विष पिलाने वाली पूतना को भी भगवान श्री कृष्णा ने मोक्ष दिया : श्री जीयर स्वामी जी महाराज – परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जन्म के बाद कंस के द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना को भी मोक्ष दिया। पूतना जो बालक रूप में जन्म लिए श्री कृष्ण को मारने के लिए आई थी। जो सुंदर स्वरुप बनाकर माता जैसी रूप धारण करके विषपान कराना चाहती थी।
वैसी पूतना को 10 दिन से भी कम उम्र के बालक भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से समाप्त किया। भगवान श्री कृष्ण के हाथों से जो मरता है, उसका मोक्ष हो जाता है। भगवान के भक्त और शत्रु दोनों का कल्याण होता है। क्योंकि भगवान के हाथों से जो मरता है, उसको अधोगति नहीं होता है। वहीं पूतना को श्री कृष्ण जी ने गोकुल में मार कर उसके छाती पर बैठकर खेल रहे थे।
भगवान श्री कृष्ण के हाथों से जो मरता है, उसका मोक्ष हो जाता है
पूतना का मतलब जो पराई स्त्री का तन धारण करके भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए आई थी, उसे ही पूतना कहा जाता है। वैसे पूतना शब्द का अर्थ जिसका विचार, व्यवहार झूठा है, उसे भी पूतना कहा जाता है। मथुरा में कंस के द्वारा छोटे से बालक श्री कृष्ण को मारने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा था। पूतना कई प्रकार से कंस को विश्वास दिलाती है, फिर पूतना मथुरा से गोकुल पहुंचने के लिए अपना स्वरूप बदलती हैं, जिससे गोकुल में कोई भी पूतना को पहचान न सके।

इधर गोकुल में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद नवमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में सभी लोग उत्सव मानने लगे। पिछले दिन हम कथा में श्रवण किए थे कि किस तरह भगवान श्री कृष्णा का जन्म के बाद उन्हें वासुदेव जी मथुरा से गोकुल लेकर आए। जिसके बाद गोकुल में नंद बाबा और पूरा गोकुल वासियों के द्वारा उत्सव मनाया जाने लगा। नंद बाबा सभी संत, माहात्मा को दान पुण्य दोनों हाथों से किए। अब गोकुल में नंद बाबा के लाल के जन्म उत्सव लगभग महीना दिन तक मनाया गया। जिसमें दूध, दही, मक्खन की नदियां बहने लगी थी।
विष पिलाने वाली पूतना को भी भगवान श्री कृष्णा ने मोक्ष दिया
सभी देवी देवता के साथ भगवान शंकर जी भी भेष बदलकर उस उत्सव में भाग लेकर आनंदमय हो रहे थे। इधर मथुरा में कंस के कक्ष में एक अजीब सी उदासी छाई हुई थी। क्योंकि कंस यही सोच रहा था कि इतना करने के बाद भी मुझे मारने वाला जन्म ले चुका है। मैं उसे मार नहीं पा रहा हूं। तभी उसने एक राक्षसी जो कि उसकी करीबी थी, जिसका नाम पूतना था, उसको बुलाया। कंस ने पूतना को सारी बातें बताई। पूतना ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। आप निश्चिंत रहिए, मैं उस बालक को मार दूंगी।
कंस ने पूछा कि तुम उस बालक को कैसे मरोगी, तब पूतना ने बताया कि मुझे राक्षसी मायावी विद्या आती है। मैं अपना विष से भरा हुआ दूध उसे पिलाकर मार दूंगी। इधर गोकुल में नंद बाबा और गोकुलवासी हर साल कंस को वार्षिक कर देते थे। वही वार्षिक कर लेकर नंद बाबा कंस के पास गए और देकर विचार किए कि एक बार वासुदेव जी से भी मिल लूं। वासुदेव जी से नंद बाबा मिले और फिर गोकुल वापस लौटने लगे। इसी बीच पूतना कंस के आज्ञा अनुसार भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए गोकुल पहुंच गई थी।
भगवान श्री कृष्ण ने पूतना को मारा
एक बहुत ही सुंदर युवती का रूप पूतना ने बना लिया। जिसको देखकर ब्रज और गोकुल की महिलाएं भी देखते ही रह गई। पूतना यसोदा माता के घर गई। जब भगवान श्री कृष्णा पूतना को देखे तो अपनी आंख बंद कर लिए और मन ही मन सोचने लगे कि अरे इतनी जल्दी पूतना मुझे मारने के लिए आ गई। पूतना ने भगवान श्री कृष्ण को खेलाने के बहाने गोद में लेकर अपना दूध पिलाने लगी। अब भगवान श्री कृष्णा छोटा बालक के रूप में थे, पूतना के दूध पीने लगे। दूध पीते पीते उसका गला पकड़ लिए और बोले कि अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।
पूतना चिल्लाने लगी, कि मुझे छोड़। लेकिन फिर भी भगवान श्री कृष्णा उसे नहीं छोड़ रहे थे। जिसके बाद पूतना ने अपना बहुत ही विशाल विकराल रूप बना लिया। विकराल रूप बनाने के बाद वह आकाश में उड़ने लगी। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने उसे धरती पर पटक दिया। उसके बाद पूतना का मृत्यु हो गया। लेकिन पूतना के मरने के बाद भी भगवान श्री कृष्णा उसके शरीर पर ही बैठे थे और उसका दूध पी रहे थे। पूतना के गिरने का आवाज इतना तेज था कि पूरे गोकुल के लोग सुन कर देखने के लिए दौड़ गए।
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पूतना को मिला पूर्व जन्म का वरदान
जब सभी लोग गए तो देखें कि भगवान श्री कृष्णा पूतना के शरीर पर बैठकर खेल रहे हैं। तब यसोदा माता दौड कर के बालक कृष्ण को गोद में लेकर घर आई। उन्हें अच्छे से नहा कर गाय के पूंछ के बाल से नजर उतारने लगी। नंद बाबा आए तो उन्हें सभी बातों की जानकारी हुई। पूतना के शरीर को गोकुल वासियों ने आग लगाकर जला दिया। कहा जाता है कि जब पूतना का शरीर जल रहा था, ताे उसमें से सुगंध आ रहा था। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने उसे स्पर्श किया था। जिससे पूतना का शरीर अब राक्षसी का नहीं रह गया था।
शास्त्रों में लिखा गया है कि पूतना पूर्व जन्म में दैत्य राजबलि की पुत्री थी। जिसका नाम रत्नमाला था। जब भगवान श्रीमन नारायण वामन रूप लेकर राजा बलि के पास गए तो उनके सुंदर रूप को देखकर रत्नमाला ने अपने मन में सोचा कि कितना सुंदर बालक है। यह मेरा पुत्र होता तो कितना अच्छा होता। जिसे मैं अपना दूध पान कराती। लेकिन कुछ ही देर बाद जब भगवान वामन ने दैत्य राजबलि का सब कुछ दान में ले लिया, तब रत्नमाला ने अपने मन में सोचा कि यह तो बहुत दुष्ट बालक है, इसे तो विष पान करा के मार देना चाहिए।
उसी समय भगवान ने रत्नमाला के दोनों इच्छाओं को सुनकर उसे आशीर्वाद दिया कहा कि ये दोनों इच्छा में जरूर पूरा करूंगा। वहीं अगले जन्म में पूतना थी, जो भगवान श्री कृष्ण को अपना विष वाला दूध पिलाकर मारने के लिए आई थी। जिसका भगवान ने उद्धार किया। कंस को जब खबर मिली कि पूतना को भगवान श्री कृष्ण ने मार दिया है, तब वह बहुत उदास हुआ और हैरान भी हुआ की 10 दिन का बालक इतनी विशाल और विकराल राक्षसी को कैसे मार दिया।

रवि शंकर तिवारी एक आईटी प्रोफेशनल हैं। जिन्होंने अपनी शिक्षा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी स्ट्रीम से प्राप्त किए हैं। रवि शंकर तिवारी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ से एमबीए की डिग्री प्राप्त किया हैं।