बक्सर के बारे में जानें 2024

बक्सर के बारे में जानें. बिहार का एक ऐसा शहर जिसका इतिहास कई सदियों पुराना है. बक्सर शहर का प्रमाण त्रेता काल में भगवान रामायण में हमें मिलता है. जब भगवान राम और लक्ष्मण जी को महर्षि विश्वामित्र ने राक्षसों का नाश करने के लिए लाए थे. बक्सर जिला का मुख्यालय भी वहीं पर स्थित है. 

इसको एक पावन और पवित्र स्थल के रूप में देखा जाएगा. क्योंकि यहां पर मां गंगा का वास होता है. गंगा तट पर ही यह नगरी बसा है. यहां पर कई देवी देवताओं का मंदिर स्थापित भी किया गया है. वैसे बक्सर शहर के बारे में कई ऐसी बातें हैं. जिनको बताने पर खत्म नहीं होगी. इसलिए आज हम लोग इस आर्टिकल में मुख्य जानकारी को प्राप्त करेंगे.

बक्सर का पूराना नाम क्‍या था

इसका नाम पुराणों में व्याघ्रसर बताया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां पहले बाघों का निवास होता था. जिससे इसका नाम व्याघ्रसर पड़ा. लेकिन एक मान्यता अनुसार यह भी कहा जाता है कि ऋषि दुर्वासा ने ऋषि वेदशिरा को श्राप दिया था. जिसके कारण ऋषि वेदशिरा का सर बाघ का बन गया था.

उस श्राप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि वेदशिरा ने बक्सर में एक कुंड में अपने सर को धोया था. इस वजह से भी बक्सर का व्याघ्रसर नाम पड़ा था.  इसे विश्वामित्र की नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि ऋषि विश्वामित्र का आश्रम यही हुआ करता था. जहां पर वह कई हजार और लाख ऋषि मुनियों के साथ तपस्‍या और यज्ञ करते थे.

buxar history in hindi - बक्सर के बारे में

लेकिन उस समय ताड़का सुबाहु और मारीच राक्षस उनके यज्ञ को भंग कर देते थे. इसीलिए ऋषि विश्वामित्र ने अयोध्या जाकर राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ लाए थे. इसके बाद भगवान राम और लक्ष्मण जी ने ताड़का और सुबाहु का वध कर दिया और वहां ऋषि मुनियों को सुरक्षित किया. यहीं पर भगवान राम और लक्ष्मण जी ने विश्वामित्र जी से शिक्षा भी ग्रहण किया.

बक्सर कहां है

बिहार के पश्चिम दिशा में गंगा नदी के तट पर बसा एक बहुत ही मनोरम दृश्य वाला स्थल है. जिसे बक्सर नाम से जानते हैं. बिहार की राजधानी पटना से लगभग 119 किलोमीटर हैं.  यहां मां गंगा किनारे कई घाट है. जहां पर लोग दूर-दूर से अपने पाप को दूर करने के लिए स्नान करने आते हैं. गंगा किनारे चरित्रवन में शमशान घाट है. रामरेखा घाट जहां मुंडन संस्कार या किसी त्योहार पर स्नान और पूजा पाठ किया जाता है. 

यहां पर लोगों का जीवन यापन या अर्थव्यवस्था मुख्यतः खेती बाड़ी पर ही निर्भर है. इस जिले में अधिकतर लोगों उनके पास अपना जमीन है. जिस पर अलग-अलग प्रकार के खेती करके उसी से अपना यापन करते हैं. वैसे इसे एक व्यापारिक नगर भी कहा जाता है. क्योंकि बक्सर में जिला कारागृह भी है. जहां पर कैदियों के द्वारा कपड़े बूनने का काम किया जाता है. साथ ही अलग-अलग तरह के उद्योग भी होता है. जिससे उन्हें आत्मनिर्भर होकर कुछ कमाई करने का मौका मिल जाता है.

बक्सर जिला कब बना

पहले यह भागलपुर जिला का भाग था. जो कि 1972 में अलग होकर हो गया. लेकिन 17 मार्च 1991 में बक्सर जिला को भोजपुर जिला से अलग करके एक स्वतंत्र जिला बनाया गया. जिसके लिए वहां के आम नागरिकों द्वारा लगभग 10 वर्षों तक आंदोलन किया गया. जिसमें कई बार बंद का भी ऐलान किया गया. 10 वर्षों की लड़ाई के बाद सरकार की निद्रा खुली. 

उसके बाद 1991 में इसे भोजपुर जिला से अलग कर दिया गया. जिल कोर्ट और मुख्यालय भी यहीं स्थित है. यहां के लोगों की बोली मुख्यत: भोजपुरी है. लेकिन उसके साथ-साथ हिंदी भी बोली जाती है. साथ ही खेती में मुख्य रूप से धान, गेहूं, चना, सरसों आदि की जाती है.

यहां जाने के लिए किसी भी राज्य से आप पटना से रेल सेवा या बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं. क्योंकि पटना से बक्सर के लिए रेलवे लाइन के साथ-साथ कई सड़के भी आज बन गई है. जिससे आसानी पूर्वक आप वह पहुंच सकते हैं.

बक्सर के दार्शनिक स्थल

वैसे तो यहां पर कई दार्शनिक स्थल हैं. इसे एक धार्मिक स्थल भी माना जाता हैं. क्योंकि विश्वामित्र का नगरी या कर्मस्थली इसे माना जाता हैं. साथ ही भगवान विष्णु के रूप बामन अवतार यहीं पर हुआ था. बक्सर इसलिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि 1764 में यहां अंग्रेजो के साथ युद्ध भी हुआ था.

रामेश्वर मंदिर

इसका स्थापना भगवान राम द्वारा किया गया था. यह एक भगवान शंकर का मंदिर हैं. इस मंदिर में शिवलिंग भगवान राम ने अपने हाथों से बनाया था. कहा जाता हैं कि जब विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने के लिए भगवान राम ने ताड़का राक्षसी को मारा. तब उन पर एक स्त्री दोष लगा था. इस दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने गंगा नदी में से मिट्टी और बालू निकालकर उन्हीं के तट पर अपने हाथों से एक शिवलिंग बनाया. 

लेकिन वह शिवलिंग बन नहीं रहा था. बार-बार टूट जा रहा था. जिसे भगवान राम ने अपने हाथों से एक उंगली दबाकर बनाया. कहा जाता हैं कि आज भी उस शिवलिंग पर उंगली का निशान बना हुआ हैं. फिर उन्होंने गंगा नदी में स्नान किया और भगवान भोले शंकर की पूजा आराधना किया. जिसके बाद उन्हें इस दोष से मुक्ति मिली. आज भी दूर-दूर से लोग रामेश्वर मंदिर में शिवजी का दर्शन करने आते हैं.

नौलखा मंदिर

इसमें भगवान विष्णु के सभी अवतार को दर्शाया गया हैं. उनके सभी अवतार का मूर्ति यहां पर स्थित हैं. साथी यहां एक शीश महल है. जहां सिर्फ शिशा का दरवाजा खिड़की सभी हैं. उसमें अलग-अलग तरह के भगवान के रूपों को दिखाई गई है. इसी नौलखा मंदिर में राक्षसी ताड़का को मारते हुए भगवान राम और लक्ष्मण जी का बहुत ही बड़ा विशाल मूर्ति बनाया गया हैं. यह ऐतिहासिक मंदिर हैं. जहां पर विष्णु जी के सभी रूपों को आप दर्शन कर सकेंगे.

नाथ बाबा मंदिर

यह गंगा नदी के नाथ घाट किनारे बना है. इस मंदिर में भगवान शंकर का पूजा किया जाता हैं. इसका स्थापना एक संन्यासी ने किया था. मान्यता हैं कि उस समय एक सन्यासी युवा अवस्था में थे. जो वहां पर पधारे. फिर वहीं पर उन्होंने कुछ सालों के बाद एक मंदिर तैयार कर दिया. उनका नाम पता किसी को पता नहीं है. इस मंदिर का नाम नाथ बाबा मंदिर रखा गया. यह बहुत ही सुंदर मंदिर हैं. यहां पर बहुत ही शांति प्रतीत होता है. प्रकृति का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है. गंगा नदी के किनारे इसका बहुत ही बड़ा दरवाजा हैं. इस मंदिर के खुलने और बंद होने का एक समय है. इस समय में आप दर्शन कर पाएंगे.

कतकौली मैदान

कतकौली के मैदान में अंग्रेजों और सुजाउदौला, कासिम अली खान द्वारा लड़ी गई लड़ाई के बारे में आज भी अवशेष मिलता है. जब अंग्रेजों का पूरे भारत में राज था. उस समय बक्सर को बचाने के लिए बंगाल नवाब सुजाउदौला ने युद्ध छेड़ दिया. लेकिन उस युद्ध में उन्हें अंग्रेज मेजर मुनरो के साथ लड़ने में परेशानी हो रही थी. इसलिए उन्होंने कासिम अली खान का सहारा मांगा. तब इस युद्ध में अंग्रेज मेजर मुनरो का सामना सुजाउदौला और कासिम अली खान ने किया. यह युद्ध 1764 में लड़ा गया. जो कि बक्सर युद्ध के नाम से प्रसिद्ध हैं. वैसे इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई थी. आज भी कतकौली मैदान में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई युद्ध स्मारक का अवशेष दिखाई देता हैं.

माता अहिल्या का मंदिर

यह बक्‍सर के समीप अहिरौली में स्थित हैं. इस मंदिर में माता अहिल्या का मूर्ति हैं. जिनका लोग दूर-दूर से पूजा करने के लिए आते हैं. अहिल्या माता ऋषि गौतम की पत्नी थी. जिन्हें गौतम ऋषि से श्राप मिला था. जिसके कारण वह एक पत्थर की शीला बन गई थी. जिनका उद्धार भगवान राम द्वारा किया गया. जब विश्वामित्र ऋषि ने राम जी को और लक्ष्मण जी को साथ लेकर बक्सर आए थे. उसी समय उन्होंने अपने चरण स्पर्श से अहिल्या माता को मूर्ति से एक स्त्री के रूप में बनाकर मुक्ति प्रदान किया था. इसीलिए वहां पर अहिल्या माता का मंदिर स्थापित हैं.

रामरेखा घाट

इस घाट का नाम भी राम जी के नाम पर ही पड़ा था. कहा जाता हैं कि राम जी ने यहां पर एक रेखा खींच दिया था. जिससे इस घाट का नाम रामरेखा घाट पड़ा. इस रामरेखा घाट किनारे एक यज्ञ आश्रम भी है. जहां पर भगवान राम का चरण पादुका रखा गए हैं. दूर-दूर से लोग मां गंगा का स्नान करने के लिए आते हैं. साथ ही बच्चों का मुंडन संस्कार भी गंगा किनारे किया जाता हैं. रामरेखा घाट पर स्नान, पूजा, दान पूर्ण करके लोग अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं.

पंचकोशी मेला

बिहार का यह बहुत ही प्रमुख मेला है. जो दिसंबर महीने में लगता हैं. यह एक बहुत ही प्रचलित मेला है. जिसमें पूरे बिहार से लोग शामिल होने के लिए श्रद्धा पूर्वक आते हैं. कहा जाता हैं कि जब राम जी विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर में आए थे. तब उन्होंने कई जगहों पर भ्रमण किया था. जैसे कि भभुअर में भार्गव ऋषि का आश्रम, नादांव नारद मुनि का आश्रम, उनुवास अहिरौली और बक्सर. जहां-जहां राम जी ने जो खाना खाया था. वहीं खाया जाता है. इस मेला का शुरुआत अहिरौली अहिल्या देवी के मंदिर से किया जाता है. 

सबसे पहले दिन अहिल्या देवी के मंदिर में दिया जलाकर इस मेला का शुरुआत होता है. उसके बाद अलग-अलग जगह पर लोग जाकर वहां जो भगवान राम जी ने खाया था. उसी चीज को बनाकर खाते हैं. पांचवें दिन बक्सर के चरित्रवन गंगा किनारे घाट पर लिट्टी और चोखा बनाया जाता हैं. जिसके साथ ही इसका समापन किया जाता है. 5 दिनों तक लोग बहुत ही श्रद्धापूर्वक और जोर शोर से पंचकोशी मेला का लूत्‍फ उठाते हैं.

सारांश

बक्‍सर ऐतिहासिक स्‍थल पवित्र और धार्मिक स्थल है. जहां पर त्रेतायुग के कई अवशेष भी दिखाई देते हैं. साथ ही मौर्य काल के बहुत ही सुंदर-सुंदर मूर्ति बक्सर उत्खनन से मिले थे. जिसको पटना संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. बक्सर के बारे में हमने इस लेख में पूरी जानकारी दी है. जिसके द्वारा अगर आप को कभी भी बक्सर में घूमने या इस पावन नगरी की दर्शन करने को मौका मिले, तो आसानी से इन जगहों पर घूम सकते हैं. 

इन जगहों पर जरूर जाइए जिससे आप एक धार्मिक स्थल का दर्शन कर सके. वैसे तो आज इस शहर ने बहुत ही ज्यादा विकास किया है पहले की अपेक्षा यहां पर जनसंख्या भी बहुत अधिक बढ़ गया है क्योंकि लोग ऐसे धार्मिक स्थलों पर निवास करना चाहते हैं ताकि उन्हें इन मंदिरों को का दर्शन करने में मां गंगा का दर्शन करने में स्नान करने में आसानी हो.

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