पंचायती राज्य प्रणाली बहुत ही पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था है. लेकिन अक्सर पंचायत क्या है लोग जानना चाहते हैं. उसके फायदा क्या होगा और पंचायत प्रणाली के मुख्य व्यवस्था कितने स्तरों पर काम करती हैं. उन सभी लोगों के प्रश्नों का सही-सही उत्तर इस लेख में मिलेगा. भारत में पंचायत प्रणाली एक बहुत ही मुख्य स्वशासन की व्यवस्था है. जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र और कस्बे में सभी व्यवस्थाएं जल्द पहुंच जाती है. जैसे कि स्थानीय लोगों का विकास और प्रशानिक व्यवस्था सही तरीके से होता हैं. न्याय शासन और विकास कार्यों को जल्द सुलभ तरीके से पहुंचा जा सकता है.
अक्सर हम लोग गांव में पंचायत चुनाव के बारे में सुनते रहते हैं. जहां पर अलग-अलग लोग अलग-अलग पदों के लिए चुनाव लड़ते हैं. इसमें गांव के विकास के लिए सरकार द्वारा कई फंड दिया जाता हैं. जो वहां बनाए गए प्रमुख सदस्यों के पास भेजा जाता हैं. जिससे ग्रामीण इलाकों में बिजली, शिक्षा, सड़क आदि विकास कार्य किया जा सके. पंचायत को कितने स्तरों में बांटा गया और कौन-कौन से पद पर सदस्य बनाए जाते हैं. यह सभी जानकारी नीचे हम लोग प्राप्त करेंगे.
पंचायत प्रणाली क्या होता हैं
एक या एक से अधिक गांवों को मिलाकर एक पंचायत बनाया जाता है. जो ग्रामीण इलाके में विकास और प्रशासन के लिए चुना गया एक प्रणाली है. जिसके द्वारा ग्रामीण शासन प्रणाली को बेहतर बनाया जाता है. इस व्यवस्था को प्राचीन काल में बहुत समय पहले ही शुरू किया गया था. ऐसा माना जाता है कि पंचायती राज प्रणाली को मौर्य वंश के राजा अशोक से ही शुरू किया गया था. जिससे कि गांव और छोटे कस्बों में आसपास स्थानीय स्वशासन को सुदृढ़ बनाया जा सके.
ग्राम पंचायत में सर्वोच्च प्रतिनिधि को वहां के स्थानीय जनता द्वारा चुना जाता है. जहां पर छोटे-छोटे विवाद या कानूनी प्रक्रिया को बहुत अच्छे तरीके से निपटाया जाता हैं. वहां एक पारदर्शिता दिखाई देता है. पंचायत के सभी लोग किसी भी विवाद या समस्या को सुलझाने के लिए आमने-सामने बैठते हैं. वहां सभी गांव के स्थानिय लोग उपस्थित होंगे. सभी को अपना-अपना मत रखने का पूर्ण अधिकार होता हैं. उसके बाद ही निष्पक्ष तरीके से किसी भी समस्या का समाधान या न्याय दिया जाता है. इसीलिए इसे आर्थिक सामाजिक राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है.
पंचायत व्यवस्था कितने स्तरों पर बांटा गया है
भारत के छोटे-छोटे गांव और कस्बे में प्रशासनिक व्यवस्था और विकास कार्य को आसानी से पहुंचाया जा सके. जिसके लिए पंचायत ग्रामीण शासन प्रणाली को बनाया गया. जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक कार्य गांव की समस्याओं का हल और ग्रामीण विकास की योजनाओं को लागू करने वाला अधिकार दिया गया. सामान्य रूप से इस व्यवस्था को तीन स्तर पर बांटा गया.
जिला परिषद
यह जिला स्तर का व्यवस्था हैं. जिसका मुख्य कार्य जिले में जितने पंचायत होंगे. उनका प्रतिनिधित्व करना हैं. जिससे कि हर एक गांव में विकास कार्य की सभी योजनाएं सही तरीके से पहुंच जाए. जैसे शिक्षा, सड़क, विकास, बिजली, जल आदि. इसीलिए इसे पंचायत व्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा माना जाएगा.
पंचायत समिति
यह एक ब्लॉक स्तर का व्यवस्था होता हैं. जिसमें कई गांव का समूह सम्मिलित रहता है. किसी ब्लॉक में जितने भी ग्रामीण इलाके होंगे. वहां विकास कार्यों का देखरेख करना, ग्राम पंचायत में सभी योजनाओं का सही तरीके से लोगों पास पहुंचाना और उनको उचित मदद के लिए हमेशा तैयार रहना ही कार्य होता हैं.
ग्राम पंचायत
पंचायती राज व्यवस्था का सबसे नीचे स्तर व्यवस्था होता है. जिसके द्वारा सभी गांव का देखरेख किया जाता है. एक पंचायत में जितने भी गांव आएंगे. उन सभी गांवों में हर तरह की व्यवस्थाओं को सही तरीके से लागू करना इनका कार्य है. इसमें मुख्य रूप से सरपंच मुख्य प्रतिनिधि होता हैं.
इसके अलावा मुखिया, वार्ड और कई छोटे-छोटे प्रतिनिधि चुने जाते हैं. ग्राम पंचायत का चुनाव उस पंचायत में आने वाले जितने भी गांव होंगे. वहां पर रहने वाले स्थानीय लोगों के द्वारा ही होगा. स्थानीय लोगों के दिए गए मत के आधार पर इन प्रतिनिधियों का चुनाव होगा. इन गांव के जितने भी योग्य मतदाता होंगे. वही अपना सरपंच, मुखिया, वार्ड या और भी छोटे-छोटे प्रतिनिधि चुनेंगे हैं.
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पंचायत प्रणाली के फायदे
इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक कार्य का संचालन अच्छे तरीके से करने का अधिकार दिया जाता हैं. भारत में कई प्रशासनिक इकाई अलग-अलग स्तरों पर बनाया गया है. छोटे-छोटे गांव और कस्बों को मिलाकर एक पंचायत प्रणाली बनाया. जिसमें एक से अधिक गांव आएंगे. उनमें विकास योजनाओं को लागू किया जाता है. ग्रामीण स्थानीय लोगों का समस्या का हल किया जाता हैं. साथ ही जो भी सरकार की तरफ से विकास कार्य योजनाएं लागू की जाती है. उसको लाभ दिया जाता है. इसके महत्वपूर्ण फायदे हैं.
- स्थानीय लोगों की सभी समस्याएं आसानी से सुलझ जाएगी. क्योंकि मुखिया, सरपंच, पांच आदि प्रतिनिधियों तक स्थानीय लोग पहुंचने में सक्षम होंगे. अपनी समस्याओं को उनके पास जाहिर करेंगे. जिससे तेजी से उस प्रक्रिया पर एक्शन लेकर समाधान किया जाएगा.
- जब भी किसी मामले पर पंचायत होता हैं. तब स्थानीय लोग भी उसमें सम्मिलित होंगे. प्रतिनिधियों के सभी सवालों के जवाब ग्रामीण खुद देंगे. जिससे निष्पक्ष तरीके से निर्णय लिया जा सकेगा. सभी को बोलने का मौका दिया जाएगा.
- गांव में महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को आरक्षित सेट होने की वजह से चुनाव लड़ने का मौका मिल जाता है.
- सरकार द्वारा दिए गए स्थानीय विकास योजनाओं को सभी गांव में आसानी से पहुंचा जा सकेगा. जैसे शिक्षा, पानी, सड़क, स्वास्थ्य सेवाएं आदि. जिससे सभी गांव का विकास तुरंत हो पाएगा.
- जब भी केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा किसी तरह की योजना चलाई जाएगी. उसे ग्रामीण लोगों के पास जल्द इंफॉर्मेशन मिल जाएगा. फिर उस स्कीम को तुरंत लागू भी किया जा सकेगा.
सारांश
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन में बहुत ही सर्वश्रेष्ठ भूमिका पंचायत प्रणाली का होता हैं. छोटे-छोटे ग्रामीण स्तर के लोगों का विकास भी हो सकता हैं.
प्रियंका तिवारी इस ब्लॉग वेबसाइट के Owner एवं Author भी हैं। प्रियंका तिवारी पटना बिहार की रहने वाली हैं। प्रियंका तिवारी ने हिन्दी ऑनर्स से स्नातक की डिग्री, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी, आरा, भोजपुर, बिहार, भारत से प्राप्त की हैं। जो निरंतर इस ब्लॉग वेबसाइट पर पोस्ट पब्लिश करती हैं।