बहुत ही प्रसिद्ध महान संत कवि थे उन्होंने भगवान राम की ऐसी भक्ति की उनके बारे में महाकाव्य लिखा जो कि युगो युगो तक अमर रहेगा. हिंदू धर्म में सबसे बड़ा ग्रंथ रामायण, श्रीमद् भागवत आदि को माना जाता है।
रामायण सें एक मनुष्य को जीने की कला, जीवन जीने का मकसद आदि अच्छे तरीके से समझ सकते हैं। अपने परिवार अपने राज्य अपने सगे संबंधियों के साथ किस तरह से जीवन जीना है, यह हमें रामायण जैसा महाग्रंथ सिखाता है। उस महान काव्य रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास भगवान राम के अनन्य भक्त थे।
जिस वजह से भगवान राम ने उन्हें एक बार दर्शन भी दिया था। प्रसिद्ध संत प्रसिद्ध कवि गोस्वामी तुलसीदास के जीवन के हर एक रचनाओं और उनके जीवनी के बारे में इस लेख में पूरी जानकारी मिलेगी।Tulsidas ka jivan parichay in hindi language, tulsidas biography in hindi गोस्वामी तुलसीदास के जीवनी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं.
Tulsidas ka jivan parichay
गोस्वामी Tulsidas जी राम भक्ति शाखा के प्रधान कवि थे और भारतीय संस्कृति के उन्नायक एवं लोकमान्य कवि के रूप में उनका विवरण मिलता है अगर वे अपनी रचनाओं के सहारे भारतीय जनता को अपनी संस्कृति की याद नहीं दिलाते तो पता नहीं हिंदू जनता कहां पहुंच गई होती.
उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र रामचरितमानस में जनता के सामने लाकर हिन्दु जनता में प्राण फूंक दिए रामचरितमानस हिंदू धर्म का एक बहुत ही बड़ा महाकाव्य है जोकि सबसे श्रेष्ठ सबसे प्रसिद्ध विश्व में 100 लोकप्रिय काव्यों में रामचरितमानस का स्थान 46 वें नंबर पर आता है कहा जाता है कि वह रामायण के रचयिता महर्षि बाल्मीकि के अवतार थे.

माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास को भगवान राम के दर्शन भी हुए थे और उन्होंने भगवान राम के अनन्य भक्त पवनसुत हनुमान जी का आशीर्वाद भी लिया था और उसके बाद ही उन्होंने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य की रचना की थी.
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म
नाम | गोस्वामी तुलसी दास |
पिता का नाम | आत्माराम दूबे |
माता का नाम | हुलसी |
गुरू का नाम | नरहरिदास |
जन्म | संवत् 1554 |
पत्नि का नाम | रत्नावली |
मृत्यु | संवत 1680 |
प्रमुख रचनाएं | रामचरितमानस,विनयपत्रिका,कवितावलीविनयपत्रिका,कवितावली,कृष्ण गितावली |
गोस्वामी जी का जन्म संवत् 1554 में हुआ था उनके गांव का नाम राजापुर था जो कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में पड़ता है उनके बचपन का नाम तुला राम या राम बोला था तुलसीदास की के जन्म के संबंध में निम्नलिखित एक दोहा बहुत ही प्रसिद्ध हैंं.
- संवत सोलह सौ असी असी गंगा के तीर
- श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी धरयो शरीर
तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था महाकवि Tulsidas जी को गोस्वामी Tulsidas जी के नाम से जानते हैं.
बचपन
वह एक हिंदू कवि संत संशोधक और जगतगुरु थे Tulsidas जी राम के अनन्य भक्त थे वे संस्कृत भाषा के प्रकांड पंडित थे अरबी फारसी के भी कुछ शब्द उनकी रचनाओं में मिलते हैं जिससे उनके अरबी फारसी ज्ञान के बारे में भी हम लोगों को जानकारी मिलता है
उन्होंने श्री राम जी के अद्भुत छवि को अपने मन में ऐसे बैठा लिया था कि अपनी सारी सुध बुध भूल गए थे उनके जन्म के समय मुंह में 32 दांत लिए उत्पन्न हुए थे. परिवार ने उनको अशुभ मान कर उनको त्याग दिया था गोस्वामी तुलसीदास जी का लालन-पालन चुनिया नाम की दासी ने किया था.
शिक्षा
जब वह छोटे थे तभी से ही बहुत ही तीव्र बुद्धि के बालक थे जो भी चीजें वह देखते थे पढ़ते थे वह बहुत जल्दी उन्हें याद हो जाता था तुलसीदास के बचपन में ही माता पिता की मृत्यु हो गई थी
जिसके बाद उनका अपना कोई नहीं था और वह भीख मांग कर के अपना गुजारा करते थे ऐसे ही घूमते घूमते एक दिन वह साधु संतों से जा मिले और वहीं पर उन्हें ज्ञान प्राप्त करने का शिक्षा लेने का एक अवसर प्राप्त हुआ तुलसीदास के गुरु नरहरी दास थे
उन्होंने ही उनका नाम तुलसीदास रखा था क्योंकि इससे पहले उनको रामबोला नाम से सभी पुकारते थे नरहरिदास ने हीं उनका यगोपवित संस्कार किया और तुलसीदास को गायत्री मंत्र का उच्चारण करना सिखाया जाता है नरहरिदास ने हीं उनको वैष्णव के पास संस्कार किए थे और राम भक्ति की शिक्षा-दीक्षा उन्होंने दिया था
उसके बाद अयोध्या लेकर गए वहीं पर उनका विद्या अध्ययन कराया तुलसीदास तो बचपन से ही बहुत ही तेज बुद्धि के थे और एक योग्य गुरु मिल जाने के कारण अपने गुरु से जो भी सुनते थे उसे याद कर लेते थे
नरहरी दास ने उनको भगवान राम के बारे में पूरी कथा सुनाई थी लेकिन उस समय उन्हें रामकथा समझ में नहीं आया था कुछ दिनों बाद वह अपने गांव आए तो उनके गांव के लोग उनके मुख से राम भक्ति भगवान राम के बारे में सुनकर के चकित हो गए थे
व्यक्तित्व
तुलसीदास को संत नरहरी दास ने काशी में ज्ञान भक्ति की शिक्षा दी थी उनका जन्म हुआ उसी समय उनके मुख से राम नाम निकला. इसलिए लोग उन्हें रामबोला कहने लगे. इसिलिए उनके बचपन का नाम तुला राम या राम बोला था.
वह राम जी की पूजा और भक्ति में हमेशा लीन रहते थे इसीलिए अंत में भगवान ने स्वयं अपने हाथ में चंदन लेकर गोस्वामीजी के माथे पर लगाया और अंतर्धान हो गए इस विषय में के बारे में तुलसीदास जी की एक दोहा हैं.
- चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर
- तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर
जब उन्होंने भगवान श्रीराम को देखा तू वह अपना सारा सुख दुख या अपने आप को ही भूल गए.वह भक्ति काल के एक बहुत बड़े राम भक्त कवि थे वह एक समाज सुधारक भी थे
गोस्वामीजी ने रामचरितमानस के साथ-साथ कई रचनाएं की और उन्होंने समाज में कई प्रकार की फैली हुई कुप्रथा और कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाया था गोस्वामी तुलसीदास ने इन कुरीतियों और कुप्रथाओं के खिलाफ अपनी रचनाओं के द्वारा विरोध करने का प्रयास किया था
रामचरितमानस हिंदू धर्म का एक बहुत ही बड़ा महाकाव्य है जिसमें भगवान राम के जीवन के बारे में शुरू से अंत तक लिखा हुआ है वह भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त थे और वह भगवान श्री राम के भक्ति भाव में ही अपने आप को समाहित कर लिया था हमेशा भगवान श्रीराम में ही लीन रहते थे उनकी रचनाएं ज्यादातर अवधी भाषा में लिखी गई है.
वैवाहिक जीवन
उनका विवाह दीनबंधु पाठक के पुत्री से हुआ था तुलसीदास जी अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे वह अपनी पत्नी के प्रेम में लिप्त रहते थे एक बार उनकी पत्नी अपने मायके गई थी
तभी वह अपनी पत्नी के प्रेम में इतना पागल हो गए थे कि आधी रात में आंधी और तूफान आया था इसका बिना परवाह किए ही अपनी पत्नी के पास ससुराल पहुंच गए जब उनकी पत्नी ने आधी रात को तुलसीदास जी को देखा तो आश्चर्य चकित हो गई.
रत्नावली के मुंह से अचानक यह बात निकल गई की जितना प्रेम आप हमें कर रहे हैं उतना ही आप भगवान से करेंगे तो अच्छा होगा ऐसे कटु शब्द सुनकर अपनी पत्नी के मुंह से उनके हृदय में बहुत पीड़ा हुआ
जिससे उनका रास्ता ही बदल गया और उन्हें संसार का महाकवि बना दिया पत्नी का उपदेश उनको वैराग्य बना दिया ऐसा कहा जाता है कि रत्नावली के प्रेरणा से ही घर को छोड़कर तीर्थाटन के लिए निकल पड़े और तन मन से भगवान राम की भक्ति में लीन हो गये.
व्यक्तित्व
Tulsidas जी के गुरु आचार्य रामानंदाचार्य थे गोस्वामी जी रामानंदी संप्रदाय के दर्शनार्थी और भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त थे भाषा भाव और कला की दृष्टि से तुलसीदास जी का बराबरी करने वाला कोई आज तक नहीं हुआ गोस्वामी जी को ईश्वर का दर्शन 1607 ईस्वी को मौनी अमावस्या के दिन बुधवार को हुआ था
भगवान श्री राम जी ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम जी बालक रूप में आकर तुलसीदास जी से कहा कि बाबा हमें चंदन चाहिए क्या आप हमें चंदन लगा सकते हैं
उन्होंने भगवान के इस रूप को देखकर अपने सारे शुद्ध बुद्धि खो दिये थे उसके बाद भगवान ने स्वयं अपने हाथ में चंदन लेकर अपने तथा तुलसीदास जी के माथे पर भी लगाया और फिर अंतर्ध्यान हो गए.
प्रमुख रचनाएं
गोस्वामी जी रचनाएं की बहुत सारी रचनाएं है उनकी सबसे प्रमुख और प्रधान रचनाएं हैं
- महाकाव्य रामचरितमानस
- विनय पत्रिका
- कवितावली
- कृष्ण गीतावली
- भैरवी रामायण
- दोहावली
- जानकी मंगल
- रामलला नहछू
- रामाज्ञा
- पार्वती मंगल इत्यादि
Tulsidas जी ने बहुत सारी रचनाएं की महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने वर्ष 1631 में चैत्र मास की रामनवमी पर अयोध्या में ही महाकाव्य रामचरितमानस लिखना शुरू किया था
उन्होंने रामचरितमानस की रचना 2 साल 7 महीने और 26 दिन में पूरा किया था. गोस्वामी तुलसीदास जी ने महाकाव्य रामचरितमानस की रचना पंचमी तिथि को राम सीता विवाह के पर्व पर ही अयोध्या में पूरा किया था.
उसके बाद महाकवि वाराणसी चले गए महाकवि गोस्वामी जी के अधिकतर रचनाएं अवधी ब्रज भाषा में है रामचरितमानस रामलाला नहछू बरवै रामायण पार्वती मंगल जानकी मंगल और रामाज्ञा यह सारी रचनाएं अवधी भाषा में है
कृष्ण गीतावली गीतावली साहित्य रत्न दोहावली वैराग्य संदीपनी और विनय पत्रिका यह सारी रचनाएं ब्रजभाषा में है तुलसीदास जी की और भी रचनाएं हैं जैसे कि
- हनुमान चालीसा
- हनुमान अष्टक
- तुलसी सतसई
- हनुमान बाहुक
मृत्यु
महान कवि गोस्वामी Tulsidas जी की मृत्यु संवत 1680 (1632 ईस्वी) में श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन राम-राम जापते हुए हो गया काशी में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया इसी के बारे में एक दोहा भी लिखा गया है.
- संवत सोलाह सौ असी असी गंगा के तीर
- श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी तज्यो शरीर
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- सूरदास कौन थे
सारांश
इस लेख में रामचरितमानस जैसे महाकाव्य के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में जिसमें गोस्वामी तुलसीदास का जन्म कब हुआ था उनके माता पिता कौन थे Tulsidas ka jivan parichay तुलसीदास का जीवन परिचय
उनके गुरु कौन थे उनका विवाह किससे हुआ था तुलसीदास को वैराग्य कैसे हुआ वह कैसे भगवान श्री राम के भक्त हुए भगवान श्री राम का दर्शन कब और किस स्थान पर हुआ उनकी मृत्यु के बारे में उनकी रचनाओं के बारे में पूरी जानकारी दी गई है.
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प्रियंका तिवारी ज्ञानीटेक न्यूज़ के Co-Founder और Author हैं। इनकी शिक्षा हिंदी ऑनर्स से स्नातक तक हुई हैं, इन्हें हिंदी में बायोग्राफी, फुलफार्म, अविष्कार, Make Money , Technology, Internet & Insurence से संबंधित जानकारियो को सीखना और सिखाना पसन्द हैंं। कृपया अपना स्नेह एवं सहयोग बनाये रखें। सिखते रहे और लोगों को भी सिखाते रहें।