श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पूर्णाहुति के अवसर पर हुआ महाधर्म सम्मेलन – परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के मंगलानुशासन में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का समापन के अवसर पर अखिल अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें भारत के कई प्रदेशों से संत, महात्मा, विद्वान शामिल हुए। धर्म सम्मेलन का आयोजन शाम 6:00 बजे से प्रारंभ हुआ, जो कि रात्रि 9:00 बजे तक चला। धर्म सम्मेलन में मंच पर जनप्रतिनिधि माननीय जज एवं वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
धर्म सम्मेलन में रोहतास, भोजपुर, बक्सर, कैमूर सहित पूरे बिहार से लोग आए हुए थे। विशेष रूप से अखिल अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उत्तराखंड सहित कई अन्य प्रदेशों से भी लोग पहुंचे हुए थे।
श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पूर्णाहुति के अवसर पर हुआ महाधर्म सम्मेलन
धर्म सम्मेलन की अध्यक्षता पूज्य स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया। श्रीरंगम से आए हुए जगद्गुरु श्री निवासाचार्य जी के द्वारा तमिल भाषा में श्री रामानुजाचार्य के संदेश पर प्रकाश डाला। आज से 1000 वर्ष पहले भगवान का शेषावतार श्री रामानुजाचार्य के रूप में हुआ था। जिन्होंने संपूर्ण मानव के कल्याण के लिए वह दिव्य मंत्र बताए, जिससे संपूर्ण मानव जाति का कल्याण होता है। इस प्रकार से श्रीरंगम से आए हुए जगद्गुरु ने धर्म सम्मेलन को संबोधित किया।
उत्तर प्रदेश के देवरिया से पधारे हुए जगतगुरु राजनारायणचार्य जी ने भी धर्म सम्मेलन में धर्म पर प्रकाश डाला। मानव जीवन में धर्म का विशेष महत्व होता है। इसीलिए हर व्यक्ति को अपने विवेक का उपयोग करते हुए, मानव जीवन में दैनिक कार्यों को करना चाहिए।

बिहार के सोनपुर से आए जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी ने रामानुजाचार्य एवं धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा धर्म हमें यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में शास्त्र के मर्यादा के अनुसार जीवन जीना चाहिए। शास्त्र मानव जीवन जीने की एक महत्त्वपूर्ण पद्धति है। जिससे हम लोगों को संदेश प्राप्त होता है। हमें अपने आचरण व्यवहार से समाज और संस्कृति को बेहतर करने के लिए काम करना चाहिए।
धर्म किसे कहते हैं
धर्म सम्मेलन में धर्म क्या है, धर्म किसे कहते हैं, इस पर चर्चा हुई। धर्म एक ऐसा आर्टिकल्स है, जिससे सुबह से लेकर रात तक जब हम जागृत अवस्था में होते हैं, उस समय जितने भी कार्य शास्त्र के मर्यादा के अनुकूल करते हैं, उसे धर्म कहा जाता है। धर्म केवल पूजा पाठ करना ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना भी धर्म है।
अंत में धर्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि धर्म एक ऐसा शब्द है, जिससे हमें यह संदेश प्राप्त होता है कि जो भी आचरण व्यवहार करें वो हमारे लिए बेहतर हो। वहीं व्यवहार, आचरण, काम हमें दूसरों के लिए भी करना चाहिए, यही धर्म है। धर्म हमें यह संदेश देता है कि जिस प्रकार से हम अपने लिए सभी प्रकार के अच्छे आचरण, व्यवहार, रहन-सहन, उठन, बैठन की कामना करते हैं, उसी प्रकार से हमें समाज हित, राष्ट्रहित, संपूर्ण मानव हित के लिए भी करना चाहिए, यही धर्म है। साधारण शब्दों में हर एक व्यक्ति धर्म को समझते हुए वैसे आचरण का त्याग करना चाहिए, जिससे किसी दूसरे का अहित होता हो यही धर्म है।
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धर्म सम्मेलन में आए कई क्षेत्र से आचार्य
धर्म सम्मेलन के समापन के बाद सभी आचार्य, संत, महात्मा का भव्य तरीके से विदाई किया गया। प्रवचन पंडाल में मौजूद हजारों हजार की संख्या में गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए, सभी महात्माओं को भी वस्त्र एवं अन्य सामग्रियों के द्वारा विदाई किया गया।
हजारों हजार की संख्या में धर्म सम्मेलन में आए लोग जब जय श्रीमन नारायण के नारे लगाकर के ध्वनि को गुंजायमान कर रहे थे, तो मानो ऐसा लग रहा था कि परमानपुर पूरी तरीके से भगवान के नाम से ही गूंज रहा है। अलग-अलग जगह से आए जगत गुरुओं के द्वारा भगवान के नाम का खूब जयकारा लगाया गया। जिससे पूरा प्रवचन पंडाल महिलाएं, पुरुषों, बच्चे, बच्चियों, महात्मा से खचाखच भरा हुआ था। जिसकी भव्यता शब्दों में बयान नहीं की जा सकती है।
मुख्य धर्माचार्य, श्री उद्धव प्रपन्नाचार्य, श्री त्रिदंडी देव समाधि स्थल महंथ श्री अयोध्या नाथ जी महाराज, बैकुंठ नाथ जी महाराज, मुक्तिनाथ स्वामी जी महाराज, चतुर्भुज जी महाराज, रंगनाथाचार्य स्वामी जी महाराज, राघवाचार्य स्वामी जी महाराज युवराज त्रिदंडी देव समाधि स्थल बक्सर ने धर्म पर अपना विचार प्रकट किए।
परमानपुर यज्ञ समिति के द्वारा श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं धर्म सम्मेलन यज्ञ की पूर्णाहुति सहित 4 महीने तक चलने वाला चातुर्मास्य व्रत की तैयारी बहुत ही अद्भुत तरीके से की गई। जो की प्रशंसनीय है। परमानपुर जैसे छोटे गांव में इस प्रकार के बड़े आयोजन कराने वाले चातुर्मास्य व्रत यज्ञ समिति के अध्यक्ष एवं सेवा निवृत शिक्षक श्री छोटेलाल तिवारी की निरंतर प्रयास एवं निरंतर भगवान श्रीमन नारायण की साधना में रहने वाले स्वामी जी के अन्यय भक्त के कई वर्षों के प्रयास के फलस्वरुप या बड़ा आयोजन संपन्न हुआ।

रवि शंकर तिवारी एक आईटी प्रोफेशनल हैं। जिन्होंने अपनी शिक्षा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी स्ट्रीम से प्राप्त किए हैं। रवि शंकर तिवारी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ से एमबीए की डिग्री प्राप्त किया हैं।