Bacho Ko Kaise Padhaye? बच्चों को कैसे पढ़ाएं? अक्सर जब छोटे बच्चों का धीरे-धीरे पढ़ने वाला उम्र होने लगता है, तो उन्हें शुरू में किसी भी चीज को कैसे सिखाएं उन्हें पढ़ना कैसे सिखाएं, यह हर माता-पिता के लिए बहुत बड़ी समस्या होती है। छोटे-छोटे बच्चों का दिमाग एक खाली स्थान के तरह होता है। जिसमें जिस तरह का ज्ञान दिया जाएगा उसी तरह का बच्चा बन सकता है।
शुरू से ही अगर हर माता-पिता अपने बच्चों में सही ज्ञान संस्कार, संस्कृति,सभ्यता बेहतर तरीके से सिखाते है। जिससे वह बच्चा बड़ा होकर एक ज्ञानवान और सफल व्यक्ति बन सकता है। अपनी एक अलग पहचान बना सकता है। छोटे बच्चे मन के सच्चे और चंचल होते हैं। उन्हें उन्हीं के तरीके से पढ़ा करके सही ज्ञान दे सकते हैं।
वैसे पढ़ाई एक ऐसी चीज है जिसमें बहुत ही कम लोगों का मन लगता है। पढ़ाई बिना संघर्ष के बिना मेहनत के नहीं हो सकता है। बहुत कम ही ऐसे लोग होते हैं जिन्हें पढ़ने का उत्साह होता है। खुद से हर तरह के ज्ञान पर प्राप्त करने का उत्तरदायित्व होता है।
इसलिए हर माता-पिता का यह एक बहुत ही बड़ा फर्ज और उत्तरदायित्व होता है कि वह अपने बच्चों को सही शिक्षा देकर एक सही मनुष्य बनने में सहायता करें। बच्चों को सही तरीके से पढ़ाने के लिए इस लेख में कुछ बेहतर टिप्स दिए गए है जिसके बारे में नीचे विस्तार से जानेंगे।
बच्चों को कैसे पढ़ाएं
छोटे बच्चों को पढ़ाना एक बहुत ही बड़ा कार्य होता है। क्योंकि सभी बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है। हर बच्चों के पढ़ने का तरीका अलग अलग होता है। इसलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहतर तरीके अपनाने चाहिए। क्योंकि एक माता-पिता का मुख्य उद्देश्य अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाना होता है।
बच्चों के बेहतर भविष्य की प्लानिंग हर माता-पिता करते हैं। बेस्ट से बेस्ट स्कूल में एडमिशन कराते हैं। उन्हें हर वक्त हर चीजें उपलब्ध कराते हैं जिनकी उन्हें जरूरत होती है। एक बच्चे के भविष्य का निर्माण उसके माता-पिता उसके शिक्षक और उसके घर के बड़े बूढ़े के सहयोग से ही होता है।
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इसलिए हर पेरेंट्स को अपने बच्चे को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कराने के लिए आसान से आसान तरीके अपनाने चाहिए। जिससे बच्चे का पढ़ाई में मन लगे और वह पूरी जिम्मेदारी से और पूरे लगन से पढ़ाई करने के बारे में सोचें। तो आइए बच्चों को पढ़ाने के कुछ अनोखे और बेहतर टिप्स के बारे में जानते हैं।
1. पढ़ाई का दबाव न बनाएं
बच्चों को किसी भी विषय या किसी भी तरह के पढ़ाई कराने के लिए सबसे पहले उन पर पढ़ाई का दबाव नहीं देना चाहिए। छोटे बच्चे का मन बहुत ही कोमल होता है। उनके दिमाग पर शुरू से ही पढ़ाई का प्रेशर अगर दिया जाने लगेगा, तो उनका पढ़ाई से ही मन भाग जाएगा।
उन्हें पढ़ाई बोझ लगने लगेगा। कई माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा दूसरे बच्चों से बहुत जल्द आगे निकल जाए। अपने स्कूल में सभी बच्चों से ज्यादा तेज बने। इसके लिए वह बच्चों पर ज्यादा पढ़ाई का दबाव देने लगते हैं। ज्यादा पढ़ाई एक ही दिन में कराने लगते हैं।
बच्चों को लगातार ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करने लगते हैं। जिससे बच्चे परेशान हो जाते हैं। उनका पढ़ाई से मन हटने लगता है। इसलिए बच्चों को थोड़े-थोड़े करके हर सब्जेक्ट की जानकारी दें। जिससे वह खुशी से आसानी से पढ़ाई करके सभी जरूरी बातें सीखें।
2. खेल खेल में पढ़ाएं
अक्सर छोटे-छोटे बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। वह पढ़ाई का मतलब पढ़ाई का कीमत नहीं समझ पाते हैं। लगातार बैठकर padhai नहीं करना चाहते हैं तो ऐसे बच्चों को खेल खेल में ज्यादा चीजें सिखा सकते हैं। कभी-कभी काउंटिंग याद कराने के लिए खेलने वाला सामान से ही गिनती करा कर 1 से 100 तक काउंटिंग सिखा सकते हैं।
आजकल तो छोटे-छोटे बच्चों को एबीसीडी सीखने के लिए भी नए नए तरीके के स्लेट या खिलौने बाजार में मिल रहे हैं। उस पर एबीसीडी बना रहता है जिसको बच्चे खेल-खेल में मिला मिला कर आसानी से याद कर सकते हैं। नए-नए पोयम बच्चों को सोते समय खेलते समय गाना की तरह जाकर सिखा सकते हैं।
3. माता-पिता खुद पढ़ाई पर ध्यान दें
जब बच्चे स्कूल जाने लगते हैं, स्कूल में टीचर से पढ़ाई करते हैं। तब अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों के पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें यही लगता है कि बच्चा स्कूल में पढ़ ही रहा है। कोचिंग में पढ़ रहा है। लेकिन ऐसे नजर अंदाज करने से बच्चों का अच्छे तरीके से पढ़ाई नहीं हो पाता है।
इसलिए हर माता-पिता को बच्चों के पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। जब भी स्कूल से वह आते हैं तो उनका होमवर्क क्या मिला है, उसको देख कर खुद बैठकर कराना चाहिए। जो भी उन्हें स्कूल से होमवर्क मिलता है, उसको अच्छे तरीके से समझा कर करवा सकते हैं। स्कूल में अगले दिन जिस सब्जेक्ट का पढ़ाई होना है, उसके बारे में पहले ही अच्छे तरीके से बच्चे को गाइड कर सकते हैं। जिससे उन्हें स्कूल में भी उस सब्जेक्ट को पढ़ने में परेशानी न हो।
4. बच्चे को लिखना सिखाएं
बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी आदत होना चाहिए। उन्हें किसी के भी लिखे हुए शब्द को समझने की क्षमता होनी चाहिए। ताकि जब वह स्कूल में जाए तो टीचर के द्वारा लिखे गए ब्लैक बोर्ड पर जो भी क्वेश्चन आंसर या कुछ भी हो वह आसानी से अपने कॉपी पर लिख ले। उनकी राइटिंग बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
जब बच्चों को हर चीज अच्छी तरीके से लिखना आ जाएगा, तो अपने स्कूल में भी अच्छे तरीके से हर सब्जेक्ट का क्वेश्चन आंसर लिखकर टीचर को दिखा सकते हैं। जब वह खुद से लिखने लगेंगे तो उन्हें हर सब्जेक्ट आसानी से समझ में आने लगेगी।
5. किताब पढ़ना सिखाएं
लिखने के साथ-साथ बच्चों को किताब पढ़ना भी सिखाना जरूरी है। जब वह किताब खुद से पढ़ने लगेंगे तो बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। अपना होमवर्क या हर एक क्वेश्चन का आंसर खुद से पढ़ कर समझ सकते हैं और लिख सकते हैं। बच्चों को इतिहास की भी जानकारी जरूर दें।
हमारे देश के अन्य महापुरुषों अविष्कारकों के साथ-साथ अन्य इतिहास के जानकारी भी देना जरूरी है। साथ ही आज के समय में इंग्लिश सबसे जरूरी विषय हो गया है, तो अपने बच्चों को शुरू से ही ज्यादा से ज्यादा इंग्लिश की जानकारी जरूर दें।
क्योंकि हर स्कूल में अधिकतर इंग्लिश में ही पढ़ाई होती है। इसलिए बच्चों को बचपन से ही इंग्लिश के बारे में ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करें। उनसे अधिकतर इंग्लिश में बात करने की कोशिश करें इंग्लिश लिखने और पढ़ने की प्रैक्टिस करें।ताकि वह इंग्लिश भाषा को आसानी से समझ जाए।
6. बच्चों का दोस्त बनें
हर माता-पिता का यह एक बहुत ही बड़ा उत्तरदायित्व होता है, कि वह अपने बच्चे से एक दोस्त की तरह बन कर बात करें। अगर बच्चों को पढ़ने के समय डांट कर मार कर डरा कर पढ़ाते हैं, तो उनका पढ़ाई में मन नहीं लगेगा। इसलिए अपने बच्चे के साथ एक फ्रेंड की तरह व्यवहार करें।
उन्हें कौन सा सब्जेक्ट पसंद है, किस सब्जेक्ट में परेशानी होती है, इसको प्रेम से अच्छे से पूछें। जो भी किताब है उन्हें आसानी से समझा कर पढ़ाएं। तभी वह बेहतर तरीके से पढ़ सकते हैं। कई ऐसे माता-पिता होते हैं, जो कि अपने बच्चों को पढ़ने के समय मारते हैं डांटते हैं। इससे बच्चों के बाल मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
डर की वजह से तो हर चीज याद कर ही लेते हैं, लेकिन अगर उन्हें किसी सब्जेक्ट में परेशानी होती है, तो अपने माता-पिता को डर की वजह से नहीं बता पाते हैं। अगर स्कूल में उन्हें किसी तरह के पढ़ाई में परेशानी होती है, तो अपने पेरेंट्स से बताने में डरते हैं। इसलिए अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करके बेहतर तरीके से पढ़ाएं।
7. हर रोज नई-नई चीजें याद कराएं
हर रोज बच्चों को एक ही चीज पढ़ाने से भी वह बोर हो जाते हैं इसलिए हर रोज अलग-अलग जानकारी देने की कोशिश करें। लेकिन जो चीजें पहले सिखाया गया है, उसका भी धीरे-धीरे हर रोज रिवाइज करवाते रहें। जिससे वह पीछे जो भी पढ़ाई किए हैं उसको याद रखें।
जब बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, उस समय उनके पास कई अलग-अलग सवाल होते हैं, उन सवालों को पूछे और उसका उत्तर अच्छे तरीके से देकर समझाएं। बच्चों के हर एक विषय से संबंधित पढ़ाई को अच्छे तरीके से कराएं। अच्छे तरीके से समझाएं जिसे वह हर सब्जेक्ट में आगे निकल सके।
8. पढ़ाई का महत्व समझाएं
अपने बच्चों को पढ़ाई में मन लगाने के लिए पढ़ाई को समझने के लिए पढ़ाई का महत्व समझाना पड़ता है। उन्हें हर एक किताब का महत्व समझाएं। उनके शिक्षा का महत्व समझाएं कि वह पढ़ाई के बल पर आगे चलकर एक बड़े आदमी बन सकते हैं।
एक सक्सेसफुल आदमी बन सकते हैं। बच्चों को जब पढ़ाई का महत्व समझ में आएगा तो वह अपने आप ही पढ़ाई के तरफ आकर्षित हो सकते हैं। उन्हें नए-नए कहानियां सुनाएं, बड़े-बड़े लोगों के सक्सेस होने की किताबें पढ़ाएं, किस्से सुनाएं, जिससे उनका पढ़ाई के प्रति रुझान ज्यादा बढ़े।
9. पढ़ाई में तकनीक का भी इस्तेमाल करें
आजकल के बच्चे अधिकतर मोबाइल, लैपटॉप अीवी आदि में ज्यादा लगे रहते हैं। जिससे उनके पढ़ाई पर भी असर होता है। वह पढ़ना नहीं चाहते हैं। ऐसे समय में अगर मोबाइल और टीवी देखते भी हैं, तो उसका सही इस्तेमाल करें।
मोबाइल में पढ़ने वाली ज्ञान वाली बेहतर जानकारी वाली वीडियो ही वह देखें जिससे उन्हें जानकारी मिलेगी। मोबाइल में कुछ ऐसा गेम दे जिसमें दिमागी क्षमता बढ़े और नई-नई चीजें सीखने को मिले।
10. खेलने का भी समय बनाएं
बच्चों को दिन-रात अगर पढ़ने के लिए ही बोलते रहेंगे, तो वह पढ़ाई से उब जाते हैं। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के खेल और मनोरंजन का भी ध्यान देना चाहिए। जिस तरह पढ़ाई का समय बनाते हैं, उसी तरह खेल का भी समय बच्चों के लिए निर्धारित करना चाहिए।
जब उन्हें पढ़ाई से ब्रेक मिलेगा तो उनका दिमाग फ्रेश हो जाएगा और खेलने के बाद वह और भी तरोताजा होकर पढ़ाई में मन लगा सकते हैं। बाहर जाकर बच्चों के साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करें। ताकि वह अलग-अलग बच्चों से मिले बाहरी दुनिया की जानकारी प्राप्त करें।
वैसे तो आज के समय में अधिकतर बच्चे घर में ही मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो गेम, टीवी आदि से खेलते रहते हैं। लेकिन बच्चों के लिए शारीरिक मेहनत की भी ज्यादा आवश्यकता होती है। बाहर जाकर बच्चों के साथ खेलेंगे तो शरीर से मेहनत होगा जिससे उनके शरीर में स्फुर्ती रहेगा।
11. पढ़ाई में अनुशासन रखें
पढ़ाई के समय ज्यादा नहीं लेकिन कुछ अनुशासन जरूर होना चाहिए। जो भी वह पढ़ाई कर रहे हैं उसके लिए एक समय सीमा जरूर बनाएं है। हर रोज उन्हें कुछ न कुछ याद करने के लिए जरूर दें। ताकि उनका दिमागी क्षमता बढ़े और ज्यादा से ज्यादा याद करें।
हर रोज कुछ टास्क पूरा करने के लिए जरूर दें। पढ़ाई के समय दूसरी चीजों पर ध्यान न दें, उनका ध्यान सिर्फ अपने किताब पर अपनी पढ़ाई पर ही रहे। किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक ज्ञान भी बच्चों को देना जरूरी होता है।
अपने घर अपने परिवार के संस्कार, संस्कृति बड़ों का आदर करना यह सभी ज्ञान भी बच्चों को देना जरूरी होता है। जो भी वह गलती करते हैं, उसको नोट करें और उन्हें उस गलती के बारे में अच्छे तरीके से समझाने की कोशिश करें। उन्हें अगर किसी तरह की परेशानी है तो उसको हल करने की कोशिश करें।
अगर बच्चे स्कूल जाते हैं तो हर रोज उनकी कॉपी चेक करें। साथ ही वह स्कूल में क्या कर रहे हैं, किस तरह से अपने टीचर से व्यवहार कर रहे हैं, बच्चों से व्यवहार कर रहे हैं, उनके हर एक गतिविधि के बारे में जानकारी रखने का प्रयास करें।
12. दूसरे बच्चों से कंपेयर न करें
अपने बच्चों का तुलना दूसरे बच्चों से कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि हर बच्चों का दिमाग अलग अलग होता है। हर बच्चों में अलग-अलग प्रतिभा होती है। इसलिए अगर हम चाहे कि हमारे बच्चे भी दूसरे के बच्चों की तरह तेज बने, तो यह पॉसिबल नहीं है। क्योंकि हर बच्चा एक अलग क्षेत्र में आगे रहता है।
अगर अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं, तो उन्हें दूसरे बच्चों के तारीफ से ईर्ष्या होने लगता है। जिससे वह पढ़ाई में भी मन नहीं लगा पाते हैं। इसलिए अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करें। अगर वह किसी भी क्षेत्र में बेहतर प्रतिभा दिखाते हैं तो उन्हें प्रोत्साहित करें।
बल्कि उन्हें एक बेहतर इंसान बनने के लिए हमेशा प्रेरित करें। उन्हें जिस विषय में जिस क्षेत्र में ज्यादा रूचि है उसी के लिए प्रेरित करें। उसी की जानकारी ज्यादा से ज्यादा बच्चों को उपलब्ध कराएं। उनके पसंद के अनुसार ही उन्हें पढ़ाने की कोशिश करें।
13. स्कूल प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करवाएं
हर स्कूल में समय-समय से किसी न किसी त्यौहार में या किसी फंक्शन में प्रतियोगिता कराया जाता है। यह प्रतियोगिता बच्चों के प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। बच्चे अगर स्टेज पर चढ़कर लोगों के सामने परफॉर्म करेंगे, तो उनका झिझक खत्म होता हैं, मनोबल बढ़ता है।
इसलिए अपने बच्चों को स्कूल में घर में या कहीं दूसरी जगह भी किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। प्रतियोगिता में भाग लेने से बच्चों का मानसिक विकास होता है और कई तरह के अन्य विद्यार्थियों से नए-नए ज्ञान अर्जित करने का भी मौका मिलता है।
14. पढ़ाई के लिए उत्साहित करें
बच्चों को पढ़ाई में उत्साह लाना जरूरी होता है और यह उत्साह बच्चों को अपने पेरेंट्स अपने बड़े अपने टीचर से ही मिलता है। बच्चों को समय समय से टास्क जरूर दें। अगर वह अपना टास्क अच्छे से पूरा कर लेते हैं तो उन्हें इनाम जरूर दें।
उनकी प्रशंसा करें ताकि वह अगली बार और भी ज्यादा उत्साह से अपनी पढ़ाई को टास्क को पूरा करने की कोशिश करें। जिससे वह अपने पढ़ाई के महत्व को भी समझ सकते हैं। इससे पढ़ाई में भी मन लगेगा। उसके लिए बच्चों को हर तरह से मोटिवेट करें। टाइम टेबल बनाकर बच्चों को पढ़ाएं।
15. छुट्टी में घूमने ले जाए
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ बाहरी ज्ञान की भी जरूरी होती है। इसलिए समय समय से जब बच्चों के स्कूल की छुट्टी है तो उन्हें बाहर घुमाने जरूर ले जाएं। वैसे समय पर किसी ऐतिहासिक जगह पर ले जाए जहां पर उन्हें इतिहास की जानकारी मिल सके।
जिससे वह नई नई चीजों को सीख सकते हैं। जिससे उनके दिमाग का विकास हो सकता है। ऐसी जगह पर ले जाए जहां पर उन्हें ज्ञानवर्धक बातें सीखने को मिले। बच्चे खुद से उत्साहित होकर घूमने जाएं और सीखे। जिससे उनके दिमाग के साथ-साथ शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
16. स्कूल के पीटीएम में शामिल हो
हर स्कूल में समय समय से पैरंट टीचर मीटिंग कराया जाता है। जिसमें हर एक बच्चों के सही गलती हर चीज को उनके पेरेंट्स को टीचर बताते हैं। ऐसे में सभी पेरेंट्स को पीटीएम में शामिल होना चाहिए। जिससे वह अपने बच्चों के स्कूल में के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
वह अपने स्कूल में शिक्षक के साथ किस तरह से व्यवहार करते हैं। वह अपना पढ़ाई स्कूल में कैसे करते हैं। जिससे माता पिता अपने बच्चों के गलती को आसानी से सुधार सकते हैं। समझा सकते हैं। साथ ही टीचर की भी यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह अपने स्टूडेंट के हर एक प्रतिक्रिया के बारे में उनके माता-पिता से जानकारी ले। क्योंकि बच्चे स्कूल में कुछ ही घंटे समय व्यतीत करते हैं।
लेकिन वह घर पर हमेशा रहते हैं। इसलिए स्कूल के साथ-साथ घर पर भी पढ़ाई का माहौल होना चाहिए। स्कूल में जो भी वह पढ़ते हैं उसका रिवाइज घर पर भी होना चाहिए। तभी उनका पढ़ाई बेहतर हो सकता है। अपने बच्चों को हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।
उन्हें नई नई चीजें दिखाने का प्रयास करते रहना चाहिए। अगर वह पढ़ाई में ध्यान नहीं दे रहे हैं तो उनके माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को बेहतर तरीके से समझाएं और पढ़ाई के लिए हमेशा प्रेरित करते रहें।
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सारांश
छोटे बच्चों को प्रेम के साथ-साथ अनुशासन की भी जरूरत होती है। तभी वह पढ़ाई में बेहतर तरीके से मन लगा सकते हैं। उन्हें पढ़ाई के लाभ हानि के बारे में भी बता सकते हैं। बच्चों को अनुशासन के साथ-साथ स्वतंत्रता भी देनी चाहिए। ताकि वह अपने मन से भी कुछ कार्य कर सकें।
अगर हर समय माता-पिता बच्चों के हर काम में रोक टोक करते रहते हैं तो बच्चों का मन अपने माता-पिता से भी हट जाता है। पढ़ाई से भी हट जाता है। इसलिए बच्चों के हर एक प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी लेते रहें। अगर कहीं पर वह गलत है तो उन्हें प्रेम से आराम से समझाएं। पढ़ाई करने के लिए सक्सेसफुल लोगों की स्टोरी सुनाएं ताकि बच्चे पढ़ाई के तरफ उत्साहित होते रहे।
इस लेख में बच्चों को पढ़ाने के विशेष शिक्षा के कई बेहतर टिप्स दिए गए हैं जिसको अपनाकर आप भी अपने बच्चों को अच्छे तरीके से पढ़ा सकते हैं। उन्हें समय से पढ़ाई करा सकते हैं। इस लेख से संबंधित अगर किसी भी तरह का सवाल या सुझाव है तो कॉमेंट के द्वारा पूछ सकते हैं।
मेरा नाम रवि शंकर तिवारी हैं मैं Gyanitechnews ब्लॉग वेबसाईट का Founder और Author हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। कंप्यूटर ,टेक्नोलॉजी, इन्टरनेट ,ब्लॉगिेग, SEO, एमएस Word, MS Excel, Make Money एवं अन्य तकनीकी जानकारी के बारे में विशेष रूचि रखते हैंं। इस विषय से जुड़े किसी प्रकार का सवाल हो तो कृपया जरूर पूछे। क्योकि इस ब्लॉग का मकसद लोगो बेहतर जानकारी उपलब्ध कराना हैंं।